प्रेगनेंसी के दौरान करें ये 5 एक्सरसाइज तो रहेंगी फिट

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई प्रौब्लम का सामना करना पड़ता है. कई बार ये प्रौब्लम्स प्रेग्नेंसी में ज्यादा न करने व एक्सरसाइज न करने से होता है. इसीलिए जरूरी है कि प्रेग्नेंसी में एक्सरसाइज करना न भूलें. प्रेग्नेंसी के दौरान डौक्टर कुछ खास एक्सरसाइज बताते हैं, जिसे करने से मां और बच्चे की सेहत बनी रहती है. साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली प्रौब्लम्स से भी छुटकारा मिलते है.

कम्फर्ट के अनुसार करें एक्सरसाइज

एक्सरसाइज शरीर को मजबूती प्रदान करने वाले होने चाहिए. इस के लिए आप तैराकी करें, टहलें और अपने शरीर को स्ट्रैच करें. ये एक्सरसाइज हफ्ते में 3 बार किए जा सकते हैं. होने वाली मां ध्यान रखें कि उतनी ही देर तक एक्सरसाइज करें जितनी देर तक वे इस में कम्फर्ट महसूस करें. यह बात बेहद महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर और सुविधा के अनुसार ही एक्सरसाइज करें क्योंकि एक्सरसाइज के दौरान हार्ट रेट सामान्य ही होनी चाहिए. आप इसे इस तरह ले सकती हैं कि एक्सरसाइज के समय आप आराम से किसी से बातचीत कर सकें. आइए आपको बताते हैं प्रेग्नेंसी के दौरान किए जाने वाली खास एक्सरसाइज के बारे में…

 

1. स्क्वाट्स

यह पैरों के लिए बहुत अच्छा एक्सरसाइज है. पैरों को कंधे के बराबर में खोलें. अपनी रीढ़ की दिशा में नाभी को अंदर खीचें और एबडौमिनल्स को टाइट करें. धीरे-धीरे अपने शरीर को नीचे की ओर झुकाएं जैसे कि आप कुरसी पर बैठी हों. यदि आप इतनी नीचे जा सकें कि आप के पैर आप के घुटनों की सीध में आ जाएं तो अच्छा होगा. लेकिन ऐसा न हो तो आप जितनी कोशिश कर सकती हैं उतना ही नीचे जाएं. यह सुनिश्चित कर लें कि आप के घुटने आप के पैरों की उंगलियों के पीछे हैं. 4 तक गिनती गिनें और फिर धीर-धीरे अपने शरीर को पहले वाली स्थिति में वापस ले आएं. इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं.

2. केगेल एक्सरसाइज

केगेल एक्सरसाइज मूत्राशय, गर्भाशय और आंत का समर्थन करने वाली मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. गर्भावस्था के दौरान इन मजबूत मांसपेशियों के सहारे आप आराम से प्रसव पीड़ा को झेल सकती हैं और शिशु को जन्म दे सकती हैं. केगेल करने के लिए आप को ऐसा सोचना पड़ेगा जैसे आप मूत्र के प्रवाह को रोकने का  प्रयास कर रही हों. ऐसा करते वक्त आप पैल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को नियंत्रित करेंगी. ऐसा करते वक्त 5 बार गिनती गिनें. इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं. यह एक्सरसाइज दिन में 3 बार करना चाहिए.

3. ऐबडौमिनल एक्सरसाइज

इस अभ्यास से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. जमीन पर पैरों को मोड़ कर बैठें और पीठ एकदम सीधी रखें. अब अपने पेट को अंदर की तरफ लें और उन्हें टाइट रख कर 10 सैकंड तक रखें. लेकिन यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसा करते वक्त आप को सांस नहीं रोकनी है. इस के बाद आराम से अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं. इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं.

4. कैट ऐंड कैमल एक्सरसाइज

यह अभ्यास आप की पीठ और पेट को मजबूत बनाता है.इस अभ्यास को करने के लिए चटाई पर हाथों और घुटनों के बल बैठ जाएं. घुटने आप के कूल्हे की सीध में होने चाहिए और कलाई कंधों की सीध में. साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि पेट लटक न रहा हो.अब अपना सिर झुकाएं और अपने पेट को अंदर की तरफ ले जाएं. अपनी रीढ़ की हड्डी को ऊपर की तरफ निकालें. इस अवस्था में 10 सैकंड तक रहें. लेकिन सांस लेना बंद न करें.

