पैसा नहीं बिगाड़ेगा रिश्ता

रिलेशनशिप 2 लोगों के बीच के संबंध को कहते हैं. यह रिलेशनशिप तब और अधिक खास हो जाती है जब यह कपल के बीच में हो. जब एक कपल यह फैसला करता है कि वह एक रिलेशनशिप में रहेगा तो ऐसे बहुत से मुद्दे होते हैं जिन पर दोनों को बात करने की जरूरत होती है. ऐसा ही एक मुद्दा है कि रिलेशनशिप में हैं तो पैसे कौन खर्च करे?

भारत जैसे देश में पुरुषों का लालनपालन इस तरह किया जाता है कि उन्हें आर्थिक कमान अपने हाथों में रखनी है. इस तरह से पुरुषों को यह मानना मुश्किल हो जाता है कि यह कमान उन से कोई छीने. वे यह अधिकार अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं.

गहरी चाल

पुरुषों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि लड़कियां या महिलाएं अपना बिल खुद देंगी तो इस से उन का ईगो हर्ट होगा क्योंकि इस समाज में लड़कियों को उन पर निर्भर रहना सिखाया है. ऐसे में अगर लड़कियां या महिलाएं बिल खुद देने लगेंगी तो इस समाज से पुरुष की धाक खत्म हो जाएगी. दूसरी ओर धर्म ने इस कदर अपना अधिकार जमाया हुआ है कि वह नहीं चाहता कि लड़कियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों.

लड़कियां पुरुषों के अधीन नहीं होना चाहतीं. वे कहती हैं कि हम अपना खर्चा खुद उठा सकती हैं और रिलेशनशिप 2 लोगों के बीच का संबंध है. ऐसे में खर्चा भी 2 लोगों के हिस्से में बंटा होना चाहिए. किसी एक पर इस का बो झ डालना किसी भी तरह सही नहीं है. अगर कोई एक पार्टनर खर्चा उठाता जाए और वहीं दूसरा पार्टनर कुछ भी खर्च न उठाए तो इस से रिश्ते में दरार आ सकती है और रिश्ता टूटने की कगार पर आ सकता है.

लिव इन रिलेशनशिप के सब से ज्यादा मामले मैट्रो सिटीज में देखे गए हैं. बैंगलुरु में रहने वाले अधिकतर युवा लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं.

खर्च कौन करे

लिव इन रिलेशनशिप बिना किसी बंधन के लड़कालड़की को कपल के रूप में रहने की छूट देती है. लिव इन रिलेशनशिप को अपनाने वाले वे लोग हैं जो जौब करते हैं, एक रिसर्च में सामने आया है कि आईटी सैक्टर और बीपीओ से जुड़े लोग सब से ज्यादा लिव इन रिलेशनशिप में  देखे गए हैं. दिल्लीएनसीआर में भी लिव इन रिलेशनशिप में कई कपल रहते हैं. इस में कपल खर्चे को आपस में बांट लेते हैं.

गूगल में जौब करने वाली वाणी बताती है कि जैसेजैसे गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड का रिश्ता आगे बढ़ता जाता है तो पार्टनर्स भी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाने लगते हैं. फिर चाहे वह पैसे से जुड़ी जिम्मेदारी ही क्यों न हो. किसी भी रिलेशनशिप में अगर एक ही पार्टनर पैसा कमाता है या जरूरतों की जिम्मेदारी उठाता है तो उस के मन में कभी न कभी यह विचार आ ही जाता है कि सिर्फ मैं ही खर्च क्यों करूं. इसी के चलते पार्टनर्स में पैसों को ले कर  झगड़ा होने लगता है.

सुमित 27 वर्षीय एक स्मार्ट लड़का है. वह गुरुग्राम स्थित एक आईआईटी कंपनी में जौब करता है. वहीं उस की 25 वर्षीय पार्टनर प्रियंका एक मेकअप आर्टिस्ट है. दोनों 3 महीने पहले एक क्लब में मिले थे. इस के बाद वे अकसर मिलने और पार्टी करने लगे. धीरेधीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. दोनों सहमति से रिलेशनशिप में आ गए क्योंकि प्रियंका भी जौब करती थी इसलिए उस ने अपने खर्चे सुमित पर नहीं डाले.

