पिता का नाम: भाग 3- एक बच्चा मां के नाम से क्यों नहीं जाना जाता

तापस ने मानसी से कहा, “वह एक ऐसी लड़की से शादी नहीं कर सकता जो शादी से पहले ही अपनी इज्जत गंवा बैठी हो, वह उस के क्या, किसी की भी पत्नी बनने के लायक नहीं है. जो अपनी मानमर्यादा और सम्मान की रक्षा नहीं कर सकती, शादी से पहले मां बनने वाली हो, वह उस के कुल की प्रतिष्ठा का क्या मान रख पाएगी.”

इतना सब तापस से सुनने के बाद मानसी में इतनी शक्ति ही नहीं बची कि वह कुछ कहे या सुने, मानसी रोती हुई खुद को और उस क्षण को कोसती हुई अपने फ्लैट लौट आई जब उस ने अपना सर्वस्व तापस को समर्पित कर दिया था.

मानसी ने अपनेआप को कमरे में बंद कर लिया. कभी उस का जी मर जाने को करता तो कभी तापस को जान से मार देने को. वह अभी खुद को संभाल नहीं पाई थी कि मानसी की मां का फोन आ गया और उन्होंने मानसी को बताया कि तापस के मातापिता ने रिश्ता तोड़ दिया है और कारण ठहराया है मानसी का वर्जिन नहीं होना.

मानसी की मां भी उसे समझने या संबल देने के बजाय उस पर ही सवालों की झड़ी लगा दी और मानसी को ही बुरा कहने लगी कि उस ने उन्हें समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा, अपनी इज्जत गंवा बैठी और ना जाने क्या क्या…? मानसी चुपचाप सुनती रही और फिर उस ने फोन रख दिया.

अगली सुबह मानसी के मातापिता बैंगलुरु उस के फ्लैट पर आ पहुंचे और उसे एबौर्शन के लिए मजबूर करने लगे लेकिन मानसी इस के लिए तैयार न हुई. एबौर्शन के लिए राजी न होने पर मानसी के मातापिता उस से यह कह कर नागपुर लौट ग‌ए कि उन्हें समाज में रहना है तो समाज के बनाए नियमों के अनुरूप ही चलना पड़ेगा और समाज बिन ब्याही मां को स्वीकार नहीं करता, उसे सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता और न ही उस से जुड़े लोगों को. इसलिए यदि वह एबौर्शन करा सकती है तो वह नागपुर अपने घर आ सकती है वरना उसे अपनी सूरत दिखाने की जरूरत नहीं.

मानसी को सच्चे दिल से प्यार करने की, खुद से ज्यादा अपने होने वाले जीवनसाथी पर विश्वास करने की सज़ा मिली थी. आज वह बिलकुल अकेली पड़ गई थी. सब ने उस का साथ छोड़ दिया था. वह अब यह जान चुकी थी कि समाज के ठेकेदारों के संग यह उस की अपनी लड़ाई है. समाज के बनाए नियमों के खिलाफ उसे अकेले ही लड़ना पड़ेगा. पगपग पर उसे बेइज्जत, लज्जित और गिराया जाएगा लेकिन उसे फिर खुद उठना होगा, खड़ा होना होगा और अपने व अपने बच्चे के लिए लड़ना होगा.

दुनिया और समाज से अकेली लड़ती हुई मानसी ने बेटे को जन्म दिया. मानसी के मातापिता उस से मिलने तक को नहीं आए. वक्त बीतता गया और फिर धीरेधीरे मानसी की बात अपने मातापिता से फोन पर होने लगी. मानसी का काम और व्यवहार इतना अच्छा था कि उस के व्यक्तित्व के आगे लोग झुकने लगे. औफिस में उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा. मानसी का प्रमोशन भी हो गया और वह दिल्ली आ गई.

