फ्लू से बचने के लिए महिलाएं कंट्रोल रखें एस्ट्रोजन लेवल

सर्दियों की शुरुआत होने से कई सारे सांस से सम्बंधित वायरस, खांसी और कफ होता है. लेकिन इस की सर्दी पिछली सर्दियों से अलग है क्योंकि इस समय हम कोरोनावायरस महामारी का सामना कर रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया है कि सर्दियों में कोविड 19 के केसेस और ज्यादा बढ़ेंगे. हम फ्लू जैसे लक्षण को बिल्कुल भी नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं. अगर इन लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया तो इससे गंभीर समस्या हो सकती है.

फ्लू  इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाली बहुत ज्यादा संक्रामक सांस से सम्बंधित बीमारी है. इससे गंभीर स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती है और ज्यादा गंभीर होने पर हॉस्पिटल में भी भर्ती होना पड़ सकता है. इन समस्याओं में निमोनिया और कभी-कभी मौत तक भी हो जाती है. भारत में फ्लू की एक्टिविटी प्रायः नवम्बर से शुरू होती है और दिसंबर से फ़रवरी तक यह चरम पर होती है और मौसम के अनुसार मार्च के अंत तक भी रह सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी)  के अनुसार 2018-2019 फ्लू के मौसम के दौरान अनुमानित 35.5 मिलियन लोग फ्लू से इन्फेक्ट हुए. जिसके परिणामस्वरूप लगभग 34,000 मौतें हुईं.

फ्लू वायरस इन्फेक्ट करता है और सेल में प्रवेश करके और होस्ट सेल अंदर खुद की कॉपीज बनाकर बीमारी का कारण बनता है. संक्रमित सेल्स से निकलने पर वायरस शरीर में फैल सकता है और फिर यह इसी तरह से लोगों के बीच में भी फ़ैल जाता है. एक वायरस कितनी बार इन्फेक्ट कर सकता है, यह उसकी गंभीरता को दर्शाता है. कम बार इन्फेक्ट करने वाले  वायरस का अर्थ है कि इन्फ्केकटेड व्यक्ति में बीमारी कम हो सकती है या बीमारी के किसी और व्यक्ति में फैलने की संभावना भी कम हो सकती है.

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महिलाओं को फ्लू से बचाने में एस्ट्रोजन की भूमिका

एक नई स्टडी में पता चला है कि महिला सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन महिलाओं को फ्लू से बचाता है.

एस्ट्रोजेन में एचआईवी, इबोला और हेपेटाइटिस वायरस के खिलाफ लड़ने में एंटीवायरल गुण होते हैं. इस स्टडी में प्राइमरी सेल्स (प्राथमिक कोशिकाएं) सीधे मरीजों से अलग हो जाती हैं, जिससे रिसर्चर यह पता लगाने में सक्षम हो जाते हैं कि एस्ट्रोजेन का सेक्स स्पेसिफिक प्रभाव क्या होता है.

यह पहली स्टडी थी जिसमे एस्ट्रोजन रिसेप्टर की पहचान की गयी. एस्ट्रोजन रिसेप्टर एस्ट्रोजेन के एंटीवायरल प्रभावों के लिए जिम्मेदार होती है. रिसर्चर को  एस्ट्रोजेन के इस संरक्षित एंटीवायरल प्रभाव की मध्यस्थता करने वाले तंत्र को समझने मदद मिली. यह  देखा गया है कि कुछ प्रकार के

बर्थ कंट्रोल (जन्म नियंत्रण) या  मेनोपाज के बाद की महिलाओं को प्रीमेनोपॉज़ल हार्मोन रिप्लेसमेंट  पर मौसमी इन्फ्लूएंजा महामारी के दौरान बेहतर रूप से संरक्षित किया जाता है. चिकित्सीय एस्ट्रोजेन जो इनफर्टिलिटी और मेनोपाज के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं, वे भी फ्लू के खिलाफ रक्षा कर सकते हैं.

प्राकृतिक तरीके से एस्ट्रोजन के लेवल को कैसे बढ़ाएं

एस्ट्रोजन लेवल को प्राकृतिक रूप से बढ़ाना संभव है, इसके लिए डाईट में बस कुछ बदलाव करने की जरुरत है. कई ऐसी जड़ी बूटियां और सप्लीमेंट है जिसे आप ट्राई कर सकते हैं लेकिन यह ध्यान रखें कि अभी भी जड़ी बूटियों से पड़ने वाले प्रभाव के बारें में रिसर्च बहुत कम हुई है. इसलिए यह बढ़िया रहेगा कि उनका सेवन करने से पहले अपने डाक्टर से सलाह ले लें.

सबसे पहले अगर आपका कम एस्ट्रोजेन लेवल आपको परेशानी पहुंचा रहा है या मेनोपाज के लक्षण, हॉट फ्लैशेस, इंसोमेनिया, मूड चेंजेज या योनि में रूखापन दिखा रहा है तो अपन डाक्टर से बात करें. एक फंकशनल मेडिसिन या नेचुरोपेथिक डाक्टर भी कंडीशन को चेक करके मदद कर सकता है .

एक गिलास रेड वाइन या लाल अंगूर का जूस डिनर में खाने से एस्ट्रोजेन का ब्लड लेवल बढ़ता है, इसलिए रोज एक गिलास रेड वाइन पीने से आप अपने एस्ट्रोजेन लेवल को बढ़ा सकते हैं. हालांकि वाइन में एक्टिव कम्पाउंड, रेस्वेराट्रोल अंगूर के जूस, अंगूर, किशमिश, और यहां तक कि मूंगफली  में भी मौजूद होता है. इसलिए अगर आप शराब नहीं पीना चाहते हैं तो तब भी आप इन चीजों से अपने एस्ट्रोजन लेवल को बढ़ा सकते है.

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हल्दी से अपना भोजन को स्वादिष्ट बनायें.

हल्दी में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है, इसलिए जब भी खाना बनायें इसे उसमे डाले या अतिरिक्त फाइटोएस्ट्रोजन बूस्ट के लिए तैयार हुए खाद्य पदार्थों पर छिड़कें. यहां तक कि एक रेसिपी में 1/2 चम्मच (2.5 ग्राम) डालने से भी फाइटोएस्ट्रोजेन में बढ़ोत्तरी हो सकती है.

 डॉ मनीषा रंजन, कंसल्टेंट आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, मदरहुड हॉस्पिटल, नोयडा से बातचीत पर आधारित

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