जिद्दी बच्चे को बनाएं समझदार

कुछ दिन पहले हमारे घर मेहमान आए थे. साथ में उन का 6 साल का बेटा नंदन भी था. उस ने आइसक्रीम की मांग की जबकि वह जाड़े का मौसम था. मेरे मना करने पर उस ने गुस्से में खाने की मेज पर रखी कीमती प्लेटें तोड़ दीं और अपनी मां के आगे लोटलोट कर आइसक्रीम की जिद करने लगा. मु  झे उस की यह हरकत बहुत नागवार गुजरी. मेरा बच्चा होता तो मैं कब का उस की पिटाई कर देती, मगर वह मेहमान था, इसलिए चुप रह गई. मु  झे अचरज तो तब हुआ जब उस की इस तोड़फोड़ को शरारत मान कर उस की मां मुसकराती रही.

अचानक मेरे मुंह से निकल गया कि बच्चे को इतनी छूट नहीं देनी चाहिए कि वह अपनी जिद की वजह से तोड़फोड़ करने लगे या दूसरों के आगे शर्मिंदा करे.

तब मेरी रिश्तेदार ने प्यार से बच्चे को गोद में लेते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं बहनजी, मेरे इकलौते बच्चे ने कुछ तोड़ दिया तो क्या हुआ? हम आप के घर में ये प्लेटें भिजवा देंगे. इस के पापा अपने लाडले के लिए ही तो कमाते हैं.’’

उन की बात सुन कर मैं सम  झ गई कि बच्चे के जिद्दी होने का कुसूरवार वह बच्चा नहीं, बल्कि उस के मातापिता हैं, जिन्होंने उसे इतना सिर पर चढ़ा रखा है. दरअसल, हमारे समाज में ऐसे मातापिता भी होते हैं जिन के लिए अपने बच्चों से प्यारा कोई नहीं होता. गलती अपने बच्चे की हो, लेकिन उस के लिए अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से भी   झगड़ पड़ते हैं. जब मातापिता अपने बच्चे की हर उचितअनुचित मांग पूरी करते हों तो परिणाम यह होता है कि बच्चा जिद्दी हो जाता है. बच्चे को बिगाड़ने और जिद्दी बनाने में मातापिता की भूमिका सब से ज्यादा होती है. दरअसल, यह एक तरह से उन की परवरिश की असफलता का सूचक होता है.

ध्यान रखें

यहां उल्लेखनीय बात यह है कि ऐसे बच्चे जो बचपन से जिद्दी होते हैं आगे चल कर अपना स्वभाव नहीं बदल पाते. मातापिता प्यारदुलार में उन की जिद पूरी करते रहते हैं पर समाज उन्हें सहन नहीं कर पाता. ऐसे बच्चे बड़े हो कर क्रोधी और   झगड़ालू स्वभाव के हो जाते हैं. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आप के बच्चे का भविष्य खुशहाल रहे और जीवनभर व्यवहार कुशल बना रहे तो आप उसे जिद्दी बनने से रोकें.

मातापिता यह सोच कर कि बच्चा गुस्सा हो जाएगा, उस की मांग पूरी कर देते हैं. लेकिन फिर बच्चे को ऐसा ही करने के आदत लग जाती है. वह रो कर अथवा नाराजगी दिखा कर अपनी मांगों को मनवाना सीख जाता है. मान लीजिए आप बाजार से चौकलेट ले कर आते हैं. घर में 3 बच्चे हैं आप सभी को 1-1 चौकलेट देते हैं पर आप का बच्चा एक और चौकलेट मांगने लगता है और न मिलने पर गुस्सा हो कर एक कोने में बैठ जाता है. आप उसे खुश करने के लिए उस की मांग पूरी कर देते हैं. ऐसे में बच्चा मन ही मन में मुसकराता है क्योंकि वह आप की कमजोरी पकड़ लेता है और अपनी हर मांग पूरी कराने का उसे हथियार मिल जाता है. वह सम  झ जाता है कि आप उसे रोता हुआ नहीं देख सकते.

