वजन कम होने से पीरियड्स बंद हो गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 19 साल की हूं और कालेज में पढ़ती हूं. मैं अपने बढ़े वजन को कम करने के लिए दिन में कम से कम 2 घंटे व्यायाम करती हूं. मैं ने इस दौरान 12-13 किलोग्राम वजन कम भी कर लिया है. मगर अब मेरे पीरियड्स बिलकुल बंद हो गए हैं. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

कई चीजें मासिकधर्म को रोक सकती हैं, जिन में बहुत ज्यादा व्यायाम कर जल्दी वजन कम करना भी शामिल है. खासकर तब जब आप पर्याप्त कैलोरी और पौष्टिक खाद्यपदार्थों का सेवन नहीं कर रही हों. दिन में 2 घंटे व्यायाम करने से बहुत सारी कैलोरी बर्न हो जाती है, इसलिए अब आप को अपने खाने में अधिक कैलोरी लेनी चाहिए और डाक्टर से जल्दी मिलना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप के पीरियड्स रोकने के लिए और कोई समस्या जिम्मेदार तो नहीं. आप स्वस्थ भोजन और व्यायाम की योजना पर काम करें, जिस से आप की पीरियड्स की साइकिल दोबारा ठीक हो सके.

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औरतों को हर माह पीरियड से दोचार होना पड़ता है, इस दौरान कुछ परेशानियां भी आती हैं. मसलन, फ्लो इतना ज्यादा क्यों है? महीने में 2 बार पीरियड क्यों हो रहे हैं? हालांकि अनियमित पीरियड कोई असामान्य घटना नहीं है, किंतु यह समझना आवश्यक है कि ऐसा क्यों होता है.

हर स्त्री की मासिकधर्म की अवधि और रक्तस्राव का स्तर अलगअलग है. किंतु ज्यादातर महिलाओं का मैंस्ट्रुअल साइकिल 24 से 34 दिनों का होता है. रक्तस्राव औसतन 4-5 दिनों तक होता है, जिस में 40 सीसी (3 चम्मच) रक्त की हानि होती है.

कुछ महिलाओं को भारी रक्तस्राव होता है (हर महीने 12 चम्मच तक खून बह सकता है) तो कुछ को न के बराबर रक्तस्राव होता है.

अनियमित पीरियड वह माना जाता है जिस में किसी को पिछले कुछ मासिक चक्रों की तुलना में रक्तस्राव असामान्य हो. इस में कुछ भी शामिल हो सकता है जैसे पीरियड देर से होना, समय से पहले रक्तस्राव होना, कम से कम रक्तस्राव से ले कर भारी मात्रा में खून बहने तक. यदि आप को प्रीमैंस्ट्रुल सिंड्रोम की समस्या नहीं है तो आप उस पीरियड को अनियमित मान सकती हैं, जिस में अचानक मरोड़ उठने लगे या फिर सिरदर्द होने लगे.

असामान्य पीरियड के कई कारण होते हैं जैसे तनाव, चिकित्सीय स्थिति, अतीत में सेहत का खराब रहना आदि. इन के अलावा आप की जीवनशैली भी मासिकधर्म पर खासा असर कर सकती है.

कई मामलों में अनियमित पीरियड ऐसी स्थिति से जुड़े होते हैं जिसे ऐनोवुलेशन कहते हैं. इस का मतलब यह है कि माहवारी के दौरान डिंबोत्सर्ग नहीं हुआ है. ऐसा आमतौर पर हारमोन के असंतुलन की वजह से होता है. यदि ऐनोवुलेशन का कारण पता चल जाए, तो ज्यादातर मामलों में दवा के जरीए इस का इलाज किया जा सकता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए-जानें अनियमित पीरियड्स से जुड़ी जरुरी बातें

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पीरियड्स में तनाव से निबटें ऐसे

मासिकधर्म लड़कियों व महिलाओं में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है. इस दौरान शरीर में अनेक हारमोनल बदलाव होते हैं, जो शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रभाव डालने के कारण तनाव का कारण बन सकते हैं. कई कारण इस के जिम्मेदार हो सकते हैं.

