ससुराल में रिश्ते निभाएं ऐसे

सिर्फ 7 फेरे ले लेने से पतिपत्नी का रिश्ता नहीं बनता है. रिश्ता बनता है समझदारी से निबाहने के जज्बे से, पतिपत्नी का रिश्ता बनते ही सब से अहम रिश्ता बनता है सासबहू का. या तो सासबहू का रिश्ता बेहद मधुर बनता है या फिर दोनों ही जिद्दी और चिड़चिड़ी होती हैं. ऐसा बहुत कम पाया गया है कि दोनों में से एक ही जिद्दी और चिड़चिड़ी हो. जिद दोनों तरफ से होती है. एक तरफ से जिद हो और कहना मान लिया जाए तो झगड़ा किस बात का? एक तरफ से जिद होती है तो उस की प्रतिक्रियास्वरूप दूसरी ओर से भी और भी ज्यादा जिद का प्रयास होता है. यह संबंधों को बिगाड़ देता है. इस के नुकसान देर से पता चलते हैं. तब यह रोग लाइलाज हो जाता है.

कटुता से प्रभावित रिश्ते

सासबहू के संबंध में कटुता आना अन्य रिश्तों को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. मनोवैज्ञानिक स्टीव कूपर का मत है कि संबंध में कटुता एक कुचक्र है. एक बार यह शुरू हो गया तो संबंध निरंतर बिगड़ते चले जाते हैं. बिगड़ते रिश्तों में आप जीवन के आनंद से वंचित रह जाते हैं. अन्य रिश्ते जो प्रभावित होते हैं वे हैं छोटे बच्चों के साथ संबंध, देवरदेवरानी, ननदननदोई, जेठजेठानी, पति के भाईभाभी आदि. ये वह रिश्ते हैं जो परिवार में वृद्धि के साथ जन्म लेते हैं. इन रिश्तों को निभाना रस्सी पर नट के बैलेंस बनाने के समान है. हर रिश्ते में अहं अपना काम करता है और अनियंत्रित तथा असंतुलित अहं के कारण घर का माहौल शीघ्रता से बिगड़ता है.

जेठजेठानी

यह रिश्ता बड़े होने के साथ आदर व सम्मान चाहता है. बहू का कर्तव्य है वह रिश्तों को निभाते समय आदर व सत्कार से पेश आए. जेठजेठानी की तरफ से यह प्रयास होना चाहिए कि बहू को बच्चों के समान प्यार दें. उस की हर आवश्यकता का ध्यान रखें. यह प्यार दोतरफा है.

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देवरदेवरानी

देवरदेवरानी के साथ बहू का रिश्ता सौहार्दपूर्ण होना चाहिए. अगर देवरदेवरानी से कोई गलत व्यवहार हो जाए तो बहू को क्षमाशील और सहनशील होना चाहिए. यहां यह नहीं कहा जा रहा है कि बहू को अपने सम्मान का खयाल नहीं रखना चाहिए. उस के आत्मसम्मान की रक्षा होनी चाहिए.

बच्चों के साथ व्यवहार

छोटे बच्चे संयुक्त परिवार में बड़े लाड़प्यार से पाले जाते हैं. सास तो उन को पूरा प्यार देती है. बहू को चाहिए वह भी उन्हें मां की तरह प्यार करे. उन का स्वभाव कोमल होता है. उन्हें कू्रर स्वभाव वाली बहू अच्छी नहीं लगती.

ननद-ननदोई के साथ व्यवहार

ननद शादी के बाद अकसर पति के साथ मायके आती है. वह बेशक थोड़े समय के लिए ही आए उस का स्वागत और सत्कार खुले दिल से होना चाहिए. घर के दामाद का भी आदर से भरपूर स्वागत होना चाहिए. बहू को चाहिए वह बढ़चढ़ कर परिवार के लोगों के साथ उन के सत्कार में भागीदार बने. उन्हें एहसास कराए कि उन का परिवार में आनाजाना उसे अच्छा लगता है. ननद परिवार की लड़की है. इस के लिए जाते समय ननदननदोई को उचित उपहार दे कर विदा किया जाए. सासबहू दोनों आपस में बातचीत कर के उपहार की व्यवस्था करें. जब पत्नी सब रिश्तों में अपने सद्भाव की मिठास भरती है, उन्हें अपने व्यवहार से सम्मान और प्यार देती है तो ऐसी बहू अपने पति की प्यारी और गर्व के योग्य बन जाती है. फिर कहा भी जाता है कि बहू वही जो पिया मन भाए.

वयस्क लड़का-लड़की

संयुक्त परिवार में जब बहू प्रवेश करती है तो सब से अधिक खुश होते हैं परिवार के कुंआरे लड़कालड़की. उन्हें मित्रवत व्यवहार की जरूरत होती है. अगर ससुराल आने पर बहू का रवैया उन के साथ मित्रवत होता है तो वह सास का दिल जीत लेती है. बहू उन का मार्गदर्शन करने की स्थिति में होती है.

सासबहू से अच्छे व्यवहार की अपेक्षा

नकचढ़ी और जिद्दी स्वभाव से हार न मानते हुए, सभी रिश्तेदारों की जिम्मेदारी होती है कि वे उन्हें अवसर दें कि निम्न बिंदुओं पर खुद को पू्रव कर सकें.

दूसरे रिश्तेदारों की स्थिति में खुद को रख कर सोचें. उन की अपेक्षा क्या है, उस के अनुसार व्यवहार द्वारा घर वालों का दिल जीतें.

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उन से व्यवहार करने में क्षमाशील और सहनशील बनें. गलती सभी से हो सकती है, यह मान कर चलें. अपनी गलती सहर्ष स्वीकारें.

अपना नजरिया सैक्रीफाइस वाला रखें. पौजिटिव सोच रिश्तों के पोषण के लिए टौनिक का काम करती है. गिव ऐंड टेक अच्छी नीति है. 

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