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बच्चों के जिद्दी होने की वजह

मातापिता का व्यवहार: अगर पेरैंट्स बच्चे के साथ सही से व्यवहार नहीं करते और उसे बातबात पर डांटतेफटकारते रहते हैं तो वह जिद्दी हो सकता है. अभिभावकों का बच्चे के साथ रिश्ता उस के दिमाग पर असर डालता है. बच्चे को नजरअंदाज करना और उस की बातों को अनसुना करना भी उसे जिद्दी बना सकता है. ऐसे में वह पेरैंट्स का ध्यान खींचने के लिए इस तरह की हरकतें करता है. यही नहीं पेरैंट्स द्वारा अपने बच्चे को हद से ज्यादा प्यार करना भी उसे जिद्दी बना देता है.

परिवेश: छोटे बच्चों के जिद्दी होने का कारण कोई शारीरिक समस्या, भूख लगना या फिर अपनी ओर सब का आर्कषण खींचने का मकसद हो सकता है. मगर बड़े होते बच्चे के जिद्दी होने के पीछे अकसर पारिवारिक परिवेश, ज्यादा लाड़प्यार, हर समय की डांटफटकार या फिर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव होता है.

शारीरिक शोषण: कई बार कुछ बच्चों को अपने जीवन में शारीरिक शोषण जैसी अप्रिय घटनाओं से गुजरना पड़ता है जिस बारे में उन के मातापिता को भी पता नहीं होता है. ऐसी घटनाओं का बच्चों के मन पर काफी बुरा असर पड़ता है. ऐसे बच्चे लोगों से कटने लगते हैं, चिड़चिड़े रहने लगते हैं और मातापिता की बातों को मानने से इनकार करना शुरू कर देते हैं. वे हर बात पर जिद करते हैं या फिर खामोश हो जाते हैं.

तनाव: बच्चों को स्कूल, दोस्तों या घर से मिलने वाला तनाव भी जिद्दी बनाता है. वे ऐसा व्यवहार करने लगते हैं कि उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है.

गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग: कभीकभी बच्चों के जिद्दी होने के पीछे मां का गर्भधारण करने के बाद सिगरेट और अलकोहल का सेवन करना भी वजह बन जाता है.

मातापिता को क्या करना चाहिए

दिल्ली में रहने वाली 36 साल की प्रिया गोयल बताती हैं, ‘‘पिछले दिनों मेरी एक सहेली अपने बेटे प्रत्यूष को ले कर मु  झ से मिलने मेरे घर आई. प्रत्यूष दिनभर मेरी बेटी की साइकिल चलाता रहा. लौटते समय वह साइकिल पर जम कर बैठ गया और उसे अपने घर ले जाने की जिद्द करने लगा. उस की मां ने थोड़ी सख्ती से काम लिया और उस से कहा कि वह बात नहीं मानेगा तो उसे अपने घर वापस नहीं ले जाएगी. बच्चे ने तुरंत साइकिल छोड़ दी और मां की गोद में आ गया.’’

बच्चा जिद्दी न बने इस के लिए कभीकभी हमें सख्ती भी करनी चाहिए. बचपन से ही बच्चों को आदत डलवाएं कि उन की हर जिद पूरी नहीं की जाएगी और वे न मानें तो उन्हें डांट भी पड़ सकती है.

सम  झना होगा जिद्दी बच्चों का मनोविज्ञान

पेरैंट्स के लिए यह जरूरी है कि वे अपने बच्चे को सम  झें. दरअसल, बच्चा पहले ही अपने मन में यह विचार कर लेता है कि अगर वह अपने पिता से इस बारे में बात करेगा तो उन का जवाब क्या होगा और मां से बोलेगा तो वे कैसी प्रतिक्रिया देंगी. बच्चा अपनी पिछली सारी हरकतों और उन के परिणाम के बारे में सोच कर ही नई हरकत करता है. ऐसे में मातापिता को भी पहले से सम  झ कर रिएक्शन देना होगा कि बच्चे को सही बातें कैसे सिखाएं. साधारण रूप में बच्चा मां के आगे ही जिद करता है या फिर मेहमानों के आगे भी वह जिद करने लगता है क्योंकि उन्हें पता होता है कि इस वक्त उस की जिद मान ली जाएगी.

ध्यान रखें आप को उस की गलत हरकतों पर ज्यादा नहीं चिल्लाना चाहिए खासकर दूसरों के सामने डांटनाडपटना या मारना नहीं चाहिए. आखिर उस की भी इज्जत है वरना वह आप को परेशान करने के लिए उस हरकत को दोहरा सकता है.

