बोलने की आजादी के नाम पर जहर फैला रहे है

व्हाट्सएप और ट्विटर अब के नहीं रहेंगे जो अब तक थे. लगता है उन में खुल कर हेट स्पीच और फेक न्यूज देने के दिन लदने लगे हैं. अंधभक्तों की एक बड़ी फौज ने उस बहुत ही उपयोगी मीडिया का जो गलत इस्तेमाल अपना जातिवादधर्मवाद और पुरुषबाद फैलाने के लिए किया था वह कम होने लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में साफ कहा है कि हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ पुलिस को खुद एक्शन शुरू करना होगा. व्हाट्सएपट्विटरइंस्टाग्रामफेसबुकयूंट्यूव इसी हेट स्पीच ने बलबूते पर पनत रहे थे.

यह आम बात है कि जहां आपस में 4 जने झगडऩे लगें. 40 लोग तमाशा देखने के लिए खड़े हो जाते हैं. आज की औरततों का सब से बड़ा पार टाइम कोई विवादकिसी की चुगलीकिसी के घर का झगड़ा है. किट्टी पाॢटयों में किस के घर में क्या हुआ की बात होती हैक्या अच्छा करा जाए की नहीं.

व्हाट्सएपफेसबुकइंस्टाग्रामट्विटर के माध्यम से हेट स्पीच और फेक न्यूज की खट्टीमीठी गोली ऐसे ही नहीं दी जाती है. इस के पीछे बड़ा उद्देश्य है पूजापाठ करने वालों के चंदा जमा करनामंदिरों के लिए भीड़ जुटानाघरों में दान करने की लत डालनाआम जनता को तीर्थों में ले जानाआम औरत को बहकाकर पति या सास के अत्याचार से बचने के लिए व्रतपाठमन्नत का सहारा लेना जिस से धर्म की दुकान पर सोना बरसे.

यह ऐसे ही नहीं है कि देश भर में मंदिरोंभक्तोंआश्रणोंबाबाओं की खेती दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है. इस में व्हाट्सएपट्विटरइंस्टाग्राम और फेसबुक का बड़ा हाथ है जिस पर धर्म के दुकानदार बुरी तरह छाए हुए है ओर हर पोज में बड़ा चौड़ा बखान किया जाता है. फेक न्यूज और हेट स्पीच के लिए आए लोग इस प्रचार से प्रभावित होते ही हैं.

एल्ट न्यूज चलाने वाले मोहम्मद जुबेर पर पोस्को एक्ट में शिकायत करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अब शिकायतों के खिलाफ मुकदमा दायरकरने का आदेश दिया है. मोहम्मद जुबैर के खिलाफ शिकायत करने वाले ने ट्वीटर पर एक तीखे कमेंट धर्म को लेकर किए थे जिस पर जुबेर ने कहा था कि महाश्य गालियां बकने से पहले कम से कम डीपी से अपनी पोती का फोटो तो हटा दो. इस पर चाइल्ड एब्यूज का मामला बना डाला गया और पुलिस ने तुरंत जुबेर को गिरफ्तार भर कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे रिहा कर दिया और अब पुलिस कहती है कि अपराध बनता ही नहीं है. यह नहीं बताती कि जब अपराध बनता ही तो गिरफ्तार क्यों किया था.

पुलिस अफसरो को तो सजा हाई कोर्ट ने नहीं दी है पर शिकायती के खिलाफ झूठी शिकायत का मुकदमा करने का आदेश दे दिया है. व्हाट्सएपइंस्टाग्रामफेसबुकट्विटर पर फेक न्यूज डालने वालों के यह चेतावनी है. मजा तब आएगा जब इन्हें फौरवर्ड करने वालों को भी बराबर का अपराधी माना जाने लगे. दानपुण्य की दुकान चलाने के लिए धाॢमक पंडों ने पूरे समाज को कितने ही टुकड़ों में बांट डाला है. औरतों को तो अलगअलग माना जाता रहा हैअब सब धर्मों ही नहीं जातियों को टुकड़ों में बांट दिया है.

इन डिजिटल प्लेटफार्मों पर दलितकुर्मीअहीरजाटराजपूरब्राह्मïवैश्व गु्रप बने हुए हैं जिन में अपनाअपना बखान किया जाता है. फेक न्यूज से हर जाति अपने को महान बता रही है. हरेक के अपने मंदिरपुजारी हैं. ये प्लेट फार्म अलगाव को बुरी तर फैला रहे हैं.

मोबाइल आज फोन नहीं मशीनगन बन गया है जो आप के दिमाग को भून सकता है और आप इस से सैंकड़ों के दिमाग भूल सकते हैं.

ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए इन 5 प्लेटफॉर्म पर रखें सावधानी

कोविड के इस दौर में संक्रमण से बचने के लिए नो ह्यूमन टच को प्राथमिकता दी जा रही है जिससे ऑफलाइन या व्यक्तिगत तौर पर किये जाने वाले सभी कार्यों को ऑनलाइन ही किया जा रहा है. एक चॉकलेट के छोटे से पेमेंट से लेकर बिजली, पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, किराना, और सब्जी जैसे सभी पेमेंट आज हम ऑनलाइन ही करना पसन्द करते हैं. वर्क फ्रॉम होम के चलते  अधिकांश मीटिंग्स भी ऑनलाइन ही हो रहीं हैं. साथ ही बच्चों की क्लासेज भी ऑनलाइन ही हैं. जहां ऑनलाइन प्रयोग बढ़ा है वहीं साइबर ठगी भी उतनी ही अधिक मात्रा में होने लगी है. आज हम ऐसे ही कुछ प्लेटफार्म के बारे में बताएंगे जहां से आपको आसानी से ठगी का शिकार बनाया जा सकता है क्योंकि इन सभी प्लेटफार्म का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं. तो आइए जानते हैं वे प्लेटफॉर्म और ठगी से बचने के कुछ उपाय भी-

1. फ़ूड डिलीवरी ऍप्स

आजकल महामारी के कारण लोंगों ने रेस्टोरेंट जाना कम करके घर पर ही खाना मंगवाना प्रारम्भ कर दिया. जिससे आज स्विगी, जोमैटो और फ़ूड पांडा जैसी अन्य अनेकों फ़ूड डिलीवरी एप्स मौजूद हैं ऑनलाइन ऑर्डर लेते समय ये नाम, पता और कार्ड नम्बर आदि मांगतीं है. बार बार न भरना पड़े इसलिए हम अक्सर इसे अपने मोबाइल में सेव कर देते हैं जो कई बार साइबर ठगों के हाथ लग जाती है. इससे बचने के लिए हर ट्रांजिक्शन पर पूरी जानकारी पुनः भरें इससे आपका थोड़ा समय और मेहनत तो लगेगी परन्तु आप फ़्रॉड का शिकार होने से बचे रहेंगे.

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2. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग

कोरोना के बाद से ऑनलाइन पढ़ाई और वर्क फ्रॉम होम कल्चर का विकास हुआ और घर का एक कोना ही वर्क प्लेस और स्कूल में तब्दील हो गया. लेपटॉप, टैब, वाई फाई और मोबाइल प्रमुख टूल्स बन गए. इन सबके दौरान कैमरा हर समय ऑन रहता है जो साइबर ठगों के लिए मददगार होता है. जब भी आप कैमरा ऑन करें तो इसके दायरे में दिखने वाली प्रत्येक चीज और जगह को चेक करें कि आपकी कोई व्यक्तिगत जानकारी लीक करने वाली चीज तो नहीं कैमरे में नहीं आ रही है.

3. फिटनेस डिवाइसेज

कोरोना में लॉक डाउन के कारण घरों से निकलना ही बंद हो गया जिससे स्वयम को फिट रखने के लिए लोंगों ने ऑनलाइन फिटनेस डिवाइसेज का सहारा लिया. आज इंटरनेट पर अनेकों फिटनेस डिवासेज मौजूद हैं. इन डिवासेज को आप अपने फिटनेस रूटीन की हर बात याद रखने के लिए कहते हैं जो सायबर अटेकर के लिए बहुत मददगार होती हैं. इससे बचने के लिए आप इन डिवासेज में प्रत्येक जानकारी बहुत सोच समझकर ही भरें.

4. वीडियो गेम्स

एक सर्वे के अनुसार महामारी के दौरान ऑनलाइन गेमिंग 39 प्रतिशत तक बढ़ गयी. गेमिंग के दौरान कैमरा, माइक्रोफोन, स्क्रीन शेयरिंग की जाती है जो हैकर्स के लिए बहुत सहायक होते हैं. इसके अतिरिक्त ऑनलाइन गेमिंग के लिए बनाए गए एकाउंट में भी तमाम जानकारी भरी जाती हैं. इससे बचने के लिए अपनी गतिविधियों को वी पी एन(वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) से अवश्य जोड़ें ताकि आपके प्राइवेट नेटवर्क और वाई फाई को सुरक्षित करने का काम करता है.

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5. सोशल मीडिया

महामारी से पूर्व ही सोशल मीडिया पर लोग अपना काफी समय व्यतीत करते थे परन्तु कोरोना के कारण घरों के अंदर बंद लोगों का सबसे बड़ा सहारा बना सोशल मीडिया. यहां पर अपने जीवन से जुड़ी हर बात को शेयर करते हैं जो ठगों के लिए बहुत मददगार होती है. यहां पर अपनी निजी जानकारियां साझा करने से बचे. सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट को प्राइवेट रखें साथ ही आप जो भी शेयर करें उसे अबाउट सेक्शन में जाकर कंट्रोल अवश्य करें.

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