 

5. एक्सरसाइज के लिए चेतावनी संकेत

– सीने में दर्द, पेट में दर्द, पैल्विक पेन या लगातार संकुचन.

– भ्रूण की स्थिति में ठहराव आना.

– योनि से तेजी से तरल पदार्थ का स्राव होना.

– अनियमित या तेज दिल की धड़कन.

– हाथपैरों में अचानक सूजन आ जाना.

– चलने या सांस लेने में दिक्कत.

– मांसपेशियों में कमजोरी.

– एक्सरसाइज तब भी हानिकारक है जब आप को गर्भावस्था से संबंधित कोई परेशानी हो.

– प्लेसैंटा का गर्भाशय ग्रीवा के पास होना या गर्भाशय ग्रीवा को पूरी तरह से कवर करना.

– पिछले प्रसव के दौरान आई समस्याएं जैसे प्रीमैच्योर बेबी का जन्म या समय से पहले लेबर पेन उठी हो.

– कमजोर गर्भाशय.

डिलीवरी को आसान बनाने के लिए रोजाना करें ये एक्सरसाइज

पिछली पीढ़ी की ज्यादातर महिलाएं प्रसव से पहले तक रसोई और घर का सारा काम आसानी से संभालती थीं. लेकिन आज की महिलाओं के लिए प्रसव उतना आसान नहीं है. अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं गर्भधारण एवं प्रसव को कठिन कार्य मानती हैं. उन्हें प्रसव बेहद कष्टदायी लगने लगा है. इस कष्ट से बचने के लिए वे सिजेरियन डिलिवरी ज्यादा पसंद कर रही हैं, जो शरीर को आगे चल कर कमजोर बना देती है. इसलिए गर्भधारण से ले कर प्रसव व प्रसवोपरांत तक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए व्यायाम एक बेहतर विकल्प है. प्रसवकाल को सुखद बनाए रखने के लिए व्यायाम में फिजियोथेरैपी एक अच्छा माध्यम है. यह गर्भकाल और प्रसव के दौरान होने वाली कई तरह की परेशानियों से छुटकारा दिलाती है. 9 महीने के लंबे गर्भकाल में स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. इस के लिए फिजियोथेरैपी को नियमित रूप से अपनाना चाहिए-

स्ट्रैंथनिंग

कमर के लिए : पैरों को एकसाथ मिला कर कमर के आगे की तरफ लाते हुए आसन पर बैठ जाएं, फिर घुटनों को धीरेधीरे जमीन से छुआने की कोशिश करें. इस क्रिया को भी कई बार करें.

गले के लिए : इसे करने के लिए सीधे बैठें, फिर एक हाथ को मोड़ कर सिर के पीछे की तरफ का हिस्सा पकड़ें और कुहनियों को ऊपर की ओर उठाएं. यही क्रिया दूसरे हाथ से भी दोहराएं. आसन पर बैठ कर दोनों हाथों को आगे की ओर ले जाएं. फिर धीमी गति से सांस लेते हुए हाथों को दोनों ओर फैलाएं. इस क्रिया को 10-12 बार दोहराएं.

 पीठ के लिए : पैरों को जमीन पर टिकाते हुए कुरसी पर सीधी बैठ जाएं. फिर दोनों हाथों से कमर को पकड़ें. आसन पर धीरे से हाथों और घुटनों के बल टेक लगाते हुए झुकें, फिर धीरेधीरे पीछे के मध्य भाग को ऊपर और नीचे की ओर ले जाएं.

गले की पीछे की पेशियों के लिए : इस क्रिया को करने के लिए घर की किसी दीवार के पास खड़ी हो जाएं. कंधों के बराबर दोनों हथेलियों को जोड़ कर रखें. दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बना कर रखें यानी पैर मिलें नहीं. फिर दीवार से 30 सैंटीमीटर की दूरी पर खड़े हो कर कुहनियों को मोड़ कर धीरेधीरे नाक से दीवार छूने की कोशिश करें. यह क्रिया फिर दोहराएं. यह व्यायाम प्रसव को भी आसान बनाता है.

जांघों की पेशियों के लिए : इसे करने के लिए सीधी लेट जाएं और फिर एक मोटे तकिए को बारीबारी से घुटनों के बीच 10 मिनट तक दबाए रखें. ऐसा कई बार करें.

