45 साल की उम्र और एक Miscarriage के बाद प्रैग्नेंट होना

आर्थिक सुरक्षा और सेहतमंद माहौल उत्पन्न करने के लिये कई सारे दम्पति देरी से प्रेग्नेंसी का विकल्प चुन रहे हैं. वैसे, हमेशा ही हर चीज के फायदे और नुकसान होते हैं और नुकसान के बारे में जानकारी होने पर उन्हें सही तरीके से संभालना महत्वपूर्ण होता है.

आपको बता दें कि, 45 की उम्र वाली महिलाओं से जन्में बच्चे की हेल्दी होने की संभावना 1 फीसदी तक कम हो जाती है. साथ ही गर्भावस्था के समय महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज और हाइरपटेंशन का स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है. अधिक उम्र में गर्भवती होने वाली महिलाओं के लिए न सिर्फ कंसीव करना मुश्किल होता है बल्कि अगर महिला गर्भवती हो जाती है तब भी उसे हाई रिस्क ग्रुप में रखा जाता है. इसका कारण ये है कि 40 से 50 साल की उम्र में गर्भवती होने वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कई खतरों का सामना करना पड़ता है.

गर्भ धारण से जुड़े जोखिम और सुझाव बात रहीं हैं वरिष्ठ परामर्शी प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डॉ. मनीषा रंजन. जब आपकी उम्र बढ़ती जाती है तो आपको कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और इसलिये अतिरिक्त सावधान रहना और सबसे बेहतर संभावित परिणाम के लिये अतिरिक्त चीजें करना बेहद जरूरी है. बाँझपन की स्थिति में आप अपने एग्स को फ्रीज कर सकती हैं या फिर डॉक्टर्स या विशेषज्ञों की देखरेख में आईवीएफ जैसे अस्सिटेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजिस (एआरटी) का सहारा ले सकती हैं. वैसे, प्रजनन की दवाओं या उपचार की मदद के बिना 45 साल की उम्र के बाद माँ बनने की संभावना थोड़ी कम होती है.

45 साल की उम्र में बच्चे के बारे में विचार करना

हाइपरटेंशन, डायबिटीज और प्रसव से जुड़ी समस्याएं 40 की उम्र के बाद आम होती हैं. ये समस्याएं बेहद ही आम हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि आपको इनका सामना करना ही होगा. हालांकि, आपको 40 की उम्र के बाद प्रेग्नेंट होने के खतरों के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिये.

35 की उम्र के बाद, महिलाओं का प्रजनन दर कम होना शुरू हो जाता है. इसके परिणामस्वरूप, महिलाओं को निम्नलिखित जोखिमों के साथ प्रजनन संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है :

गर्भावस्था जनित डायबिटीज

गर्भवास्थाजनित डायबिटीज (मधुमेह) गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है, जो अब काफी आम होता जा रहा है. 20 से 34-35 वर्ष के उम्र की महिलाओं की तुलना में 40 से अधिक उम्र की महिलाओं को गर्भावस्थाजनित डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है. इसकी वजह से गर्भावस्था में मुश्किलें पेश आ सकती हैं.

क्रोमोसोमल असामान्यताएं

चूँकि, बढ़ती उम्र की महिलाओं में अंडों की संख्या कम हो जाती है, बाकी अंडों की क्वालिटी कम होने लगती है, जिसके परिणामस्वरूप डीएनए का स्तर कम होता जाता है. इसकी वजह से शिशुओं में क्रोमोसोमल असामान्यताएं हो सकती हैं, जिसकी वजह से वे डाउन सिंड्रोम जैसे मानसिक विकारों से ग्रसित हो सकते हैं.

मृत शिशु पैदा होने की आशंका

40 वर्ष से अधिक उम्र की गर्भवती महिलाओं में 35-39 साल की महिलाओं की अपेक्षा मृत शिशु के पैदा होने का खतरा अधिक होता है. अपने बच्चे के मूवमेंट पर नजर रखना बेहद जरूरी हो जाता है, खासकर यदि आप अपनी नियत तारीख को पार कर चुकी हैं. यदि आप महसूस करती हैं कि आपके बच्चे का मूवमेंट धीमा हो गया है, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर या प्रसूति इकाई से संपर्क करना चाहिये.

