प्रेग्‍नेंसी में न होने दें प्रोटीन की कमी

प्रेगनेंट महिलाओं को अधिक पोषण की जरूरत होती है और इस दौरान उन्‍हें प्रोटीन समेत कई पोषक तत्‍व लेने बहुत जरूरी होते हैं ताकि शिशु का सही विकास हो सके.

गर्भावस्‍था के नौ महीनों के दौरान भ्रूण के विकास के लिए रोजाना 75 ग्राम से 100 ग्राम तक प्रोटीन लेना होता है. प्रेग्‍नेंसी में गर्भाशय के ऊतकों के विकास के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है. इस के अलावा भी गर्भावस्‍था में प्रोटीन युक्‍त आहार लेने से कई फायदे होते हैं

प्रोटीन युक्‍त आहार

आप दूध से बने उत्‍पादों से प्रोटीन ले सकती हैं. दही, अंडा, दूध, चीज और पनीर को अपने भोजन में शामिल करें. इस के अलावा सूखे मेवों और बीजों में भी प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है. पिस्‍ता, नारियल और बादाम का नियमित इस्तेमाल करें, सूरजमुखी के बीजों, तिल के बीजों और कद्दू के बीजों में भी प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है.

छोले, दालें, सोया से बने उत्‍पाद और राजमा को भी अपने भोजन में शामिल करें. प्रोटीन के लिए नाश्‍ते में ओट्स लें. प्रोटीनयुक्‍त आहार से ब्‍लड शुगर का लैवल ठीक रहता है और शरीर को ऐनर्जी भी मिलती है. दो चम्‍मच पीनट बटर से 7 ग्राम प्रोटीन मिलता है.

प्रोटीन का है ये काम

प्रोटीन बॉडी में टिश्यू रिपेयर करने, हार्मोन बनाने, जरूरी बॉडी केमिकल बनाने और हड्डियों, त्वचा और ब्लड के लिए ब्लॉक बनाने का काम करता है.

पत्ता गोभी

पत्ता गोभी को सलाद और सब्जी दोनों तरह से खाया जा सकता है. प्रोटीन के अच्छे स्रोत खाद्य पदार्थों में यह भी खास स्थान रखती है.

​पालक

प्रोटीन से भरपूर सब्जियों में पालक भी प्रमुख स्थान रखता है. आप इसे जूस के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

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​हरी मटर

आप हरी मटर का सूप बना कर भी पी सकते हैं. इस से भी आप के शरीर को काफी मात्रा में प्रोटीन की पूर्ति होगी.

मशरूम

मशरूम की सब्जी अकसर हर घर में बनती है. प्रोटीन की पूर्ति के लिए मशरूम भी बहुत बढ़िया विकल्प हो सकता है.

​केल

प्रोटीन से भरपूर सब्जियों के मामले में केल को सब से पहली गिना जाता है. इस की पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं. इस में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है.

​​ब्रोकली

प्रोटीन से भरपूर होने के साथसाथ ब्रोकली में हमारे शरीर के लिए जरूरी कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं.

​आलू

आलू ज्यादातर घरों में रोजाना खाया जाता है.. एक आलू में लगभग 5 से 10 ग्राम प्रोटीन की मात्रा हो सकती है.

​शतावरी

शतावरी भी हरी सब्जियों में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत मानी जाती है. कई लोग इसे फ्राई कर के भी खाते हैं.

आर्टिचोक

आर्टिचोक, प्रोटीन से भरपूर सब्जियों में खास स्थान रखती है. इसे फ्राई कर के बटर सॉस के साथ भी खाया जा सकता है.

क्‍या गर्भावस्‍था में प्रोटीन सप्‍लीमेंट ले सकते हैं

आहार से प्रोटीन लेने के अलावा प्रेगनेंट महिलाएं सप्‍लीमेंट से भी शरीर में प्रोटीन की पूर्ति कर सकती है. प्रेग्‍नेंसी में जिन पोषक तत्‍वों की सब से ज्‍यादा जरूरत होती है, सप्‍लीमेंट्स से उन की पूर्ति की जाती है. मॉर्निंग सिकनेस और पाचन संबंधी समस्‍याओं से छुटकारा पाने का ये आसान तरीका है.

हालांकि प्रेग्‍नेंसी में महिलाओं को डॉक्‍टर के परामर्श के बाद ही कोई सप्‍लीमेंट खाने चाहिए.

