varun dhawan ने किया ‘Beast’ का हिंदी ट्रेलर किया लौंच

अभिनेता विजय थलापति ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘मास्टर’ और पूजा हेगड़े सुपरहिट फिल्म ‘मोस्ट एलिजिबल बैचलर’ में अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया और अब ये दोनों पावरहाउस सितारें एक साथ पहली बार फिल्म ‘बीस्ट’ से दर्शकों की धड़कनों  को और अधिक बढ़ा रहे है. जी हाँ, फिल्म ‘बीस्ट’ का हिंदी ट्रेलर आ गया है जिसे बॉलीवुड स्टार वरुण धवन द्वारा लॉन्च किया. फिल्म के दिलचस्प ट्रेलर को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दर्शकों को पावरफुल एक्शन और मनोरंजन का पूरा मसाला देखने को मिलेगा. ट्रेलर से यह भी साफ नजर आ रहा है कि अभिनेता विजय इस फिल्म में एक रॉ एजेंट वीरा राघवन की भूमिका निभाते हुए दिखाई देंगे.

फिल्म ‘बीस्ट’ की कहानी आतंकवादियों द्वारा हाईजैक की गई एक घटना के इर्द गिर्द घूमती है, जिसका निर्देशन नेल्सन दिलीपकुमार द्वारा किया गया है. फिल्म के माध्यम से विजय थलापति और पूजा हेगड़े की एक नई जोड़ी दर्शकों के दिल में जगह बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. विजय-पूजा अभिनीत इस फिल्म को संगीत उस्ताद अनिरुद्ध रविचंदर ने दिया है जो कि सोशल मीडिया पर वायरल ट्रेंड कर रहा है, चाहे वो फिल्म गाना अरेबिक कुथू हो या जॉली ओ जिमखाना दोनों ही लोगों को बेहद पसंद आ रहा है, जिसके बाद से दर्शक फिल्म को लेकर और अधिक उत्सुक हो गए है.

इस पर सन पिक्चर्स के एक प्रवक्ता ने कहा कि,  “हमें ‘बीस्ट’ का हिंदी ट्रेलर रिलीज करते हुए खुशी हो रही है. विजय और पूजा दोनों के भारत भर में बहुत प्रशंसक है और प्रशंसको के पॉजिटिव रिस्पॉन्स से यह बात साफ है कि यह फिल्म सिनेमाघरों में हिट रहेगी. सच मानिये अब हम सिनेमाघरों में दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए और अधिक इंतजार नहीं कर सकते.”

यूएफओ मूवीज, फिल्म सर्विसेज एंड डिस्ट्रीब्यूशन के सीईओ पंकज जयसिंह कहते है कि,  “यह वास्तव में एक विशेष फिल्म है, जिसने सभी भाषाओं के दर्शकों के बीच उत्साह बढ़ाया है. ‘मास्टर’ के बाद विजय थलापति के साथ यह हिंदी में हमारी दूसरी फिल्म है. हमने सन पिक्चर्स के साथ अन्नाथे, ईटी और अब बीस्ट के साथ हैट्रिक लगाई है. इस फिल्म को उत्तर भारत क्षेत्र के सिनेमाघरों में रिलीज करते हुए हमें बेहद गर्व हो रहा है.”

फिल्ममेकर नेल्सन दिलीपकुमार कहते है कि  “विजय थलापति और पूजा हेगड़े के साथ ‘बीस्ट’ का निर्माण करके मुझे बेहद ख़ुशी हो रही है . एक फिल्म निर्माता के तौर पर ‘बीस्ट’ का हिंदी ट्रेलर रिलीज होने पर मुझे बेहद खुशी है. जो चीजें महत्व रखती वो सभी चीजें एक बेहतरिन सिनेमा में होती ही है , भले ही क्यों ना फिल्म की भाषा अलग हो . मुझे विश्वास है कि बीस्ट में वो सभी खासियत दिखाई देंगी.”