यों ही 5 साल बीत ग‌ए. मानसी का बेटा विवान 3 साल का हो गया. तापस ने फिर कभी मानसी की ओर मुड़ कर भी न देखा. इस बीच मानसी की सचाई को जानतेसमझते हुए उसे शादी के कुछ रिश्ते भी आए लेकिन मानसी फिर कभी किसी रिश्ते में नहीं बंधी. एक दिन अचानक सुबहसुबह डोरबैल बजी. दरवाजा खोलते ही मानसी हैरान रह ग‌ई. 5 सालों बाद आज पहली बार उस के मातापिता सामने खड़े थे. मानसी की आंखें नम हो गईं और वह झट से अपनी मां के गले लग गई लेकिन अगले ही पल तापस और उस के मातापिता को देख मानसी का खून खौल उठा. तभी मानसी की मां ने झट से उस का हाथ थाम लिया और बोली, “बेटा, सुन तो ले हम यहां क्यों आए हैं. तापस तुझ से कुछ कहना चाहता है.”

इतना सुन कर मानसी दरवाजे से हट ग‌ई और सब अंदर आ ग‌ए. तापस अपने दोनों हाथों को जोड़ कर बोला, “मानसी, मुझे माफ़ कर दो. मैं अपनी गलती सुधारना चाहता हूं. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं. मैं अपने बेटे को अपना का नाम देना चाहता हूं. तुम तो जानती हो उस बच्चे का कोई भविष्य नहीं होता जिस के साथ पिता का नाम नहीं जुड़ा होता.”

यह सुन मानसी बड़े शांतभाव बोली, “अचानक यह हृदय परिवर्तन क्यों? अखिर ऐसा क्या हुआ कि तुम वाल्मीकि बनने चले? तुम इतने दिनों बाद आज क्यों अपनी गलती सुधारना चाहते हो? मुझे और मेरे बच्चे को अब क्यों अपनाना चाहते हो? क्या आज तुम्हें अपनी मान, मर्यादा और कुल की प्रतिष्ठा का ख़याल नहीं है या यह भूल गए हो कि मैं वर्जिन नहीं हूं एक बिनब्याही मां हूं.”

तापस सिर झुकाए सबकुछ सुनता रहा. उस के पास मानसी को देने के लिए कोई जवाब नहीं था. तभी तापस की मां बोली, “मानसी बेटा, इसे माफ कर दो. इसे अपने किए की सज़ा कुदरत ने दे दी है. एक सड़क दुघर्टना में यह अपना सबकुछ गवां चुका है, यहां तक कि अपना पुरुषत्व भी. अब यह कभी भी पिता नहीं बन सकता. तुम्हारा बेटा हमारे घर का चिराग है. उसे हमें लौटा दो. तुम्हें भी तापस से शादी के बाद तुम्हारा खोया हुआ मानसम्मान मिल जाएगा और तुम्हारे बेटे को पिता का नाम.”

होंठों पर मुसकान लिए मानसी बोली, “शादी कर के मुझे झूठा मानसम्मान नहीं चाहिए और रही बात पिता के नाम की, तो ऐसा है जब एक गीतकार गीत बनाता है तो उसे अपना नाम देता है, चित्रकार जब चित्र बनाता है उस के नीचे अपना नाम लिखता है और एक लेखक जब कोई रचना लिखता है तो उस के नीचे भी वह अपना ही नाम लिखता है. हर रचना रचनाकार के नाम से जानी जाती है तो फिर जब एक मां नौ महीने अपने बच्चे को अपने गर्भ में रखती है, गर्भ में रह कर ही बच्चा अपना आकार पाता है, स्वरूप पाता है तो जन्म लेते ही उस बच्चे के साथ पिता का नाम क्यों जरूरी हो जाता है. एक बच्चा अपनी मां के नाम से क्यों नहीं जाना जा सकता…? मेरा बेटा मेरे ही नाम से जाना जाएगा. उसे किसी पिता के नाम की जरूरत नहीं, आप सब जा सकते हैं.”

इतना कह कर मानसी दरवाजे के पास आ कर खड़ी हो गई. किसी ने कोई जवाब नहीं दिया. सब सिर झुकाए घर से बाहर निकल ग‌ए और मानसी ने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया.

