पितृद्वय: भाग-3

अंश चुप रहा. सुहास और नितिन को गुस्सा आया कि बच्चे से ऐसे सवाल करने की यह क्या तमीज है.

इतने में महिला के दोनों बच्चे भी बोल उठे, ‘‘बताओ न अंश कैसा लगता है?’’

अंश ने अपने दोनों हाथों में नितिन और सुहास का 1-1 हाथ पकड़ कहा, ‘‘अच्छा लगता है. तुम लोगों को तो एक पापा का प्यार मिलता है, मेरे तो 2-2 पापा हैं. सोचो, कितना मजा आता होगा मुझे.’’

सन्नाटा सा छा गया. सुहास ने आंखों की नमी को गले में ही उतार लिया. नितिन ने अंश के सिर पर अपना दूसरा हाथ रख दिया.

सुमन ने अंश का कंधा थपथपाते हुए कहा, ‘‘वैरी गुड, अंश, वैलसैड.’’

उस दिन जब तीनों पार्टी से लौटे, स्नेह का बंधन और मजबूत हो चुका था.

समय अपनी रफ्तार से चलता रहा. एमबीए करते ही अंश को अच्छी जौब भी

मिल गई. अंश की कई लड़कियां भी दोस्त थीं. उस का फ्रैंड सर्कल अच्छा था. उस के दोस्त जब भी घर आते, उत्सव का सा माहौल हो जाता. सुहास और नितिन एप्रिन बांधबांध कर कभी किचन में घुस जाते, कभी खाना बाहर से और्डर करते. सुहास और नितिन को यह देख कर अच्छा लगता कि अंश का गु्रप उन के रिश्ते को सम्मानपूर्वक देखता है, सोच कर अच्छा लगता कि आज के युवा कितने खुले और नए विचारों के हैं. पर दोनों की चिंताओं ने अब नया रूप ले लिया था.

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एक दिन सुहास ने कहा, ‘‘नितिन, अंश की कोई गर्लफ्रैंड होगी न?’’

नितिन हंसा, ‘‘इतने हैंडसम बंदे की गर्लफ्रैंड तो जरूर होगी, शैतान है, बताता नहीं. मैं ने एक दिन पूछा भी था तो बोला, जल्दी क्या है.’’

‘‘पर यार, पता नहीं कौन होगी, हमारे रिश्ते को कैसे स्वीकारेगी? उस का परिवार क्या कहेगा? मन में यही डर लगा रहता है कि सारी उम्र का हासिल अंश का प्यार ही है हमारे पास, कहीं कभी यही हम से दूर न हो जाए.’’

फिर दोनों बहुत देर तक उदास मन से कुछ सोचतेविचारते रहे. दोनों के मन में यह संशय, डर गहरी जड़ जमा चुका था कि अंश के जीवन में आने वाली लड़की पता नहीं इन दोनों को खुले दिल से स्वीकारेगी या नहीं.

कुछ महीने और बीते. एक वीकैंड की शाम को अंश एक लड़की के साथ घर आया. सुंदर सी, स्मार्ट लड़की दोनों को ‘हैलो, अंकल’ कहती हुई घर में आई.

अंश ने परिचय करवाया, ‘‘यह लवीना है. लवीना ये सुहास पापा, ये नितिन पापा.’’

अभी तक ऐेसे मौकों पर सुहास और नितिन सामने वाले की प्रतिक्रिया जानने के लिए असहज से हो जाते थे. आज तो और भी गंभीर हुए, क्योंकि अंश पहली बार किसी लड़की को अकेले लाया था. फिर भी कहा, ‘‘हैलो लवीना, हाऊ आर यू?’’

‘‘आई एम फाइन अंकल.’’

अंश ने कहा, ‘‘लवीना आप दोनों से मिलना चाह रही थी. आज पीछे ही पड़ गई तो लाना ही पड़ा,’’ कहता हुआ अंश हंस दिया तो लवीना भी शुरू हो गई, ‘‘तो इतने दिन से सुन क्यों नहीं रहे थे? अंकल, आप लोगों की इतनी तारीफ, इतनी बातें सुनती हूं तो मिलने का मन तो करेगा ही न? यह तो टालता ही जा रहा था. आज पीछे पड़ना ही पड़ा.’’

‘‘वह इसलिए कि हमारे घर की शांति भंग न हो… हमारा इतना शांत सा घर है और तुम तो चुप रहती नहीं हो.’’

‘‘अच्छा… खुद कम बोलते हो क्या?’’

सुहास और नितिन दोनों ही छेड़छाड़ का पूरा मजा ले रहे थे. घर की दीवारें तक जैसे चहक उठी थीं. अंश और लवीना का रिश्ता साफसाफ समझ आ रहा था.

सुहास ने पूछा, ‘‘तुम लोग क्या लोगे? पहले बैठो तो सही.’’

नितिन ने भी कहा, ‘‘जो इच्छा हो, बता दो. मैं तैयार करता हूं.’’

अंश ने कहा, ‘‘लवीना बहुत अच्छी कुक है, आज यही कुछ बना लेगी.’’

लवीना भी फौरन खड़ी हो गई, ‘‘हां, बताइए, अंकल.’’

‘‘अरे नहीं, तुम बैठो, मंजू आने वाली होगी.’’

‘‘आप लोगों ने उस के हाथ का तो बहुत खा लिया, आज मैं बनाती हूं.’’

तभी मंजू भी आ गई. अब तक वह भी इस परिवार की सदस्या ही हो गई थी. लवीना ने मंजू के साथ मिल कर शानदार डिनर तैयार किया. पूरा खाना सुहास और नितिन की ही पसंद का था. दोनों हैरान थे, खुश भी… खाना खाते हुए दोनों भावुक से हो रहे थे.

अंश ने दोनों के गले में बांहें डाल दीं, ‘‘क्या हुआ पापा?’’

नितिन का गला रुंध गया, ‘‘इतना प्यार, सम्मान… हमें तो हमारे अपनों ने ही भुला दिया…’’

सुहास ने माहौल को हलका किया, ‘‘कितना अच्छा लग रहा है न… यार कितनी रौनक है घर में. शुक्र है इस घर में लड़की तो दिखी.’’

लवीना ने इस बात पर खुल कर ठहाका लगाया और घर के तीनों पुरुषों को प्यार, सम्मान से देखा. आज सुहास और नितिन के दिल में भी सालों से बैठा संदेह, डर हमेशा के लिए छूमंतर हो गया था.

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लवीना ने कहा, ‘‘पापा, मेरे घर में बस मैं और मेरी मां ही हैं. मेरे पापा तो मेरे बचपन में ही चल बसे थे. अंश जब आप दोनों से मिले स्नेह, लाड़प्यार के बारे में बताता था तो मैं बहुत खुश होती थी,’’ फिर अंश को छेड़ते हुए कहने लगी, ‘‘मैं ने इस से दोस्ती ही इसलिए की है कि मुझे भी पापा का प्यार मिले और यह कमी तो अब खूब दूर होगी जब एक नहीं 2-2 पापा का प्यार मुझे मिलेगा.’’

अंश ने पलटवार किया, ‘‘ओह, चालाक लड़की, दोनों पापा के लिए दोस्ती की है… देख लूंगा तुम्हें.’’

सुहास और नितिन दोनों की छेड़छाड़ पर मुग्ध हुए जा रहे थे. घर में ऐसा दृश्य पहली बार जो देखा था. दोनों ने ही अंश और लवीना के सिर पर अपनाअपना हाथ रख दिया.

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