रिलैक्सेशन मैथेड : सब से पहले आसन पर लेट जाएं और अपनी सांस की गति पर ध्यान दें. फिर दोनों एडि़यों को 5 सैकंड तक दबा कर रखें. फिर ढीला छोड़ दें. यह क्रिया घुटनों, हथेलियों, कुहनियों, सिर आदि हिस्सों के साथ भी करें. इस से शरीर की पेशियां रिलैक्स होती हैं.

कीगल्स व्यायाम : कीगल्स व्यायाम को मूत्रत्याग के दौरान किया जाता है. इसे करने के लिए मूत्र के दौरान 3 से 5 सैकंड तक मूत्र को रोकरोक कर करें. इस से पेट के निचले हिस्से में कसावट आती है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद महत्त्वपूर्ण व्यायाम है.

पैरों की पेशियों के लिए : इस क्रिया को करने के लिए पहले तो आसन पर बैठें. फिर आसन के ऊपर एक मोटा कपड़ा बिछा कर एडि़यों से उसे दबाएं. इस के बाद पैरों की उंगलियों से कपड़े को भीतर की ओर खींचने की कोशिश करें. इस क्रिया को भी कई बार दोहराएं. यह व्यायाम पैरों की पेशियों में कसावट लाने के साथसाथ फ्लैट फुट की समस्या को भी रोकता है, रक्तसंचार को बढ़ा कर पैरों की सूजन को भी कम करता है.

ध्यान देने योग्य बातें :

  1. दिन भर में एक बार व्यायाम जरूर करें और व्यायाम करते समय थकान और दर्द का ध्यान जरूर रखें.
  2. शुरू में व्यायाम कम समय के लिए करें. फिर धीरेधीरे समय बढ़ाएं.
  3. चिकनी फर्श पर व्यायाम बिलकुल न करें.
  4. व्यायाम करते समय ढीले वस्त्र पहनें.
  5. खाने के तुरंत बाद व्यायाम कभी न करें. खाने के कम से कम 2 घंटे बाद ही व्यायाम करें.
  6. गर्भावस्था के दौरान महिलाएं कम जगह वाले फर्नीचर पर न बैठें. इस से पेशियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है.
  7. बैठते समय पीठ को कुरसी से सटा कर बैठें और पैरों को फर्श पर रखें.
  8. गर्भधारण के 20 सप्ताह बाद सीधी न लेटें, बल्कि सिर और कंधों को ऊंचा कर के लेटें. इस के लिए सिर के नीचे 2 तकिए लगा कर लेटें. ऐसा करना गर्भाशय की रक्तनलिकाओं में पड़ने वाले दबाव के कारण होने वाले हाइपरटैंशन को रोकता है.
  9. हाई हील के सैंडल पहनने से बचें, फ्लैट फुटवियर ही पहनें, इस से रीढ़ की हड्डी पर खिंचाव कम होगा.
  10. गर्भकाल के समय व्यायाम करने पर किसी भी प्रकार का दर्द या समस्या हो तो तुरंत स्त्रीरोग विशेषज्ञा की सलाह लें.व्यायाम से संबंधित विशेष जानकारी फिजियोथेरैपिस्ट से भी ले सकती हैं.

गर्भकाल के दौरान होने वाली समस्याएं

  1. पेट के निचले हिस्से में सिकुड़ी अवस्था में स्थित यूटरस गर्भकाल के हफ्तों बीतने के बाद विकसित हो जाता है. इस कारण शरीर के आगे के हिस्से में शरीर का भार बढ़ता है, जिस से शरीर का संतुलन बनाए रखने में समस्या उत्पन्न होने लगती है.
  2. कंधे लटकने लगते हैं. ऐसी अवस्था में मांसपेशियों में खिंचाव पड़ने लगता है.
  3. घुटने फूलने लगते हैं और दोनों पैरों में अंतर बढ़ जाता है, जिस की वजह से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
  4. जिन महिलाओं का वजन ज्यादा होता है, उन की पेशियां ढीली होने की वजह से उन में फ्लैट फुट की समस्या उत्पन्न हो सकती है.
  5. पेट की मांसपेशियों में खिंचाव पड़ने की वजह से स्ट्रैस की समस्या उत्पन्न होने लगती है.
  6. आम अवस्था की अपेक्षा गर्भावस्था के दौरान ज्यादा आराम करने से मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं.
  7. शरीर के आकार में बदलाव आने के कारण शरीर फैलने लगता है.