फिल्म ‘बीस्ट’ नेल्सन दिलीपकुमार द्वारा लिखित और निर्देशित है और सन पिक्चर्स द्वारा निर्मित है. फिल्म को संगीत से अनिरुद्ध रविचंदर ने सजाया है. विजय थलापति, पूजा हेगड़े, सेल्वाराघवन, योगी बाबू, लिलिपुट फारुकी और अंकुर अजीत विकल द्वारा अभिनीत ‘बीस्ट’ 13 अप्रैल, 2022 को रिलीज़ होगी. इसे यूएफओ मूवीज़ द्वारा हिंदी, तमिल और तेलुगु में उसी दिन पूरे उत्तर भारत में रिलीज़ किया जाएगा.

REVIEW: पैन इंडिया सिनेमा के नाम पर सिर दर्द है ‘राधे श्याम’

रेटिंगः आधा स्टार

निर्माताः यू वी क्रिएशंस और टीसीरीज

लेखक व निर्देशकः राधा कृष्णा कुमार

कलाकारः प्रभास, मुरली शर्मा, सचिन खेड़ेकर, भाग्यश्री, पूजा हेगड़े जगापति बाबू, सत्यराज व अन्य.

अवधिः दो घंटा बाइस मिनट

फिल्मकार राधा कृष्णा कुमार की 11 मार्च को हिंदी के अलावा तेलगू व तमिल भाषा में सिनेमाघरों में पहुॅची फिल्म ‘राधे श्याम ’’ देखकर समझ में आ जाता है कि पिछले कुछ समय से जो हो हल्ला मचाया जा रहा था कि ‘बौलीवुड खत्म हो गया’ और दक्षिण का सिनेमा बौलीवुड पर कब्जा कर रहा है. . ’’ उसकी हवा निकल चुकी है. यह हो हल्ला भी महज जुमला ही साबित हुआ. ‘राधे श्याम’से यह बात साबित हो गयी कि बौलीवुड पर दक्षिण के सिनेमा का कब्जा नही हो सकता. इससे पहले ‘साहो’,  ‘मास्टर’, ‘खिलाड़ी’का हिंदी वर्जन,  ‘वालीमाई’ का हिंदी वर्जन बुरी तरह से असफल हुए हैं. इसी के चलते ‘विमलाबाई’ का हिंदी वर्जन आने से पहले ही बंद कर दिया गया.  अब ‘‘राधे श्याम’’ का हिंदी वर्जन देखकर लोग दक्षिण सिनेमा को हिंदी में लेकर नही आएंगे.

कहानीः

फिल्म की कहानी सत्तर के दशक की है. मशहूर हस्तरेखा ज्योतिषी विक्रमादित्य उर्फ आदित्य( प्रभास), प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी का हाथ देखकर आपातकाल की भविष्य वाणी करते हैं. इसके बाद उन्हे भारत छोड़कर विदेश यानी कि रोम में जाकर बसना पड़ता है. रोम ही नही पूरे यूरोप में उनके हस्तज्योतिष के चमत्कारों की खूब चर्चा हो रही है. विक्रमादित्य एक पोलीटीशियन का हाथ देखकर भविष्य वाणी करते है कि वह सफल राजनेता नही सफल उद्योगपति बनने वाले हैं. यहां तक कि वह जिस तारीख की बात करते हैं, वह भी सच साबित होता है. वह ट्ेन के एक्सीडेंट और उसके यात्रियों की मौत की भविष्यवाणी करते हैं. यानी कि उनकी हर भविष्यवाणी सच साबित होती है. फिर नाटकीय अंदाज में वह एक अस्पताल में डॉ प्रेरणा(पूजा हेगड़े) से टकराते हैं और उनसे उन्हे प्यार हो जाता है. हस्तरेखाविद् विक्रमादित्य उर्फ आदित्य (प्रभास) भाग्य में यकीन करते हैं, जबकि डॉक्टर प्रेरणा (पूजा हेगड़े) की अलग मान्यता है. डॉ.  प्रेरणा  विज्ञान और तर्क के नियमों में यकीन करती हैं. लेकिन उनका प्यार सभी तर्कों को धता बताता है.

