Valentine’s Day: प्रतियोगिता

रोज की तरह आज भी शैली सुबहसुबह सोसाइटी के पार्क में टहलने के लिए पहुंची. 32 साल की शैली खुले बालों में आकर्षक लगती थी. रंग भले ही सांवला था मगर चेहरे पर आत्मविश्वास और चमक की वजह से उस का व्यक्तित्व काफी आकर्षक नजर आता था. वह एक सिंगल स्मार्ट लड़की थी और एक कंपनी में काफी ऊंचे पद पर काम करती थी. उसे अपने सपनों से प्यार था. शैली करीब 3 महीने पहले ही इस सोसाइटी में आई थी.

खुद को फिट और हैल्दी बनाए रखने के लिए वह हर संभव प्रयास करती. हैल्दी खाना और हैल्दी लाइफ़स्टाइल अपनाती. रोज सुबह वॉक पर निकलती तो शाम में डांस क्लास के लिए जाती. आज ठंड ज्यादा थी सो उस ने वार्मर के ऊपर एक स्वेटर भी पहन रखा था. टहलतेटहलते उस की नजरें किसी को ढूंढ रही थीं. रोज की तरह आज वह लड़का उसे कहीं नजर नहीं आ रहा था जो सामने वाली फ्लैट में रहता था और रोज इसी वक्त टहलने के लिए आता था. टीशर्ट के ऊपर पतली सी जैकेट और स्लीपर्स में भी वह लड़का शैली को काफी स्मार्ट नजर आता था.

अभी दोनों अजनबी थे. इसलिए बस एकदूसरे को निगाह भर कर देखते और आगे बढ़ जाते. इधर कुछ दिनों से दोनों के बीच हल्की सी मुस्कान का आदानप्रदान भी होने लगा था. आज उस लड़के को न देख कर शैली थोड़ी अचंभित थी क्योंकि मौसम कैसा भी हो, कुहासे की चादर फैली हो या फिर बारिश हो कर चुकी हो, वह लड़का जरूर आता था. अगले दो दिनों तक शैली को वह नजर नहीं आया तो शैली उस के लिए थोड़ी चिंतित हो गई. कोई रिश्ता न होते हुए भी उस लड़के के लिए वह एक अपनापन सा महसूस करने लगी थी. वह सोचने लगी कि हो सकता है उस के घर में कोई बीमार हो या वह कहीं गया हुआ हो.

तीसरे दिन जब वह लड़का दिखा तो शैली एकदम से उस के करीब पहुँच गई और पूछा,” आप कई दिनों से दिख नहीं रहे थे, सब ठीक तो है?”

“कई दिनों से कहां, केवल 2 दिन ही तो… ”

“हां वही कह रही थी. सब ठीक है न? ”

“यस एवरीथिंग इज फाइन. थैंक यू…  वैसे आज मुझे पता चला कि आप मुझे औब्जर्व भी करती हैं,” चमकीली आंखों से देखते हुए उस ने कहा.

“अरे नहीं वह तो रोज देखती थी न..,” शैली शरमा गई.

” एक्चुअली मेरे नौकर की बेटी बीमार थी. उसी के इलाज के चक्कर में हॉस्पिटलबाजी में लगा था,” उस लड़के ने बताया.

“आप अपने नौकर की बेटी के लिए भी इतनी तकलीफ उठाते हैं?” आश्चर्य से शैली ने पूछा.

” क्यों नहीं आखिर वह भी हमारे परिवार की सदस्य जैसी ही तो है.”

“नाइस. आप के घर में और कौनकौन है?”

“बस अपनी मां के साथ रहता हूं. पत्नी से तलाक हुए 3 साल हो चुके हैं. .., ” कहते हुए उस लड़के ने परिचय के लिए हाथ बढ़ाया.

शैली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,” मैं यहां अकेली ही रहती हूं, अब तक शादी नहीं की है. मेरा नाम शैली है और आप का?”