प्रियंका जब कभी शौपिंग करती तो वह अपना बिल खुद पे करती. वे जब कभी बाहर जाते तो खर्चे हाफहाफ बांट लेते. जब कभी लंच, डिनर पर जाते तो कभी सुमित बिल देता तो कभी प्रियंका. इस से किसी एक पर खर्चे का बो झ नहीं पड़ता.

सुमित कहता है कि यंग लड़कों को ऐसी ही लड़कियां पसंद है, जो अपने पैरों पर खड़ी हैं. महंगाई के इस दौर में दोनों पार्टनर का कमाना बहुत जरूरी है. खर्चे दोनों पार्टनर के मिल कर करने से रिश्ते में रोमांस और सम्मान बना रहता है.

वहीं राहुल प्राइवेट बैंक में कैशियर की जौब करता है तो दिव्या एक वैबसाइट के लिए कंटैंट लिखती है. दिव्या और राहुल की रिलेशनशिप को 1 साल हो गया है. 1 साल की इस रिलेशनशिप में खर्चा सिर्फ राहुल ने ही किया है. खर्चे को ले कर उन के बीच कई बार लड़ाई हो चुकी है. राहुल का कहना है कि जब रिश्ता 2 लोगों के बीच है तो खर्चा कोई एक क्यों करें क्योंकि राहुल अपने परिवार का भी खर्चा उठाता है और रिलेशनशिप में भी वही खर्चे का पूरा बो झ उठा रहा है इसलिए वह चिड़चिड़ा रहने लगा. इस से उन के रिश्ते में भी कड़वाहट आ गई और जल्द ही उन का रिश्ता टूट गया.

रिश्ते में दरार

भावनात्मक तौर पर यह कहा जा सकता है कि रिश्ते के बीच पैसों को क्या लाना. लेकिन असल में अकसर आर्थिक  झगड़े ही रिश्ते में दरार आने का सब से बड़ा कारण बनते हैं. किस ने, किस पर, कितना, कैसे, क्या खर्च किया है बहुत माने रखता है.

1 हजार से अधिक लोगों पर किए गए सर्वे के अनुसार एक रिलेशनशिप में लोग लगभग 11 हजार प्रति माह से थोड़ा कम खर्च करते हैं, जबकि विवाहित जोड़े करीब 10 हजार रुपए खर्च करते हैं. एक रैस्टोरैंट के मैनेजर ने बताया कि वहां आने वाले कपल्स में 70% लड़के ही बिल पे करते हैं. वही 30% ऐसी लड़कियां हैं जो बिल पे करती हैं.

लैकमे स्टोर में काम करने वाली 23 वर्षीय रुचि बताती है कि जब कभी भी वह अपने पार्टनर के साथ बाहर डिनर पर जाती है तो कभी वह बिल पे कर देती है तो कभी उस का पार्टनर. इस तरह से खर्चा समान मात्रा में बंट जाता है. वह बताती है कि जब उन्हें ट्रिप पर जाना होता है तो वे पहले से ही प्लानिंग कर लेते हैं. ऐसे में वे एक बजट बना लेते हैं और फिर उसी बजट के अनुसार खर्चा करते हैं.

इस में जो भी खर्चा होता है उसे वे आधाआधा बांट लेते हैं. इस के अलावा जिसे अपने लिए शौपिंग करनी होती है वह उस का बिल खुद देता है. वे एकदूसरे को समयसमय पर गिफ्ट भी देते रहते हैं.

18 वर्षीय अंजलि मध्यवर्ग से है, वहीं सचिन उच्च मध्यवर्ग का 19 वर्षीय लड़का है. एक ही कालेज में होने के कारण दोनों में जानपहचान हुई और फिर वे एकदूसरे को डेट करने लगे. सचिन आर्थिक रूप से अंजलि से थोड़ा स्ट्रौंग था. लेकिन अंजलि इंडिपैंडैंट लड़की थी. ऐसे में वह चाहती थी कि खर्चे में वह भी अपनी भागीदारी दे. इसलिए उस ने राहुल से बात शेयर की. राहुल ने भी इस बात को सम झा.

अब जब कभी भी वे बाहर जाते हैं तो कभी राहुल बिल पे कर देता है तो कभी अंजलि. इस से किसी का ईगो भी हर्ट नहीं होता और रिलेशनशिप भी स्मूथली चलती है.

