वेब सीरीज ‘ Dil Bekraar’ में नजर आएंगी एक्ट्रेस Poonam Dhillon, पढ़ें इंटरव्यू

1980 के दशक की कामयाब, खुबसूरत और ग्लैमरस लुक की धनी अभिनेत्री पूनम ढिल्लों किसी परिचय की मोहताज़ नहीं. उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखी है, पहली फिल्म ‘त्रिशूल’ की सफलता के बाद फिल्म ‘नूरी’ जो बहुत कम बजट में बनाई गयी हिट फिल्म थी. अभिनेता फारुख शेख के साथ बनी इस फिल्म को दर्शकों का प्यार खूब मिला. इससे पूनम इंडस्ट्री पर राज करने लगी और उनकी अधिकतर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही. पूनम ने हिंदी फिल्मों के अलावा साउथ की फिल्मों में भी काम किया है.

पूनम को जितनी सफलता फिल्मों में मिली, उतनी उनके निजी जीवन में प्यार के रूप में नहीं मिली. उनके प्यार के चर्चे रमेश तलवार, राज सिप्पी और अशोक ठाकरिया से रही. किसी कारणवश रमेश तलवार और राज सिप्पी के प्यार को छोड़कर पूनम ने निर्माता अशोक ठाकरिया से शादी की और दो बच्चों,अनमोल और पालोमा की माँ बनी. पति की एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर और पत्नी पर ध्यान न देने की वजह से पूनम ने बच्चों की कस्टडी अपने पास रखकर साल 1997 में तलाक लिया. पूनम ने फिल्मों के अलावा थिएटर और टीवी में भी काम किया है. वह 100 से अधिक फिल्में कर चुकी है. अभी उनकी वेब सीरीज ‘दिल बेक़रार’ डिजनी + हॉटस्टार पर रिलीज होने वाली है. इसे पेंड़ेमिक के दौरान बहुत मुश्किल से शूट किया गया है. पूनम से उनकी जर्नी के बारें में वर्चुअली बात की, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – इस वेब सीरीज को एक्सेप्ट करने की खास वजह क्या है?

जवाब –पहले थोड़ी सोच थी कि ये कैसी होगी और मेरा करना सही होगा या नहीं,क्योंकि वेब के दर्शक अलग होते है और कंटेंट भी अलग होते है. पिछले कुछ सालों में वेब सीरीज बहुत पोपुलर हो चुकी है और इसकी पहुँच भी बहुत अधिक है. इसके अलावा एक अच्छी कहानी,अच्छी सेटअप, सही निर्देशक और अच्छे साथी कलाकार हो, तो अधिक सोचने और झिझकने की जरुरत नहीं होती.

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सवाल –क्या आप पहले की प्यार आज के प्यार में कुछ अंतर पाती है?

जवाब – पहले और अब की प्यार में कोई अंतर नहीं होती, क्योंकि व्यस्क होना कुदरती है. समय के साथ सब कुछ बदलती है, हाँ इतना जरुर है कि ये कहानी 80 के दशक की है, अब देश इलेक्ट्रोनिकली काफी आगे बढ़ चुका है. फ़ोन, गाड़ी, वीडियोज, टीवी,रिकार्ड्स, आदि कई चीजे है, जिसका मॉडर्न रूप हमारे सामने है, लेकिन रिश्ते और इमोशन वैसे ही रहते है, केवल भाषा थोड़ी बहुत बदल जाती है, कुछ नए शब्द इसमें जुड़ जाते है. हमारे ज़माने में चीजें थोड़ी साधारण हुआ करती थी. आज की जेनरेशन ने कभी फ़ोन डायल नहीं किया होगा, बटन प्रेस किया है. चीजे बदलती है, जबकि कुछ एक जैसी ही रहती है.

सवाल – आज के समय में रिश्तों की अहमियत बहुत कम रह गयी है, क्योंकि अधिकतर यूथ जॉब की तरह रिश्ते बदलते रहते है, इस बारें में आपकी राय क्या है?

जवाब – ये एक बड़ी चर्चा का विषय है, लेकिन मैं इसमें इतना कहूंगी कि 80 के दशक में हम सभी को कहीं भी जाना हो, माता-पिता को बताकर जाना था. मैं जितनी भी बड़ी हो जाऊं, पर बोलकर ही कही जाना पड़ता था. ये एक प्रकार का सिस्टम परिवार में होता था. आज के बच्चों में भी ऐसे संस्कार होने चाहिए. वे कही जाने पर पेरेंट्स को बताएं, क्योंकि उन्हें समझना है कि पेरेंट्स हर काम बच्चों की भलाई के लिए ही करते है. उन्हें अपमानित करना या दोषी बताना ठीक नहीं. इसके अलावा ये भी सही है कि आज के बच्चे माता-पिता से दूर पढने या जॉब करने चले जाते है. मेरी बेटी और बेटा जब भी बाहर जाते है, मेरे फ़ोन करने पर वे मुझे निश्चित होकर सोने को कहते है, लेकिन मुझे नींद तब तक नहीं आती, जब तक बच्चे घर नहीं आ जाते. पेरेंट्स की फ़िक्रमंदी उन्हें समझ में नहीं आती.