पिता का नाम: भाग 2- एक बच्चा मां के नाम से क्यों नहीं जाना जाता

फिर एक दिन अचानक मानसी जब कालेज से लौटी तो उस ने देखा तापस अपने मातापिता के साथ उस के घर पर है. इतने दिनों में मानसी तापस को पहचानने तो लगी थी और नाम भी जान गई थी.

तापस बैंगलुरु की एक अच्छी कंपनी में है. उस के मातापिता नागपुर में ही सैटल्ड हैं. सबकुछ अच्छा है. यह देख कर मानसी के मातापिता ने यह रिश्ता सहर्ष स्वीकार कर लिया लेकिन मानसी अभी अपना एमबीए कंपलीट करना चाहती थी, वह जौब करना चाहती थी, अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी. मानसी ने जब सब के समक्ष अपने मन की यह बात रखी तो कोई कुछ कहता, इस से पहले ही तापस ने उस पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी और फिर उन दोनों की सगाई हो गई.

दोचार प्रश्नों के पश्चात कुशाग्र बुद्धि की धनी मानसी का सेलैक्शन मैनेजमैंट द्वारा कर लिया गया. मानसी यह खुशखबरी सब से पहले अपने मम्मीपापा से शेयर करना चाहती थी, इसलिए उस ने फौरन घर पर फोन लगा कर अपने सेलैक्ट होने की खबर दी. यह खबर सुनते ही अमिता ने मन ही मन ठान लिया कि अब वह मानसी की शादी जल्द से जल्द करवा कर ही दम लेगी.

उस के बाद जैसे ही मानसी ने तापस को यह बताया कि वह कैंपस सेलैक्शन में सेलैक्ट हो गई, तापस ने उस से कहा, “तुम वहीं रुको, मैं अभी आता हूं.” और कुछ देर में तापस कालेज कैंपस के बाहर था. तापस को देखते ही मानसी उस से लिपट गई, बोली, “जल्दी घर चलो, मुझे मम्मीपापा को एक बहुत ही इम्पौर्टेंट बात बतानी है और उन के चेहरे का एक्सप्रैशन देखना है.”

यह सुनते ही तापस बोला, “अरे पहले मुझे तो बताओ वह इम्पौर्टेंट बात क्या है?”

मानसी दोबारा तापस के गले लगती हुई बोली, “मेरी पोस्टिंग बैंगलुरु में हुई है.”

“वाऊ, नाइस. तब तो डबल सैलिब्रेशन होना चाहिए क्योंकि अब मुझे तुम से मिलने के लिए दिन नहीं गिनने पड़ेंगे,” तापस अपनी खुशी का इजहार करते हुए बोला.

“सैलिब्रेशन…” मानसी हंसती हुई बोली.

“यस माई लव, सैलिब्रेशन तो बनता ही है तुम्हारी पोस्टिंग बैंगलुरु में जो हो गई है. इसलिए, अब हम सीधे चलेंगे मेरे फेवरेट कैफे.”

“लेकिन…”

“लेकिनवेकिन कुछ नहीं माई डियर, लेट्स हैव अ सैलिब्रेशन.”

मानसी कैफे नहीं जाना चाहती थी लेकिन तापस की खुशी की खातिर वह चुप रही. मानसी अब तक अपनी हर खुशी अपनी सहेलियों के संग कालेज के चौराहे पर लगे नत्थूलाल के ठेले पर जा कर आलूटिक्की की चाट व पानीपूरी खा कर ही सैलिब्रेट करती आई थी.

कैफे में जा कर तापस ने मानसी से बिना उस की पसंद जाने ही चीज़पिज़्ज़ा और कोल्डकौफी और्डर कर दिया. तापस, जो आजीवन मानसी का होने वाला साथी था, ने यह जानने की कोशिश न की कि मानसी क्या चाहती है. मानसी का मन उदास हो गया. उस पर तापस का कैफे में सब के बीच बेबाक होना, उसे बार बार छूना बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिए मानसी ने तुरंत घर चलने की ज़िद पकड़ ली और वे घर आ गए.

