सवाल-
मैं 17 साल की युवती हूं. मेरा शरीर बहुत दुबलापतला है, जिस कारण मुझ पर कोई भी ड्रैस सुंदर नहीं लगती. अगले महीने मेरी बहन का विवाह है. कुछ ऐसे उपाय बताएं जिन से शादी तक मेरा वजन 5-6 किलोग्राम बढ़ जाए?
जवाब-
आप की यह इच्छा कि आप बहन के विवाह पर सुंदर दिखें बिलकुल प्रासंगिक है, किंतु इतने कम समय में इतना वजन बढ़ाने की चाहत ठीक नहीं है. हालांकि कुछ दवाएं जैसे स्टेराइड, ऐपेटाइट स्टीम्यूलैंट और विटामिन दे कर इसे पूरा करने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन कोई भी डाक्टर इस का पक्षधर नहीं हो सकता. आप की उम्र में बहुत से किशोर शरीर से दुबलेपतले होते हैं, लेकिन उन की पर्सनैलिटी फिर भी मनमोहक और अतिआकर्षक होती है. इस उम्र में त्वचा का लावण्य तो सुंदर और लुभावना होता ही है, मन और तन जिस रचनात्मक ऊर्जा से खिले रहते हैं उस की कोई तुलना ही नहीं हो सकती. अत: आप मन में आ रही हीनभावना को दरकिनार कर दें और किसी क्रिएटिव ड्रैस डिजाइनर से अपनी कदकाठी के अनुरूप उपयुक्त पोशाकें तैयार करवा लें. यकीनन आप अपनी बहन के विवाह में बहुत सुंदर दिखेंगी. इस के अलावा संतुलित आहार जिस में प्रोटीन, विटामिन और खनिज पर्याप्त मात्रा में हों जैसे दाल, दूध, दही, पनीर, अंडे, मांस, हरी तरकारियां और ताजे फल प्रचुर मात्रा में लें. नियमित व्यायाम करें. समय से सोएं और जागें. स्वस्थ दिनचर्या रखें. इस से आप का स्वास्थ्य ठीक रहेगा.
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वजन आज हर उम्र की एक बड़ी समस्या बन गया है. इसी का फायदा उठा कर वजन घटाने का दावा करने वाली हर तरह की आयुर्वेदिक और ऐलोपैथिक दवाओं का बाजार गरम हो गया है. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि ब्लड ग्रुप आधारित डाइट भी आप का वजन घटाने में मदद कर सकती है?
चौंक गए न? दरअसल, यह मामला ब्लड ग्रुप के हिसाब से डाइटिंग के जरीए अपनी काया को छरहरा बनाने का है. यह खास तरह की डाइट ‘ब्लड ग्रुप डाइट’ कहलाती है. क्या है यह ब्लड ग्रुप डाइट? आइए, जानते हैं कोलकाता, यादवपुर स्थित केपीसी मैडिकल कालेज व हौस्पिटल की न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिशियन, रंजिनी दत्त से.
रंजिनी दत्त का इस संबंध में कहना है कि मैडिकल साइंस में ब्लड ग्रुप डाइट एक अवधारणा है. हालांकि अभी इस अवधारणा को पुख्ता वैज्ञानिक आधार नहीं मिला है, लेकिन ब्लड ग्रुप आधारित डाइट से बहुतों को फायदा भी हुआ है, यह भी सच है. पश्चिमी देशों में इस अवधारणा को मान कर डाइट चार्ट बहुत चलन में है.
रंजिनी दत्त का यह भी कहना है कि वजन कम करने के इस नुसखे को ‘टेलर मेड ट्रीटमैंट’ कहा जाता है. अब सवाल यह उठता है कि यह काम तो पर्सनलाइज्ड डाईट चार्ट या रूटीन कर ही सकता है. फिर ब्लड ग्रुप डाइट क्यों?
हर व्यक्ति की पाचन और रोगप्रतिरोधक क्षमता उस के ब्लड ग्रुप पर निर्भर करती है. बाकायदा जांच में यह पाया गया है कि ‘ओ’ ब्लड ग्रुप के व्यक्ति आमतौर पर एग्जिमा, ऐलर्जी, बुखार आदि से ज्यादा पीडि़त होते हैं.
‘बी’ ब्लड गु्रप वालों में रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इस ब्लड ग्रुप वाले ज्यादातर थकेथके से रहते हैं. कोई गलत फूड खाने से इन्हें ऐलर्जी हो जाती है, तो ‘एबी’ ब्लड ग्रुप वालों की समस्या अलग किस्म की होती है. इन्हें छोटीछोटी बीमारियां लगभग नहीं के बराबर होती हैं. लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को कैंसर, ऐनीमिया या फिर दिल की बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है.
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