40 साल की उम्र के बाद, योनि मार्ग से प्रसव के दौरान मृत बच्चे के पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है. माँ और बच्चे दोनों को बचाने के लिये इस उम्र में सीजेरियन डिलीवरी तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

देरी से गर्भावस्था की अन्य समस्याओं में शामिल हैं :

  1. अस्वास्थ्यकर अंडे
  2. प्रीक्लेम्पसिया
  3. प्लेसेंटा के साथ जटिलता (जैसे कि प्लेसेंटा प्रिविया)
  4. समय से पहले प्रसव
  5. सी-सेक्शन की जरूरत
  6. नियत समय से पहले प्रसव पीड़ा होना
  7. जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे का जन्म
  8. एक्टोपिक गर्भाधान
  9. गर्भपात

45 साल की उम्र के बाद स्वस्थ गर्भधारण किस प्रकार हो सकता है?

किसी भी उम्र में एक सेहतमंद जीवनशैली बनाए से अच्छी प्रेग्ननेंसी सुनिश्चित हो सकती है. सही वजन बनाकर रखें, धूम्रपान और शराब का सेवन छोड़ दें, संतुलित आहार लें, प्रेग्नेंसी के पहले और उसके दौरान कैफीन लेने से बचें, प्रोसेस्ड फूड नहीं लें और रोजाना एक्सरसाइज करें.

जीवन, नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं से भरपूर है. कई सारी परेशानियों के बावजूद, 40 के बाद की उम्र में प्रेग्नेंट होना आम और सेहतमंद है. बड़ी उम्र में माँ बनना अच्छा और मुश्किल दोनों ही एक साथ हो सकता है. यदि आपने जीवन में देरी से बच्चा करने का फैसला किया है तो एक फर्टिलिटी डॉक्टर से बात करें, जो आपको कई सारी संभावनाओं के बारे में बता सकते हैं और सबसे सही विकल्प चुनने में आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं. प्रेग्नेंट होने से पहले अपने डॉक्टर से अपनी सेहत से जुड़ी कोई समस्या हो तो इसके बारे में अपनी आनुवंशिकी जाँच कराएं.

तो मम्मा आप तैयार हो जाइये, क्योंकि आप कर सकती हैं.

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको बेहतरीन देखभाल मिलती है, अच्छा खाना खाती हैं और एक सेहतमंद जीवनशैली जीती हैं और नौ महीनों तक अपना पूरा ध्यान रखती हैं और अपनी प्रेग्नेंसी में सबसे बढ़िया स्वास्थ्य के साथ कदम रखती हैं तो आपकी प्रेग्नेंसी परेशानीमुक्त होगी और आप एक हेल्दी डिलीवरी कर पाएंगी.

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बढ़ती उम्र और अबौर्शन का खतरा

कई अध्ययनों में यह साफ हो गया है कि जैसेजैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है क्रोमोसोम में खराबी आने से असामान्य अंडों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. परिणामस्वरूप गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है, साथ ही अबौर्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

कुछ महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता 20 या 30 साल में ही खराब हो जाती है तो कुछ की 43 साल की उम्र तक भी बरकरार रहती है. एक औसत महिला की अंडों की गुणवत्ता उम्र बढ़ने के साथ कम हो जाती है.

1. 40 की उम्र में अबौर्शन कितना सुरक्षित

40 तक आतेआते परिवार पूरी तरह सैटल हो जाता है और बच्चे भी बड़े हो जाते हैं. तब गर्भवती होने की खबर एक शौक के समान हो सकती है. ऐसे में अबौर्शन का निर्णय लेना जरूरी लेकिन कठिन हो जाता है. यह सही निर्णय होता है, पर आसान नहीं. 30 से 35 की उम्र में अबौर्शन कराने की तुलना में 40 पार के लोगों के लिए यह अधिक रिस्की होता है.

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2. बढ़ते अबौर्शन के मामले

स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि मातृत्व में देरी न करें, क्योंकि 30 की उम्र पार करने के बाद फर्टिलिटी कम हो जाती है. बहुत सारी महिलाएं यह मानने लगी हैं कि गर्भनिरोधक उपायों की अनदेखी करना सुरक्षित है, इसलिए उन की संख्या बढ़ती जा रही है जो 40 के बाद अबौर्शन कराती है. आईवीएफ के बढ़ते चलन ने भी इस धारणा को मजबूत किया है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता तेजी से कम होती है. 30 के बाद प्रजनन क्षमता कम हो जाती है, लेकिन इतनी कम भी नहीं हो जाती कि आप गर्भनिरोधक उपायों को नजरअंदाज कर दें.

