रिजेक्शन से डरे नहीं इस तरह से करें सामना

हमें सब से ज़्यादा दर्द तब होता है जब हमारा कोई अपना हमें रिजेक्ट करता है. हम कितनी उम्मीदें लगाए बैठे होते हैं कि यह कभी भी हमारी उम्मीद नहीं तोड़ेगा. लेकिन होता क्या है ? हमारी उम्मीद टूटती है और हम पूरी तरह से बिखर जाते हैं . लेकिन ध्यान रहे उम्मीद की किरणों का कभी पीछा नहीं छोडना चाहिए. आप के पास हमेशा 2 औप्शन होते हैं. पहला, जब कोई हमें नाउम्मीद करता है तो हम उस की 10 कमियां निकाल देते हैं या फिर उस की फ़्रस्टेशन किसी दूसरे पर निकाल कर अपना पूरा दिन खराब कर लेते हैं. दूसरा औप्शन यह है कि हम यह सोचें कि जो हुआ सो हुआ और अपने काम में आगे बढ़ जाये. इस सन्दर्भ में क्वीन ब्रिगेड की फाउंडर हिना एस खेरा के मुताबिक अपने मन को कुछ यों समझाएं;

1. खुद से सवाल करें

सब से पहले खुद से पूछें कि आप यह चीज क्यों पाना चाहते थे. नौकरी, रिश्ता, प्यार, अच्छे नंबर आदि. कहीं न कहीं आप को अपने अंदर से जवाब यही मिलेगा कि इस से समाज में आप की स्थिति बेहतर होती. आप खुद को साबित कर पाते. जवाब मिलने के बाद सोचिये कि क्या बेहतर साबित न हो पाने की वजह से आप खुद को खत्म कर लेंगे? यह तो महज बेवकूफी ही होगी न. तो बस तनाव लेना बंद करें और सफलता के लिए ज्यादा बेहतर तैयारी में जुट जाएं.

2. खुद को तकलीफ न पहुंचाएं

जीवन में हमेशा उतारचढाव आते रहते हैं. जीवन में हमें किसी मोड़ पर रिजैक्ट किया जाता है तो इस का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. हमे यह समझना चाहिए की वह चीज हमारे लिए थी ही नहीं. अपनेआप को नकारात्मक सोच और हीनभावना से ग्रस्त न होने दें. इस से आप उदासी और अवसाद की स्थिति में जा सकते हैं.

3. नए दृष्टिकोण से स्थिति को देखने का प्रयास करें

आप यह देखने का प्रयास करें कि आप जो चाह रहे थे उस के द्वारा रिजैक्ट कर दिया जाना आप के लिए एक अच्छी बात भी हो सकती है. शायद आप को यह नौकरी नहीं मिली या आप का रिश्ता टूट गया क्यों कि आप वास्तव में कुछ अलग और बेहतर चीज के काबिल हैं.

4. नियंत्रण में रहें

आमतौर पर जब हम जो चाहते हैं उसे प्राप्त नहीं कर पाते तो हम उस चीज़ को पाने के लिए कोई और गलत रास्ता अपनाने की कोशिश करते हैं. हम नई योजनायें बनाने में लग जाते हैं या फिर साजिश करने की कोशिश करते हैं. हमारा दिमाग बस यह सोचता है कि कैसे भी कर के उसे हासिल कर लिया जाये. यह गलत है. खुद पर काबू रखें.

5. सच को स्वीकारना

सब से पहले जब हमारा सिलैक्शन और रिजेक्शन का टाइम आता है और उस मे हमें अगर यस और नो में से नो सुनना पड़े तो इसे पर्सनली न लें. इस से प्रॉब्लम बढ़ती है. खुद से पूछे कि इस रिजेक्शन के पीछे वजह क्या हो सकती है. क्या रिजैक्ट होना हमारे लिए सही हो सकता है? ऐसे सवालों के जवाब खुद से पूछें और फिर देखें आप किस तरह सच को अपनाते हैं .

6. आप का खुद का सवाल होगा खुद का जवाब

जब आप खुद से सवाल करोगे तो आप को अपनी अच्छाईयों और बुराईयों का पता चल जाएगा . बस थोड़ा सी हिम्मत के साथ खुद को तराशना होगा और समझना होगा. प्रयास कर के पत्थर से हीरा बनना होगा. कुछ सवाल ऐसे हैं जिस के जवाब सिर्फ आप के पास ही होते है. बातचीत बंद कर दी

4. खुद से प्यार करना सीखें

ज़िन्दगीं में किसी भी मुकाम को पाने के लिए सब से ज़्यादा ज़रूरी है कि पहले खुद से प्यार किया जाये. खुद को समझा जाये. किसी के ज़रा से कह देने से खुद के लिए नकारात्मक सोच न रखें. अपनेआप को माफ़ करें. अगर आप ईमानदारी से खुद से प्यार करेंगे और कभी भी धैर्य न खोते हुए अपने मंज़िल की तरफ़ कदम बढ़ाएंगे तो दुनिया की कोई भी ताकत, कोई भी अड़चन आप को सफ़ल होने से नहीं रोक सकती.