कई महिलाएं मासिकधर्म शुरू होने से पहले या इस दौरान तनाव की ऐसी स्थिति से गुजरती हैं, जिस में उन्हें चिकित्सकीय इलाज की भी जरूरत होती है. यह सामान्य बात है कि तनाव, चिंता और चिड़चिड़ापन जिंदगी और रिश्तों को प्रभावित कर सकता है.

पीरियड्स के दौरान अगर थोड़ाबहुत तनाव महसूस हो, तो यह एक सामान्य स्थिति मानी जाती है. प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों का मुख्य कारण ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन हारमोंस के लैवल में बदलाव आना होता है.

सामान्य तौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में तनाव से ग्रस्त होने की आशंका ज्यादा होती है, जो मासिकधर्म के दौरान और बढ़ सकती है, क्योंकि ये हारमोनल ‘रोलर कोस्टर’ आप के ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर्स, जिन में सैरोटोनिन और डोपामाइन हैं, पर प्रभाव डाल सकते हैं, जो मूड को ठीक रखने का काम करते हैं. इस के अलावा जिन लड़कियों या महिलाओं को पहले पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक ऐंठन या ब्लीडिंग होती है, वे पीरियड्स शुरू होने से पहले दर्द व असुविधा को ले कर चिंतित हो सकती हैं, जो तनाव का कारण बनता है.

ये लक्षण आप के दैनिक जीवन को प्रभावित करने के लिए काफी गंभीर होते हैं, जिन में चिड़चिड़ापन या क्रोध की भावना, उदासी या निराशा, तनाव या चिंता की भावना,मूड स्विंग या बारबार रोने को मन करना, सोचने या ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, थकान या कम ऊर्जा, फूड क्रेविंग या ज्यादा खाने की इच्छा, सोने में दिक्कत, भावनाओं को कंट्रोल करने में परेशानी और शारीरिक लक्षण, जिन में ऐंठन, पेट फूलना, स्तनों का मुलायम पड़ना, सिरदर्द और जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द शामिल है.

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टीनऐजर्स को भी अत्यधिक तनाव महसूस हो सकता है. उन्हें मांसपेशियों में खिंचाव व ऐंठन, पेट दर्द, जोड़ों व कमर में दर्द व थकान हो सकती है. ये परिवर्तन उन के यौवन काल में हो रहे परिवर्तनों से जुड़ी होते हैं.

हारमोंस जैसे ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन जो पीरियड्स को दुरुस्त करने का काम करते हैं, में उतारचढ़ाव की वजह से आप की भूख, पाचन शक्ति और ऊर्जा का स्तर प्रभावित हो सकता है और ये सब आप के मूड को भी प्रभावित करने का काम करेंगे. इस से मनोवैज्ञानिक कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ सकता है. पीरियड्स के दौरान तनाव एक मूड डिसऔर्डर है, जिस से पीरियड्स के दौरान 5% महिलाएं प्रभावित होती हैं. निम्न उपाय पीरियड्स के दौरान तनाव को कम करने में मददगार साबित होंगे:

रीलैक्सेशन टैक्नीक

इस तकनीक का उपयोग करने से स्ट्रैस कम होता है. इस के लिए आप योगा, मैडिटेशन और मसाज जैसी थेरैपी ले सकती हैं.

पर्याप्त नींद लें

पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है. लेकिन सिर्फ यही जरूरी नहीं है, बल्कि आप कोशिश करें कि आप का रोजाना सोने व उठने का एक समय हो. छात्राएं सोने के शैड्यूल को न बिगाड़ें, क्योंकि इस से हारमोंस पर असर पड़ता है.

डाइट का खास ध्यान रखें

आप कौंप्लैक्स कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लें. अपनी डाइट में साबूत अनाज व स्टार्ची वैजिटेबल्स ऐड करें, जो पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग व तनाव को कम करने का काम करेंगी. कैल्सियम रिच फूड जैसे दूध व दही लें. खाने में ज्यादा से ज्यादा फलों व सब्जियों को शामिल करें. थोड़ाथोड़ा खाएं ताकि पेट फूलने की समस्या न हो. अलकोहल व कैफीन से दूरी बनाएं.

विटामिंस हों ज्यादा

अनेक अध्ययनों से पता चला है कि कैल्सियम और विटामिन बी-6 दोनों तनाव के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लक्षणों को कम करने का काम करते हैं.

व्यायाम जरूरी

दौड़ने या साइक्लिंग करने से मूड ठीक होता है.