फिजियोथेरैपी के फायदे

  1. स्वास्थ्य बेहतर बना रहता है और शारीरिक परेशानियां कम होती हैं.
  2. व्यायाम सर्कुलेटरी प्रौब्लम्स, वैरिकोस वेंस समस्या और पैरों की सूजन को कम करता है.
  3. प्रसव के बाद स्वास्थ्य में भी बहुत तेजी से सुधार आता है.
  4. यह जोड़ों से संबंधित समस्याओं को कम करने के साथसाथ उन्हें रोकने में भी सहायक है.
  5. शरीर को नियंत्रित करने में मदद करती है.
  6. गर्भकाल के दौरान मधुमेह की समस्या होने से रोकती है.
  7. यह शरीर के आकार में भी संतुलन बनाए रखने के लिए सहायक है.
  8. फिजियोथेरैपी पेट की मांसपेशियों को सुचारु बनाए रखने में भी प्रभावकारी है.

ध्यान दें

गर्भावस्था के दौरान व्यायाम अच्छा है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर तरह का व्यायाम हर किसी के लिए फायदेमंद हो. गर्भावस्था और किसी भी प्रकार की शारीरिक बीमारी जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी बीमारी, एक से ज्यादा बार गर्भपात होना, गर्भाशय के द्रव में होने वाले बदलाव आदि में व्यायाम करना जोखिम भरा काम है. इस स्थिति में अपनी इच्छा से कोई व्यायाम न करें. गर्भकाल के शुरुआत से ही स्त्रीरोग विशेषज्ञा के निर्देशानुसार ही व्यायाम करें.

– डा. अरुण कुमार पी.टी, चीफ फिजियोथेरैपिस्ट, लक्ष्मी हौस्पिटल, कोच्चि

Winter Special: गर्भावस्था में करने होंगे ये व्यायाम

शिशु को जन्म देना पृथ्वी का सब से बड़ा चमत्कार है. और इस चमत्कार को अंजाम देने के लिए महिलाओं की मदद करता है व्यायाम. जी हां, समय बदल चुका है और साथ ही महिलाओं का गर्भावस्था के दौरान और बाद में व्यवसाय के प्रति दृष्टिकोण भी. गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने से होने वाले फायदे बेहद महत्त्वपूर्ण हैं. यह सिर्फ आप और आप के गर्भस्थ शिशु को ही लाभ नहीं पहुंचाता बल्कि आप के प्रसव को आसान बनाता है. और प्रसव के बाद आप के शरीर को शेप में भी लाता है.

व्यायाम के फायदे गर्भधारण करने के शुरूआत में और गर्भावस्था के बाद में करने पर अलगअलग हैं, जैसे गर्भधारण के शुरूआत में व्यायाम करना शिशु के विकास में सहायक होता है वहीं गर्भधारण करने के बाद के समय में व्यायाम आप को फिट रखने में, आप के वजन को नियंत्रित रखने में और प्रसव पीड़ा को कम करने में सहायक होता है.

कुल मिला कर जीवन के इस महत्त्वपूर्ण चरण के दौरान नियमित रूप से व्यायाम महिलाओं को सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने, गर्भधारण और प्रसव पीड़ा को आसान बनाने में उन की सहायता करता है. आप ने नयानया अभ्यास शुरू किया हो या आप पहले से ही व्यायाम करने की अनुभवी हों. गर्भाधारण एक ऐसा समय होता है जब आप को नियमित आधार पर व्यायाम करना चाहिए न कि शिशु के जन्म का इंतजार करना चाहिए.

व्यायाम गर्भावस्था में होने वाली मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए फायदेमंद है.

गर्भावस्था के दौरान व्यायाम से होने वाले अन्य लाभ ये हैं:

– यह मूड को फै्रश रखता है.

– अच्छी नींद आती है.

– पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को कम करता है.

-शारीरिक परेशानियों को कम करता है.

– औक्सीजन और रक्तसंचारण को सुधारता है.

– शारीरिक रूप से फिट होने के कारण कम समय और कम दर्द में प्रसव होने की संभावनाएं बढ़ाता है.

बहुत सी महिलाएं जानना चाहती हैं कि इस दौरान कौनकौन से व्यायाम करने चाहिए और उन की आवृत्ति और अवधि क्या होनी चाहिए?