सवाल – ये कहानी 80 के दशक की किस बात बताने की कोशिश कर रही है?

जवाब – इसमें 80 के दशक की पोलिटिकल और सोशल इवेंट्स किस तरीके की होते थे, जिसमें लोगों की सोच और नजरिये को बताते हुए नई जेनरेशन के विचार को दर्शाने की कोशिश की गई है. ये एक पारिवारिक कहानी है, जिसमें बच्चे का बड़े होना, जॉब करना, शादी करना आदि कई चीजों को शामिल किया गया है और ये हर परिवार में होता है, ये एक नार्मल फीचर है. 80 के दशक को पृष्ठभूमि में रखते हुए नई जेनरेशन को दिखाने की कोशिश की गयी है.कुछ सालों पहले जहाँ एक गाडी के बीच रास्ते में रुक जाने पर सभी लोग कार से उतरकर धक्का मारते है, पर उन्हें इसमें कोई शर्म नहीं, बल्कि अपने पास गाडी होने का गुमान होता था.

सवाल –आपने काफी दिनों बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कदम रखी है, जबकि उस समय के काफी कलाकार काम कर रहे है, इसकी वजह क्या रही?

जवाब –मैंने रैट रेस में नहीं पड़ते हुए और अपनी सुविधा के अनुसार परिवार की देखभाल करते हुए काम किया है. जब कभी लगता है कि अगले 6 महीने फिल्म या टीवी नहीं कर सकती तब मैंने काम आने पर भी उसे छोड़ दिया, क्योंकि इस उम्र में मुझे किसी के साथ किसी प्रकार की कॉम्पिटिशन नहीं करना है. लाइफ में कम्फर्ट जरुरी है और मैं खुद का ध्यान रखती हूं. इतने सालों से काम कर रही हूं और अब प्रायोरिटी थोड़ी अलग हो चुकी है.

सवाल – आपके बच्चों का रुझान किस क्षेत्र में है?

जवाब –मेरे बेटे की एक फिल्म ओटीटी पर रिलीज हुई है, क्योंकि लॉकडाउन था और हॉल बंद थे. अभी वह दूसरे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. बेटी की इच्छा फिल्मों में आने की है, लेकिन अभी कोई निर्णय उसने नहीं लिया है.

सवाल – आपने बहुत कम उम्र से अभिनय की शुरुआत की और कामयाब रही, क्या फिल्म इंडस्ट्री में किसी प्रकार की बदलाव महसूस करती है?

जवाब – आज कहानियां काफी रीयलिस्टिक हो चुकी है. मसलन अगर एक कहानी एक बच्चे पर है, तो पूरी कहानी उस बच्चे के इर्दगिर्द घूमती हुई बन जाती है. इसके अलावा बायोपिक्स का दौर भी आ चुका है. पहले पुराने हिस्टोरिकल चरित्र पर बायोपिक फिल्में बनती थी, जबकि आजकल जीवित व्यक्ति की भी बायोपिक बन जाती है. पहले ऐसी जीवंत लोगों के बारें में कोई सोच भी नहीं सकता था.

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सवाल – आपकी इतनी फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – उस समय काम बहुत अधिक हुआ करते थे,हॉल में जाकर फिल्मे देखना संभव नहीं था. बाद में डीविडी आई तो कुछ फिल्में मैंने देखी, पर अपनी नही, क्योंकि अपनी फिल्मों को देखने में कोई मज़ा नहीं था. कई बार लोग कहते है कि मेरी फिल्म टीवी पर आ रही है, तो मैं उसे देख लेती हूं. शूटिंग, डबिंग के बाद फिल्म थिएटर में आ गयी, बस मेरा काम खत्म हो जाता था, लेकिन अब जब देखती हूं तो लगता है कि कुछ आलोचना खुद को ही कर लेना आवश्यक है. मेरी फिल्म सोहनी महिवाल बहुत अच्छी बनी थी. मेरे हिसाब से एक नोस्टाल्जिया होती है और उसे याद करना अच्छा लगता है. इसके अलावा नूरी फिल्म इतनी इम्पैक्टफुल फिल्म होगी, मुझे पता नहीं था, क्योंकि उस समय मेरी उम्र भी कम थी. इस फिल्म को बहुत सादगी से बनायीं गयी है और इसके गाने एवरग्रीन है.

सवाल – अभी घर पर आपकी रूटीन कैसी होती है?

जवाब –हर एक हाउसवाइफ की तरह मैं घर की देखभाल करती हूं, एक जमाना था, जब हमें सामान खरीदने बाज़ार जाना पड़ता था, अब घर पर एक फोन कॉल से समान घर पहुँच जाता है. कई बार मैं बच्चों को इसकी दायित्व लेने के लिए कहती हूं. इसके अलावा थोड़ी वर्कआउट भी करती हूं.

सवाल – क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

जवाब – आज की महिलाएं घर और जॉब दोनों को आसानी से सम्हाल लेती है. इसलिए उन्हें जो भी काम पसंद हो, उसे करें, छोड़े मत.

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