कोंगिनेटिव बिहेवियरल थेरैपी

इस थेरैपी की तकनीक से आप तनाव पर अलग तरह से काबू पा सकती हैं. समय के साथ आप के मस्तिष्क में तंत्रिकों के मार्ग बदल जाएंगे, जो बेचैन करने वाली प्रतिक्रियाओं को कम करने में मदद करेंगे.

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कई महिलाओं में तनाव प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम का सामान्य लक्षण होता है. लेकिन ऐंठन और पेट फूलने की समस्या की तरह तनाव को भी नियंत्रित किया जा सकता है. इसलिए डरें नहीं, बल्कि डाक्टर से इस बारे में खुल कर बात करें. दवा से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

-जैसमिन वासुदेवा

मार्केटिंग मैनेजर, सैनिटरी नैपकिन नाइन.   

Festive Special: जब त्यौहारों में पीरियड्स शुरू हो जाएं

लेखक-पूजा भारद्वाज

फैस्टिवल के मस्तीभरे माहौल में हरकोई मस्ती के मूड में होता है, लेकिन महिलाओं के त्योहारों का मजा तब किरकिरा हो जाता है जब उन्हें ऐसे मौकों पर पीरियड्स शुरू हो जाते हैं. तब इस दौरान होने वाली थकावट, कमर व पेट दर्द, ज्यादा ब्लीडिंग और सिरदर्द जैसी समस्याएं उन के सारे उत्साह को कम कर देती हैं और वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पातीं. उन की हर योजना धरी की धरी रह जाती है. घर के बाकी लोगों को मस्ती करते देख उन के चेहरों पर उदासी छा जाती है. ऐसे में अगर वे इन बातों का खयाल रखें तो उन के त्योहार की चमक भी फीकी नहीं पड़ेगी:

रहें टैंशन फ्री

ऐसे समय में महिलाएं खुद को एक सीमित दायरे में बांध लेती हैं और बीमार सा महसूस करती हैं, जबकि यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह तो प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिए दब कर नहीं खुल कर जीएं.  पीरियड्स को ले कर ज्यादा तनाव न लें, क्योंकि ज्यादा तनाव लेना उन की सेहत पर भारी पड़ सकता है. इसलिए सोच सकारात्मक रखें, तो ज्यादा बेहतर है. सब से जरूरी बात है कि परिस्थिति कैसी भी हो खुश रहें, क्योंकि जब आप अंदर से खुश रहेंगी, तो आप के चेहरे पर आने वाले ग्लो की बात ही कुछ अलग होगी.

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हौट वाटर बोतल से सिंकाई

पीरियड्स के दौरान पेट में अगर ज्यादा दर्द हो, तो आप गरम पानी की बोतल से सिंकाई भी कर सकती हैं, क्योंकि पीरियड्स में पेट की निचली तरफ गरम पानी की बोतल से सिंकाई करने से यूटरस की मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द से राहत मिलती है.

साफ-सफाई का रखें खास ध्यान

पीरियड्स के दौरान साफसफाई का विशेष ध्यान रखें ताकि सेहत पर इस का बुरा असर न पड़े. इस दौरान पर्सनल साफसफाई का ध्यान रखने से आप कई तरह की बीमारियों जैसे यूटीआई और इन्फैक्शन से भी बच सकती हैं और इस में सब से अहम रोल उस पैड या सैनिटरी नैपकिन का होता है, जिस का आप पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करती हैं. इस के अलावा पीरियड्स के दौरान ऐंटीबायोटिक साबुन या क्लींजर से प्राइवेट पार्ट की सफाई करें. स्नान जरूर करें, क्योंकि इस से आप तरोताजा महसूस करेंगी और खिलीखिली नजर आएंगी.

कंफर्ट है जरूरी

आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं, जो पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स की जगह गंदे कपड़े, न्यूजपेपर, पत्ते या फिर गलत पैड्स का इस्तेमाल करती हैं, जिस में खुद को असहज महसूस करती हैं और कपड़े गंदे होने के डर से कहीं जाती नहीं और त्योहार का भरपूर आनंद नहीं ले पाती हैं. इसलिए इस समय में सिर्फ पैड्स का ही इस्तेमाल करें ताकि आप खुल कर जी सकें.