” माईसेल्फ रोहित. नाइस टू मीट यू.”

इस के बाद काफी समय तक दोनों वाक करने के साथ ही बातें करते रहे. आधे घंटे की वाक पूरी करतेकरते दोनों के बीच अच्छीखासी दोस्ती हो गई. मोबाइल नंबर का आदानप्रदान भी हो गया. अब दोनों फोन पर भी एकदूसरे से कनेक्टेड रहने लगे. धीरेधीरे दोनों की जानपहचान गहरी दोस्ती में बदल गई. दोनों को ही एकदूसरे का साथ बहुत पसंद आने लगा. दोनों फिटनेस फ्रीक होने के साथ स्ट्रांग मेंटल स्टेटस वाले लोग थे. दूसरों की परवाह न करना, अपने काम से काम रखना, रिश्तों को अहमियत देना और काम के साथसाथ स्टाइल में जीवन जीना. जीवन के प्रति दोनों की ही सोच एक जैसी थी. वे काफी समय साथ बिताने लगे. वक्त इसी तरह गुजरता जा रहा था.

इधर उन दोनों की दोस्ती सोसाइटी में बहुत से लोगों को नागवार गुजर रही थी. खासकर रोहित की पड़ोसन माला बहुत अपसेट थी. उस की कभी कभार शैली से भी बातचीत हो जाती थी. उस दिन भी शैली घर लौट रही थी तो रास्ते में वह मिल गई.

फॉर्मल बातचीत के बाद माला शुरू हो गई,” यार मैं ने कितनी कोशिश की कि रोहित मुझ से पट जाए. उस के लिए क्याक्या नहीं किया. कभी उस की पसंद का खाना बना कर उस के घर ले गई तो कभी उस के लिए अपने बालों की स्मूथनिंग कराई. कभी उसे रिझाने के लिए एक से बेहतर एक कपड़े खरीदे तो कभी उस के पीछे अपना पूरा दिन बर्बाद किया. मगर उस ने कभी मेरी तरफ ढंग से देखा भी नहीं. देख जरा कितनी खूबसूरत हूं मैं. कॉलेज में सब मुझे मिस ब्यूटी कहते थे. एक बात और जानती है, उस की तरह मैं भी राजपूत हूं. उबलता हुआ खून है हम दोनों का. मगर देख न मेरा तो चक्कर ही नहीं चल सका. अब तू बता, तूने ऐसी कौन सी घुट्टी पिला दी उसे जो वह….”

जो वह ..? क्या मतलब है तुम्हारा?”

“मतलब तुम दोनों के बीच इलूइलू की शुरुआत कैसे हुई? ”

“देखिए इलूविलू मैं नहीं जानती. मैं बस इतना जानती हूं कि वह मेरा दोस्त बन चुका है और हमेशा रहेगा. इस से ज्यादा न मैं जानती हूं न तुम से या किसी और से सुनना या बात करना चाहती हूं,”  टका सा जवाब दे कर शैली अपने फ्लैट में घुस गई.

शैली के जाते ही पड़ोस की रीमा आंटी माला के पास आ गई. माला गुस्से में बोली,” आंटी तेवर तो देखो इस के. सोसाइटी में आए दिन ही कितने बीते हैं और इस चालाक लोमड़ी ने रोहित को अपने जाल में फंसा लिया.”

“बहुत ऊंचा दांव खेला है इस लड़की ने. सोचा होगा कि इस उम्र में कुंवारे कहां मिलेंगे. चलो तलाकशुदा को ही पकड़ लिया जाए और तलाकशुदा जब रोहित जैसा हो तो कहना ही क्या. धनदौलत की कमी नहीं. देखने में भी किसी चार्मिंग हीरो से कम नहीं लगता. मैं ने तो अपनी नेहा के लिए इस से कितनी बार बात करनी चाही पर यह हमेशा ऐसा नादान बन जाता है जैसे कुछ समझ ही न रहा हो.”