जवाब यह है कि व्यायाम शरीर को मजबूती प्रदान करने वाले होने चाहिए. इस के लिए आप तैराकी करें, टहलें और अपने शरीर को स्ट्रैच करें. ये व्यायाम हफ्ते में 3 बार किए जा सकते हैं. होने वाली माएं ध्यान रखें कि उतनी ही देर तक व्यायाम करें जितनी देर तक वे इस में कम्फ र्ट महसूस करें. यह बात बेहद महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर और सुविधा के अनुसार ही व्यायाम करें क्योंकि व्यायाम के दौरान हार्ट रेट सामान्य ही होनी चाहिए. आप इसे इस तरह ले सकती हैं कि व्यायाम के समय आप आराम से किसी से बातचीत कर सकें.

गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले खास व्यायाम निम्नलिखित हैं:

  • स्क्वाट्स

यह पैरों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है.

पैरों को कंधे के बराबर में खोलें. अपनी रीढ़ की दिशा में नाभी को अंदर खीचें और एबडौमिनल्स को टाइट करें. धीरेधीरे अपने शरीर को नीचे की ओर झुकाएं जैसे कि आप कुरसी पर बैठी हों. यदि आप इतनी नीचे जा सकें कि आप के पैर आप के घुटनों की सीध में आ जाएं तो अच्छा होगा. लेकिन ऐसा न हो तो आप जितनी कोशिश कर सकती हैं उतना ही नीचे जाएं. यह सुनिश्चित कर लें कि आप के घुटने आप के पैरों की उंगलियों के पीछे हैं.4 तक गिनती गिनें और फिर धीरेधीरे अपने शरीर को पहले वाली स्थिति में वापस ले आएं.इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं.

  • केगेल व्यायाम

केगेल व्यायाम मूत्राशय, गर्भाशय और आंत का समर्थन करने वाली मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. गर्भावस्था के दौरान इन मजबूत मांसपेशियों के सहारे आप आराम से प्रसव पीड़ा को झेल सकती हैं और शिशु को जन्म दे सकती हैं. केगेल करने के लिए आप को ऐसा सोचना पड़ेगा जैसे आप मूत्र के प्रवाह को रोकने का  प्रयास कर रही हों. ऐसा करते वक्त आप पैल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को नियंत्रित करेंगी. ऐसा करते वक्त 5 बार गिनती गिनें. इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं. यह व्यायाम दिन में 3 बार करना चाहिए.

  •  ऐबडौमिनल व्यायाम

इस अभ्यास से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. जमीन पर पैरों को मोड़ कर बैठें और पीठ एकदम सीधी रखें. अब अपने पेट को अंदर की तरफ लें और उन्हें टाइट रख कर 10 सैकंड तक रखें. लेकिन यह सुनिश्चित कर लें कि ऐसा करते वक्त आप को सांस नहीं रोकनी है. इस के बाद आराम से अपनी प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं. इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं.

  • कैट ऐंड कैमल व्यायाम

यह अभ्यास आप की पीठ और पेट को मजबूत बनाता है.इस अभ्यास को करने के लिए चटाई पर हाथों और घुटनों के बल बैठ जाएं. घुटने आप के कूल्हे की सीध में होने चाहिए और कलाई कंधों की सीध में. साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि पेट लटक न रहा हो.अब अपना सिर झुकाएं और अपने पेट को अंदर की तरफ ले जाएं. अपनी रीढ़ की हड्डी को ऊपर की तरफ निकालें. इस अवस्था में 10 सैकंड तक रहें. लेकिन सांस लेना बंद न करें.

व्यायाम के लिए चेतावनी संकेत

-सीने में दर्द, पेट में दर्द, पैल्विक पेन या लगातार संकुचन.

– भ्रूण की स्थिति में ठहराव आना.

– योनि से तेजी से तरल पदार्थ का स्राव होना.

– अनियमित या तेज दिल की धड़कन.

– हाथपैरों में अचानक सूजन आ जाना.

– चलने या सांस लेने में दिक्कत.

– मांसपेशियों में कमजोरी.

-व्यायाम तब भी हानिकारक है जब आप को गर्भावस्था से संबंधित कोई परेशानी हो.

-प्लेसैंटा का गर्भाशय ग्रीवा के पास होना या गर्भाशय ग्रीवा को पूरी तरह से कवर करना.

