पोस्ट कोरोना ऑफिस गाइडलाइन में बरतें ये विशेष सावधानियां  

हिंदुस्तान में ही नहीं दुनिया में ज्यादातर जगहों में अभी भी बड़े पैमाने पर दफ्तर बंद हैं.जो दफ्तर खुले भी हैं, वहां भी कर्मचारियों की आधी अधूरी उपस्थिति है. कोरोना का अभी तक न तो खतरा कम हुआ है और न ही दहशत कम हुई है. बावजूद इसके सच यह भी है कि हमेशा दफ्तरों को बंद नहीं रखा जा सकता और न ही हर कोई वर्क फ्रॉम होम कर सकता है.लब्बोलुआब यह कि दफ्तरों को खोलना ही पड़ेगा और कर्मचारियों को दफ्तर वापस लौटना ही पड़ेगा.

लेकिन इस पोस्ट कोरोनाकाल में जब दफ्तर फिर से खुल गए हैं तो लंबे समय तक इस तरह की सावधानियां बरतनी जरूरी हैं.

अपना सामान अपनी मेज पर ही रखें

कोरोना संकट के पहले तमाम दफ्तरों में लंच का डिब्बा और कैरी बैग एक ख़ास जगह पर रखने की व्यवस्था हुआ करती थी.लेकिन इस पोस्ट कोरोनाकाल में अपना कोई भी सामान अपनी टेबल या अपने केविन में ही रखें.पहले की तरह एक दूसरे के साथ सामान रखना जोखिमभरा हो सकता है.

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फाइलें खुद दूसरे की मेज पर पहुंचाएं

वैसे तो अब बड़े पैमाने पर फ़ाइल कल्चर खत्म हो गयी है.आमतौर पर पेपरलेस दफ्तरों का चलन हो गया है.लेकिन भारतीय दफ्तरों में अभी भी फ़ाइल कल्चर काफी ज्यादा है.सरकारी दफ्तरों में तो ऑफिस ब्वाय आमतौर पर दिन भर इस टेबल से उस टेबल तक या इस सेक्शन से उस सेक्शन तक फ़ाइल पहुंचाने का काम ही करते हैं.लेकिन इन दिनों बेहतर होगा आप खुद ही अपनी फाइलें दूसरे की टेबिल तक पहुंचा दें,जिससे कोरोना संक्रमण से बचाव की सुनिश्चितता ज्यादा रहे.

मिल बांटकर खाने से कुछ दिन बचें

भारतीय दफ्तरों में ख़ास तौरपर लंच एक सामूहिक भोज में तब्दील हो जाता है.लोग चार चार छः छः के समूह में बैठकर खाते हैं.इस दौरान वे सब्जियों को बीच में रख लेते हैं और हर कोई हर किसी की सब्जी से खाता रहता है.लेकिन जब तक कोरोना के संक्रमण की शंका है खाने को शेयर करने की इस आम आदत से बचें.

अपने पैन, पैड, ड्राअर, बैग भी शेयर न करें

सिर्फ खाना ही नहीं जब तक कोरोना संक्रमण का मामला सेंसेटिव है.तब तक अपने पैन, पैड, ड्राअर, बैग आदि कुछ भी शेयर न करें.महिलायें ख़ास तौरपर सजग रहें क्योंकि शेयर करने की भावना उनमें ही ज्यादा होती है.साथ ही यह भी सच है कि कुछ कुदरती कारणों से उन्हें शेयर करने की जरूरत भी ज्यादा होती है.मगर इन दिनों इन तमाम जरूरतों और तर्कों के बावजूद शेयरिंग से बचना चाहिए.

मुंह से मुंह मिलाकर बातें न करें

कभी सॉलिडेरिटी,कभी दोस्ताना तो कभी अपनत्व प्रदर्शित करने के लिए तमाम लोग अपने सहकर्मियों से मुंह से मुंह मिलाकर बातें करते रहते हैं.यह आदत भी महिला कर्मचारियों में ज्यादा होती है.लेकिन इस कोरोना या पोस्ट कोरोना के दौर में इन आदतों को तो टाटा बाय बाय करना ही पड़ेगा,तभी संक्रमण के खतरे से बचाव हो पायेगा.

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ग्राहकों को जल्दी से जल्दी निपटाने की कोशिश करें

अगर आप पब्लिक डीलिंग ऑफिस में हैं तो इन दिनों ग्राहकों को जल्दी से जल्दी निपटाने की शैली में काम करें.तमाम ग्राहकों की आदत लम्बी चौड़ी भूमिका बनाकर जाल बिछाऊ बातें करने की होती है.उन्हें इससे शायद उनका काम ज्यादा बेहतर ढंग से होगा.ऐसे ग्राहकों को बीच में ही टोंक दें और साफ़ कहें वह अपनी बात स्पष्ट और संक्षिप्त कहें.ज्यादा देर तक ग्राहकों के संपर्क में रहना संक्रमण के लिए अनुकूल होना है.

बौस के कमरे में दूर से बात करें

छोटी छोटी बात पूछने के लिए बार बार बॉस के पास न जायें.अगर आपकी टेबल में इण्टरकॉम सिस्टम हो तो उसी के जरिये पूछ लें.लेकिन अगर जाना ही हो तो बॉस के कमरे में जाकर उनसे दूर से  बात करने की कोशिश करें.बहुत जरूरी न हो तो बैठने की कोशिश न करें .बैठें भी तो जल्द से जल्द बात को निपटाएं.

कम एसी में काम चलाएं

तमाम डॉक्टर और रिसर्चर कई बार कह चुके हैं कि सेंट्रल एसी कोरोना के फैलाव में खतरनाक भूमिका निभाता है.यही नहीं वैसे भी एसी की ठंडक कोरोना संक्रमण के काफी अनुकूल मानी जा रही है.लब्बोलुआब यह कि एसी का इस्तेमाल इन दिनों कई तरह से जोखिमपूर्ण है इसलिए बेहतर तो यही है कि संभव हो तो बिना एसी के रहें.लेकिन संभव न हो तो कम से कम एसी चलायें.

अगर इन कुछ सावधानियों को बरतेंगे तो पोस्ट कोरोना आपकी ऑफिसलाइफ तो सुरक्षित रहेगी ही आप अपने दूसरे सहकर्मियों को भी इस संकट से बचाने में कामयाब रहेंगे.

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