सही पैड ही चुनें

पीरियड्स के दौरान लंबे समय तक एक ही पैड का इस्तेमाल आप के लिए घातक साबित हो सकता है. इसलिए पैड कितनी भी अच्छी क्वालिटी का क्यों न हो कम से कम दिन में 3 बार जरूर चेंज करें, साथ ही पैड की क्वालिटी पर भी ध्यान दें, क्योंकि कई महिलाएं सस्ते के चक्कर में उत्पाद की गुणवत्ता से समझौता कर लेती हैं और कम पैसों में घटिया ब्रैंड के नैपकिन यूज करने लगती हैं, जिस से उन्हें रैशेज हो जाते हैं.

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वैसे तो बाजार में विभिन्न कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन मौजूद हैं, लेकिन नाइन की बात ही कुछ खास है, क्योंकि यह आप को खुल कर जीने की आजादी देता है और यह डाईऔक्सिन मुक्त है, जो सर्विकल कैंसर होने के खतरे को नियंत्रित करता है. इस के अलावा यह हैवी फ्लो में कामयाब है और लीक भी नहीं होता है. इसे डिस्पोज करना भी काफी आसान है, साथ ही यह पौकेट फ्रैंडली भी है.

जरूरी बातें

– सैनिटरी नैपकिन को 3-4 घंटे में बदलती रहें.

– माहवारी में हाइजीन का पूरापूरा ध्यान रखें ताकि आप को इन्फैक्शन न हो.

– माहवारी में प्राइवेट पार्ट की सफाई पर ध्यान दें.

– सूती अंडरवियर पहनें.

– माहवारी में डीहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है, इसलिए अधिक पानी पीएं.

– इस समय तंग कपड़े पहनने से बचें. ढीले कपड़े पहनें.

माहवारी कोई बीमारी नहीं

पीरियड्स के बारे मे हमारा समाज आज भी खुल कर बात करने से कतराता है. इसे आज भी सभी के सामने बात न करने वाली चीज समझा जाता है. पैड छिपा कर लाओ, लड़कों से मत बताओ और घर में इस दौरान सभी से दूर रहो जैसी बातें हर लड़की को सिखाई जाती हैं.

पीरियड्स कोई छिपाने वाली बात नहीं है. यह एक नैचुरल प्रक्रिया है जो हर महिला को मासिकधर्म के रूप में होती है. लेकिन पीरियड्स का नाम सुनते ही कई लोग असहज महसूस करने लगते हैं जैसे किसी गंदे शब्द का इस्तेमाल कर लिया हो.

कई महिलाओं के मन में पीरियड्स को ले कर कई समस्याएं, कई सवाल होते हैं, जिन पर वे खुल कर बात भी नहीं कर पातीं. आज हमारा समाज आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ तो रहा है लेकिन समाज की मानसिकता अभी भी पुरने खूंटे से बंधी हुई है. आज भी महिलाओं को पीरियड्स होने पर मंदिर जाने नहीं दिया जाता, अचार छूने नहीं दिया जाता, उन के साथ अलग व्यवहार किया जाता है. ऐसी सोच को बदलने और समाज को जागरूक करने के लिए हर साल 28 मई को वर्ल्ड मैंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है जो इस साल भी हाल ही में मनाया गया.

वर्ल्ड मैंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाने का मुख्य उद्देश्य है समाज में फैली मासिकधर्म संबंधी गलत अवधारणा को दूर करना और महिलाओं को पीरियड्स के समय स्वच्छता के लिए जागरूक करना. इस की शुरुआत साल 2014 को हुई.

मासिकधर्म कोई बीमारी या गंदगी नहीं

पत्रिकाओं, टीवी और इंटरनैट के जरिए हमें कई सारी जानकारियां अब मिलने लगी हैं जिस वजह से समाज की सोच में सुधार भी देखने को मिला है. पहले यदि टीवी पर सैनिटरी पैड का प्रचार आता था तो चैनल बदल दिया जाता था. लेकिन अब ऐसा कम देखने को मिलता है. लेकिन अभी भी लोग इस के बारे में खुल कर बात नहीं करते. यहां तक कि खुद महिलाएं इस पर बात करने में असहज महसूस करती हैं.