गर्भावस्‍था की तीसरी तिमाही में प्रोटीन

प्रेग्‍नेंसी की तीसरी तिमाही में महिलाओं को प्रोटीन की सब से ज्‍यादा जरूरत होती है. इस दौरान शिशु के मस्तिष्‍क का विकास तेजी से हो रहा होता है, इसलिए प्रोटीन की ज्यादा जरूरत पड़ती है.मछली, अंडे और मीट से सब से ज्‍यादा प्रोटीन मिलता है, इसलिए इस समय इन चीजों का सेवन अधिक करें.

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शरीर में प्रोटीन की जरूरत

प्रोटीन हमारी बॉडी के लगभग हर हिस्से के लिए जरूरी होता है. यह हमारी स्किन सेल्स और बॉडी सेल्स के निर्माण में तो मदद करता ही है साथ ही, मेमॉरी सेव करने और डायजेशन को दुरुस्त रखने में भी मदद करता है.

ऐसे बनता है प्रोटीन

प्रोटीन अमीनो एसिड से बनता है. अमीनो एसिड 20 तरह के होते है, जो हमें फ्रूट्स, वेजिटेबल्स, एग्स, मीट, आदि से मिलते हैं. दालें और ड्राइफ्रूट्स भी प्रोटीन से भरपूर होते हैं. इसलिए इन का हमारी डेली डायट में शामिल होना बेहद जरूरी है.

प्रोटीन का निर्माण अलगअलग तरह के अमीनो एसिड्स से मिल कर होता है. ये अलगअलग तरह के अमीनो एसिड्स अलगअलग तरह का प्रोटीन बनाते हैं यानी प्रोटीन भी किसी एक प्रकार का नहीं होता, इस के भी कई टाइप होते हैं, जो हमें अलगअलग फूड्स के जरिए मिलते हैं.

प्रोटीन हमारे शरीर में क्या काम करता है?

प्रोटीन हमारे शरीर में मैसेंजर की तरह काम करता है. यह शरीर में आने वाले वायरस और बैक्टीरिया को पहचानने वाली सेल्स के निर्माण से ले कर इम्युनिटी सेल्स तक इन वायरस के अटैक की जानकारी पहुंचाने तक हर क्रिया में शामिल होता है.

प्रोटीन हमारी याददाश्त को बनाए रखने में मदद करता है जैसा हम ने ऊपर बताया कि प्रोटीन कई प्रकार का होता है और शरीर के अलगअलग हिस्सों में यह अलग तरह से काम करता है. बात जब ब्रेन की आती है तो प्रोटीन मेमरी स्टोरेज में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है.

प्रोटीन हमारे पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए रखता है. इस से हमारा पेट साफ रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. खासतौर पर एक नवजात बच्चे के लिए मां का पहला दूध जीवनदायिनी औषधि की तरह होता है, क्योंकि यह दूध प्रोटीन से भरपूर होता है, जो नवजात शिशु के शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता देता है.

प्रोटीन रिच फूड्स

उपरोक्त खाद्य पदार्थों के अलावा कुछ ऐसे फूड्स हैं, जो हमारे शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करते हैं. इन्हें कितनी मात्रा में डेली डायट का हिस्सा बना कर हम कितना प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं यहां जानें…

-एक कप दूध में 8 ग्राम प्रोटीन होता है.
-1 अंडे में 6 ग्राम प्रोटीन होता है.
-1 कप योगर्ट में 9 ग्राम प्रोटीन होता है।
-2 चम्मच पीनट्स बटर में 8 ग्राम प्रोटीन , 4 से 5 बादाम में करीब 7 ग्राम प्रोटीन होता है.
-100 ग्राम चिकन में 25 ग्राम प्रोटीन होता है. वाइट ब्रेड की 2 स्लाइस में 5 ग्राम प्रोटीन होता है.
-100 ग्राम मछली में 20 ग्राम प्रोटीन होता है.

हर दिन कितना प्रोटीन चाहिए

महिलाओं में ९20 से 70 साल की उम्र में 45 से 50 ग्राम प्रोटीन प्रतिदिन चाहिए होता है. जबकि पुरुषों को हर दिन 55 से 60 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. बच्चों में प्रोटीन की सब से अधिक जरूरत होती है. इन में 3 साल की उम्र से 20 साल की उम्र तक 15 से 45 और 50 ग्राम तक प्रोटीन की जरूरत होती है, जो इन की उम्र के अनुसार निर्धारित होती है. साथ ही दिमाग में यह बात जरूर रखें कि बच्चा जो डायट ले रहा है, उस डायट का 10 से 20 प्रतिशत प्रोटीन रिच होना चाहिए.