जिद्दी बच्चों को कैसे संभालें

येल यूनिवर्सिटी की सर्टिफाइड ऐक्सपर्ट सागरी गोंगाला के अनुसार जिद्दी बच्चे बहुत ज्यादा सैंसिटिव होते हैं. वे इस बात के प्रति बहुत सैंसिटिव होते कि आप उन्हें कैसे ट्रीट कर रहे हैं. इसलिए अपनी टोन, बौडी लैंग्वेज और शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दीजिए. आप से बात करते समय यदि वे कंफर्टेबल महसूस करेंगे तो उन का व्यवहार आप के प्रति अच्छा होगा. मगर कंफर्टेबल महसूस कराने के लिए कभीकभी उन के साथ फन ऐक्टिविटीज में भी शामिल हों.

उसे सुनें और संवाद स्थापित करें

अगर आप चाहते हैं कि आप का बच्चा आप की बात माने तो पहले आप उस की बात सुनें. ध्यान रखें एक जिद्दी बच्चे की सोच काफी मजबूत होती है. वह अपना पक्ष रखने के लिए बहस करना चाहता है. अगर उसे लगता है कि उस की बात सुनी नहीं जा रही तो उस की जिद और बढ़ जाती है. अगर बच्चा कुछ करने से मना कर रहा है तो पहले यह सम  झने का प्रयास करें कि वह ऐसा क्यों कह रहा है. हो सकता है उस की जिद सही हो.

अपने बच्चे के साथ कनैक्ट करें

अपने बच्चे पर कोई काम करने को दबाव न डालें. जब आप बच्चे पर दबाव डालते हैं तो एकदम से उस का विरोध और बढ़ जाता है और वह वही करता है जो वह करना चाहता है. सब से अच्छा है कि आप बच्चे को सम  झने का प्रयास करें. जब आप बच्चे को एहसास दिलाएंगे कि आप उस की केयर करते हैं, आप उस के बारे में सोच रहे हैं, वह जो चाहता है उसे पूरा कर रहे हैं तो वह भी आप की बात मानेगा.

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उसे औप्शन दें

आप सीधे अगर बच्चे को मना कर देंगे कि यह नहीं करना है या वैसा करने पर उसे सजा मिलेगी तो वह उस बात का विरोध करेगा. इस के विपरीत अगर आप उसे सम  झाते हुए औप्शन दें तो वह बात मानेगा. उदाहरण के लिए आप अपने बच्चे को अगर यह कहेंगे कि 9 बजे सो जाओ तो वह सीधा मना कर देगा. मगर यदि आप यह कहेंगे कि चलो सोने चलते हैं और आज तुम्हें शेर वाली कहानी सुननी है या राजकुमार वाली, बताओ तुम्हें कौन से कहानी सुननी है? ऐसे में बच्चा कभी भी मना नहीं करेगा, बल्कि आप के पास खुशीखुशी सोने आ जाएगा.

सही उदाहरण पेश करें

बच्चा जैसा देखता है वैसा ही करता है. इसलिए आप को यह सुनिश्चित करना होगा कि आप उसे सही माहौल दें. अगर आप घर के बड़ेबुजुर्ग पर किसी बात को ले कर चिल्ला रहे हैं तो आप का बच्चा भी वही सीखेगा. ऐसे में आप को जिद्दी बच्चे को संभालने के लिए अपने घर का माहौल ऐसा बनाना होगा जिस से वह सम  झ सके कि बड़ों की बातों को मानना चाहिए.

प्रशंसा करें

बच्चों को सिर्फ डांटने और नियमकायदे बताने की जगह अच्छे कामों के लिए उन की प्रशंसा भी करें. इस से उन का मनोबल बढ़ेगा और वे जिद्दी बनने के बजाय मेहनत करना सीखेंगे. मेहमानों और अन्य लोगों के सामने भी उन के बारे में अच्छा कहें. इस से वे आप के लिए जुड़ाव महसूस करेंगे.