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एक ही घर में रहने के बावजूद पीरियड्स के लिए कई गुप्त नामों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि किसी को पता न लगे. पैड को काली पौलिथीन या पेपर से कवर किया जाता है. जैसे कोई जानलेवा हथियार को छुपाया जा रहा है. लोगों को समझना जरूरी है कि मासिक धर्म कोई अपराध नहीं है बल्कि प्रकृति की ओर से दिया गया महिलाओं को एक तोहफा है. ऐसे समय में महिलाओं की खास ध्यान रखने की जरूरत है न कि उन के साथ अलग व्यवहार किया जाना चाहिए.

सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कितना सुरक्षित

पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव आते हैं, जिन के बारे में उन्हें पता नहीं होता. जब पहली बार लड़कियों को पीरियड्स आते हैं तो मां का फर्ज बनता है वह इस बारे में खुल कर बात करें. लेकिन ऐसा नहीं हो पाता. पीरियड्स को शर्म की पोटली में बांध कर रख दिया जाता है. आज भी गांवकस्बों में कई महिलाएं पीरियड्स होने पर कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. वहीं कई महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल तो करती हैं लेकिन इस का सही रूप से इस्तेमाल करना नहीं जानती.

सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना बहुत आसान है लेकिन यह बीमारियों को न्योता भी देता है. दरअसल, सैनिटरी पैड में डायोक्सिन नाम के एक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है. डायोक्सिन का उपयोग नैपकिन को सफेद रखने के लिए किया जाता है. हालांकि इस की मात्रा कम होती है लेकिन फिर भी यह नुकसानदायक हो सकता है. जिस से कई बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है जैसे ओवेरियन कैंसर, हार्मोनल डिसफंक्शन. इसलिए महिलाओं को इन दिनों आर्गेनिक क्लौथ से पैड्स का इस्तेमाल करना चाहिए. ये पैड रुई और जूट से बने होते हैं. यह इस्तेमाल करने में भी आरामदायक है और उपयोग किए गए पैड्स को धो कर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही ये पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते.

लंबे समय तक पैड का इस्तेमाल है खतरनाक

सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करने से महिलाओं में इंफैक्शन और जलन की शिकायत आमतौर पर देखी जाती है. ऐसी परेशानियां ज्यादातर पीरियड्स खत्म होने के बाद होती है. जब ज्यादा लंबे समय तक पैड्स का इस्तेमाल किया जाता है, तो इस से एयर सर्कुलेशन बहुत कम हो जाता है और वैजाइना में स्टेफिलोकोकस औरेयस बैक्टीरिया पनप जाते हैं. यही बैक्टीरिया पीरियड्स के कुछ दिनों बाद ऐलर्जी या इंफैक्शन का कारण बन जाते हैं.

पीरियड्स के समय साफसफाई है जरूरी

– पीरियड्स के समय में हर 4 घंटे के अंदर अपना पैड बदलना चाहिए.

– कौटन पैड का इस्तेमाल करें.

– अगर आप टैंपौन का यूज करती हैं तो हर

2 घंटे में इसे बदलें.

– लगातार समयसमय पर अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करती रहें, जिस से कि पीरियड्स से आने वाली गंध से छुटकारा मिले.

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– पीरियड्स के समय शरीर में बहुत अधिक दर्द होता है. इसलिए इन दिनों कुनकुने पानी से नहाएं. इस से दर्द में राहत मिलेगी.

– इन दिनों अपने बिस्तर की सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

– पीरियड्स के समय टाइट पैंट या लोअर न पहनें.

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जानें पीरियड्स के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं

पीरियड्स से पहले होने वाली तकलीफ़, मूड स्विंग्स, पेट में दर्द, क्रैम्प्स (ऐंठन) जैसी समस्याएं यानी पीएमएस की तकलीफें हार्मोन्स के कम या ज़्यादा होने के कारण होती हैं. सच कहें तो हार्मोन्स में बदलाव ही महिलाओं के मासिक धर्म का प्रमुख कारण होता है. लेकिन यदि ये हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं तो ये तकलीफें हद से ज़्यादा बढ़ जाती है.आइये जानते हैं डायटीशियन डॉ स्नेहल अडसुले से कि पीरियड्स के समय , बाद में और पहले क्याक्या चीज़ें खानी चाहिए;

पीरियड्स के पहले

पीरियड्स के पहले यानी मेन्स्ट्रुअल सायकल के 20वें से 30 वें दिन तक आप के अंदर की ऊर्जा कम हो जाती है. आप थोड़ी उदासी भी महसूस कर सकती हैं. दिन में कई बार काफी ज़्यादा भूख महसूस हो सकती है और इसलिए इन दिनों आप के शरीर और मन के लिए सेहतमंद स्नैक्स ज़रुरी होते हैं.