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इन लोगों को होती है अधिक प्रोटीन की जरूरत

कुछ लोगों में सामान्य लोगों से अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है. इन में खासतौर पर गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चे और जिन लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वे लोग शामिल हैं. इन्हें प्रोटीन की सही मात्रा में और सब से अधिक जरूरत होती है.

बच्चों में एक खास बीमारी होती है जिसे क्वाशिऑरकोर (Kwashiokor) कहते हैं. यह बच्चों की ऐसी बीमारी है, जो मुख्य रूप से प्रोटीन की कमी के कारण होती है. ऐसे बच्चे बेहद दुबलेपतले होते हैं, लेकिन इन का पेट निकला होता है.

*क्वाशिऑरकोर बीमारी के शिकार बच्चों में हाथपैर में सूजन होती है.इन्हें डायरिया हो जाता है और ऐसे बच्चे आमतौर पर गुमसुम रहते हैं.

*बच्चों में प्रोटीन की कमी के कारण मेंटल रिटार्डेशन भी हो सकता है. इसलिए बच्चों की डायट प्रोटीन रिच होनी बेहद जरूरी है. अगर यहां बताए गए लक्षणों में कोई भी दिक्कत आपको बच्चे में नजर आती है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं साथ ही प्रोटीन रिच डायट के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें.

इन बीमारियों में नहीं लेनी चाहिए प्रोटीन डायट

-जिन लोगों को प्रोटीन से एलर्जी होती है, उन्हें ऐसी डायट लेने से बचना चाहिए.

-क्रॉनिक किडनी डिजीज से गुजर रहे मरीजों को प्रोटीन रिच डायट नहीं लेनी चाहिए.

-अगर बच्चे को फिनायलकिटोन्यूरिया (Phenylketonuria)नामक बीमारी है तो भी बच्चे को प्रोटीन डायट नहीं देनी चाहिए.

प्रोटीन की कमी से हो सकती हैं ये बीमारियां

* प्रोटीन की कमी के कारण हमें जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में अकड़न, जल्दी थकान जैसी शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं. कई अन्य बीमारियां भी घेर सकती हैं.

* अगर प्रोटीन की कमी बहुत अधिक हो जाती है तो शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है. साथ ही खून में वाइट ब्लड सेल्स की कमी भी हो सकती है. इस से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.

* रूखे बेजान बाल, नाखून और त्वचा में रूखापन, बारबार बीमार पड़ना. किसी दर्द का बना रहना. ये सभी दिक्कतें प्रोटीन की कमी के कारण होती हैं.

* अगर हमारे खाने में प्रोटीन की कमी होती है तो हमारा ब्रेन भी सही प्रकार से काम नहीं कर पाता है, क्योंकि ब्रेन में एक हिस्सा प्रोटीन से निर्मित होता है, जो मेमॉरी स्टोरेज की तरह काम करता है. प्रोटीन डायट के अभाव में हमारी याददाश्त कमजोर हो सकती है.

* शरीर में प्रोटीन की कमी होने पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. सिर्फ कैल्शियम ही नहीं बल्कि मजबूत हड्डियों के लिए प्रोटीन की भी जरूरत होती है. क्योंकि यह हड्डियों को मजबूती देने का काम करता है. प्रोटीन से बोन्स का वॉल्यूम बना रहता है.

प्रोटीन की कमी

यदि आप गर्भावस्‍था में पर्याप्‍त मात्रा में प्रोटीन नहीं लेती हैं तो इस की वजह से वजन कम होने, बारबार संक्रमण और मांसपेशियों में थकान महसूस होती है.

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इस के अलावा सूजन, बारबार मूड बदलना, कमजोरी और भूख लगना भी प्रोटीन की कमी के संकेत होते हैं. अगर ये संकेत मिल रहे हैं तो डॉक्‍टर से बात कर के अपनी डायट में प्रोटीन युक्‍त आहार की मात्रा बढ़ा दें.

* प्रोटीन की कमी का कोई भी लक्षण दिख रहा है तो डॉक्‍टर से बात करें. आप को प्रेग्‍नेंसी के किसी भी महीने या तिमाही में प्रोटीन की कमी हो सकती है. हर महीने गर्भस्‍थ शिशु के विकास पर नजर रखें और अपनी रोजाना की डायट में प्रोटीन को शामिल करें.

अगर आप शाकाहारी हैं तो सोया से बनी उत्‍पादों, बींस, नट्स, दालों और दूध से बने उत्‍पादों से अपनी प्रोटीन की जरूरत को पूरा करें.

