पति के वर्कहोलिज्म को समझना है जरुरी

भावना शाह का विवाह एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत ऐग्जीक्यूटिव से हुआ था, जो 2 साल से अधिक नहीं चला. वजह थी पति का काम से अत्यधिक प्यार. अपने वर्कहोलिक पति से दुखी भावना 16 घंटे अकेले गुजारती थी, क्योंकि उस का पति आधी रात को घर आता था. उस की जिंदगी में न कोई उत्साह रहा था, न रोमांस के लिए समय बचा था. इस कारण उन की सैक्स लाइफ पूरी तरह से प्रभावित हो रही थी. भावना चाहती थी कि कुछ घंटे तो कम से कम पति के साथ बिताए और इसीलिए उस ने अपनी नौकरी भी छोड़ी थी ताकि दोनों की व्यस्तता उन के वैवाहिक जीवन में कड़वाहट न घोल दे.

हफ्ते के 5 दिन मुश्किल से दोनों में कुछ मिनट बात हो पाती और शनिवार, रविवार घर के किसी काम, मेहमानों की आवभगत में गुजर जाते. तब भावना ने तंग आ कर अपने पति से तलाक ले लिया. हालांकि तलाक लेना समस्या का समाधान नहीं है, पर पति की हर समय काम करने की आदत से अधिकांश पत्नियां परेशान रहती हैं. वर्कहोलिक पति वे होते हैं, जिन के लिए उन का काम सब से पहले होता है और उस के सामने पूरा परिवार या अन्य सामाजिक सरोकार गौण होता है. ऐसे पति की पत्नी उस के साथ के लिए तरसती रहती है और वह काम में डूबा रहता है वर्कहोलिक पति की पत्नी अकसर तनाव में रहती है या पति का साथ न मिल पाने की वजह से हर समय चिड़चिड़ी रहती है. बातबात पर लड़ाई करना उस की आदत बन जाता है, जिस से चिढ़ कर पति और देर तक घर से बाहर रहने लगता है.

‘‘मैं अपने पति की हर समय काम में डूबे रहने की आदत से इस कदर परेशान हो गई थी कि कभीकभी तो मुझे लगता था कि जैसे मैं शोकेस में रखी कोई चीज हूं, जिसे 5-10 मिनट के लिए मेरे पति नजर उठा कर देख लेते हैं. वे घर में होते तब भी मैं उन से बात न कर पाने के कारण बोरियत महसूस करती. कितनी ही छोटीछोटी बातें मैं उन से करना चाहती, पर उन के पास टाइम ही कहां था मेरी बातोें के लिए.लड़ाईझगड़ा करने का भी जब उन पर कोई असर नहीं हुआ तो मुझे एहसास हुआ कि वे भी टाइम इज मनी के इस दौर का शिकार हैं. मैं ने धीरेधीरे जब उन के वर्कहोलिज्म को समझना शुरू किया तो मुझे उन का काम करना अब उतना बुरा नहीं लगता, बल्कि अब मैं उन्हें काम में सहयोग देने की कोशिश भी करती हूं,’’ यह कहना है हाउसवाइफ शालू का.

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मैरिड टू वर्क

आज के समय में हम अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति करने में इतने व्यस्त हैं कि हमारी सारी भावनात्मक ऊर्जाएं काम की ओर लगी हैं. हम काम के प्रति इतने आसक्त हो जाते हैं कि अपने निजी संबंधों के बारे में सोचना तक भूल जाते हैं. काम इस तरह हावी हो जाता है कि यह भी याद नहीं रहता कि पत्नी भी साथ व समय चाहती है. मैरिड टू वर्क की वजह से कई युगलों का वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ जाता है दिल्ली के फोर्टिस अस्पताल के मनोविज्ञान विभाग की सीनियर कंसल्टैंट डा. स्वाति कश्यप का कहना है, ‘‘अगर आप का पति वर्कहोलिक है, तो उसे इस बात के लिए ताना देने या उस से लड़ने के बजाय उस के साथ बैठ कर बातचीत करें. फिर ऐसा समाधान ढूंढ़ें, जो आप दोनों के लिए उपयुक्त हो. जब बात करने बैठें तो आमनेसामने बैठने के बजाय साथसाथ बैठें और मैं या तुम के बजाय हम का प्रयोग करें. बात करते हुए अपने पति को उन की इस आदत के लिए दोष न दें, न ही अपने प्रश्नों से उन्हें आहत करने की कोशिश करें. आप कह सकती हैं कि उन का साथ आप को अच्छा लगता है और आप उन के साथ अधिक से अधिक समय गुजारना चाहती हैं.’’