रिफाइन्ड शक्कर, प्रोसेस्ड फूड और अल्कोहल का सेवन जितना संभव हो कम करें. बादाम, अखरोट, पिस्ता जैसे सूखे मेवे यानी हेल्दी फैट का सेवन करें. सलाद में तिल और सूरजमुखी के बीज शामिल करें. सेब, अमरुद, खजूर,पीच जैसे अधिक फायबर वाले फलों को अपने आहार में शामिल करें.

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हायड्रेटेड रहें. सोड़ा और मीठे पेय से परहेज़ करें. पर्याप्त मात्रा में पानी पियें. नींबू पानी में पुदिना और अदरक डाल कर पिएं. रात को सोने से पहले शरीर और मन को आराम मिले इसके लिए पेपरमिंट या कैमोमाईल चाय लें.

खून में आयरन सही मात्रा में रहने से आप का मूड और ऊर्जा का स्तर भी अच्छा रहेगा. नट्स, बीन्स (फलियां), मटर, लाल माँस और मसूर जैसे लोहयुक्त खाद्यपदार्थों का आहार में समावेश करें. पेट फूलने या सूजन जैसी समस्या से बचने के लिए नमक का सेवन कम करें.

पीरियड्स के दिनों में (पहले से सातवें दिन तक)

पीरियड्स के दिनों में खास कर पहले दो दिनों में आप को ऐसा लग सकता है जैसे सारी शक्ति चली गई हो. ऊर्जा का स्तर बेहद कम हो जाता है और आप को थकान महसूस हो सकती है. इसलिए इन दिनों ऐसा भोजन करें जिस से आप के शरीर में ऊर्जा का स्तर ऊँचा ऱखने में मदद मिले. अपने आहार में किशमिश, बादाम, मूँगफली, दूध का समावेश करें.

जंक और प्रोसेस्ड फूड में सोडियम और रिफाइन्ड कार्ब्ज प्रचुर मात्रा में होते हैं. इन्हें खाने से बचें. शीतल पेयों में रिफाइन्ड शक्कर भारी मात्रा में होती है जिस के कारण क्रैम्प्स (ऐंठन) आने की मात्रा और पीड़ा बढ़ सकती है. शीतलपेय या सोड़ा के बजाय नींबूपानी, ताजा फलों का रस या हर्बल टी लें.

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पीरियड्स के बाद के दिन (सातवें दिन से अठारहवें दिन तक)

इन दिनों आप काफी अच्छा महसूस करती हैं. इन्ही दिनों में ओव्यूलेशन होता है. ऐसे में व्यायाम के लिए ये दिन सर्वश्रेष्ठ होते हैं. अपने सलाद या सब्ज़ी में एक चम्मच फ्लैक्स या कद्दू के बीज डालें. इस से आप के शरीर में नैसर्गिक रुप से एस्ट्रोजन का स्तर ऊँचा रहेगा. पालक, दही, हरी सब्ज़ियां, फलियां जैसे कैल्शियमयुक्त खाद्यपदार्थ का सेवन करने के लिए यह सप्ताह सब से अच्छा है. इस चरण में आप की भूख धीरेधीरे कम होती है इसलिए समय पर भोजन करने का खासतौर पर ध्यान रखें.

पीरियड्स के दौरान इन बातों का भी रखें ख्याल

बिजी लाइफस्टाइल में बहुत जरूरी है कि आप पीरियड्स के दौरान अपनी स्वच्छता का पूरा ख्याल रखें क्यों कि अगर ऐसा नहीं किया तो बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसीलिए आज हम आपको बताएंगे की कैसे पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई बनाए रखें और बीमारियों से भी बचे रहें…

1. ब्लीडिंग के दौरान रखें साफ-सफाई

पीरियड्स के दौरान शरीर से ब्लीडिंग होने पर विशेष रूप से अपने प्राइवेट पार्ट्स को साफ रखना महत्वपूर्ण है. इस हिस्से की सफाई के लिए गर्म पानी और इंटिमेट या वैजाइनल वाश का उपयोग करें.