आप को यह बात समझनी चाहिए कि गर्भावस्‍था में आप को अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने शिशु के लिए भी खाना है, इसलिए जितना हो सके अपने आहार में पौष्टिक चीजों को शामिल करें.

प्रोटीन सप्लिमैंट से जुड़े मिथ के बारे में भी जानना है जरूरी

प्रोटीन सप्लिमैंट को ले कर बहुत से मिथ हैं, जिन की वजह से लोग इन का सेवन करने से घबराते हैं. आइए फिटनैस ऐक्सपर्ट संकल्प (गुडवेज फिटनैस) से जानें कि क्या प्रोटीन  सप्लिमैंट लेना वाकई खतरनाक हो सकता है?

मिथ: प्रोटीन सप्लिमैंट से वजन बढ़ता है.

सच्चाई: असल में प्रोटीन, प्रोटीन शेक, स्मूथी वजन को कम करने और दुबला बनाने में मदद करते हैं. आप के पेट की चरबी तेजी से कम करते हैं. जब आप किसी भी रूप में प्रोटीन का सेवन करते हैं तो आप को अपना पेट भरा हुआ महसूस होता है. प्रोटीन लेने के बाद आप लंबे समय तक भोजन किए बिना रह सकते हैं और बहुत कम कैलोरी खाते हैं. यह आप के वजन घटाने के पीछे की महत्त्वपूर्ण वजह बनती है. लेकिन प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में लेने पर उलटा असर भी पड़ सकता है.

 

मिथ: प्रोटीन सप्लिमैंट लेने से हड्डियां कमजोर होती हैं.

सच्चाई: जो लोग सही मात्रा में प्रोटीन खाते हैं वे उम्र के अनुसार हड्डियों पर मांस को बेहतर बनाए रखते हैं और उन्हें औस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा बहुत कम होता है. यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, जो मेनोपौज के बाद औस्टियोपोरोसिस के हाई रिस्क पर होती हैं. भरपूर मात्रा में प्रोटीन का सेवन करना और सक्रिय रहना एक अच्छा तरीका है.

मिथ: प्रोटीन सप्लिमैंट का सेवन किडनी के लिए हानिकारक है.

सच्चाई: बहुत से लोगों का मानना है कि हाई प्रोटीन का सेवन किडनियों को नुकसान पहुंचाता है. यह बात सही है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि उच्च प्रोटीन सप्लिमैंट का सेवन किडनियों की समस्याओं वाले व्यक्तियों को नुकसान पहुंचा सकता है, मगर स्वस्थ किडनियों वाले लोगों के लिए इस से कोई संबंध नहीं है. जरूरी है कि प्रोटीन सप्लिमैंट लेने के साथ भरपूर मात्रा में पानी पीया जाए ताकि किडनियों पर लोड न पड़े, साथ ही बाकी शरीर पर भी कोई हानिकारक प्रभाव न पड़े.

मिथ: प्रोटीन सप्लिमैंट मुख्य रूप से पशु प्रोटीन होता है.

सच्चाई: प्रोटीन सप्लिमैंट केवल ऐनिमल बेस्ड प्रोडक्ट्स में ही होता है, यह सोचना गलत है, क्योंकि बाजार में प्लांट प्रोटीन भी पाउडर की फौर्म में मिलते हैं जो शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करते हैं. जो लोग शुद्ध शाकाहारी हैं वे प्लांट बेस्ड प्रोटीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. प्रोटीन शुद्ध शाकाहारियों के लिए अच्छा है जो अपने प्रोटीन को अपनी डाइट में शामिल नहीं कर पाते.

आप घर पर भी प्लांट प्रोटीन बना सकते हैं. कुछ नट्स मिला कर पीस कर प्रोटीन तैयार कर सकते हैं. बाजार में सोया प्रोटीन पाउडर भी मिलता है, जो पूरी तरह से नैचुरल और प्लांट बेस्ड होता है. वैसे शाकाहारी बनने का जनून भी निरर्थक है. हम सब दूध पीते हैं जो शाकाहारी नहीं है. बहुत चीजों में जानवरों की चरबी इस्तेमाल होती है. कई कौस्मैटिक उत्पादों में जानवरों के भीतर से निकली चीजें डाली जाती हैं. यह धार्मिक अंधविश्वास है कि शुद्ध शाकाहारी होना हिंदूपने की निशानी है.

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मिथ: प्रोटीन लेने से हमारा पाचन खराब होता है.

