जब खुबसूरत चेहरे से नजर हटाना हो मुश्किल  

पहले अधिकतर प्लास्टिक सर्जरी फायर वर्क्स या किसी दुर्घटना के शिकार व्यक्तियों के किसी अंग या चेहरे को फिर से नार्मल बनाने के लिए किया जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से ब्यूटी को एनहांस करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जाती है. ब्रिटिशएसोसिएशन ऑफ़ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स के अनुसार प्लास्टिक सर्जरी कराने वालों की संख्या बढ़ी है, इसमें वयस्कों से लेकर युवा सभी इसे करवाना चाहते है, क्योंकि उन्हें चमकती, सुरक्षित, स्वस्थ और जवां दिखने वाली त्वचा चाहिए.

ये सही है कि उम्र के बढ़ने के साथ त्वचा भी बेजान और रंगत खोने लगती है, ऐसे में सही तकनीक अपनाकर उसे कुछ हद तक ठीक या रोका जा सकता है. यही वजह है कि आज थोड़ी-थोड़ी दूरी पर एक कॉस्मेटिक सर्जन मिल जाते है, ऐसे में बिना जांच-परख के किसी भी प्लास्टिक सर्जन के पास जाने पर लेने के देने पड़ सकते है. द एस्थेटिक क्लिनिक की डॉ. रिंकी कपूर कहती है कि ये सब ठीक तरह से करवाने के लिए एक सही डॉक्टर के पास जाना जरुरी होता है, क्योंकि बढ़ते तनाव, प्रदूषण और चुनौतीपूर्ण मौसम को देखते हुए भारत में महिलाएं हमेशा अपनी त्वचा की स्थिति में सुधार करना चाहती है और सहायक तकनीकों पर खर्च करने को भी तैयार रहती है. उपभोक्ता आज इस बात की परवाह नहीं करते है कि वे अपने चेहरे पर क्या लगा रहे है, पर वेअच्छी तरह से सोच-समझकर ही विकल्प चुनते है.फेस रिजुविनेशन और सबसे अच्छा दिखने या महसूस करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है,जो निम्न है,

बोटॉक्स या फिलर्स

झुर्रियों, रेखाओं, आंखों के नीचे डार्क हिस्से को कम करने और स्किन ऐजको रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है. बोटॉक्स मांसपेशियों में उन नर्व सिग्नल्स को ब्लॉक करती है,जहां इसे इंजेक्ट किया जाता है. नर्व सिग्नल्स को बाधित करने पर इंजेक्शन वाली मांसपेशी अस्थायी रूप से ढीली पड़ जाती है. चेहरे पर इन चुनी हुई मांसपेशियों को हिलाए बिना, कुछ झुर्रियों को नरम, कमजोर या हटाया जा सकता है. इंजेक्टेबल डर्मल फिलर्स असल में जेल जैसे पदार्थ होते है, जिनमें हयालूरोनिक एसिड जैसे प्राकृतिक पदार्थ होते है, जिन्हें त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है, ताकि इसकी उपस्थिती में सुधार हो सके. झुर्रियों के लिए ये सबसे लोकप्रिय और मिनिमम इनवेसिव थिरेपी है.डर्मल फिलर्स में ऐसे तत्वहोते है, जो उम्र बढ़ने के कारण पतले या धंसे हुए क्षेत्रों को पहले की तरह बनाते है, जो अधिकतर गालों, होठों और मुंह के चारों तरफ पतले हुए त्वचा की वजह से होते है.

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उल्थेरा

त्वचा में कसाव लाने के लिएयह एक एडवांस, नॉन-सर्जिकल और नॉन-इनवेसिव तकनीक है जो फोकस्ड हाई-पावर अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा काप्रयोग करती है, जिसका उद्देश्य चेहरे की विभिन्न गहराई पर स्किन टिश्यू को गर्म करना है. यह थिरेपी नए कोलेजन का गठन करती है जिससे नैचुरल हीलिंग प्रोसेस सक्रिय हो जाती है.इसमें त्वचा की लिफ्टिंग या कसावट का प्रभाव दिखता है, क्योंकि चेहरे, गर्दन और डेकोलेट(लो नेकलाइन )पर त्वचा में  ढीलापन  कम होने के साथ-साथ उसकी इलास्टिसिटी बढ़ जाती है. यह एक सुविधाजनक प्रक्रिया है, क्योंकि यह 30 से 90 मिनट तक ही करनी पड़ती है.इसमें किसी चीरे या जनरल एनेस्थेशिया की आवश्यकता नहीं होती है. बहुत कम तैयारी के साथ इसे किया जाता है और अधिकांश मामलों में मिनिमम या कोई रिकवरी टाइम की जरुरत नहीं पड़ती.