2. कभी भी एक साथ दो पैड का इस्तेमाल न करें

कुछ महिलाएं ज्यादा फ्लो के समय सावधानी वश 2 सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. यह उचित नहीं क्यों कि यह योनि क्षेत्र में संक्रमण का कारण बन सकता है. इसीलिए एक ही पैड का इस्तेमाल करें और यदि फ्लो अधिक हो तो इसे बदलते रहें.

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3. आरामदायक, साफ अंडरवियर पहनें

अपने सैनिटरी पैड को बदलते समय आवश्यक है इन दिनों कुछ आरामदायक अंडरवियर पहने. केवल कौटन या कपड़े से बने अंडरवियर जो आप की स्किन को सांस लेने की अनुमति देते हैं. सिंथेटिक और टाइट अंडरवियर भी संक्रमण को आमंत्रित करते है.

हमेशा प्राइवेट पार्ट्स को आगे से पीछे की तरफ धोएं या पोंछें. यह महत्वपूर्ण है क्यों कि विपरीत दिशा में सफाई, बैक्टीरिया का रास्ता बना सकती है जिस से संक्रमण हो सकता है.

4. अक्सर उत्पादों को बदले

एक सैनिटरी उत्पाद आप के शरीर के संपर्क में जितना लंबा होगा, संक्रमण का खतरा उतना ही अधिक होगा. बहुत लंबे समय तक रहने पर पैड रशेस पैदा कर सकते हैं और संक्रमण भी पैदा कर सकते हैं. आम तौर पर एक पैड का उपयोग 6 घंटे तक किया जा सकता है. टैम्पोन को भी हर 2 से 3 घंटे में बदलने की आवश्यकता होती है.

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पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई न करना हो सकता है खतरनाक

महिलाओं और लड़कियों के लिए प्रत्येक महीने 4 -5 दिन काफी थकावट वाला और दर्द भरा होता है. यह वक्त है जब उन्हें पीरियड्स के दर्द से जूझना पड़ता है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि तकलीफ की वजह से आप उन दिनों खुद की देखभाल करना छोड़ दें. बल्कि उन दिनों आप के प्राइवेट पार्ट्स को ज़्यादा देखभाल की जरुरत होती है. आइये जानते हैं इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की डॉ. रीता बक्शी से कि पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई क्यों जरुरी है और कैसे रखी जा सकती है-

1. यूरिन इन्फेक्शन्स

पीरियड्स के दौरान खुद को साफ न रखना बहुत सारे बैक्टीरियाज को आमंत्रित करता है जो आगे चल कर यूरिन इन्फेक्शन्स की वजह बन सकते हैं. इस से पेट के निचले हिस्से में दर्द के साथ किडनी भी प्रभावित हो सकती है.

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2. रैशज

यह एक बहुत ही आम समस्या है और लगभग हर दूसरी महिला ने कभी न कभी इस का अनुभव किया है. पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज का मुख्य कारण सैनिटरी नैपकिन को बारबार बदलना नहीं है. आधुनिक समय के नैपकिन बनाने में कंपनियां अच्छी मात्रा में प्लास्टिक और अन्य सामग्री का उपयोग करते हैं जो आप की स्किन के लिए अनुकूल नहीं है. इस के अलावा 4-6 घंटे से अधिक के लिए एक नैपकिन का उपयोग करने से रक्त उस के आसपास के संक्रमण का कारण बन सकता है जिस से स्किन पर चकत्ते और जलन होती है.

3. सफेद डिस्चार्ज

प्राइवेट पार्ट्स से व्हाइट डिस्चार्ज हर बार अस्वस्थ परिस्थितियों की ओर इशारा नहीं करता है. लेकिन पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता आप की योनि में बैक्टीरिया का कारण बन सकती है और परिणामस्वरूप सफेद डिस्चार्ज हो सकता है. इस लिए ज़रूरी है कि इस हिस्से को पीरियड्स के दौरान साफ़ और स्वच्छ रखें.