– पिछले प्रसव के दौरान आई समस्याएं जैसे प्रीमैच्योर बेबी का जन्म या समय से पहले लेबर पेन उठी हो.

-कमजोर गर्भाशय.

प्रैग्नेंसी में कितना जरूरी है जुंबा

जुंबा एक ऐसा डांस है जो अब फिटनैस का दूसरा नाम बन गया है. जिम में बाकायदा इस की क्लास लगती हैं और बहुत से पैसे वाले लोग जुंबा डांस के लिए छरहरे बदन के टीचर को पर्सनल ट्रेनर भी बना लेते हैं.

पूरी बौडी को लय में लाने वाले इस डांस को 90 के दशक के दौरान कोलंबियाई डांसर और कोरियोग्राफर अल्बर्टो ‘बेटो’ पेरेज ने कसरत करने के फिटनैस प्रोग्राम के तौर पर बनाया था, जो अब देशदुनिया के बड़े शहरों से होता हुआ छोटे कसबों तक में मशहूर हो गया है.

वैसे तो हर उम्र का कोई भी इनसान इसे सीख कर अपने एक्सरसाइज रूटीन में शामिल कर सकता है, पर महिलाओं में इस का क्रेज ज्यादा दिखता है. बहुत सी महिलाएं तो इसे ऐसा टौनिक मानती हैं कि इस के बिना रह नहीं पाती हैं.

दीपिका को भी जुंबा का क्रेज था. उस की प्रेग्नेंसी का तीसरा महीना चल रहा था. पर उस ने अपनी जिम इंस्ट्रक्टर से यह बात छिपाई और एक दिन जुंबा करते हुए उस की हालत खराब हो गई. वह तो भला हो जिम की साथी महिलाओं का जो वे समय पर दीपिका को अस्पताल ले गईं और उस का गर्भपात होने से बचा लिया.

इस विषय पर दिल्ली के बीएल कपूर, अपोलो क्रेडल, मैक्स जैसे अस्पतालों से जुड़ी गायनोकोलौजिस्ट डाक्टर शिल्पी सचदेव ने बताया, “प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने बहुत ध्यान देने वाले होते हैं और अगर उस महिला का पहले गर्भपात हो चुका है या उस का ब्लडप्रैशर हाई रहता है या फिर ब्लीडिंग का चांस है तो उसे जुंबा जैसी एक्सरसाइज से बचना चाहिए. इन महीनों में नई एक्सरसाइज न करें और फोरवर्ड बैंडिंग, जंपिंग आदि से दूर ही रहें.

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“हां, अगर कोई दिक्कत नहीं है तो प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने के बाद अपनी डाक्टर की सलाह पर आप जुंबा कर सकती हैं, पर फिर भी आप की एक्सरसाइज हलकी होनी चाहिए और ऐसे मूव से बचना चाहिए जो समस्या पैदा कर सकते हैं.”

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थाने, महाराष्ट्र में ‘फिटनैस विद प्रियंका’ नाम से अपनी जुंबा क्लासेस चलाने वाली प्रियंका पांचाल ने बताया, “जुंबा बहुत हाई इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज होती है. इस में बौडी से बड़ी हीट निकलती है और एनर्जी भी ज्यादा लगती है, इसलिए किसी महिला ने पहले कभी जुंबा नहीं किया है और वह प्रेग्नेंट है तो उसे यह एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए. उसे अपनी गायनोकोलौजिस्ट से जरूर सलाह लेनी चाहिए.

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“अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के पहले से जुंबा कर रही है तो भी उसे अपने इंस्ट्रक्टर को बता देना चाहिए, ताकि वह जुंबा की हलकी एक्सरसाइज ही कराए. इस के लिए लाइट म्यूजिक और स्टेप्स भी हलके रखे जाते हैं. चूंकि जुंबा में पसीना ज्यादा आता है तो पानी ज्यादा पीना चाहिए, कपड़े ढीले पहनने चाहिए और कोई भी दिक्कत होने पर तुरंत जुंबा करना छोड़ देना चाहिए.”

जुंबा बौडी को शेप में लाने के लिए अच्छी एक्सरसाइज है पर प्रेग्नेंट महिला को अपनी और अपने भीतर पल रही नन्ही सी जान की खातिर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहिए और डाक्टर की सलाह पर ही इस डांस का मजा लेना चाहिए.

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