हीनभावना क्यों

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट नवीन मेहता कहते हैं कि कई बार ऐसा भी होता है कि दोनों पार्टनर का बजट कम होता है तो ऐसे में वे महंगे रैस्टोरैंट न जा कर स्ट्रीट फूड का मजा भी उठा सकते हैं और इस तरह से किसी एक पर खर्चे का अधिक बो झ भी नहीं होगा. ऐसा देखा गया है कि जब कभी कोई एक पार्टनर ही खर्चा करता रहे तो वह रिश्ते को बो झ सम झने लगता है और जल्द से जल्द उस से छुटकारा पाना चाहता है. वहीं दूसरी ओर कई पार्टनर ऐसे होते हैं जो खर्चा करने में असमर्थ होते हैं, इस से उन में हीनभावना आने के चांस बढ़ जाते हैं.

एक रैस्टोरैंट के मैनेजर ने बताया कि वहां आने वाले कपल्स में 70% लड़के ही बिल पे करते हैं. वहीं 30% ऐसी लड़कियां हैं जो बिल पे करती हैं. उन्होंने कहा कि कई बार लड़कियां बिल देना चाहती हैं, लेकिन उन के पार्टनर यह कहते हुए मना कर देते हैं कि मेरे होते हुए तुम बिल क्यों दोगी.

रिलेशनशिप में एकतरफा खर्च का एक उदाहरण चीन के शहर शंघाई में देखने को मिला जहां लंबे समय तक डेटिंग करने के बाद एक कपल अलग हो गया. रिलेशनशिप खत्म होने पर बौयफ्रैंड ने अपनी गर्लफ्रैंड को 7 लाख का लंबाचौड़ा बिल थमा दिया. इस में चिप्स से ले कर पानी का बिल तक था. ऐसी नौबत से बचने के लिए खर्चे को आपस में बांटना ही सही है.

गलत धारणा से ग्रस्त

सुनिधि बताती है कि कई बार रिलेशनशिप टूटने के बाद लड़के अपनी पुरानी पार्टनर को गोल्ड डिगर कहते हैं वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टनर को कई गिफ्ट दिए होते हैं और बदले में उन की साथी पार्टनर उन को गिफ्ट नहीं देती. यही कारण है कि वे उन्हें गोल्ड डिगर कह कर उन का अपमान करते हैं.

फ्लिपकार्ट कंपनी में काम करने वाली सुष्मिता कहती है कि कई लड़कियां रिलेशनशिप में अपने पैसे सेव कर के अपने पार्टनर के पैसे खर्च करवाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पैसे खर्च करना सिर्फ लड़कों की जिम्मेदारी है. वे अपनी राय देते हुए कहती है कि जहां लड़कियां लड़कों के कंधे से कंधा मिला कर चलने की बात करती हैं तो फिर पैसा खर्च करने में  िझ झकती क्यों हैं? जो लड़कियां ऐसा सोचती हैं वे वह गलत धारणा से ग्रस्त हैं. उन्हें यह सम झना चाहिए कि रिश्ता 2 लोगों के बीच है तो खर्चा भी 2 लोगों में बंटना चाहिए.

बनाए रखें प्यार

रिलेशनशिप में रहने वाले कपल अपना खर्चा बचाने के लिए घर पर ही लंच या डिनर का प्रोग्राम बनाएं. इस से आप का पार्टनर भी इंप्रैस हो जाएगा और आप का खर्चा भी कम होगा. खास बात यह होगी कि जो टाइम आप को किसी रैस्टोरैंट में एकसाथ बिताने को नहीं मिलता वह भी आसानी से मिल जाएगा वह है क्वालिटी टाइम, जिस में आप एकदूसरे से अपनी बातें शेयर कर पाएंगे, एकदूसरे पर ट्रस्ट स्ट्रौंग कर पाएंगे.

इस के अलावा लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल को घर का किराया और खर्चे आपस में बांट लेने चाहिए. उदाहरण के लिए यदि आप को एक अपार्टमैंट मिलता है जिस की कीमत क्व8 हजार प्रति माह है, तो प्रत्येक भागीदार क्व4 हजार का योगदान देगा.

किसी भी रिश्ते में प्यार और सम्मान दोनों की जरूरत होती है और यह प्यार और सम्मान तब और बढ़ जाता है जब इसे जिम्मेदारी के साथ निभाया जाए. इस के लिए जरूरी है कि खर्चे को आधाआधा बांटा जाए. इस का फायदा यह रहेगा कि इस से किसी एक पर सारा खर्चा नहीं आएगा और इस से रिश्ते में प्यार बना रहेगा.

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