4. बांझपन की संभावना

पीरियड्स के दौरान अशुद्ध कपड़ों का उपयोग करना या लंबे समय तक एक ही सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन का उपयोग करना बैक्टीरिया के विकास को सुविधाजनक बना सकता है. ये बैक्टीरिया बांझपन की संभावना बढ़ा सकते हैं.

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5. सरवाइकल कैंसर की संभावना

पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता की वजह से कैंसर के विकास की संभावनाएं पैदा हो जाती हैं. महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने पीरियड्स के दौरान न केवल खुद को साफ रखें बल्कि नियमित रूप से अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई कर के हमेशा स्वच्छता बनाए रखें.

पीरियड्स के दिनों में रखें सफाई का खास ख्याल

हम जानते हैं कि हर लड़की और महिला के जीवन में प्रत्येक महीने करीब 4 -5 दिन का समय काफी कठिन और थकावट वाला होता है. यह वो समय है जब आप पीरियड्स से जूझ रही होती हैं, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप उन दिनों के दौरान खुद की देखभाल करना छोड़ दें , बल्कि उन दिनों में आप का शरीर आप से ज्यादा देखभाल और साफ-सफाई मांगता है. पीरियड्स के दौरान सफाई का ख्याल जरूर रखें वर्ण बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

  1. यूरिन इन्फेक्शन का रहता है खतरा

मासिक धर्म के दौरान खुद को साफ न रखना बहुत सारे बैक्टीरिया को आमंत्रित करता है. वे न केवल आप को बाहरी रूप से प्रभावित करते हैं बल्कि यूरिन इन्फेक्शन्स भी पैदा कर सकते हैं. इस से न सिर्फ आप के पेट के निचले हिस्से के लिए  दर्दनाक है बल्कि आप की किडनी को भी प्रभावित करता है.

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  1. रैशेज है नौर्मल प्रौब्लम

यह एक बहुत ही आम प्रौब्लम है और लगभग हर दूसरी महिला कभी न कभी इस का अनुभव करती है. आपके पीरियड्स के दौरान होने वाले रैशेज का मुख्य कारण सैनिटरी नैपकिन को बारबार न बदलना है. 4-6 घंटे से अधिक समय तक एक ही नैपकिन का उपयोग करने से रक्त उस के आसपास के इंफेक्शन का कारण बन सकता है जिस से स्किन पर चकत्ते और जलन होती है.

  1. सफेद डिस्चार्ज की प्रौब्लम से बचें

मासिक धर्म के दौरान अस्वच्छता आप की योनि में बैक्टीरिया पनपने का कारण बनती है और बाद में इस से सफेद डिस्चार्ज की प्रौब्लम पैदा होती है. जरूरी है कि योनि को पीरियड्स के दौरान साफ रखें.

  1. बांझपन की होती है संभावना

मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़ों का उपयोग करना या लंबे समय तक एक ही सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन का उपयोग करना बैक्टीरिया पनपने का रास्ता खोलता है. ये बैक्टीरिया अंडाशय तक पहुंच सकते हैं जिससे बांझपन की संभावना बढ़ जाती है.

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  1. सरवाइकल कैंसर का खतरा

पीरियड्स के दौरान अस्वच्छता की वजह से कैंसर के विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं. महिलाओं के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने पीरियड्स के दौरान न केवल खुद को साफ रखें बल्कि नियमित रूप से अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई कर के स्वच्छता बनाए रखें.

कैसे रखें सफाई

अपने योनि क्षेत्र को साफ रखें. गर्म पानी और इंटिमेट या वैजाइनल वौश का उपयोग कर इसे समय-समय पर साफ करती रहे.

कभी भी एक साथ दो पैड का इस्तेमाल न करें. कुछ महिलाएं हैवी पीरियड्स के समय एक बार में दो सेनेटरी पैड का उपयोग करती हैं. इस से योनि क्षेत्र में इंफेक्शन हो सकता है.

आरामदायक, साफ अंडरवियर पहनें. केवल कौटन या कपड़े से बने अंडरवियर जो आप की स्किन को सांस लेने की अनुमति देते हैं उन्हीं को पहने. सिंथेटिक और टाइट अंडरवियर भी इंफेक्शन को आमंत्रित करते है.

इंटरनेशनल फर्टिलिटी सेंटर की डौ. रीता बक्शी से बातचीत पर आधारित.

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