कार्बन डाई ऑक्साइड लेजर

त्वचाको फिर से जवां बनाने के लिएCO2 लेज़र स्किन रिसरफेसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड लेजर (CO2) स्किन को सतह से हटाने (एब्लेटिव लेज़र) का काम करती है,जैसे किसी प्रकार का निशान, मस्से और गहरी झुर्रियों को दूर करने के साथ-साथ त्वचा में कसावट और स्किन टोन को बैलेंस करने में सहायक होता है.

एब्लेटिव लेज़र्स यानि CO2 लेज़र, त्वचा को लेसिरेट कर काम करती है. यह स्किन की पतली बाहरी परत (एपिडर्मिस) को हटाकर अंदरुनी त्वचा (डर्मिस) को गर्म करता है और नए कोलेजन फाइबर के विकास को बढ़ाता है. एपिडर्मिस ठीक होने और इस थिरेपी के बाद त्वचा साफ, चिकना और टाइट दिखाई देने लगती है.

नॉन-एब्लेटिव लेज़र, पल्स लाइट (IPL) डिवाइस, त्वचा को खराब नहीं करते है, बल्कि कोलेजन वृद्धि को प्रोत्साहित करते है, जिससे त्वचा की टोन और बनावट में सुधार होता है. यह कम इनवेसिव है और इसके ठीक होने में समय भी कम लगता है, लेकिन यह कम प्रभावी होता है. सर्जन इलाज की स्थिति और रोगी के कॉस्मेटिक लक्ष्यों के आधार पर लेजर के प्रकार का चयन करते है.

लेजर पिग्मेंटेशन

लेज़र पिग्मेंटेशन रिमूवल एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पिग्मेंटेशन और लालिमा को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है. इसे लेज़र स्किन रिजुवेनेशन के रूप में भी जाना जाता है. यह उम्र के साथ बनने वाले धब्बे, सनस्पॉट, हाइपरपिग्मेंटेशन, फ्लैट पिग्मेंटेड. बर्थमार्क और झाईयों जैसी त्वचा पर गैरजरूरी पिग्मेंटेशन को दूर करने के लिए सबसे एडवांस ट्रीटमेंट में से एक है. लेज़र गर्म होता है और पिग्मेंट को खत्म कर देता है.फिर पिग्मेंट को आसपास की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना सतह पर खींच लिया जाता है. एक बार सतह पर खींचे जाने के बाद, पिग्मेंटेशन के घाव हल्के या सूखकर, उस जगह से निकल जाते है,जहां इसका प्रयोग किया गया है, इससे त्वचा समान टोन और रंगत के साथ निखर जाती है.

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मेसोथेरेपी

त्वचा की चमक के लिए मेसोथेरेपी एक प्रक्रिया है, जिसमें त्वचा की सतह पर छोटे इंजेक्शन लगाए जाते है.इन इंजेक्शनों में त्वचा में स्वाभाविक रूप से पाए जाने वाले विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य घटकों का कॉम्बिनेशन होता है, मसलन हयालूरोनिक एसिड जो उम्र के साथ कम होता जाता है. मेसोथेरेपी की इस प्रक्रिया में कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देना, झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करना है. इसके अलावा त्वचा की बनावट में सुधार, चेहरे की समरूपता और सेल्युलाईट को टारगेट करता है.इसमें इंजेक्शन अलग-अलग गहराई पर त्वचा में 1 से 4 मिलीमीटर तक दिया जाता है, लेकिन यह व्यक्ति की स्थिति और इलाज की प्रोसेस पर निर्भर करता है. कई बार डॉक्टर सुई को त्वचा में एक एंगल पर रखकर इंजेक्शन लगाते समय अपनी कलाई को फुर्ती से हटा लेता है.असल में प्रत्येक इंजेक्शन से त्वचा में सोल्यूशन की केवल एक ही छोटी बूंद अंदर जाती है.सही रिजल्ट पाने के लिए मेसोथेरेपी की कई सेशंस की आवश्यकता होती है. इसलिए डॉक्टर के पास 3 से 15 बार जाने के बाद ही सही परिणाम दिखता है.

पीलिंग ऑफ़ स्किन

त्वचा को रिजुवीनेट करने के लिएकेमिकल पील सबसे अच्छा प्रोसेस है. यह अधिकतर एजिंग फेस की त्वचा को जवां और बेजान होने से बचाती है.इससे निकलने वाली नयी स्किन आमतौर पर चिकनी और कम झुर्रीदार होती है.इस प्रोसेस का प्रयोग आमतौर पर चेहरे, गर्दन और हाथों पर, मुंह के आसपास और आंखों के नीचे की महीन रेखाएं, झुर्रियां, हल्के निशान, धब्बे आदि के लिए किया जाता है.

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