आज भी महिलाएं कहीं अकेले खाने में क्यों झिझकती हैं?

घूम घूमकर यात्रा वृत्तांत लिखने वाली मशहूर ट्रेवल ब्लागर ग्लोरिया अटंमो [Gloria Atanmo] की अपने ब्लॉग ‘द ब्लॉग अब्रोड’ में 23 जनवरी 2019 को लिखी एक टिप्पणी ने अमरीका से लेकर अफ्रीका तक में एक सशक्त महिला आन्दोलन को खड़ा कर दिया था.हुआ दरअसल यह था कि न्यूयार्क के एक रेस्टोरेंट में कुछ खाने और बीयर पीने के लिए एक युवती गयी.वह काफी देर तक रेस्टोरेंट के बार में अपनी सीट में बैठी रहीं.लेकिन उसके पास  कोई बैरा नहीं आया.फिर उसने इशारे से एक को अपनी तरफ बुलाया.बैरे ने आकर उससे आर्डर के बारे में तो कुछ पूछा नहीं, उलटे यह फरमान सुना दिया कि वह रेस्टोरेंट में अकेले नहीं बैठ सकती.इस घटना को बीबीसी के एक लेख में दर्ज किया गया.लेकिन तब उतना हंगामा नहीं हुआ,जितना ग्लोरिया अटंमो द्वारा इस घटना का अपने ब्लॉग में बीबीसी के लेख को उद्धृत करने और इसका विश्लेषण करने से हुआ.ग्लोरिया के ब्लॉग पोस्ट की पहली लाइनें थीं- Many of you have probably seen the BBC News article floating around this week about a restaurant in New York (Nello is the name if you’re curious) that told a woman she couldn’t sit at the bar alone as the owner was wanting to, and I quote, “crackdown on hookers.”(आपमें से कईयों ने शायद इस हफ्ते बीबीसी न्यूज़ के उस एक लेख को देखा होगा जो न्यूयॉर्क के एक रेस्तरां (अगर आप इसका नाम जानने को लेकर जिज्ञासु हैं तो इसका नाम नेल्लो है) के बार में अकेली महिला के संबंध में था.लेख के मुताबिक़ उस महिला से बैरे द्वारा कहा गया कि मालिकों की हिदायत है कि बार में कोई अकेली महिला नहीं बैठ सकती.इसको पढ़कर मेरे मुंह से बेसाख्ता निकला ‘क्या बेहूदा बात है.’)

हममें से ज्यादातर लोग इन पंक्तियों को पढ़कर चौंकने का नाटक भले करें लेकिन हम सब जानते हैं कि हिन्दुस्तान में स्थिति इससे कोई अलग नहीं है बल्कि कहीं ज्यादा खराब है.अमरीका में तो यह नजरिया किसी महिला के अकेले बार में बैठने को लेकर है,हमारे यहां तो साधारण रेस्टोरेंट में किसी अकेली महिला को देखने की लोग कल्पना नहीं कर सकते.सच मानिए यह  वैसा ही मर्दवादी नजरिया है जैसे कि लड़को किसी से डरना नहीं चाहिए और एक लड़की को कहीं अकेले जाना नहीं चाहिए.या कि लड़के पिंक रंग कैसे पहन सकते हैं ? या फिर छिः खट्टा खा रहे हो जरूर तुममें लड़कियों वाले गुण होंगे.लेकिन मूल सन्दर्भ खाने में लौटते हैं .पूरी दुनिया में अकसर लड़कियों को स्कूल, कॉलेज की कैंटीन में अकेले बैठकर खाने में काफी परेशानी महसूस होती है.

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जो लड़कियां अपने साथ घर का खाना ले जाती हैं,उसे भी अगर उन्हें अकेला खाना पड़े तो चुपचाप लॉन में अपनी किताब निकालकर पढ़ने के बहाने खाती हैं. खाने में किसी का साथ न होने के कारण लडकियां काफी असहज महसूस करती हैं.ऐसे में सोचा जा सकता है कि किसी रेस्टोरेंट या सार्वजनिक स्थल पर अकेले बैठकर खाने में वे कितना असहज होती हैं.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि-

  • उन्हें लगता है कि अकेले बैठकर खाने में हर कोई उनकी ओर देख रहा है.
  • उन्हें लगता है कि उन्हें अकेला खाते देख लोग सोचेंगे वह नितांत अकेली हैं.
  • इस डर से भी अकेले बैठकर खाने से शरमाती हैं कि कहीं कोई उनके साथ की टेबल पर बैठकर उनके साथ जबरदस्ती बातचीत करने का प्रयास न करने लगे.

