आपके हर काम में दखलअंदाजी करते हैं रिश्तेदार तो ऐसे करें इसका समाधान

रिश्तेदारों की दखलअंदाजी कई बार आपके लिए परेशानी बन जाती है. लेकिन आप रिश्ते खराब भी नहीं कर सकते. ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि आप इन्हें सावधानी के साथ हैंडल करें.

“श्वेता तुम हमारे भाई का ध्यान नहीं रखती !देखो ना इतनी गर्मी में भी पौधों को पानी दे रहे हैं . यह काम तो तुम भी कर सकती हो सारे दिन घर में अकेली रहती हो काम ही क्या है.”

जैसे ही यह शब्द सीता की ननद ने उसे बोले उसको बहुत बुरा लगा. श्वेता ने कहा,”आप अपना घर देखिए, यह हमारी जिंदगी है हम अपने आप देख लेंगे. हम नहीं चाहते कि हमारे दोनों के बीच में कोई तीसरा फालतू की दखलअंदाजी करे. आप हमें हमारी जिंदगी जीने दे!”

श्वेता के इस जवाब के बाद उसकी ननद ने फिर कभी दखलअंदाजी करने की कोशिश नहीं की.

जिंदगी में रिश्ते और रिश्तेदार दोनों का ही अपना महत्व है। लेकिन लगभग हर परिवार में कुछ रिश्तेदार ऐसे जरूर होते हैं जो आपकी जिंदगी में हमेशा दखल देते रहते हैं.  इस दखलअंदाजी के कारण आपकी जिंदगी में कई परेशानियां बढ़ने लगती हैं. लेकिन आप रिश्ते भी नहीं बिगाड़ सकते हैं. ऐसे में इन समस्याओं को आपको बहुत ही सावधानी के साथ सुलझाना चाहिए.

1. तय करें अपनी सीमाएं

साफ बोलो, सुखी रहो! यह बात हमेशा से ही हमारे बुजुर्ग बोलते हैं, जो काफी हद तक सही भी है. अपने रिश्तेदारों को यह स्पष्ट रूप से बताएं कि आप किस तरह का व्यवहार स्वीकार करते हैं और किस तरह का नहीं. अपनी सीमाओं को दृढ़ता से और स्पष्ट रूप से बताएं. यदि वे आपकी सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं तो उन्हें इसका साफ एहसास भी करवाएं. जैसे कि उनसे मिलना कम करना या उन्हें अपनी निजी जानकारी साझा करने से मना करना.

2. गुस्से से नहीं शांति से लें काम

जब रिश्तेदार आपकी जिंदगी में दखल दें तो गुस्से से नहीं शांति से काम लें. हालांकि गुस्सा या चिड़चिड़ा महसूस करना स्वाभाविक है लेकिन इससे स्थिति और खराब हो सकती है. गहरी सांस लें और शांत रहने का प्रयास करें. कोशिश करें अपना ध्यान भटका लें.

3. समझें उनका नजरिया

यह समझने की कोशिश करें कि आपके रिश्तेदार ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं. हो सकता है कि वे आपको लेकर चिंतित हों या मददगार बनने की कोशिश कर रहे हों. हालांकि ये हो सकता है कि वे गलत तरीके से ऐसा कर रहे हों. उनकी भावनाओं को स्वीकार करें, भले ही आप उनके कार्यों से सहमत न हों.

4. अपनी भावनाएं साफ बताएं

अगर आप लगातार रिश्तेदारों के दखल से परेशान हो रहे हैं तो उन्हें अपनी भावनाएं खुलकर बता दें. आप साफ बताएं कि उनकी राय भले ही कुछ भी हो, लेकिन आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं. आप उन्हें साफ बोलें कि जब आप मेरे फैसलों पर सवाल उठाते हैं तो मुझे निराशा महसूस होती है. इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि उनके शब्दों और कार्यों का आप पर क्या प्रभाव पड़ता है.