घर पर सभी को यह जान कर बेहद खुशी हुई कि मानसी की पोस्टिंग बैंगलुरु में हुई है. दोनों के मातापिता यही चाहते थे कि मानसी और तापस की शादी जल्द से जल्द करा दी जाए ताकि शादी के बाद दोनों साथ रह सकें लेकिन तापस अपने नागपुर वाले प्रोजैक्ट में बिजी था और मानसी की नईनई नौकरी थी, इसलिए शादी 6 महीने के लिए पोस्टपोन्ड कर दी ग‌ई.

जौइनिंग लैटर मिलते ही मानसी बैंगलुरु पहुंच गई. तापस ने सारा इंतजाम कर रखा था. वह चाहता था जब शादी के बाद दोनों को साथ रहना ही है तो क्यों न अभी से साथ रहें. लेकिन मानसी ने इनकार दिया और वह एक अलग फ्लैट किराए पर ले कर रहने लगी.

जब भी तापस का मन करता या उसे समय मिलता, वह मानसी से मिलने उस के फ्लैट आ जाता. वीकैंड और छुट्टी का दिन तो दोनों साथ में ही बिताते. क‌ई दफा तापस मानसी के ही फ्लैट में रुक जाता और दोनों रातें भी साथ ही गुजारते लेकिन मानसी कभी भी अपनी मर्यादा न लांघती. मानसी का यों तापस के इतने करीब रह कर भी दूर रहना तापस के अंदर की तपिश को और बढ़ा देता और तापस हर बार अधीर हो उठता, अपना संयम खोने लगता परंतु मानसी उसे रोक देती. इस वजह से दोनों के बीच तकरारें भी होतीं और तापस खफा हो जाता लेकिन फिर धीरे से मानसी उसे मना लेती.

शादी को अभी मात्र 3 महीने ही बचे थे कि इसी बीच तापस एक रविवार मानसी से मिलने उस के फ्लैट पहुंचा और उस ने जो देखा उसे देख कर उस की आंखें खुली की खुली रह गईं. उस की नजरें मानसी पर आ कर यों थमीं कि वह अपने होश गंवा बैठा. उसी वक्त मानसी नहा कर निकली थी और उस के बालों से गिरेते पानी मोतियों की तरह चमक रहे थे. मानसी के घुटनों से नीचे के पांव संगमरमर की तरह चिकने व खूबसूरत लग रहे थे. आज मानसी बाथिंग गाउन में बाकी दिनों से ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. यह देख तापस ने मानसी को कुछ इस तरह अपनी बांहों में भर लिया कि दोनों के दिल में उमड़तेघुमड़ते प्यार के बादल और तेज हवाओं में शरमोहया की दीवारें कांपने लगीं और थोड़ी ही देर में सारी हदें पार हो गईं.

मानसी को पा कर तापस के चेहरे पर एक ओर जहां जीत के भाव थे तो वहीं इस के विपरीत मानसी खुद से थोड़ी खफा थी. उस दिन के बाद से तापस के व्यवहार में बदलाव आने लगा. वह बहुत कम मानसी से मिलने लगा. तभी अचानक एक रोज़ मानसी की तबीयत बिगड़ ग‌ई और डाक्टर से चैक‌अप कराने पर पता चला कि वह मां बनने वाली है. यह सुनते ही मानसी के पैरोंतले जमीन खिसक गई. मानसी ने फौरन तापस को फोन लगाया परंतु उस ने फोन नहीं उठाया. मानसी की बेचैनी बढ़ने लगी और वह तापस से मिलने उस के फ्लैट जा पहुंची.

वहां जो हुआ उस ने मानसी को पूरी तरह से तोड़ दिया. यहां तापस का एक अलग ही रूप मानसी को देखने को मिला जिस की कल्पना कभी मानसी ने अपने सपने में भी नहीं की थी. जब मानसी ने अपनी प्रैग्नैंसी और शादी की बात तापस से कही तो वह शादी करने से मुकर गया और उस ने जो कहा उस से तापस के घटिया विचारों का उजागर हुआ जिसे सुन कर मानसी आवाक रह गई.