“नेहा कौन आंटी, आप की भतीजी?”

“हां वही. जब भी मेरे घर आती है तो रोहित की ही बातें करती रहती है. रोहित के घर भी जाती है, उस की मां से भी अच्छी फ्रेंडशिप कर ली है, पर वह उसे भाव ही नहीं देता.”

“आंटी नेहा तो अभी बच्ची है. आप उस के लिए कोई और लड़का देख लीजिये. मैं तो अपनी बात कर रही थी. बताओ मुझ में क्या कमी है?” माला ने पूछा.

“सही कह रही है माला. मेरे लिए तो जैसे नेहा है वैसी ही तू है. मेरी नेहा न सही वह तुझ से ही शादी कर ले तो भी मैं खुश हो जाउंगी. फूल सी बच्ची है तू भी पर आजकल तेरी शक्ल पर 12 क्यों बजे रहते हैं? कई दिनों से ब्यूटी पार्लर नहीं गई क्या?” रीमा आंटी ने माला को गौर से देखते हुए कहा.

“हां आंटी आप सच कह रही हो. कल ही पार्लर जा कर आती हूं. अपना लुक बिल्कुल ही बदल डालूंगी फिर देखूंगी रोहित कैसे मुझे छोड़ कर किसी और पर नजर भी डालता है?”

“सही है. मैं भी अपनी नेहा के लिए लेटेस्ट फैशन के कुछ कपड़े और ज्वेलरी लाने जाने वाली हूं,” आँख मारते हुए आंटी ने कहा तो दोनों हंस पड़ी.

शैली और रोहित को साथ देख कर इन की तरह कुछ और लोगों के सीने पर भी सांप लोटने लगे थे. शैली के बगल में रहने वाली देवलीना आंटी को अपने बेटे के लिए शैली बहुत पसंद थी. जॉब करने वाली इतनी कॉन्फिडेंट और खूबसूरत लड़की को ही वह अपनी बहू बनाना चाहती थी. शैली दिखने में आकर्षक होने के साथसाथ एक कमाऊ लड़की भी थी. जब कि उन के इकलौते बेटे पीयूष का बिज़नेस ठीक नहीं चल रहा था. जाहिर था कि अगर शैली उन के घर में आ जाती तो सब कुछ चमक जाता. इसी चक्कर में पिछले 2 महीने से उन्होंने अपने बेटे के लुक पर मेहनत करनी शुरू कर दी थी. उन के बेटे का पेट थोड़ा निकला हुआ था. वह एक्सरसाइज वगैरह से दूर भागता था जब कि शैली को उन्होंने जिम जाते और मॉर्निंग वॉक करते देखा था.

देवलीना आंटी ने बेटे को जिम भेजना शुरू कर दिया था ताकि वह भी आकर्षक नजर आए. इस बीच शैली और रोहित को साथ मॉर्निंग वाक करते देख आंटी के मन में कंपटीशन की भावना बढ़ने लगी.

सुबह 7 बजे भी बेटे को सोता देख कर उन्होंने उस की चादर खींची और चिल्लाती हुई बोली,” रोहित जानबूझ कर शैली के साथ वॉक करने लगा है ताकि उस के करीब आ सके और एक तू है…  तू क्या कर रहा है ? चादर तान कर सो रहा है? चल उठ और पता कर कि शैली जिम करने किस समय जाती है. कल से तुझे भी उसी समय जिम जाना होगा.”

बेटे ने भुनभुनाते हुए चादर फिर से ओढ़ ली और बोला,” यार मम्मी मुझे नहीं जाना जिमविम.”

“समय रहते चेत जा लड़के. ऐसी लड़की घर की बहू बन कर आ गई तो पैसों की कमी नहीं रहेगी. तेरा बिजनेस तो सही चलता नहीं है, कम से कम बहू तो कमाऊ ले आ. चल उठ मैं ने कोई बहाना नहीं सुनना. खुद तो बात आगे बढ़ा नहीं पाता बस उसे देख कर दांत भर निकाल देता है. कभी यह कोशिश नहीं करता कि कैसे उसे अपने प्यार में पागल किया जाए.”