5. बातों को दिल पर न लें

जब आप जानते हैं कि आपके कुछ रिश्तेदारों का स्वभाव है हर बात या काम में दखल देना या अपनी राय देना तो ऐसे में आप बड़ा दिल रखें. यानी आप इन बातों को अपने दिल पर न लें. इन्हें एक कान से सुनें और दूसरे से तुरंत निकाल दें. साथ ही वहीं काम करें जो आप करना चाहते हैं. ऐसा करने पर सामने वाले को साफ पता चल जाएगा कि आप उनकी बातों को कोई महत्व ही नहीं देते.

जब रिश्तेदार को देना हो उधार

32 साल का निलय करीब 8 साल से एक कंपनी में सीनियर पोजीशन पर काम कर रहा था. उस ने हमेशा काफी संभल कर पैसे खर्च किए थे और इसलिए इतने कम समय में ही उस ने करीब 10 -12 लाख की रकम जमा कर ली थी. एक दिन उस का एक चचेरा भाई अनुज उस से मिलने आया. वह वैसे भी कभीकभार आता रहता था पर इस बार उस की मंशा उधार मांगने की थी.

अनुज ने बताया कि उस का बिज़नेस डूब रहा है और वह बहुत परेशान है. उसे अपना बिजनेस बचाने के लिए करीब 4-5 लाख रुपयों की जरूरत है. यदि निलय उस की मदद कर देता है तो वह उम्र भर अहसानमंद रहेगा और जल्द से जल्द रुपए वापस भी कर देगा. भाई की परेशानी और दर्द महसूस करते हुए निलय ने अपनी सेविंग्स में से 4 लाख उसे उधार दे दिए.

इस बात को 2 साल बीत गए पर अनुज ने रूपए वापस करने की कोई पहल नहीं की. निलय जब भी अनुज से रुपए मांगता तो वह कुछ न कुछ बहाने बना कर और कुछ महीनों में देने की बात कह कर गायब हो जाता. इस बीच कोरोना के कारण निलय की अपनी नौकरी भी छूट गई. लॉकडाउन और उस के बाद के कुछ महीने वह घर पर ही रहा. इस दौरान उसे पैसे की तंगी का अहसास होने लगा. वह अपने चचेरे भाई से कई दफा अपनी परेशानियां बता चुका था. मगर वह अब भी हर बार बहाने बनाने लगता.

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निलय को अपने ही पैसे बारबार मांगने में कोफ्त होने लगी. एक दिन उस ने कठोरता से रुपए वापस करने को कहा तो अनुज ने शाम तक का समय मांगा. शाम में जब निलय ने फोन किया तो उस ने फोन उठाया नहीं. निलय उस के घर पहुंचा तो पता चला कि वह अपना घर शिफ्ट कर कहीं और जा चुका है. किसी के पास भी अनुज का नया एड्रेस नहीं था. इस तरह निलय ने न सिर्फ अपने रूपए गंवाए बल्कि एक रिश्ता भी हमेशा के लिए खो दिया.

पैसे दे कर भी बिगड़ सकते हैं रिश्ते

अक्सर देखा गया है कि किसी परिचित या रिश्तेदार को जब आप रुपए उधार देते हैं तो उस समय तो वह आप के साथ बहुत विनम्रता से पेश आता है, बहुत दोस्ती और अपनापन दिखाता है. आप को महसूस होता है कि इस बंदे को अभी मेरी जरूरत है तो किसी भी तरह मदद करनी चाहिए. इस से रिश्ता और मजबूत हो जाएगा, पर कई दफा ऐसा होता नहीं है. समय बीतने के बाद जब आप उस से अपने रुपए वापस मांगते हैं तो पहले तो वह विनम्रता से अपनी मजबूरी दिखाता है और बहाने बनाना शुरू करता है. ऐसे में आप उसे और समय देते जाते हैं और वह हर बार कोई न कोई बहाना बना देता है.