पिता का नाम: भाग 1- एक बच्चा मां के नाम से क्यों नहीं जाना जाता

हौर्न की आवाज़ सुनते ही मानसी सैंडविच का एक टुकड़ा हाथों में ले, अपने मम्मीपापा को गले लगाती हुई, डायनिंग चेयर पर टंगा अपना बैग कांधे पे लटका कर बाहर की तरफ दौड़ी. मानसी की मां अमिता भी उस के पीछे भागी. गेट के बाहर तापस अपनी स्टाइलिश बाइक पर मानसी का इंतजार कर रहा था.

मानसी को खुले स्ट्रेट बाल, ब्लैक ट्राउजर, व्हाइट शर्ट और उस पर ब्लैक ब्लैजर में देखते ही अपनी आंखों में चढ़ा गौगल उतार मानसी को ऊपर से नीचे शरारती अंदाज में देखते हुए बोला- “लगता है आज तुम मेरे साथसाथ पूरे मैनेजमैंट का होश उड़ाने वाली हो.”

यह सुन मानसी बड़ी अदा से मुसकराती हुई अपने हाथों से बाल पीछे की ओर झटकती हुई बोली, “मिस्टर तापस, यह फ्लर्ट करने का समय नहीं है, जल्दी चलो, आई एम गैंटिंग लेट.” यह कहती हुई मानसी बाइक पर बैठ गई और अपनी मम्मी को हाथ हिला कर बाय करने लगी. तापस ने अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा ली और बाइक सरसराते हुए वहां से निकल ग‌ई.

मानसी के जाने के बाद मानसी की मां अमिता अंदर आ कर अपने पति रजत से बोली, “आज कैंपस सेलैक्शन में मानसी का सेलैक्शन हो या न, उसे जौब मिले या न लेकिन मैं इतना कहे देती हूं इस साल उस के एमबीए कंपलीट करते ही उस की शादी जरूर होगी चाहे कुछ भी हो जाए. वैसे भी, तापस की तो अच्छीखासी नौकरी है, शादी के बाद भी मानसी नौकरी कर सकती है. यह जरूरी नहीं है कि जौब मिलने के बाद ही मानसी की शादी हो.”

मानसी के पिता अखबार पर नजरें गड़ाए मुसकराते हुए बोले, “शादी भी हो जाएगी तुम काहे इतना परेशान होती हो, तापस जैसा अच्छा और वैल सैटल्ड लड़का मानसी का जीवनसाथी बनने वाला है, तुम्हें और क्या चाहिए.”

“बात वह नहीं है, सगाई के बाद शादी में ज्यादा देर करना ठीक नहीं है,” अमिता चिंता व्यक्त करती हुई बोली.

“हां, तुम ठीक ही कह रही हो लेकिन यह निर्णय तो स्वयं मानसी का ही है कि उस के एमबीए कंपलीट होने और उसे जौब मिलने के बाद ही वह शादी करना चाहती है और फिर तापस भी तो हमारी मानसी के इस फैसले में उस के साथ है. ये आजकल के बच्चे हैं अमिता, अपना भलाबुरा खूब समझते हैं. हमें चिंता करने की जरूरत नहीं. लेकिन फिर भी हम तापस के मातापिता से इस बारे में बात करते हैं.”

आज मानसी के कालेज में कैंपस सेलैक्शन था और मानसी इस के लिए पूरी तरह से तैयार थी. तापस की सरपट दौड़ती बाइक और बीचबीच में आते स्पीड ब्रेकर्स पर अचानक लगते ब्रेक से तापस और मानसी का एकदूसरे से होता स्पर्श दोनों के दिल में एक हलचल पैदा कर रहा था. तापस के शरीर से हलके से होते स्पर्श से मानसी के गाल सुर्ख हो जाते और वह अपनेआप से शरमा जाती. तापस यह सब अपने बाइक में लगे मिरर से देख रहा था. मानसी का हाल ए दिल तापस से छिपा नहीं था.