” ओह मम्मी, प्यार ज़बरदस्ती नहीं किया जाता. जिस से होना होगा हो जाएगा.”

” तो क्या बुढ़ापे में प्यार होगा और शादी भी बुढ़ापे में करेगा?”

” मम्मी अरैंज मैरिज कर लूंगा. डोंट वरी. मुझे सोने दो,” उनींदी आवाज़ में पियूष ने कहा और करवट बदल कर सो गया.

आंटी को गुस्सा आ गया. इस बार उन्होंने एक गिलास पानी उस के मुंह पर उड़ेल दिया और चिल्लाईं,” चल उठ और जिम हो कर आ. चल जा… ”

शैली को रोहित के साथ देख कर ऐसी हालत केवल देवलीना आंटी की ही नहीं थी बल्कि कुछ और लोग भी थे जो शैली को अपनी बहू या बीवी बनाने के सपने देख रहे थे. उन के दिल में भी रोहित को ले कर प्रतियोगिता की भावना घर करने लगी थी. सब अपनेअपने तरीके से इस प्रतियोगिता को जीतने की कोशिश में लग गए.

निलय मित्तल तो शैली के घर ही पहुंच गए. शैली का निलय जी से सिर्फ इतना ही परिचय था कि वह इसी सोसाइटी में रहते हैं और किसी कंपनी में मैनेजर हैं. उन्हें अपने घर देख कर शैली चकित थी.

चाय वगैरह पूछने के बाद शैली ने आने की वजह पूछी तो निलय मित्तल बड़े प्यार से शैली से कहने लगे, “बेटा तू जिस कंपनी में  है उस में मेरा दोस्त भी काम करता है. उस ने तेरे बारे में एक बार बताया था. इतनी कम उम्र में तूने कंपनी में अपनी खास जगह बना ली है. मेरा बेटा विकास भी इसी फील्ड में है. तभी मैं ने सोचा कि तुम दोनों की दोस्ती करा दूँ. वैसे तो दोनों ऑफिस चले जाते हो सो एकदूसरे से मिल नहीं पाते. मगर यह तुझे कभी भी आतेजाते देखता है तो तारीफ करता है. मेरी वाइफ भी तुझे पसंद करती और जानती है हम भी इलाहाबाद के वैश्य परिवार से ताल्लुक रखते हैं. हम भी महाराजा अग्रसेन के वंशज हैं. तेरे घर के बुजुर्ग हमारे परिवार को जरूर जानते होंगे”

” जी अंकल हो सकता है. मुझे आप से और विकास से मिल कर अच्छा लगा. कभी जरूरत पड़ी तो मैं विकास को जरूर याद करूंगी.”

” अरे बेटा कभी जरूरत पड़ी की क्या बात है ? हम एक ही जगह से हैं, तुम दोनों एक ही फील्ड के हो, एक ही जाति के भी हो. आपस में मिलते रहा करो. समझ रही है न बेटी? मेरा विकास तो बहुत शर्मीला है. तुझे ही बात करनी होगी. स्विमिंग पूल के बगल वाली बिल्डिंग के पांचवें फ्लोर पर हम रहते हैं. मैं तो कहता हूं आज रात तू हमारे यहां खाने पर आ जा.”

” जी अंकल बिल्कुल मैं ख्याल रखूंगी मगर खाने पर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि मुझे आज ऑफिस में देर हो जाएगी. अच्छा अंकल मुझे अभी ऑफिस के लिए निकलना होगा. आप बताइए चायकॉफी कुछ बना दूं ?” शैली ने पीछा छुड़ाने की गरज से कहा.

” अरे नहीं बेटा. बस तुझ से ही मिलने आए थे.”