स्थिति का पता लगाएं

सब से पहले पति के वर्कहोलिक होने के कारण को समझना जरूरी है. क्या यह व्यवहार स्थायी है या कुछ समय के लिए? हो सकता है पति को प्रोमोशन मिलने वाला हो और इस के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही हो या किसी प्रोजैक्ट की डैडलाइन हो या फिर उन के बौस का दबाव उन पर ज्यादा हो. बौस को खुश करने और उन की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए वे काम में डूबे रहते हों. यह देखें कि किसी एक महीने या त्योहारों के समय वे ज्यादा काम करते हैं क्या? अगर ऐसा है तो यह स्थिति अस्थायी हो सकती है. यह समझने का प्रयास करें कि वे क्या सचमुच काम को ले कर गंभीर हैं या झगड़ालू बीवी से तंग आ कर ज्यादा समय औफिस में बिताते हैं. जब पति को घर में सुकून नहीं मिलता है, तो वह जल्दी घर आने से कतराता है. अगर पत्नी उस के वर्कहोलिज्म का कारण है तो समाधान मिलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी. अगर सचमुच पति को काम की लत है और वे आप को नजरअंदाज करने या आप से बचने के लिए काम में नहीं डूबे रहते तो यह स्वीकार कर लें कि आप अपने पति को नहीं बदल सकती हैं. आप स्वयं को बदल सकती हैं. आप के व्यवहार के बदले में आप के पति में परिवर्तन आ सकता है.

कैसे निबटें पति के Workaholism से

पति के काम की कद्र करें:

अगर आप के पति ही अकेले कमाने वाले हैं और उन पर पूरे परिवार का दायित्व है, तो यह समझना आवश्यक है कि उन का काम उन के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है. वे आप की और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए ही दिनरात मेहनत करते हैं. अगर आप उन के काम में सहयोग दे सकती हैं तो दें, लेकिन उन्हें उलाहने देते हुए परेशान न करें. दिन में 1-2 बार फोन कर के उन का हालचाल पूछें ताकि उन्हें एहसास हो कि आप उन की चिंता करती हैं और उन के काम की कद्र भी. काम शेयर करें: अगर पति औफिस के काम में उलझे रहते हैं, तो घर के अन्य कामों को करने के लिए उन पर जोर न डालें. घर के अन्य दायित्व अपने ऊपर ले लें ताकि वे निश्चिंत हो कर काम कर सकें.

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पानी या बिजली का बिल आदि जमा करने या घर के लिए खरीदारी का काम अपने हाथ में ले कर उन के काम को शेयर करें. आप के इस सहयोग को वे समझेंगे और आप के लिए समय निकालने का प्रयास अवश्य करेेंगे. घरपरिवार या बच्चों की छोटीछोटी समस्याओं का समाधान खुद कर लें. पति को परेशान न करें. घर का माहौल सुखद बनाएं: अकसर पत्नी के तानों व हर समय बड़बड़ाने की आदत से परेशान हो कर पति काम को उस से दूर रहने का जरिया बना लेता है. अगर घर में शांति का माहौल नहीं होता तो उस का घर आने का मन नहीं करता. घर का वातावरण सुकून भरा हो और अपनेपन की खुशबू उस में बहती हो, ऐसा करना पत्नी का दायित्व होता है. अगर घर में उसे प्यार मिलेगा तो वह घर आने के लिए लालायित रहेगा. कोई हौबी अपनाएं : अगर पति के लिए इतना काम करना अनिवार्य है, तो अपने समय को काटने के लिए किसी हौबी को अपनाएं. किताबें पढ़ें, अपने दोस्तों का दायरा बढ़ाएं. कुछ ऐसा करें, जिस में आप को खुशी मिले. इस से आप पति को ताने देने से भी बच जाएंगी और कुछ रचनात्मक काम करने का भी मौका मिलेगा. फिर जितना भी समय आप साथ होंगे, वह दोष देने व शिकायतें करने में ही नहीं बीतेगा.

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