क्या पहली बार शारीरिक संबंध बनाते समय आने वाली परेशानियों के बारे में बताएं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. मैं ने सुना है कि जब भी कोई युवती किसी युवक से पहली बार शारीरिक संबंध स्थापित करती है, तो बहुत दर्द होता है. क्या यह सच है और ऐसा क्यों होता है?

जवाब

कुंआरी युवतियों के यौनांग में एक पतली सी झिल्ली होती है, जिसे कौमार्य झिल्ली कहते हैं. जब कोई युवती पहली बार संबंध बनाती है तो वह झिल्ली फट जाती है, जिस से थोड़ा सा रक्तस्राव और हलका सा दर्द होता है.

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कामुकता का राज और स्त्री की संतुष्टि को कुछ इस तरह समझिए

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

 

रखें अच्छे संबंध, मन रहेगा प्रसन्न

आजकल लोग गैजेट्स की दुनिया में गुम रहते हैं. इस तरह वे व्यस्त तो हैं, मगर प्रसन्न  नहीं. वास्तविक प्रसन्नता और सेहत के राज जानने  के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अब तक का सब से विस्तृत और लंबा शोध किया.

‘हार्वर्ड स्टडी औफ एडल्ट डेवलपमेंट’ नाम का यह अध्ययन 1938 में शुरू हुआ जिस में 800 से ज्यादा लोगों के जीवन के हर पहलू का व्यापक अध्ययन किया गया. करीब 8 दशकों में चले इस अध्ययन में तीन समूह के लोगों को जोड़ा गया. पहले  समूह में 268 उच्च शिक्षित हार्वर्ड ग्रेजुएट्स थे. दूसरा समूह 456 लोगों का था जो बोस्टन के गरीब इलाके के लड़कों का था.  ये विपरीत परिस्थितियों में रह रहे थे. तीसरे समूह में 90 महिलाओं को लिया गया.

सालों तक इन लोगों  के जीवन के व्यापक अध्ययन के बाद जो निष्कर्ष सामने आया वह था, अच्छे संबंध हमें खुश और सेहतमंद रखते हैं. यहां अच्छे संबंधों का  तात्पर्य गहरे और मजबूत रिश्तों से है.

अकेलापन हमारे गम और डिप्रेशन को बढ़ाता है मगर रिश्तो की मिठास इन गमों को कम करने में मददगार है. रिश्ते बहुत सारे हों यह जरूरी नहीं मगर जो भी रिश्ता हो वह मजबूत और गहरा हो. भले ही आप रिश्तेदारों से जुड़े हो या दोस्तों से मगर रिश्तो की नींव मजबूत होनी चाहिए.

आइए देखते हैं कैसे रिश्तों को मजबूत बनाया जा सकता है.

माफ करना सीखें

बेवजह किसी के प्रति दिल में कड़वाहट रखने की आदत सिर्फ रिश्तों को कमजोर बनाती  है, वरन  आप की अपनी मानसिक सेहत के लिए भी खतरनाक है. बेहतर है कि आप सारे गिलेशिकवे भूल कर दिल से लोगों को माफ करना सीखें. इस से मन में सुकून और जीवन में उमंग कायम रहती है.

जिंदगी को बहुत सीरियसली न लें

कुछ लोग जिंदगी को इतना सीरियसली ले लेते हैं कि वे जीवन में छोटेमोटे उतारचढ़ाव को भी स्वीकार नहीं कर  पाते और डिप्रेशन में चले जाते हैं. छोटीछोटी बातों पर दूसरों से झगड़ते हैं. मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. जब कि व्यक्ति का व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए कि बड़ी से बड़ी आंधी भी मन को विचलित न कर सके. लोगों से उलझने के बजाय बातों को हंसी में टालना सीखना चाहिए. इस से रिश्तो में कभी गांठ नहीं आती और आप के अंदर की प्प्रसन्नता भी कायम रहती है. दूसरों के साथ आप के  रिश्ते भी मजबूत बनते हैं.

धोखा न दें

रिश्तो के बीच रूपएपैसे, शक की गुंजाइश आदि न आने दें. प्यार बहुत मुश्किल से होता है. रिश्ते बहुत धीरेधीरे मजबूत होते  हैं. यदि आप सामने वाले के साथ कुछ रुपयों के लिए बेईमानी कर जाएं, उस के विश्वास को तोड़ दे, तो फिर उस के साथ आप के रिश्ते में मधुरता नहीं रह जाती. आप उस व्यक्ति से हाथ धो बैठते हैं. खुद आप को भी कभी न कभी इस बात का एहसास जरूर होता है कि आप ने उस के साथ गलत किया है. तब आप को अफसोस होगा और आप जीवन की वास्तविक खुशियों से दूर होते चले जाएंगे.

मदद करना सीखे

जिंदगी ने आप को जो भी दिया है उस का प्रयोग लोगों की मदद करने में करें. खुद आगे आए और जितना संभव हो उतना दूसरों की मदद करें. इस से आप के मन को संतुष्टि भरी प्रसन्नता मिलती है. कभी भी अपने किए काम की माला न जपे. मदद करें और फिर भूल जाए. दूसरे लोग भी ऐसे व्यक्ति से अपना रिश्ता बना कर रखना चाहते हैं.

गहरे रिश्ते जरूरी

किसी के साथ जब आप बिना किसी छलकपट या अपेक्षा के दिल से जुड़े होते हैं, उस के सुखदुख को अपना महसूस करते हैं और अपने दिल की हर बात उस से शेयर करते हैं तो आप का मन बहुत हल्का रहता है. खुश रहने के लिए इस तरह के गहरे रिश्ते बनाने जरूरी है. क्यों कि जब आप कुछ लोगों के साथ गहराई से जुड़े होते हैं तो वे  आप के गम को आधा और खुशियों को दोगुना कर देते हैं. ऐसे रिश्ते में औपचारिकता नहीं वरन अपनापन होता है.

अपने अहम को आड़े  न आने दें

रिश्तो के बंधन को अपनी इगो के हाथों टूटने न दें.  रिश्तो में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. किसी के आगे झुकने से यदि रिश्ता टूटने से बच जाता है तो इस में कोई बुराई नहीं क्यों कि रुपए पैसों से ज्यादा कीमती रिश्ते होते हैं. किसी की सफलता पर खुश होने के बजाय आप चिढ़ने लगेंगे ,उसे नीचा दिखाने का प्रयास करेंगे, तो समझ लीजिए कि आप जीवन की सब से महत्वपूर्ण संपत्ति यानी वह रिश्ता खोने वाले हैं.

अपेक्षाएं कम रखें

अक्सर हम अपने करीबी लोगों से जरूरत से ज्यादा अपेक्षाएं रखने लगते हैं. अपेक्षाएं पूरी न हो तो दिल में खलिस पैदा हो जाती है. तब हम रिश्तो को कायदे से जी नहीं पाते. अपेक्षाएं हमें दुखी करती हैं और रिश्तों  में खटास लाती है. इसलिए बेहतर है कि हम अपनी तरफ से किसी भी रिश्ते को अपना संपूर्ण दे मगर सामने वाले से किसी बदले की इच्छा न रखें.

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