सच्चाई: कुछ लोगों को व्हे प्रोटीन को पचाने में समस्या होती है और सूजन, गैस व दस्त जैसे लक्षण महसूस होते हैं. लेकिन इन में से ज्यादातर दुष्प्रभाव लैक्टोज इन्टौलेरैंस से संबंधित हैं. व्हे प्रोटीन में लैक्टोज मुख्य कार्ब है. जो लोग लैक्टोज इन्टौलरैंट हैं वे ऐंजाइम लैक्टोज का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाते जिस की आवश्यकता शरीर को लैक्टोज को पचाने के लिए होती है. यदि आप लैक्टोज इन्टौलरैंट हैं तो व्हे प्रोटीन का आइसोलेट पाउडर ले सकते हैं.

मिथ: जितना ज्यादा प्रोटीन उतना बेहतर.

सच्चाई: कुछ लोगों का मानना है कि वे जितना ज्यादा प्रोटीन अपने भोजन में शामिल करेंगे उन के लिए उतना ही अच्छा होगा. मगर ऐसा बिलकुल नहीं है. प्रोटीन हमें अपने शरीर के अनुसार निर्धारित मात्रा में ही लेना चाहिए. जैसे 0.5 से 0.8 ग्राम उस व्यक्ति के लिए पर्याप्त है,

जिसे शारीरिक रूप से बहुत कम काम करना होता है. 1 से 1.5 ग्राम ऐथलीट्स के लिए पर्याप्त है, जो बहुत मेहनत का काम करते हैं.

कब और कितना लें प्रोटीन सप्लिमैंट

आज हैल्थ बनाने के लिए लोग भरपूर मात्रा में प्रोटीन बार, प्रोटीन शेक, प्रोटीन बौल्स वगैरह खाते हैं. आजकल बाजार में कई तरह के प्रोटीन पाउडर व सप्लिमैंट्स उपलब्ध हैं. सेहत को ले कर जागरूक होने को लोग यह मानते हैं कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन लेना चाहिए. लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि प्रोटीन सप्लिमैंट्स का सेवन कितना व किस तरीके से करना चाहिए. प्रोटीन ज्यादा खाना किस तरह नुकसानदेह हो सकता है.

क्या होता है प्रोटीन 

प्रोटीन हमारे शरीर के लिए जरूरी  मैक्रोन्यूट्रिऐंट्स में से एक है. इस के अलावा 2 अन्य मैक्रोन्यूट्रिऐंट्स फैट और कार्बोहाइड्रेट हैं. प्रोटीन एक ऐसा मैक्रोन्यूट्रिऐंट है, जो हमारे मसल मास के निर्माण के लिए आवश्यक है. प्रोटीन हमारे शरीर के विकास और मरम्मत के लिए जरूरी है. ज्यादा प्रोेटीन वाली चीजें जैसे दूध से बने पदार्थ, मांस, अंडे, मछली और दालें शरीर बनाने के लिए आवश्यक हैं. जब हम ऐसी चीजें खाते हैं तो हमारे पेट में इन्हें अमीनो ऐसिड में तोड़ने का काम छोटी आंत करती है. यहां से अमीनो ऐसिड हमारे लिवर तक पहुंचता है. लिवर यह तय करता है कि हमारे शरीर के लिए जरूरी अमीनो ऐसिड कौन सा है. उसे अलग कर बाकी को शरीर मूत्र के जरीए बाहर निकाल देता है.

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कितना लेना चाहिए

जो वयस्क ज्यादा दौड़भाग या मेहनत का काम नहीं करते उन्हें अपने शरीर के प्रति किलोग्राम वजन के लिए रोजाना करीब 0.75 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए. औसतन यह मात्रा पुरुषों के लिए 55 ग्राम और महिलाओं के लिए 45 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से सही रहती है.बौडी बिल्डिंग और मांसपेशियों के विकास के लिए अधिक प्रोटीन जरूरी है. ज्यादा व्यायाम करने से मांसपेशियों में मौजूद प्रोेटीन टूटने लगता है. ऐसे में मांसपेशियों को ताकतवर बनाने के लिए प्रोटीन ज्यादा मात्रा में लेना होता है ताकि लगातार मसल्स की मरम्मत होती रहे. इस कार्य में प्रोटीन में पाया जाने वाला ल्यूसिन नाम का अमीनो ऐसिड बहुत मददगार होता है.बुजुर्गों को भी खानपान के अलावा सप्लिमैंट के तौर पर भी प्रोटीन लेने की जरूरत होती है. उन्हें अपने वजन के प्रति किलोग्राम के हिसाब से 1.2 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है.