जिद पूरी न करें: अकसर जिद पूरी होने के कारण बच्चे अधिक जिद्दी हो जाते हैं. बच्चों को यह एहसास दिलाएं कि उन की जिद हमेशा पूरी नहीं की जा सकती. अगर आप का बच्चा किसी दुकान में या किसी और के घर जा कर किसी खिलौने की मांग करता है और खिलौना न मिलने पर चीखनेचिल्लाने लगता है तो उस की ओर ध्यान ही न दें. इस से बच्चे को यह सम  झ आ जाएगा कि उस की जिद से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला है.

कभीकभी सजा भी दें

बच्चों को अनुशासित रखने के लिए नियम बनाने की बहुत जरूरत होती है. अगर वे कुछ गलत करते हैं या जिद करते हुए उलटासीधा व्यवहार करते हैं तो उन्हें सजा देने से न चूकें. आप उन्हें पहले से ही बता दें कि अगर ऐसा किया तो इस तरह के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. जैसे मान लीजिए कि बच्चा सोने के समय टीवी देखने की जिद कर रहा है तो उसे पता होना चाहिए कि ऐसा करने पर उसे कई दिनों तक टीवी में पसंदीदा प्रोग्राम देखने को नहीं मिलेगा. बच्चे को सजा देने का मतलब यह नहीं है कि आप उस पर चिल्लाएं या उस की पिटाई करें, बल्कि उसे किसी चीज या सुविधा से वंचित कर के भी आप उसे सजा दे सकते हैं.

  बच्चों की अलगअलग तरह की जिद

अगर बच्चों की एक जिद पूरी हो जाती है तो वे दूसरी जिद करने लगते हैं. जब मातापिता इसे भी पूरी कर देते हैं तो वे तीसरी जिद पकड़ कर बैठ जाते हैं यानी बच्चों की जिद का अंत नहीं होता. जिद कई चीजों को ले कर हो सकती है. उन्हें कैसे टैकल करना है यह सम  झना जरूरी है.

मोबाइल की जिद: बच्चे अकसर बड़ों को मोबाइल इस्तेमाल करते देख उस की मांग करने लगते हैं. ऐसे में आप को बच्चों को सम  झाना चाहिए कि यह उन के काम की चीज नहीं है. अगर वे रोने और चिल्लाने लगें तो भी उन्हें मोबाइल न दें. इस से वे सम  झ जाएंगे कि उन के रोने और चिल्लाने से उन्हें मोबाइल नहीं मिलने वाला. अगर आप उन की जिद पूरी करने के लिए उन्हें कुछ देर के लिए मोबाइल दे देंगे तो इस से उन की जिद करने की आदत और बढ़ जाएगी. कई मातापिता बच्चों को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल पकड़ा देते हैं. ऐसे में स्वाभाविक है कि थोड़े बड़े होते ही वे अपने लिए एक अलग और बढि़या मोबाइल खरीदने की जिद करने लगते हैं.

जंक फूड खाने की जिद: बच्चे अकसर घर का खाना खाने में नखरे दिखाते हैं और रैस्टोरैंट से कुछ अच्छा या जंक फूड मंगाने की जिद करने लगते हैं. ऐसे में आप उन्हें अपने साथ बैठा कर थोड़ाथोड़ा घर का बना खाना खिलाने की आदत डालें. उन्हें हरी सब्जियां और पौष्टिक खाना खिलाएं. किचन में ऐक्सपैरिमैंट करें. इस से वे जिद करना कम कर देंगे और घर का बना खाना भी स्वाद से खाना सीख जाएंगे.

अधिक जेबखर्च की जिद: कभी चौकलेट, कभी पिज्जा, कभी आइसक्रीम तो कभी कुरकुरे खाने के लिए बच्चे अकसर पैसों की जिद करते हैं. आप उन की इस जिद को भूल कर भी पूरा न करें. यह जिद उन्हें कई बुरी आदतों की ओर धकेल सकती है. कोशिश करें कि बच्चों को पैसा देने की जगह लंच में कुछ स्वादिष्ठ चीजें पैक कर दें ताकि उन्हें जेब खर्च की जरूरत न पड़े.

नए खिलौने या गैजेट्स की जिद: पासपड़ोस के बच्चों के पास या टीवी में आने वाले विज्ञापनों को देख कर बच्चे अकसर नए खिलौने या गैजेट्स खरीदने की जिद करते हैं. ऐसे में आप उन्हें इन चीजों के बजाय उन के दिमागी विकास और पढ़ाई से संबंधित चीजें या किताबें ला कर दे सकते हैं. शतरंज, बैडमिंटन जैसे स्पोर्ट्स खेलने को प्रोत्साहित कर सकते हैं.

