जब हों महीने में 2 बार पीरियड्स, कहीं ये 8 कारण तो नहीं

हर महिला की पीरियड्स अवधि अलगअलग हो सकती है. ज्यादातर यह अवधि 28 दिनों की होती है, लेकिन यह 21 से 35 दिनों के बीच बदल भी सकती है. पीरियड्स नियमित तब माने जाते हैं जब किसी महिला को 2 महीने में 1 बार या फिर 1 महीने में 2-3 बार होने लगे. यह एक गंभीर समस्या है, इसलिए जल्द से जल्द गाइनोकोलौजिस्ट से मिल कर इस का इलाज करवाना चाहिए, क्योंकि इस के कारण नई शादीशुदा लड़कियों को आगे चल कर मां बनने में परेशानी हो सकती है. अनियमित पीरियड्स के कई कारण हैं जैसे:

1. बर्थ कंट्रोल पिल्स:

अगर आप बर्थ कंट्रोल पिल्स लेती हैं तो आप की बौडी में बहुत से हारमोनल बदलाव आते हैं, जिन की वजह से भी ब्लीडिंग हो सकती है. मान लीजिए आप नियमित पिल्स लेती हैं और फिर अचानक बंद कर देती हैं तो ऐडिशनल ब्लीडिंग होने लगती है. ज्यादातर यह ब्लीडिंग पीरियड डेट के 2 सप्ताह बाद होती है, साथ ही अगर आप ने हालफिलहाल इन पिल्स को लेना शुरू किया है तो भी हारमोनल बदलाव की वजह से ऐक्स्ट्रा ब्लीडिंग होने लगती है.

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2. प्रैगनैंट तो नहीं:

महिलाओं को लगता है कि प्रैगनैंट होने पर पीरियड रुक जाता है, लेकिन गर्भवती होने के बाद भी बीचबीच में ब्लीडिंग हो सकती है. ऐसा शुरुआत के 3 महीनों में होना आम बात है.

3. ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी:

जहां सामान्य प्रैगनैंसी में भू्रण का विकास गर्भाशय के अंदर होता है वहीं ऐक्टोपिक प्रैगनैंसी में भू्रण का विकास फैलोपियन ट्यूब, अंडेदानी या पेट में कहीं भी हो जाता है. इन जगहों पर भू्रण का विकास नहीं हो पाता है धीरेधीरे जब उस का आकार बढ़ने लगता है तो वह जगह फट जाती है, जिस से ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है. और महिलाएं इसे पीरियड से रिलेटेड ब्लीडिंग समझने की गलती करती हैं. ऐसे हालात में तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए, क्योंकि कई बार यह स्थिति गंभीर बन जाती है.

4. मिसकैरेज तो नहीं:

गर्भ के 3 महीनों तक ब्लीडिंग होना नौर्मल है, लेकिन यह मिसकैरेज का भी एक संकेत हो सकता है. मिसकैरेज यानी गर्भाशाय में किसी वजह से भ्रूण का अपनेआप अंत हो जाना. रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 15 से 17% महिलाओं का मिसकैरेज हो जाता है.

5. हारमोनल बीमारी पीसीओएस:

पीसीओएस यानी पौलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक हारमोनल बीमारी है. इस बीमारी में अंडाशय में छोटेछोटे फौलिकल्स जमा हो जाते हैं, जो नियमित रूप से अंडे देने में असमर्थ होते हैं. इसलिए जब महिलाओं के अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया नहीं होती या लेट हो जाती है तो हारमोनल डिसबैलेंस हो जाता है, जिस का असर ब्लीडिंग पर दिखता है और महीने में 2 बार पीरियड्स हो जाते हैं.

6. थायराइड की प्रौब्लम:

जिन महिलाओं में थायराइड की समस्या होती है उन के पीरियड्स भी अनियमित हो सकते हैं, क्योंकि उन के मासिकचक्र को प्रोजेस्टेरौन और ऐस्ट्रोजन हारमोन मिल कर कंट्रोल करते हैं, जिन का निर्माण थायराइड ग्रंथि से होता है. इसलिए थायराइड की प्रौब्लम्स को पीडियड्स की अनियमितता से जोड़ कर देखा जाता है.

7. समय से पहले मेनोपौज:

जब किसी महिला को 40 से 45 की उम्र के बाद लगातार 12 महीने तक पीरियड्स नहीं आते तो यह मेनोपौज कहलाता है. लेकिन अगर समय से पहले ही किसी को यह समस्या हो जाए तो इस स्थिति को अर्ली मेनोपौज कहा जाता है, जिस की वजह से महिला का पीरियड पूरी तरह नहीं आता और उसे अनियमित मासिकधर्म की समस्या भी हो जाती है. अकसर मेनोपौज से पहले महिलाओं को महीने में 2 बार पीरियड्स होते हैं.

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8. स्ट्रैस लेने से:

एक रिसर्च के अनुसार जो महिलाएं हाई लैवल स्ट्रैस लेती हैं उन में भी अनियमित पीरियड्स की समस्या पाई जाती है. दरअसल, जब महिलाएं चिंता करती हैं तो उन के अंदर स्ट्रैस हारमोन बढ़ जाते हैं, जिस की वजह से पीरियड या तो बहुत जल्दी आ जाता है या फिर बहुत लेट. इस की वजह से कभी मासिकधर्म मिस तो कभी महीने में 2 बार आ सकता है.

अचानक वजह घटने या बढ़ने से: जब किसी महिला का वजन अचानक बढ़ या घट जाता है तो उस के अंदर हारमोंस बदलाव भी आते हैं. रिसर्च के अनुसार बौडी का वेट कंट्रोल करने से लंबे समय तक अनियमित पीरियड्स की समस्या हो सकती है.

2 बार पीरियड्स से बचने के टिप्स

– ऐक्सरसाइज उतनी ही करें जितनी आप का शरीर सह सके.

– पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं. इस से बौडी डिटौक्स होती है.

– ज्यादा दर्द और ब्लीडिंग से बचने के लिए चक्रासन करें.

– हलका भोजन करें यानी मसालेदार और खट्टा खाने से परहेज करें.

– चायकौफी और कौल्डड्रिंक्स का सेवन न करें.

– अदरक को आधा कप पानी में उबाल कर उस में थोड़ा सा शहद मिलाएं और भोजन करने के बाद 2-3 बार इस का सेवन करें.

– नियमित पीरियड्स के लिए कच्चे पपीते का जूस पीएं.

– सौंफ में ऐंटीस्पैज्मोडिक तत्त्व होते हैं, जो पीरियड्स को नियमित करने में मदद करते हैं.

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