वजन घटाने में मददगार

एबरडीन यूनिवर्सिटी की ऐलैक्स जौंस्टन कहती हैं कि अपने खाने में कार्बोहाइड्रेट घटा कर और प्रोटीन भरा खानपान बढ़ा कर आप आसानी से वजन घटा सकते हैं यानी ऐसा खाना खाना चाहिए जिस में 30% प्रोटीन, 40% कार्बोहाइड्रेट और 30% फैट हो. इस से वजन घटाने में काफी मदद मिलती है. औसत खानपान में 15% प्रोटीन, 55% कोर्बोहाइड्रेट और 35% फैट होता है.जरूरी प्रोटीन पूरी मात्रा में न लेने से बाल झड़ने लगते हैं, त्वचा फटने लगती है. वजन और मांसपेशियां घटने की भी शिकायतें हो सकती हैं.

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प्रोटीन सप्लिमैंट्स के फायदे

प्रोटीन सप्लिमैंट्स पोषण से भरपूर होते हैं जो हमें स्वस्थ और रोगमुक्त रखते हैं. हमें खराब कोलैस्ट्रौल, रक्तचाप और हृदय रोगों से दूर रखते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं.आप जब प्रोटीन सप्लिमैंट के साथ दिन की शुरुआत करते हैं तो अपनेआप को दिन के बाकी कामों के लिए आसानी से चार्ज कर लेते हैं. प्रोटीन से आप का ऐनर्जी लैवल बढ़ता है. आप कभी काम के अधिक बोझ से थका महसूस नहीं करते हैं.प्रोटीन मांसपेशियों को बढ़ाता है और शरीर से फैट कम करता है. प्रोटीन शरीर और मस्तिष्क को ध्यान केंद्रित करने के लिए अधिक शक्ति प्रदान करता है. दुबली मांसपेशियों की क्षति को रोकता है. शरीर को टिशूज के बढ़ने और रखरखाव के लिए भी प्रोटीन की आवश्यकता होती है.

वजन कम करने के लिए इन चीजों को करें अपनी डाइट में शामिल

कब हमारा वजन बढ़ने लगता है हमें पता नहीं लगता, जब तक एहसास होता है देरी हो चुकी होती है और इसके बाद वजम कम करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी डाइट पर खासा ध्यान दें. वजन कम करने में शरीर के मेटाबौलिज्म की भूमिका अहम होती है. जिन लोगों के शरीर की मेटाबौलिज्म अच्छी होती है उनका वजन जल्दी कम होता है. इसके अलावा वजन कम करने में डाइट का काफी अहम योगदान होता है, इसलिए अपनी डाइट में सही मात्रा में न्यूट्रिएंट्स को शामिल करें.

आमतौर पर लोग वजन कम करने के लिए प्रोटीन का इस्तेमाल करते हैं. प्रोटीन से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. पर इस खबर में हम आपको प्रोटीन के अलावा और भी न्यूट्रिएंट्स के बारे में बताएंगे जिनको अपनी डाइट में शामिल कर आप अपना वजन कम कर सकती हैं.

कैल्शियम

हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ साथ कैल्शियम वजन घटाने में भी काफ मददगार होता है. कई स्टडीज में ये बात सामने आई कि कैल्शियमयुक्त डाइट लेने से वजन बढ़ने का खतरा कम रहता है.

फाइबर

वजन कम करने के लिए फाइबर का इस्तेमाल बेहद जरूरी है. फाइबर दो तरह के होते हैं, सौल्यूबल और इनसौल्यूबल, ये दोनों ही सेहत के लिए जरूरी होते हैं. इसके सेवन से हार्मोन्स बैलेंस्ड रहते हैं. फाइबर के डाइजेशन में काफी वक्त लगता है जिसके कारण लंबे समय तक आपको भूख नहीं लगती है. इससे आप अधिक खाना नहीं खाते और आपका वजन कंट्रोल में रहता है.

ओमेगा-3 फैटी एसिड

दिल की सेहत के लिए और स्किन के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी लाभकारी होता है. इससे भूख कंट्रोल में रहती है. जानकारों की माने तो ओमेगा-3 फैटी एसिड से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. साथ ही ज्यादा कैलोरी बर्न होती हैं.