डॉ.  प्रेरणा को पता है कि उनकी जिंदगी के चंद माह ही बचे हैं. क्योंकि वह दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर नुमा कैंसर रोग से पीड़ित हैं. डॉ.  प्रेरणा के चाचा(सचिन खेड़ेकर), जो चालिस वर्ष से डाक्टरी पेशे में हैं, जिनका अपना एक नाम है, वह भी मानते हैं कि मेडीकल साइंस में डॉ.  प्रेरणा की बीमारी का कोई इलाज नही है. मगर डां.  प्रेरणा के प्यार में आकंठ डूबे विक्रमादित्य उनका हाथ देखकर 74 वर्ष तक जीने की भविष्यवाणी करते हैं. पर उन्हे यह नही पता चलता कि डॉं प्रेरणा कैंसर की मरीज है. जब प्रेरणा के चाचा डॉ. आदित्य को बताते हैं कि प्रेरणा की बीमारी का मेडिकल साइंस में कोई इलाज नही है, तब आदित्य कहते हैं कि मेडिकल साइंस बेकार है. प्रेरणा 74 साल तक जिएंगी. इतना ही नहीं मृत लोगों के हाथों के कागज पर प्रिंट देखकर उनकी उम्र, पुरूष या स्त्री, मौत का कारण वगैरह बताते हैं. फिर अपने अपने प्यार को जीतने की बात होती है. इसके बाद कहानी एक अलग ढर्रे पर चलती है.

लेखन व निर्देशनः

जिन्हे मनोरंजन की बजाय सिर दर्द मोल लेकर क्रोसीन या अन्य सिर दर्द की दवा का सेवन करना हो, उन्हे ही ‘बाहुबली’ फेम अभिनेता प्रभास की फिल्म ‘‘राधे श्याम ’’ देखनी चाहिए. फिल्म की धीमी गति और कहानी के चलते यह अति बोरिंग व सिरदर्द वाली फिल्म है. फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसकी पटकथा है.  इसमें हस्तज्योतिष को महान बताने के लिए विज्ञान को ही नेस्तानाबूद कर डाला गया. इतना ही नही हस्तरेखाविद् विक्रमादित्य उर्फ आदित्य (प्रभास) भाग्य में यकीन करते हैं, जबकि डॉक्टर प्रेरणा (पूजा हेगड़े) की अलग मान्यता है. डॉ.  प्रेरणा  विज्ञान और तर्क के नियमों में यकीन करती हैं. लेकिन प्यार को जिताने के चक्कर में फिल्मकार आदित्य व प्रेरणा के विरोधाभासी यकीन को नजरंदाज कर पूरी फिल्म को तहस नहस कर डाला. फिल्मकार अपने किसी भी तर्क ्रपर टिके ही नहीं. पूरी फिल्म देखकर यह सोचना भी मूर्खता ही होगी कि फिल्म का नाम ‘राधे श्याम’ क्यों है?

अफसोस की बात यह है कि फिल्मकार को यही नही पता कि वह हस्त ज्योतिष को महान,  मेडीकल साइंस को बेकार  बताना चाहते हैं अथवा टाइटैनिक वाली प्रेम कहानी बताना चाहते हैं या हाथ की रेखाएं नही बल्कि कर्म से तकदीर बनती है. आखिर उन्हे दर्शकांे को कौन सी कहानी बतानी है, यही नही पता. पूजा हेगड़े और प्रभास के बीच जो रोमांस फिल्माया गया है, वह दो ंइंसानों की बजाय दो लकड़ियों की कठपुतली का रोमांस नजर आता है. पूजा और प्रभास के बीच कोई केमिस्ट्ी ही नजर नही आती. फिल्म में पूजा हेगड़े का परिचय वाला शुरूआती दृश्य हूबहू उस स्टंट की नकल है,  जो कि चलती लोकल ट्ेन में नई पीढ़ी के लड़के व लड़कियां करते नजर आने पर पुलिस उन पर जुर्माना लगाकर सजा देती है. और हमारे फिल्मकार उसी स्टंट का महिमा मंडन करते हुए युवा पीढ़ी को गलत राह पर ढकेलने का काम किया है. अफसोस तो इस बात का है कि जिसे भारतीय रेलवे गैर कानूनी मानता है, उस स्टंट को सेंसर बोर्ड ने पारित कर दिया. इतना ही नहीं विक्रमादित्य अपने ज्योतीषीय ज्ञान से देख लेता है कि ट्ेन का एक्सीडेंट होगा और सभी यात्री मारे जाएंगे, फिर वह बाहुबली बनकर पेड़ को उखाड़कर फेंकते हुए तेज गति से भाग रही ट्ेन का एक्सीडेंट रोकने के लिए भागता है, जबकि ट्ेन का एक्सीडेंट हो जाता है. यह पूरा दृश्य ही अति बनावटी है. इस तरह के दृश्य कहानी को मजबूती प्रदान नही करते.