8. खुद को हारा हुआ न समझे

कभी भी खुद को कम मत समझिये. आप उस से भी बढ़ कर है जितना आप सोचते हैं . ज़िन्दगी की दौड़ में हारनाजीतना तो लगा ही रहता है. खुद को कभी भी हारा हुआ न समझे . रिजेक्ट होने पर अक्सर हम खुद ही अपने जज बन जाते हैं. हम अपनी कमियां गिनने लगते हैं जैसे कि हम मोटे हैं, सावले हैं, कमातें नहीं हैं, हमारी हाइट कम है, हम सुंदर नहीं हैं आदि. जिंदगी में सुकून चाहते हैं तो लोगो की बातों को दिल से लगाना छोड कर खुद के लिए प्यार जताना सीखें.

9. अच्छी सोच का अच्छा नतीजा

यदि आप को लगता है की इस दुनिया में आप को सुनने वाला कोई नहीं है तो यह गलत है. आप को सब से पहले अपना सपोर्ट सिस्टम मज़बूत बनाना होगा. अपने अंदर से रिजेक्शन के क्वेश्चन मार्क को मिटाना होगा . हमारा मेंटर कोई भी हो सकता है जैसे हमारे माँबाप, टीचर, भाईबहन, रिश्तेदार या कोई करीबी दोस्त. वे हमारी बात बिना किसी जजमेंट के सुनते हैं . इसलिए सकारात्मक सोच रखें. सपोर्ट जरूर मिलेगा.

10. लिखना भी अच्छा औप्शन है

यदि आप अपनी बात को किसी के सामने बोलने से झिझकते हो, डरते हो या फिर आप को लगता है कि बात कहने से स्थिति बिगड़ सकती है तो आप लिखने का ऑप्शन अपना सकते हो . अपनी बात को किसी तक पहुंचाने के लिए यह बेस्ट थेरेपी होती है . आप जो भी बोलना चाहते हो, ज़ाहिर करना चाहते हो उसे लिखो और अपनी बात उस तक शेयर करो .

11. अपने इमोशंस पर काबू पाएं

रिजेक्शन महसूस करना आम है. उस से डील सिर्फ मानसिक रूप से मजबूत लोग ही कर सकतें है . हम सब में शक्ति है खुद की भावनाओं को नियंत्रित करने की . रिजेक्शन को पर्सनली न ले, अगर आप को लगता है की इस ने मुझे रिजैक्ट किया शायद मेरे अंदर ही कमी होगी तो यह गलत होगा .आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते हो बस एक हिम्मत की देरी है. अपने इमोशंस पर काबू पाओ. बोल कर नहीं तो लिख कर जताओ लेकिन अपनी बात को आगे बढ़ाओ .

12. रिजेक्शन को अपनाएं और खुद से खुद के लिए प्यार जताएं

अंत में बस यही कह सकते हैं की रिजेक्शन को ख़ुशीख़ुशी अपनाइये और अपनी जिंदगी में इस से कुछ सीख कर आगे बढ़ जाओ . किसी के ‘न’ कह देने भर से किसी की जिंदगी नहीं रूकती. ज़िन्दगी चलने का नाम है इसलिए जहाँ से जैसे भी हो खुशियां बटोर लो. अपनेआप से प्यार करो क्यों कि हर दर्द की दवा है प्यार . जिंदगी में प्यार है,ख़ुशी है, तो सबकुछ है . उदासी है तो कुछ नहीं है.

13. प्रेरणा देती है असफलता

सफलता के साथसाथ असफलता भी जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है. हमें जब भी कोई बड़ी निराशा होती है तो हम सोचते हैं कि ऐसा हमारे साथ ही हुआ है. जब कि ऐसी बात नहीं है. आप लोगों के जीवन में झांक कर देखें. जो लोग आप को ज़्यादा खुश दिखते हैं उन से बात कर के पता चलेगा कि उन्होंने कितने पापड़ बेले हैं.

ये रिजेक्शन हमें और भी रचनात्मक, ऊर्जावान और बड़े कैनवास पर काम करने के लिए प्रेरित करता है. जिस ने असफलता को महूसस किया है और जो रिजेक्शन को याद रखता है वह अक्सर दूसरों की इज्जत और मदद करता है. दूसरों को अपना दुःख बताने की बजाए, उन की बातें सुनता है, हौसला देता है कि सब ठीक हो जायेगा. हर चीज में कुछ सकारात्मक ढूंढने से नकारत्मकता से बचा जा सकता है

तो चलिए अपनी कुछ असफलताओं को भी याद करें और दूसरों को अपने रिजेक्शन की कहानी सुना कर प्रेरित करें. लेट्स सेलिब्रेट योर फेल्योर.

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