लेखकों को भारतीय साहित्य और संस्कृति से जोड़ेगी प्रधानमंत्री युवा योजना

  युवराज मलिक

 डायरेक्टर, नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया

युवा लेखकों को भारतीय साहित्य और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने के लिए सक्षम बनाने की योजना नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया द्वारा शुरू की गई है. प्रधानमंत्री युवा योजना नाम से इस योजना की शुरुआत हो चुकी है. नेशनल बुक ट्रस्ट के डायरेक्टर श्री युवराज मलिक की कुशल देखरेख में यह योजना चलाई जा रही है. युवराज मलिक इससे पहले भारत सरकार के लिए विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी नेतृत्वक्षमता साबित कर चुके हैं. पेश हैं, प्रधानमंत्री युवा योजना के सिलसिले में उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश:

खास तौर पर केवल युवाओं के लिए योजना लाने के पीछे क्या वजह है?

बदलते वक्त के साथ हमारी संस्कृति कहीं खोती जा रही है तो आने वाली पीढ़ी का उसमें रूझान बढ़ाने के लिए यह योजना बनाई गई है. अगले वर्ष भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत इंडिया 75 प्रोजेक्ट में प्रधानमंत्री द्वारा लाई गई यह योजना आज के युवा लेखकों को देश के इतिहास से जोड़ने का काम करेगी.

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प्रधानमंत्री युवा योजना में हिस्सा लेने के लिए प्रतियोगियों को किनकिन बातों का ध्यान रखना होगा?

इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए युवा लेखकों के द्वारा आयोजित की गई अखिल भारतीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेना होगा जिसके तहत वे अपने लेखन की एक 5000 शब्दों की पांडुलिपी प्रस्तुत करेंगे. उस पांडुलिपी के आधार पर एनबीटी द्वारा गठित एक समिति 75 प्रतियोगियों का चयन करेगी जिन्हें फिर आगे प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जाएगा. कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 30 वर्ष या उस से कम है या पीआईओ व भारतीय पासपोर्ट रखने वाले एनआरआई इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं. सिर्फ उन्हीं प्रविष्टियों को चयन के लिए स्वीकारा जाएगा जिनके प्रमुख विषय होंगे अज्ञात नायक (अनसंग हीरो), राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में अल्प ज्ञात तथ्य, राष्ट्रीय आंदोलन में विभिन्न स्थानों की भूमिका, राष्ट्रीय आंदोलन आदि के राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक या विज्ञान संबंधी पहलुओं  से संबंधित नए दृष्टिकोण.

योजना कब लागू की जाएगी और क्या होगा इसका  एक्शन प्लान?

यह प्रतियोगिता 1 जून से 31 जुलाई तक राष्ट्रीय स्तर पर शुरू की जा चुकी है. योजना 6 महीने की अवधि की होगी जिसमें प्रतियोगियों को मार्गदर्शित किया जाएगा और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. चयनित लेखकों के नामों की घोषणा 15 अगस्त, 2021 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर की जाएगी. योजना को 3-3 महीनों के 2 चरणों में बांटा गया है. पहला चरण प्रशिक्षण पर आधारित होगा और दूसरा प्रोत्साहन पर. योजना के आयोजन में इस बात का खास तौर पर ध्यान रखा गया है की प्रतियोगियों को प्रकाशन के  इको-सिस्टम की हर छोटी से छोटी जानकारी प्रदान की जाए. योजना की सारी जानकारी एनबीटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है.

इस योजना में एनबीटी की क्या  भूमिका होगी?

इस योजना में एनबीटी कार्यान्वयन एजेंसी की भूमिका निभा रहा है. हम प्रतियोगियों के चयन से लेकर उनकी पुस्तकों के विमोचन तक, इस योजना के हर चरण से जुड़े रहेंगे. लेखकों को एनबीटी के निपुण लेखकों और रचनाकारों के पैनल से 2 प्रख्यात लेखकों/मार्गदर्शकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके अलावा, योजना के अंत में हम प्रतियोगियों की पुस्तकों का प्रकाशन, विमोचन और उनका अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी करेंगे.

योजना में भाग लेने वाले चयनित युवा लेखकों को क्या लाभ मिलेगा?

इस योजना के माध्यम से नवोदित लेखकों को अपनी लेखन कौशल को  सुधारने का एक सुनहरा अवसर प्रशिक्षण  के रूप में मिलेगा. मेंटरशिप प्रोग्राम सफलतापूर्वक पूरा होने पर लेखकों को  उनकी पुस्तकों के सफल प्रकाशन के बाद  10% रॉयल्टी भी दी जाएगी. योजना में  चयनित लेखकों के लिए छात्रवृति का भी प्रावधान है जिसमें प्रत्येक लेखक को  50,000 रु. प्रति माह 6 माह तक प्रदान  किये जाएंगे.

इस सबके अलावा चयनित लेखकों को विभिन्न प्रकार के अंतराष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे कि साहित्य उत्सव, पुस्तक मेले, आभासी पुस्तक मेले, संस्कृत आदान प्रदान कार्यक्रम आदि के माध्यम से अपने ज्ञान का विस्तार करने का एवं कौशल विकास करने का अमूल्य अवसर प्राप्त होगा.

क्या इससे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को बढ़ावा मिलेगा?

यह योजना लेखकों का एक वर्ग विकसित करने में मदद करेगी जो भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान-प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विविध वर्णी विषयों पर लिख सकते हैं.

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पाठकों के लिए कोई खास संदेश?

यह युवा लेखकों के लिए एक बेहतरीन योजना है. एनबीटी ऐसी योजनाओं को  सामने लाने के लिए निरंतर काम कर रहा  है जिससे भारतीय संस्कृति और कला को बढ़ावा मिलेगा. जब देश के युवा नागरिक रीडिंग कल्चर को बढ़ावा देंगे तो जाहिर है  देश भी आगे बढ़ेगा. जैसा कि माननीय प्रधानमंत्रीजी कहते हैं, ‘‘पढ़ेगा भारत तभी तो बढ़ेगा भारत’’.

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