फिल्म का क्लायमेक्स अति घटिया है. अस्पताल के अंदर दो मिनट के ‘डेथ प्रैक्टिस’ के दृश्य न सिर्फ घटिया हैं, बल्कि सेंसर बोर्ड पर सवाल उठाते हैं कि उसने ऐसे दृश्य को पारित कैसे कर दिया?

फिल्म में सारा वीएफएक्स  बहुत घटिया है. माना कि कैमरामैन मनोज परमहंस ने इटली और जॉर्जिया के भव्य स्थानों और गलियों को सबसे असाधारण तरीके से कैद किया है. प्रत्येक दृश्य एक दृश्य तमाशा है, जो दर्शकों को इसकी पृष्ठभूमि से मंत्रमुग्ध कर देता है. यहां तक कि फिल्म के मुख्य किरदारों के घर और बेडरूम भी आलीशान हैं. काश इतना ही ध्यान इसकी पटकथा लेखन पर भी दिया गया होता.

फिल्म के अंतिम दृश्य के साथ अमिताभ बच्चन की आवाज में संवाद गूंजता है-‘किस्मत तुम्हारे हाथों की लकीरें नहीं,  तुम्हारे कर्मों का नतीजा है. ’तो सवाल उठता है कि फिल्मकार सवा दो घंटे से भी अधिक समय तक दर्शकों को क्या मूर्ख  बना रहे थे.

350 करोड़ की लागत से बनी फिल्म ‘राधे श्याम’ को लेकर लंबे समय से ‘साइंस फिक्शन’ के नाम पर जो हौव्वा खड़ा किया गया था, इसमें वैसा कुछ भी नही है.

अभिनयः

‘राधे श्याम’ में प्रभास के अति स्तरहीन अभिनय को देखकर यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि प्रभास ने ही ‘बाहुबली’ में अभिनय किया था. ‘बाहबुली’ में प्रभास का जो करिश्माई व्यक्तित्व, अभिनय स्टाइल वगैरह नजर आया था, वह सब इस फिल्म में शून्य है. प्रभास की संवाद अदायगी बहुत ही कमजोर है. पूजा हेगड़े का अभिनय की बजाय उनकी खूबसूरती जरुर आंखे को सकून देती है. पर भावनात्मक दृश्यों को उन्होने  परिपक्वता के साथ निभाया है. जगापति बाबू, मुरली शर्मा, कुणाल रौय कपूर जैसे कलाकारों की प्रतिभा को पूरी तरह से जाया किया गया है.

तनाव से निबटना आता है: पूजा हेगड़े

वर्ष 2010 में मिस यूनिवर्स इंडिया की सैकेंड रनरअप रह चुकीं मौडल और अभिनेत्री पूजा हेगड़े ने फिल्म ‘मोहनजोदारो’ से हिंदी फिल्म में डैब्यू किया. मुंबई की पूजा ने हिंदी के अलावा तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी काम किया है. पूजा को कालेज के जमाने से फैशन, मौडलिंग और अभिनय का शौक था. इसलिए कालेज के दिनों से ही उन्होंने इन सभी में भाग लेना शुरू कर दिया था. हालांकि पूजा के परिवार में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं है, पर उन्हें अपना कैरियर चुनने की आजादी थी.