फिर एक समय आता है जब आप थोड़ी कठोरता से रुपए देने की बात करते हैं. बस यहीं से रिश्तों में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है. उधार लेने वाला आप को इग्नोर करना शुरू करता है. उस का व्यवहार बिल्कुल उलट जाता है. उस की जुबान पर जो नरमी रहती थी वह कड़वाहट में बदल जाती है. आप को ऐसा महसूस होने लगता है जैसे अपने नहीं बल्कि उस के रुपए मांग रहे हैं. ऐसे में आप खुद को बहुत ठगा हुआ सा महसूस करते हैं. फिर आप भी कठोरता से रूपए मांगने शुरू कर देते हैं.

यहीं से रिश्ते बिगड़ते चले जाते हैं. कुछ लोग तो बाद में ऐसे शो करते हैं जैसे आप ने अपने रुपए मांग कर कोई गुनाह कर दिया और उन्हें अब आप से कोई बात ही नहीं करनी. यानी मदद भी करो और बुरे भी बनो.

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो मीठामीठा बोल कर आप को पैसे वापस करने का दिलासा देते रहेंगे जैसे वे पैसे वापस करने की बात कर के भी बहुत बड़ा अहसान कर रहे हों और जब आप बारबार उन्हें यह बात याद दिलाते हो कि रूपए वापस चाहिए तो वे नाराज हो जाते हैं. दोस्ती और अपनेपन का स्थान दुश्मनी और नफरत ले लेती है.

उधार देने से पहले देखें कि रिश्ता महत्वपूर्ण है या पैसा.

जिस तरह कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कोई भी बात बुरी लगे तो दो तरह से सोचो…..यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और यदि बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाओ. ठीक उसी तरह आप को रिश्तेदार या पैसे में से अपनी प्राथमिकता तय करनी पड़ेगी. कई बार हमें पता होता है कि सामने वाला आप के रूपए नहीं लौटाएगा. ऐसे में यदि रूपए उधार मांगने वाला रिश्तेदार आप के जीवन में खास अहमियत रखता है और आप उस के बिना नहीं रह सकते तो उस की मदद जरूर करें. मगर यदि आप खुद ही आर्थिक दृष्टि से तंगी के दौर से गुजर रहे हैं तो ऐसी मदद का क्या फायदा?

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दबाव में न आएं

सामने वाले की आर्थिक मदद आप तभी कर सकते हैं यदि आप स्वयं आर्थिक रूप से सक्षम हों. भले ही आप का उस से कितना ही प्यारा या मजबूत रिश्ता ही क्यों न हो. खासकर जब आप को पता है कि ये रूपए वापस नहीं मिलेंगे. इस लिए खुद को परेशानी में डाल कर कभी भी दूसरों की मदद न करें. मदद तभी करें जब आप के पास उतने रूपए देने को के लिए हो. न तो पैसा किसी से उधार ले कर सामने वाले की मदद करें और न ही खुद को आर्थिक संकट में डालें. यदि इस प्रकार की कोई दुविधा हो तो सामने वाले को गोलमोल जवाब देने की अपेक्षा उसे स्पष्ट बताएं कि आप उस की मदद करने में असमर्थ हैं ताकि वह कहीं और ट्राई कर सके.

आप ने पैसे दे दिए, उस के बाद बारबार उसे उलाहना न दें या बारबार मांग कर उसे लज्जित न करें. क्योंकि इस तरह पैसे देने के बावजूद आप का रिश्ता खराब हो जाएगा. इसलिए पहले ही तय कर लें और अपने मन को समझा दें कि पैसा देने के बाद वापस नहीं आएंगे.

धोखेे में न फंसें

पैसा उधार देते हुए इस पहलू पर अवश्य गौर करें और जांच लें कि कहीं पैसा उधार मांगना उस की आदत तो नहीं. बहुत से लोग सामने वाले की भावनाओं का फायदा उठा कर पैसा उधार मांगना अपनी आदत बना लेते हैं और उधार वापस करने के नाम पर कन्नी काटने लगते हैं. यदि आप का यह रिश्तेदार भी इस तरह के मामलों में फंस चूका है तो उस से हाथ खींच लेना ही उचित होगा. जो इंसान किसी और के साथ धोखा कर सकता है वह आप के साथ भी धोखा कर सकता है इस बात का ध्यान जरूर रखें.

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