पीरियड्स पर मौसम का असर

हम सभी के मन में पीरियड्स को ले कर कई सारे सवाल होते हैं. जैसे यह कैसे प्रभावित होता है? किस तरह से यह हमें प्रभावित करता है? क्या हो अगर किसी तरह से हमारे इस साइकल में रुकावट आ जाए?

क्या मौसम आप के पीरियड्स में रुकावट ला सकता है? इस का जवाब है हां. सर्दियों में पीरियड्स और प्रीमैंस्ट्रुअल तनाव बिलकुल बढ़ सकता है. सर्दियों में पीरियड्स बहुतों के लिए अत्यधिक बुरे हो सकते हैं. सर्दियों में अधिक ठंड के कारण महिलाएं बहुत आसानी से बीमार पड़ सकती हैं. कई बार महिलाओं का मूड भी तापमान की तरह गिरता रहता है और ऐसा लगता है सर्दी का यह मौसम उन के पीरियड्स साइकल पर बहुत ज्यादा असर डाल सकता है. इसीलिए महिलाएं अकसर सर्दियों में पीरियड्स में दिक्कत आने की शिकायत करती रहती हैं. ऐसे में बदलते मौसम के साथ कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आइए, जानते हैं वे महत्त्वपूर्ण बातें जो सर्दियों में पीरियड्स साइकल में होने वाले बदलावों से बेहतर तरीके से निबटने में मदद कर सकती हैं:

1. पीरियड्स साइकल की अवधि

सर्दी पीरियड्स साइकल की अवधि को प्रभावित करती है. हारमोन स्राव में बढ़ोतरी, ओव्युलेशन की बढ़ती फ्रीक्वैंसी और साइकल का कम होना जहां सर्दियों की तुलना में 0.9 दिनों का होता है वहीं सर्दियों में पीरियड्स साइकल ठंड की वजह से बिगड़ जाता है. इस रिसर्च के अनुसार गरमियों में अंडाशय अधिक सक्रिय होता है. सर्दियों में ओव्युलेशन स्तर 97% से घट कर 71% रह जाता है. लंबे पीरियड्स साइकल और घटे हुए ओव्युलेशन के कारण पीरियड्स का अनुभव परेशानी भरा हो सकता है.

2. धूप

धूप यानी सूर्य की किरणें विटामिन डी और डोपामाइन दोनों ही बनाने में मदद करती हैं. इन के बिना जो मूड स्विंग्स हम पीरियड्स में महसूस करते हैं, वह बढ़ सकता है, जिस से पार पाना मुश्किल हो सकता है. धूप प्लैजर, मोटिवेशन और कंस्ट्रेशन बढ़ाता है. धूप शरीर में फौलिक स्टिम्युलेटिंग हारमोन  के स्राव को बढ़ा देती है. यह हारमोन शरीर को साधारण बनाता है. महिलाएं गरमियों की तुलना में सर्दियों में ज्यादा ओव्युलेट करती हैं, जिस से उन के पीरियड्स लंबे समय तक चलते हैं.

3. प्री मैंस्ट्रुअल सिंड्रोम

प्री मैंस्ट्रुअल सिंड्रोम यानी पीरियड्स शुरू होने से पहले जो बदलाव या लक्ष्ण महिलाओं में दिखाई देते हैं, उन में महिलाओं को चिड़चिड़ापन, सूजन, चिंता, ऐंग्जाइटी और डिप्रैशन महसूस होता है. सर्दियों में महिलाएं अधिकतर घर में रहती हैं, जिस से वे खुद को अधिक तटस्थ महसूस करती हैं. धूप की कमी यानी विटामिन डी और कैल्सियम की कमी के कारण पीएमएस और बढ़ जाता है. ऐसे समय में खानपान का खास ध्यान रखना जरूरी हो जाता है. उच्च कैल्सियम युक्त खाद्यपदार्थों के सेवन और नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करने से पीएमएस के लक्षणों में सुधार आ सकता है.

4. पीरियड्स में होने वाला दर्द

सर्दियों  में पीरियड्स का दर्द अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि ये हमारी रक्तवाहिकाओं को संकुचित कर देते हैं. इस से रक्तवाहिनियों में अवरोध पैदा हो जाता है और रक्तप्रवाह में बाधा आती है. इसीलिए सर्दियों में दर्द ज्यादा होता है. इस के लिए गरम पानी की बोतल या हीटिंग पैड इस दर्द को कम करने में मदद कर सकता है.

5. हारमोनल इंबैलेंस

हारमोनल इंबैलेंस सर्दियों में होने वाली एक और समस्या है. ठंडे मौसम के कारण सर्दियों में धूप कम निकलती है, कम धूप न केवल ऐंडोक्रीन सिस्टम को प्रभावित करती है, बल्कि थायराइड की गति को भी धीमा कर देती है. धीमे थायराइड से मैटाबोलिज्म भी धीमा हो जाता है. इस का असर हमारे मैटाबोलिज्म और पीरियड्स पर पड़ता है जब तक कि शरीर खुद को मौसम के अनुसार नहीं ढाल लेता. यदि आप के मासिकधर्म में ज्यादा दिक्कत आती है तो गाइनेकोलौजिस्ट या ऐंडोक्रिनोलौजिस्ट से मिलें.

हमारे व्यवहार, परिवर्तन का असर भी हमारे पीरियड्स पर पड़ता है. सर्दियों में हमारे व्यावहारिक जीवन में काफी बदलाव देखने को मिलता है जैसेकि ऐक्सरसाइज कम करना, हाई फैट व शुगरी फूड खाना, शराब का सेवन अधिक करना. इस तरह की जीवनशैली पीरियड्स में होने वाली तकलीफ और पीएमएस को बढ़ा सकती है. मूड, मैटाबोलिज्म और मैंस्ट्रुएशन तीनों मौसम बदलने के साथ बदलते हैं.

 -जैसमिन वासुदेवा

मार्केटिंग मैनेजर, सैनिटरी नैपकिन नाइन 

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