इम्युनिटी बूस्टर काढ़ा हो सकता है जानलेवा

मार्च में जब से कोरोना का भारत में आगमन हुआ और आम जनता को इससे बचने के लिए अपनी इम्युनिटी अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की बात पता चली बाजार में इम्युनिटी बूस्टर दवाओं और काढ़ों की मानो बहार आ गयी. कोरोना के प्रभाव से बचने के लिए लोगों ने काढ़ा को एकमात्र रामबाण उपाय मानकर जमकर इसका सेवन करना प्रारम्भ कर दिया परंतु काढ़ा बनाने में प्रयोग की जाने वाली सामग्री बहुत गर्म होती है इनकी यह गर्म तासीर सेहत के लिए अत्यंत नुकसानदेह होती है.

65 वर्षीय राजाराम ने सर्दी खांसी होने पर काढ़ा पीना प्रारम्भ किया कुछ दिन बाद खानेपीने में परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि अधिक मात्रा में काढ़ा पीने से फ़ूड पाइप पर असर पड़ा है और काफी इलाज करवाने के बाद भी राजाराम को बचाया नहीं जा सका.

28 वर्षीय अंकित ने गले में खराश होने पर परिजनों की सलाह पर काढ़ा पीना प्रारम्भ कर दिया. इससे गले में छाले हो गए और उन्हें खाने पीने में परेशानी होने लगी . डॉक्टर की सलाह पर जब काढ़ा बंद किया तब उन्हें आराम मिला इसी प्रकार रेखा जी को कुछ दिनों पूर्व अचानक नाक से खून आना प्रारम्भ हो गया. डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि वे दिन में तीन चार बार काढ़ा पी रहीं थीं जिसके परिणामस्वरूप उनके शरीर में गर्मी बढ़ गयी और नाक से खून आना प्रारम्भ हो गया. फिजिशियन डॉ धीरज शुक्ला के अनुसार कोरोना काल में ऐसे अनेकों मामले सामने आए जब दिन में 5-6 बार काढ़ा पीने से उन्हें पेट और पाचन संबंधी समस्याएं होने लगीं थीं.

लिवर विशेषज्ञ डॉक्टर संजय के अनुसार अधिक मात्रा में काढ़ा पीने से फ़ूड पाइप प्रभावित होता है और फिर खाने पीने में समस्या आनी प्रारम्भ हो जाती है और कई बार लापरवाही बरतने से मरीज की जान तक खतरे में आ जाती है.

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वास्तव में अति सर्वत्र वर्जयेत वाली कहावत यहाँ भी भली भांति चरितार्थ होती है. किसी भी पदार्थ का सीमित और समुचित मात्रा में उपयोग जहां शरीर के लिए लाभकारी होता है वही असीमित उपयोग हमारे लिए अनेकों समस्याएं खड़ी कर देता है.

फिजिशियन डॉक्टर शुक्ला के अनुसार काढ़ा बनाने में दालचीनी, काली मिर्च, सोंठ, हल्दी, पीपली, अश्वगंधा जैसी गर्म चीजों का प्रयोग किया जाता है इसलिए अधिक मात्रा में काढ़ा पीने से शरीर को निम्न नुकसान हो सकते हैं-

-नाक से खून आना या खुश्की रहना
-पेशाब में जलन
-पेट में बहुत गैस बनना या अपच हो जाना
-मुंह या गले में छाले
-पेट और गले में जलन

डॉक्टर शुक्ला के अनुसार काढ़ा पीते समय निम्न सावधानी रखना अत्यंत आवश्यक है-

-काढ़ा कोरोना की दवा न होकर केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला एक पेय पदार्थ है यह कोई जादू की छड़ी नहीं है जो आपको कोरोना से बचा लेगी इसलिए इसे पीते समय सावधानी रखना आवश्यक है.

-काढ़े का सेवन सदैव चिकित्सक के निर्देश और परामर्श के अनुसार करें.

-2 कप पानी में 1/2 चम्मच काढ़ा पाउडर डालकर धीमी आंच पर उबालें और एक कप रहने पर छानकर प्रयोग करें. इसे दिन में केवल एक बार ही प्रयोग करें.

-काढ़ा पीने से मुंह पेट में छाले तथा पेट में जलन या शरीर में गर्मी का अनुभव हो रहा है तो इसका प्रयोग तुरन्त बंद कर दें.

-काढ़े में प्रयोग किये जाने वाली सामग्री गर्म तासीर वाली होती है इसलिए जिनका पित्त कफ पहले से ही अधिक है अर्थात जिन्हें सर्दी का असर बहुत जल्दी होता है उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना काढ़े का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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-अगर काढ़ा लेने के बाद किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

-शुगर के मरीजों को बिना शकर या गुड़ के काढ़े का प्रयोग करना चाहिए.

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