क्योंकि रिश्ते अनमोल होते हैं…

क्या कभी आपने सोचा है कि जो लोग हर मुश्किल घड़ी में हमारा साथ देते हैं हम उन्हें कितना समय दे पाते हैं. क्या अपने जीवन में हम उनकी अहमियत को समझते हैं अगर हां तो कितना…हमें शायद ये लगता है कि ये तो हमारे अपने हैं कहां जाएंगे, लेकिन धीरे-धीरे वो कब और कैसे हमसे दूर होते जाते हैं हमें पता भी नहीं चलता. हमें ऐसा लगता है कि हम इनके लिए ही तो दिन रात मेहनत करते हैं काम करते हैं. शायद इसी बहाने के साथ हम एक ऐसी दुनिया की तरफ भागने लगते हैं जिसकी कोई सीमा नहीं.

हम क्यों भाग रहे हैं किसके लिए भाग रहे हैं कभी गौर से सोचते भी नहीं. रोज सुबह के बाद दिन, महीने और फिर साल…बस यूं ही गुजरते रहते हैं. जबकि असल में जिंदगी का मतलब भीड़ में भागना नहीं है. हां ये सच है कि हमारे लिए काम और सक्सेस दोनों जरूरी. इसके लिए हेल्दी कंपटीशन की भावना हमारे अंदर होनी चाहिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम हमेशा काम को प्राथमिकता दें और परिवार को भूल जाएं. भई, जीवन में सब कुछ जरूरी है इसलिए काम और परिवार के बीच संतुलन बनाना बहुत महत्वपूर्ण है. आखिर, काम के नाम पर हमेशा आपके अपनों को ही कंप्रमाइज क्यों करना पड़े.

लॉकडाउन ने दी सबक

लॉकडाउन ने सबको परिवार की अहमियत हो सिखा ही दी. साथ ही हम सभी को यह सबक भी दिया कि जिंदगी में भले एक दोस्त हो लेकिन वह सच्चा हो. सिर्फ दिखावे के लिए सोशल मीडिया पर भीड़ बढ़ाने वाले रिश्तों से कोई फर्क नहीं पड़ता बल्कि रियल लाइफ में कितने लोग आपका साथ देते हैं इससे फर्क पड़ता है.

रिलेशनशिप बॉन्डिंग क्यों जरूरी है

डॉक्टर नेहा गुप्ता (मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव) का कहना है कि, अगर अपने लोगों से बॉडिंग स्ट्रांग होती है तो हम मेंटली फिट रहते हैं और हमारी इम्यूनिटी भी स्ट्रांग होती है. आज के समय में रिश्ते लाइक और कमेंट में उलझ कर रह गए हैं. ऐसे में हमारे अहम रिश्ते दम तोड़ते जा रहे हैं और हम वर्चुअल दुनिया में ही खुशियां मना रहे हैं, जबकि यह झूठी और बनावटी दुनिया है.

बाद में पछताने से बेहतर है कि कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर अपने अनमोल रिश्तों को जीवन भर के लिए अपना बना लें. फिर चाहे वे आपके परिवार के सदस्य हों, दोस्त हों या ऑफिस के सहकर्मी. याद रखिए रिश्ते तोड़ना आसान हैं लेकिन इसके बाद के परिणामों का भुगतना मुश्किल होता है.

रिश्तों को मजबूत बनाने के टिप्स

माफी मांगने या माफ करने में न हिचकिचाएं

एक-दूसरे पर विश्‍वास करना सीखें

खुलकर बात करें चाहे वे माता-पिता हों या बच्चे

नोक-झोंक प्यार का हिस्सा हैं इन्हें दिल पर न लें

रिश्ते तोड़ने का ख्याल मन से निकाल दें

सहकर्मी के साथ मजबूत रिश्ते बनाने के टिप्स

खुद पहल करते हुए बातचीत शुरू करें और काम के अलावा भी एक-दूसरे को जानने की कोशिश करें.
अगर ऑफिस में कोई आपसे रिश्ता न रखना चाहे तो नकारात्मक राय न बनाएं और सिर्फ ऑफिस संबंधी कामों में ही उसकी मदद करें.

सहकर्मियों में कॉमन इंट्रेस्ट तलाशें इससे दोस्ती करने में काफी आसानी होती है.

कलीग्स से रिलेशन स्ट्रांग करने के लिए अपनी बड़े या छोटे पद को भूलकर सबसे एक समान फ्रेंडली व्यवहार करें.

जब भी किसी सहकर्मी को आपकी जरूरत पड़े तो बिना हिचकिचाए उसकी मदद करें.

पर्सलन और प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करना है जरूरी

परिवार के सदस्यों, दोस्तों की अक्सर यही शिकायत रहती है कि हम उन्हें समय नहीं देते. जबकि हमें जब भी उनकी जरूरत होती है वे हमारे साथ होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम घर और काम को बैलेंस करके नहीं चलते हैं.

समय को बर्बाद न करें

काम के समय को पर्सनल चीजों में न गवाएं वरना ऑफिस का काम आपके लिए बोझ बन जाएगा और तय समय में पूरा भी नहीं हो पाएगा. अगर ऑफिस के समय ही काम खत्म हो जाएगा तभी आप बिना किसी टेंशन के अपनी दूसरी जिम्मेदारियों को निभा पाएंगे.

जरूरत से ज्यादा बोझ पड़ेगा भारी

अगर आपको अपनी क्षमता पता है और संकोच के कारण काम के लिए मना नहीं कर पा रहे हैं तो इस आदत को बदल दीजिए. आप अपने सीनियर्स से विनम्रता के साथ कह सकते हैं कि पहले आप जो काम कर रहे हैं उसे खत्म करने के बाद नए काम को पूरा कर पाएंगे.

महत्त्व के हिसाब से प्राथमिकता तय करें

अगर आप अपनी वर्क लाइफ को बैलेंस करना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी प्राथमिकता तय करें. आपको रोज बहुत से काम करने होते हैं लेकिन आपको यह पता होता है कि कौन सा काम ज्यादा जरूरी है और किस काम को थोड़े समय के लिए टाला जा सकता है. इससे आपका दिमाग शांत रहेगा और काम भी हो जाएगा.

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