पोटैशियम

ये भी बेहद जरूरी न्यूट्रिएंट है. आमतौर पर लोग इसे अहमियत नहीं देते. शरीर के बहुत से टौक्सिंस को बाहर करने में ये बेहद मददगार होता है. इसे अपनी डाइट में सामिल करने से किडनी और दिल ठीक ढंग से काम करते हैं.

थकान, कमजोरी का इलाज है प्रोटीन

प्रोटीन शरीर में पेशियों, अंगों, त्वचा, ऐंजाइम, हारमोन आदि बनाने के लिए बेहद जरूरी होते हैं. ये छोटे अणु हमारे शरीर में कई महत्त्वपूर्ण काम करते हैं.

हमारे शरीर में 20 प्रकार के एमिनो ऐसिड होते हैं, जिन में से 8 जरूरी एमिनो ऐसिड कहलाते हैं, क्योंकि शरीर इन्हें खुद नहीं बना सकता. इसलिए इन्हें आहार के माध्यम से लेना बहुत जरूरी होता है. शेष 12 एमिनो ऐसिड गैरजरूरी कहे जा सकते हैं, क्योंकि हमारा शरीर खुद इन का उत्पादन कर सकता है. प्रोटीन छोटे अणुओं से बने होते हैं, जिन्हें एमिनो ऐसिड कहते हैं. ये एमिनो ऐसिड एकदूसरे के साथ जुड़ कर प्रोटीन की शृंखला बना लेते हैं.

प्रोटीन से युक्त आहार को पचाने के लिए शरीर को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है. इसलिए प्रोटीन को पचाने के दौरान शरीर में जमा कैलोरी (वसा और कार्बोहाइड्रेट) बर्न हो जाती है. इस तरह प्रोटीन का सेवन करने से शरीर का वजन सामान्य बना रहता है.

अगर आप शाकाहारी हैं और ऐनिमल प्रोटीन का सेवन नहीं करते हैं तो आप के लिए प्रोटीन की जरूरत पूरी करना थोड़ा मुश्किल होगा. यही कारण है कि शाकाहारी लोगों में प्रोटीन की कमी होने की संभावना ज्यादा होती है.

एक व्यक्ति को औसतन कितनी मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है?

हर व्यक्ति को अपने शरीर के अनुसार अलग मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है. यह व्यक्ति की ऊंचाई और वजन पर निर्भर करता है. सही मात्रा में प्रोटीन का सेवन कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे आप कितने ऐक्टिव हैं, आप की उम्र क्या है? आप का मसल मास क्या है? आप की सेहत कैसी है?

अगर आप का वजन सामान्य है, आप ज्यादा व्यायाम नहीं करते, भार नहीं उठाते तो आप को औसतन 0.36 से 0.6 ग्राम प्रति पाउंड (0.8 से 1.3 ग्राम प्रति किलोग्राम वजन) प्रोटीन की जरूरत होती है. औसत पुरुष के लिए 56 से 91 ग्राम रोजाना और औसत महिला के लिए 46 से 75 ग्राम रोजाना.

प्रोटीन की कमी क्या है?

प्रोटीन की कमी बहुत ज्यादा होने पर शरीर में कई बदलाव आ सकते हैं. इन की कमी शरीर के लगभग हर काम को प्रभावित करती है. ये 13 लक्षण बताते हैं कि आप अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन का सेवन नहीं कर रहे हैं.

वजन में कमी: प्रोटीन की कमी के 2 प्रकार हैं-

पहला- क्वाशिओरकोर. यह तब होता है जब आप कैलोरी तो पर्याप्त मात्रा में ले रहे हैं, लेकिन आप के आहार में प्रोटीन की कमी है और दूसरा मरैज्मस. यह तब होता है जब आप कैलोरी और प्रोटीन दोनों ही कम मात्रा में ले रहे होते हैं.

अगर आप प्रोटीन का सेवन पर्याप्त मात्रा में नहीं कर रहे हैं, तो हो सकता है कि आप का आहार संतुलित नहीं है. आप के आहार में कैलोरी पर्याप्त मात्रा में नहीं है या आप का शरीर भोजन को ठीक से नहीं पचा पा रहा है. अगर आप बहुत कम मात्रा में कैलोरी का सेवन करते हैं, तो आप का शरीर प्रोटीन का इस्तेमाल ऐनर्जी पाने के लिए करेगा न कि पेशियां बनाने के लिए. इस से आप का वजन कम हो जाएगा. हालांकि कुछ लोगों में वजन बढ़ जाता है, क्योंकि उन के शरीर में प्रोटीन को पचाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती.