कालेज कैंपस के बाहर पहुंचते ही मानसी को गले लगा कर तापस बोला, “औल द बेस्ट, तुम अपना इंटरव्यू दो, तब तक मैं अपने औफिस के कुछ जरूरी काम निबटा कर आता हूं.” इतना कह कर मानसी को ड्रौप करने के बाद तापस वहां से चला गया.

तापस बैंगलुरु की एक आईटी कंपनी में था. उस की कंपनी नागपुर में भी अपना एक नई ब्रांच लौंच कर रही थी जिसे तापस लीड कर रहा था, इसलिए तापस को महीने में एकदो चक्कर नागपुर के लगाने ही पड़ते. वैसे भी नागपुर में तापस का अपना घर था, उस के मातापिता यहीं रहते थे और फिर जब से उस की सगाई मानसी से हुई थी तब से तापस को जब भी मौका मिलता वह बैंगलुरु से नागपुर आ जाता. जिस से एक पंथ दो काज हो जाता, औफिस के काम के साथसाथ तापस का मानसी से मिलना भी हो जाता.

अभी 2 महीने पहले ही तापस और मानसी की सगाई दोनों परिवारों की रजामंदी से हुई थी. तापस ने मानसी को पहली बार अपने दोस्त सुभाष की शादी में देखा था और देखते ही उसे अपना दिल दे बैठा. मानसी की खूबसूरती और उस की अदाओं पर वह कुछ इस तरह फिदा हुआ कि पूरी शादी में बस वह मानसी के आगेपीछे भौंरे की भांति मंडराता रहा और मानसी…जैसे परवाना को देख शमा धीरेधीरे पिघलने लगती है वैसे ही मानसी भी बारबार तापस को अपने सामने देख पिघल रही थी.

क्रीम कलर के लंहगे पर खूबसूरत डिजाइनर चोली और उस पर लहराती हुई चुनरी तापस के होश उड़ाने के लिए काफी थी. मानसी का गोरा रंग क्रीम कलर में और अधिक निखर आया था. पूरी शादी में तापस का ध्यान बस मानसी पर ही रहा. मानसी यह बात जान कर भी अनजान बनी रही. जब भी तापस से उस की नजर मिलती, वह सिहर उठती.

खाने के वक्त जब मानसी अपनी सहेलियों के संग फूड कौर्नर में बर्फ़ के गोले की चुस्कियां लेने लगी, मानसी के होंठ उस के गोरे चेहरे पर लाल गुलाब की तरह खिल उठे जिसे देख तापस की निगाहें मानसी के होंठों पर ही जा कर ठहर ग‌ईं. उस की यह छवि सीधे तापस की निगाहों से होते हुए दिल में उतर ग‌ई.

तापस के बहुत प्रयत्नों के बाद भी कोई बात न बनी. वह मानसी को शीशे में उतारने में असफल रहा. मानसी उस से किसी भी प्रकार से बात करने को तैयार न थी. ऐसा पहली बार था जब तापस के लाख प्रयासों के बावजूद कोई लड़की उस से बात करने को तैयार नहीं थी वरना तापस के आकर्षक व्यक्तिव के आगे लड़कियां स्वयं खिंची चली आती थीं. तापस केवल इतना जान पाया था कि वह जिस लड़की के लिए बावरा हुआ जा रहा है उस का नाम मानसी है.

तापस के दोस्त सुभाष की शादी तो हो गई लेकिन तापस की रातों की नींद उड़ चुकी थी. मानसी की तसवीर उस के दिल में कुछ इस तरह बस ग‌ई थी कि वह उसे भुला ही नहीं पा रहा था. अब उस के पास सुभाष से सारी बातें कहने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. अखिरकार, उसे मानसी तक पहुंचने के लिए सुभाष का सहारा लेना ही पड़ा और सुभाष ने भी अपने दोस्त का हाल ए दिल जान कर मानसी का पता लगा ही लिया. वह सुभाष की बहन रमा की सहेली थी. यह जानने के बाद तापस जब भी बैंगलुरु से नागपुर आता, मानसी के घर और कालेज के चक्कर काटने लगा लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी.

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