स्वभाव से शांत और हंसमुख पूजा को अभिनय के हर रंग पसंद हैं, इसलिए भाषा उन के लिए माने नहीं रखती. जब उन्हें निर्मातानिर्देशक आशुतोष गोवारिकर के साथ काम करने का मौका मिला, तो वे बहुत उत्साहित थीं, क्योंकि उन्हें एक बड़ी फिल्म और अभिनेता ऋतिक रोशन के साथ काम करने का मौका मिल रहा था. लेकिन फिल्म नहीं चली और पूजा को जो मुकाम मिलना था वह नहीं मिल पाया.

मेहनत पर भरोसा

पूजा का इस बारे में कहना है कि फिल्म अगर चलती, तो अच्छी बात होती, क्योंकि एक सफल फिल्म कलाकार की जिंदगी बदल सकती है, जो नहीं हुआ. फिल्म सफल हो या न हो, मैं उस पर अधिक ध्यान नहीं देती. मैं किसी भी फिल्म के प्रोसैस को बहुत ऐंजौय करती हूं और उस में अच्छा अभिनय करने के लिए मेहनत करती हूं. कई बार ऐसा देखा गया है कि फिल्म पेपर पर कुछ और होती है और बनने के बाद कुछ और हो जाती है. ऐसे में फिल्म नहीं चलती, जबकि एक खराब फिल्म भी बहुत पैसे बना लेती है.

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लौकडाउन में पूजा हेगड़े घर पर समय बिता रही हैं और जो भी काम पैंडिंग थे, उन्हें पूरा कर रही हैं. वे कहती हैं कि इस समय मैं सकारात्मक सोच अधिक रख रही हूं. मुझे काम बहुत पसंद है और उसे मिस भी कर रही हूं, लेकिन इस समय घर पर रहना जरूरी है. इस के अलावा मैं खाना बनाना, मैडिटेशन करना और किताबें पढ़ना पसंद करती हूं. मेरी 2 अच्छी खबरें लौकडाउन की वजह से आतेआते रुक गईं, पर मैं निराश नहीं, क्योंकि हम सब एक ही नाव पर सवार हैं, अगर मैं काम नहीं कर रही हूं, तो समस्या कुछ भी नहीं, क्योंकि अभी कोई भी काम नहीं कर रहा है.

फिट रहना पसंद

पूजा इन दिनों घर पर वर्कआउट कर रही हैं. पूजा कहती हैं कि मैं हर दिन एक घंटे व्यायाम करती हूं, ताकि शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहे. इस के अलावा संतुलित भोजन करना मुझे पसंद है, क्योंकि स्वस्थ शरीर के लिए अच्छे भोजन की आवश्यकता होती है.

पूजा ने जितना भी काम किया है, उस से वे संतुष्ट हैं. वे कहती हैं कि मैं ने एक बच्चे की तरह आगे चलना सीखा है. मुझे अलगअलग भाषा की फिल्मों में काम करने में खुशी मिलती है, क्योंकि इस से मैं अलगअलग भाषा बोलने वाले दर्शकों के पास पहुंच पाती हूं. इमोशन हर फिल्म का एक जैसा ही होता है, सिर्फ संवाद की भाषा अलग होती है, जिस का प्रभाव अभिनय पर नहीं पड़ता. मैं वैब सीरीज और मराठी सिनेमा में भी काम करना चाहती हूं. मैं पैनइंडिया स्टार बनने की इच्छा रखती हूं.

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बौलीवुड में बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर पूजा कहती हैं कि मुझे तनाव से निबटना आता है. वे खुशमिजाज लड़की हैं और स्ट्रैस को अपने ऊपर हावी होने नहीं देतीं.

उन का कहना है कि तनाव होने पर मैं अधिक काम करती हूं और इस से वह कम हो जाता है. अगर आप को किक बौक्सिंग और पंचिंग जैसी स्पोर्ट्स पसंद हैं तो आप फ्रस्ट्रेशन को आसानी से भगा सकते हैं.

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