बाल, त्वचा और नाखूनों की समस्याएं: प्रोटीन की कमी का बुरा असर अकसर बालों, त्वचा और नाखूनों पर पड़ता है, क्योंकि ये अंग पूरी तरह प्रोटीन से बने होते हैं. प्रोटीन की कमी से अकसर सब से पहले बाल पतले होने लगते हैं, त्वचा पर से परतें उतरने लगती हैं और नाखूनों में दरारें आने लगती हैं.

थकान या कमजोरी महसूस होना: जब शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं मिलता तो पेशियां कमजोर होने लगती हैं, शरीर पेशियों में से एमिनो ऐसिड पाने की कोशिश करता है, जिस से मसल मास कम हो जाता है और मैटाबोलिक रेट भी कम होने लगता है. इस से शरीर में ताकत और ऐनर्जी कम हो जाती और आप हमेशा थका हुआ महसूस करते हैं.

चीनी या मीठा खाने की इच्छा: प्रोटीन को पचाने में कार्बोहाइड्रेट की तुलना में ज्यादा समय लगता है. जब आप ज्यादा कार्बोहाइड्रेट से युक्त भोजन खाते हैं, तो ब्लड शुगर अचानक बढ़ती है और फिर कम हो जाती है. इसलिए चीनी या मीठा खाने की इच्छा होती है. इस से बचने के लिए अपने आहार में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट दोनों की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें ताकि आप का शरीर भोजन को धीरेधीरे पचाए और ब्लड शुगर के स्तर में अचानक बदलाव न आए.

ऐनीमिया या खून की कमी: अगर आप के शरीर में प्रोटीन की कमी है तो विटामिन बी12 और फौलेट की कमी होने की संभावना भी बढ़ जाती है, जिस के कारण खून की कमी यानी ऐनीमिया हो सकता है. इस में शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है, जिस कारण ब्लड प्रैशर कम हो सकता है और आप थकान भी महसूस कर सकते हैं.

प्रतिरक्षा क्षमता/ इम्यूनिटी: प्रोटीन की कमी से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है और फिर बारबार बीमार पड़ने लगते हैं. ठीक होने में भी समय लगता है. इम्यून सैल्स प्रोटीन से बने होते हैं. इसलिए अगर आप का आहार संतुलित नहीं है तो आप डोमिनो इफैक्ट से परेशान हो सकते हैं.

ब्लड प्रैशर और हार्ट रेट कम होना: प्रोटीन की कमी से ब्लड प्रैशर कम होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर शरीर को सही पोषण न मिले तो इस का असर शरीर के सभी कार्यों पर पड़ता है.

लिवर की समस्याएं: प्रोटीन की कमी और लिवर रोग एकदूसरे से संबंधित हैं. प्रोटीन के बिना आप का लिवर डिटौक्सीफिकेशन का काम ठीक से नहीं कर पाता.

पेशियों और जोड़ों में दर्द: प्रोटीन की कमी होने पर शरीर ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए पेशियों से कैलोरी बर्न करने लगता है, जिस से पेशियों एवं जोड़ों में दर्द, कमजोरी महसूस होने लगती है.

पेशियों में कमजोरी: मध्य आयुवर्ग के पुरुषों में अकसर उम्र बढ़ने के साथ सार्कोपेनिया हो जाता है. उन का मसल मास कम होने लगता है. अगर वे अपने आहार में प्रोटीन का सेवन पर्याप्त मात्रा में न करें तो यह समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है.

सूजन: अगर आप के शरीर में प्रोटीन की कमी है, तो आप एडिमा यानी सूजन से पीडि़त हो सकते हैं. शरीर में पानी भरने से आप अपनेआप में फुलावट महसूस करते हैं. प्रोटीन टिशूज में खासतौर पर आप के पैरों और टखनों में पानी भरने से रोकता है.

चोट जल्दी ठीक न होना: प्रोटीन की कमी से शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता तो कमजोर होती ही है, साथ ही घाव को भरने के लिए नए टिशूज और नई त्वचा बनाने के लिए भी प्रोटीन की जरूरत होती है.

बच्चों का ठीक से विकास न होना: प्रोटीन न केवल पेशियों और हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर के विकास के लिए भी जरूरी है. इसलिए बच्चों में प्रोटीन की कमी घातक साबित होती है. प्रोटीन की कमी के कारण उन का विकास ठीक से नहीं हो पाता है.

-डा. श्रुति शर्मा

डाइट काउंसलर, बैरिएट्रिक एवं न्यूट्रिशनिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

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