3. बढ़ती उम्र और प्रजनन क्षमता

सच यह है कि महिलाओं की प्रजनन क्षमता तब तक समाप्त नहीं होती जब तक कि वे मेनोपौज की स्थिति तक नहीं पहुंच जातीं. जब लगातार 12 महीनों तक पीरियड्स न आएं तो समझ जाएं मेनोपौज हो गया है. 30 की उम्र पार करते ही गर्भधारण की दर धीरेधीरे कम होने लगती है.

35 से 40 वर्ष की आयु में यह और कम होने लगती है. 40 की उम्र पार करते ही इस गिरावट में तेजी आ जाती है. हालांकि 80% महिलाएं 40 से 43 साल की उम्र में भी गर्भवती हो सकती हैं. उम्र बढ़ने के साथ प्रजनन क्षमता कम होने का सब से प्रमुख कारण गहरे, कम गुणवत्ता वाले अंडे जिन का आकार अनियमित होता है.

4. कितनी सुरक्षित है आईवीएफ तकनीक

आईवीएफ की सफलता दर 30 की उम्र पार करने के बाद कम होने लगती है. 38 वर्ष के बाद इस में तेजी से गिरावट आती है. गर्भाशय की उम्र का इतना प्रभाव नहीं पड़ता है. इसलिए अगर आईवीएफ के द्वारा किसी युवा महिला के अंडों को पति के शुक्राणुओं से निषेचित कर के गर्भाशय में स्थापित किया जाए तो अबौर्शन की आशंका कम हो जाती है. सफल गर्भधारण में महिला के अंडे की उम्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

अगर आईवीएफ तकनीक में ऐसी महिला के अंडों का उपयोग किया जाए, जिस की उम्र 44 वर्ष से अधिक हो तो इस के सफल होने की संभावना केवल 1% होती है. लेकिन अगर एग डोनर की आयु 30 वर्ष से कम हो और अंडा प्राप्त करने वाली की 40 से अधिक तो सफल गर्भधारण की संभावना कई गुना बढ़ जाती है.

5. सुरक्षित अबौर्शन

90% अबौर्शन गर्भावस्था के 13 सप्ताह तक पहुंचने के पहले किए जाते हैं. अबौर्शन जितनी जल्दी से जल्दी कराया जाए उतना ही अच्छा होता है. कोई भी निर्णय लेने से पहले आप को सभी विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए. मैडिकल इमरजैंसी में ही अबौर्शन 24 सप्ताह के बाद किया जाता है.

आप कितने सप्ताह की गर्भवती हैं इस का पता लगाने के लिए आप को गणना आखिरी पीरियड के पहले दिन से करनी चाहिए. अगर आप को गर्भावस्था के स्पष्ट चरण के बारे में मालूम न हो तब आप को अल्ट्रासाउंड स्कैन कराना चाहिए.

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6. गर्भधारण से बचने के लिए क्या करें

गर्भधारण से बचने के सब से प्रचलित तरीकों में गर्भनिरोधक गोलियां, आईयूडीएस, कंडोम, क्रीम आदि प्रमुख हैं. विश्वभर में सब से अधिक महिलाएं गर्भधारण करने से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करती हैं. जो महिला स्वस्थ है, धूम्रपान नहीं करती उस का रक्तदाब सामान्य है और उसे हृदय से संबंधित किसी प्रकार की समस्या नहीं है तो वह 50 वर्ष की आयु तक भी गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर सकती है.

इस के अलावा ऐस्ट्रोजन बेस्ड बर्थ कंट्रोल विकल्प जिस में नुवा रिंग सम्मिलित है, यह वैजाइन में इंसर्ट की जाती है. यह डायफ्रौम की तरह 3 सप्ताह लगाई जाती है. 1 सप्ताह नहीं लगाई जाती है. आईयूडी मिरेगा, कौपर आईयूडी का उपयोग भी गर्भनिरोधक उपायों के रूप में लगातार बढ़ रहा है.

    -डा. नुपुर गुप्ता

कंसलटैंट ओब्स्टट्रिशियन, गुरुग्राम

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