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पढ़ाई न करने की जिद: अकसर बच्चे अपने होम वर्क से भागने की कोशिश करते हैं और न पढ़ने के लिए बहाने बनाते हैं. बहाने नहीं माने जाएं तो वे जिद पर बैठ जाते हैं कि आज पढ़ना ही नहीं है. ऐसे में आप को बैठ कर सम  झना चाहिए कि आखिर वे पढ़ाई से जी क्यों चुरा रहे हैं. उन्हें अगर क्लास में कुछ सम  झने में दिक्कत आई है तो आप उन्हें सम  झा कर उन की समस्या का समाधान कर सकते हैं.

  जिद्दी बच्चे प्रोफैशनल लाइफ में हो सकते हैं ज्यादा सक्सैसफुल

बच्चों के जिद्दी स्वभाव और भविष्य में कैरियर के क्षेत्र में उन की परफौर्मैंस में कोई संबंध है या नहीं इस संदर्भ में 2015 में एक अध्ययन किया गया. यह अध्ययन ‘नैशनल लाइब्रेरी औफ मैडिसिन’ में पब्लिश किया गया था. इस के मुताबिक जिद्दी बच्चे भविष्य में ज्यादा सफल होते हैं. जो बच्चे कम उम्र में नियमों को तोड़ने में माहिर होते हैं वे बड़े हो कर पैसे भी उतना ही ज्यादा कमाते हैं और अपने दोस्तों के मुकाबले ज्यादा सफल होते हैं. यानी जिद्दी स्वभाव उन का एक सकारात्मक गुण माना जा सकता है.

शोधकर्ताओं ने 742 बच्चों पर अध्ययन किया. ये 8 से 12 वर्ष की उम्र के थे. उन के कुछ स्वाभाविक गुणों को देखा गया जैसे वे पढ़ाई में कितने गंभीर हैं, उन की कर्तव्यनिष्ठा, योग्यता और टीचर या पेरैंट्स की बात मानने की आदत आदि को ध्यान में रखा गया. जब 40 साल बाद शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि वे अब कहां पहुंचे और क्या बने तो एक बहुत ही आश्चर्यजनक ट्रैंड उभर कर सामने आया.

अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे बचपन में पेरैंट्स और टीचर की आज्ञा नहीं मानते थे, उन की बातों और नियमों का उल्लंघन करते थे और बहस करते थे, वे बड़े हो कर ज्यादा सफल और संपन्न जिंदगी जी रहे हैं. दूसरों के मुकाबले उन की सैलरी भी काफी अच्छी है.

दरअसल, जिद्दी बच्चों के अंदर कुछ विशेषताएं ऐसी होती हैं जो उन्हें खास बनाती हैं. मसलन वे कभी गिव अप नहीं करते, सामने परिस्थिति कितनी ही कठिन क्यों न हो वे अपनी बात पर टिके रहते हैं और कभी कुछ करने की ठान लें तो कर के गुजरते हैं. उन के अंदर हौसला और साहस कूटकूट कर भरा होता है. वे खुद से हर बात सीखने की कोशिश करते हैं. अगर उन्हें लगता है कि वे सही हैं तो अपनी बात मनवाने के लिए किसी से भी उल  झ पड़ते हैं. ये विशेषताएं प्रोफैशनल लाइफ में सफल होने में उन की मददगार बनती हैं.

मगर बात जब सामान्य जीवन की आती है तो कोई नहीं चाहता कि उन का बच्चा जिद्दी या क्रोधी स्वभाव का हो क्योंकि जिद करने की आदत कई बार बच्चे के साथसाथ उस के पेरैंट्स के लिए भी भारी पड़ जाती है. अकसर बच्चे अपनी बात मनवाने के लिए पेरैंट्स से जिद करते हैं. कई बार जब उन की बात नहीं मानी जाती तो वे रूठ जाते हैं और बातचीत बंद कर देते हैं. कुछ बच्चे विद्रोही भी हो जाते हैं. यह स्थिति किसी भी मातापिता के लिए असहनीय होती है.

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