हैरानी की बात यह है कि लड़की का अकेलापन उसके लिए ही नहीं बल्कि उसके आसपास के लोगों के लिए भी असहजता पैदा करता है. हिन्दुस्तान में आज भले ही लड़कियां घर की दहलीज लांघकर शिक्षा,नौकरी के लिए एक शहर से दूसरे शहर में जाती हैं. अपने घर से दूर निकलकर अकेले अपने आपकी जिम्मेदारी उठाना उनके लिए एक बड़ा काम होता है. इन तमाम स्थितियों के बावजूद लड़कियां अकेले बैठकर खाने में असहज महसूस करती हैं.जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. आज मॉडर्न जीवनशैली के साथ-साथ इन्हें अपनी आदतों में भी बदलाव लाना चाहिए. जो लड़कियां इस आदत का शिकार हैं,उन्हें इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि यदि किसी कारणवश उन्हें अकेले ही खाना पड़े तो घर पहुँचने के पहले तक भूखे रहने के बजाय वह बेहिचक अकेले खायें.यदि उन्हें किसी रेस्टोरेंट में बैठकर अकेले खाना पड़ रहा है तो इसमें उन्हें किसी तरह की शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए.

खाने के दौरान लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं? इस पर उसे ध्यान नहीं देना चाहिए.अकेले बैठकर खाने के दौरान वह इस तरह का विचार मन में न लायें कि कोई उनके अकेलेपन के विषय में अपने दिल-दिमाग में कोई विचार ला रहा है.यदि कोई ऐसा सोच रहा है तो उसे ऐसा सोचने दो.हाँ,ये कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए-

  • रेस्टोरेंट में अकेले खा रही हैं तो अपने आसपास के लोगों के प्रति सचेत रहें.
  • ऐसी टेबल का चुनाव करें जहां से रेस्टोरेंट का काउंटर साफ़ दिखता हो.
  • यदि खाने के दौरान कोई आपके साथ आकर जबरदस्ती बातचीत करने का प्रयास करे या छेड़खानी करने की कोशिश करे तो खूब तेज आवाज में इसकी शिकायत काउंटर में बैठे व्यक्ति से करें और यह वहां मौजूद हर किसी को सुनाई पड़े.
  • रेस्टोरेंट में खाने के दौरान ऐसी जगह का चुनाव करें जहां परिवार के सदस्य बैठे हो.
  • अकेले होने के बावजूद पूरे आत्मविश्वास के साथ रहें. नर्वस न हों,अपने साथ कोई पुस्तक, पत्र-पत्रिका रखें.खाना टेबल तक आने तक का इंतजार करने तक उसमें मशगूल दिखने की कोशिश करें.
  • याद रखें रेस्टोरेंट में अकेले बैठे यदि आप नर्वसनेस महसूस करेंगी तो किसी को भी आपके साथ बुरा व्यवहार करने का मौका मिल सकता है.

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यदि आपके आसपास छोटे बच्चे हों तो उन्हें बुलायें, उनके साथ बातचीत करें.

लोगों के साथ हल्की-फुल्की मुस्कुराहट से अपना परिचय बनायें ताकि उनको यह संकेत न जाये कि आप अकेले बैठकर खाने में परेशानी महसूस कर रही हैं.लड़कियों के लिए अकेले बैठकर खाना एक स्थिति है इस हिचक को तोड़ने के लिए कभी-कभी अकेले अपनी मर्जी से खायें. अगर आपको किसी खास जगह का लंच या डिनर बेहद पसंद है तो और लोगों के साथ जाकर खाने के बजाय अकेले जायें और अकेले बैठकर खाने का मजा लें.

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