शैली की बिल्डिंग के सब से ऊपरी फ्लोर पर रहने वाले गुप्ता जी भी एक दिन लिफ्ट में मिल गए. वह शैली से पूछने लगे, “तुम इलाहाबाद की हो न.”

“जी,” शैली ने जवाब दिया.

“मेरा दोस्त भी उधर का ही है और वह भी बनिया ही है . उस के बेटे की फोटो दिखाता हूं. यह देख कितना स्मार्ट है. तुझे बहुत पसंद करता है,” गुप्ता जी ने मौका देखते ही निशाना साधने की कोशिश की थी.

“अरे यह तो सूरज है. मैं जब बास्केटबॉल खेलने जाती हूं तो एक कोने में खड़े रह कर मुझे देखता रहता है. जिम जाती हूं तब भी नजर आता है और ऑफिस जाते समय भी…” शैली ने उसे पहचानते हुए कहा.

“तू गौर करती है न इस पर, असल में यह बस तुझे नजर भर कर देखने को ही तेरा पीछा करता है. दिल का बहुत अच्छा है बस बोल नहीं पाता.”

“पर अंकल मैं तो इसे स्टॉकर समझ कर पुलिस में देने वाली थी. ”

“अरे बेटा यह कैसी बात कर रही है? यह तो बस इस का प्यार है,” गुप्ता जी ने समझाने के अंदाज़ में कहा.

“बहुत अजीब प्यार है अंकल. इसे कहिए थोड़ा ग्रूम करे,” कह कर हंसी छिपाती शैली वहां से निकल गई.

इस तरह शैली और रोहित की दोस्ती ने सोसायटी के बहुत सारे लोगों के दिलों में दर्द पैदा कर दिया था. शैली और रोहित इन लोगों के बारे में एकदूसरे को बता कर खूब हंसते. उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन की दोस्ती इतने लोगों के दिलोदिमाग में खलबली मचा देगी. दोनों एकदूसरे का साथ एंजॉय करते. अब वे सोसाइटी के बाहर भी एकदूसरे से मिलने लगे थे. धीरेधीरे उन के बीच की दोस्ती प्यार में तब्दील होने लगी. दोनों काबिल थे. एकदूसरे को पसंद करते थे. रोहित की मां को भी इस रिश्ते से कोई गुरेज नहीं था.

उस दिल शैली का जन्मदिन था. रोहित ने तय किया था कि वह इस बार शैली को बर्थडे पर सरप्राइज देगा. इस के लिए उस ने एक रिसोर्ट बुक कराया. शानदार तरीके से उस का बर्थडे मनाया. रात 12 बजे केक काटा गया.

उस रात रोहित ने प्यार से शैली से पूछा,” आज के दिन तुम मुझ से जो भी मांगोगी मैं उसे पूरा करूंगा. बताओ तुम्हें मुझ से क्या चाहिए?”

“रियली ?”

“यस ”

“तो फिर ठीक है. मुझे आज कुछ लोगों की आंखों का सपना छीन कर उसे अपना बनाना है.”

“मतलब ?”

” मतलब जिन की आंखों में तुम्हें या मुझे ले कर सपने सजते रहते हैं उन्हें उन के सपनों से हमेशा के लिए दूर करना है. उन सपनों को अपनी आंखों में सजाना है यानी तुम्हें अपना बनाना है,” एक अलग ही अंदाज में शैली ने कहा और मुस्कुरा उठी.

रोहित को जैसे ही बात समझ में आई तो उस ने शैली को अपनी बाहों में भर लिया और उसी अंदाज में बोला,” तो ठीक है सपनों को नया अंजाम देते हैं. इस रिश्ते को प्यारा सा नाम देते हैं. ”

दोनों की आँखों में उमंग भरी एक नई जिंदगी की मस्ती घुल गई और दोनों एकदूसरे में खो गए. एक महीने के अंदर शादी कर शैली रोहित की बन गई और इस के साथ ही बहुतों के सपने एक झटके में टूट गए.

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