Serial Story: रिश्ता (भाग-3)

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‘‘मीनाक्षीजी, आप के पास सोने का दिल है. मेरी बेटी आप के घर की बहू बन कर आती तो यह मैं उस का सौभाग्य मानता. मुझे पूरा विश्वास है कि वह इस घर में बेहद खुश व सुखी रहेगी. लेकिन अफसोस यह है कि अलका खुद इस रिश्ते में दिलचस्पी नहीं रखती है. मैं उसे राजी करने की कोशिश करूंगा, अगर वह नहीं मानी तो आप रोहन को समझा देना कि वह अलका को तंग न करे,’’ अशोकजी ने भावुक लहजे में मीनाक्षी से प्रार्थना की.

‘‘आप जैसे नेकदिल इनसान को जिस काम से दुख पहुंचे या आप की बेटी परेशान हो, वैसा कोई कार्य मैं अपने बेटे को नहीं करने दूंगी,’’ मीनाक्षी के इस वादे ने अशोकजी के दिल को बहुत राहत पहुंचाई.

अलका और रोहन के वापस लौटने पर इन दोनों ने उलटे सुर में बोलते हुए अपनीअपनी इच्छाएं जाहिर कीं तो उन दोनों को बहुत ही आश्चर्य हुआ.

‘‘अलका, तुम अगर रोहन को अच्छा मित्र बताती हो तो कल को अच्छा जीवनसाथी भी उस में पा लोगी. मीनाक्षीजी के घर में तुम बहुत सुखी और सुरक्षित रहोगी, इस का विश्वास है मुझे. मैं दबाव नहीं डाल रहा हूूं पर अगर तुम ने यह रिश्ता मंजूर कर लिया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा,’’ अपनी इच्छा बता कर अशोकजी ने बेटी का माथा चूम लिया.

‘‘रोहन, अलका खुशीखुशी ‘हां’ कहे तो ठीक है, नहीं तो तुम इसे किसी भी तरह परेशान कभी मत करना. भाई साहब का ब्लड प्रेशर ऊंचा रहता है. तुम्हारी वजह से इन की तबीयत खराब हो, यह मैं कभी नहीं चाहूंगी,’’ मीनाक्षी ने बड़े भावुक अंदाज में रोहन से अपने मन की इच्छा बताई.

‘‘पापा, क्या आप चाहते हैं कि मैं रोहन से शादी कर लूं?’’ अलका ने हैरान स्वर में पूछा.

‘‘हां, बेटी.’’

‘‘आप की सोच में बदलाव आंटी के कारण आया है न?’’

‘‘हां, यह तुम्हारा बहुत खयाल रखेंगी, इन के पास सोने का दिल है.’’

‘‘गुड,’’ अलका की आंखों में अजीब सी चमक उभरी.

रोहन ने अपनी मां से पूछा, ‘‘मेरी इच्छा को नजरअंदाज कर अब जो आप कह रही हैं, उस के पीछे कारण क्या है, मां?’’

‘‘मैं इन को दुखी और चिंतित नहीं देखना चाहती हूं,’’ मीनाक्षी ने अशोकजी की तरफ इशारा करते हुए जवाब दिया.

‘‘आप की नजरों में यह कैसे इनसान हैं?’’

‘‘बडे़ नेक…बडे़ अच्छे.’’

‘‘गुड, वेरी गुड,’’ ऐसा जवाब दे कर रोहन ने अर्थपूर्ण नजरों से मां की तरफ देखा और बोला, ‘‘इन बदली परिस्थितियों को देखते  हुए हमें सोचविचार के लिए एक बार फिर बाहर चलना चाहिए.’’

‘‘चलो,’’ अलका फौरन उठ कर दरवाजे की तरफ चल पड़ी.

‘‘कहां जा रहे हो दोनों?’’ मीनाक्षी और अशोकजी ने चौंक कर साथसाथ सवाल किए.

‘‘करीब आधे घंटे में आ कर बताते हैं,’’ रोहन ने जवाब दिया और अलका का हाथ पकड़ कर घर से बाहर निकल गया.

कुछ पलों की खामोशी के बाद अशोकजी ने टिप्पणी की, ‘‘इन दोनों का व्यवहार मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है.’’

‘‘अगर दोनों बच्चे शादी के लिए तैयार हो गए तो मजा आ जाएगा,’’ मीनाक्षी की आंखों में आशा के दीप जगमगा उठे.

अलका और रोहन करीब 45 मिनट के बाद जब लौटे तो सोमनाथ और गायत्री उन के साथ थे. इन चारों की आंखों में छाए खुशी व उत्तेजना के भावों को पढ़ कर मीनाक्षी और अशोकजी उलझन में पड़ गए.

‘‘आप दोनों का उचित मार्गदर्शन करने व हौसला बढ़ाने के लिए ही हम इन्हें साथ लाए हैं,’’ रोहन ने रहस्यमयी अंदाज में मुसकराते हुए मीनाक्षी व अशोकजी की आंखों में झलक रहे सवाल का जवाब दिया.

सोमनाथ अपने दोस्त की बगल में उस का हाथ पकड़ कर बैठ गए. गायत्री अपनी सहेली के पीछे उस के कंधों पर हाथ रख कर खड़ी हो गई.

रोहन ने बातचीत शुरू की, ‘‘अलका के पापा का दिल न दुखे इस के लिए मां ने मेरी इच्छा को नजरअंदाज कर मुझ से यह वादा मांगा है कि मैं अलका को कभी तंग नहीं करूंगा. लेकिन मैं अभी भी इस घर से रिश्ता जोड़ना चाहता हूूं.’’

मीनाक्षी या अशोकजी के कुछ बोलने से पहले ही अलका ने कहा, ‘‘मैं रोहन से प्रेम नहीं करती पर फिर भी दिल से चाहती हूं कि हमारे बीच मजबूत रिश्ता कायम हो.’’

‘‘तुम शादी से मना करोगी तो ऐसा कैसे संभव होगा?’’ अशोकजी ने उलझन भरे लहजे में पूछा.

‘‘एक तरीका है, पापा.’’

‘‘कौन सा तरीका?’’

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‘‘वह मैं बताता हूं,’’ सोमनाथजी ने खुलासा करना शुरू किया, ‘‘मुझे बताया गया है कि ़तुम मीनाक्षीजी से इतने प्रभावित हो कि अलका से इस घर की बहू बनने की इच्छा जाहिर की है तुम ने.’’

‘‘मीनाक्षीजी बहुत अच्छी और सहृदय महिला हैं और अलका…’’

‘‘मीनाक्षीजी, आप की मेरे दोस्त के बारे में क्या राय बनी है?’’ सोमनाथ ने अपने दोस्त को टोक कर चुप किया और मीनाक्षी से सवाल पूछा.

‘‘इन का दिल बहुत भावुक है और मैं नहीं चाहती कि इन का स्वास्थ्य रोहन की किसी हरकत के कारण बिगड़े. तभी मैं ने अपने बेटे से कहा कि अलका अगर शादी के लिए मना करती है तो…’’

‘‘यानी कि आप दोनों एकदूसरे को अच्छा इनसान मानते हैं और यही बात आधार बनेगी दोनों परिवारों के बीच मजबूत रिश्ता कायम करने में.’’

‘‘मतलब यह कि जीवनसाथी अलका और मैं नहीं बल्कि आप दोनों बनो,’’ रोहन ने साफ शब्दों में सारी बात कह दी.

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?’’ अशोकजी चौंक पड़े.

‘‘यह क्या कह रहा है तू?’’ मीनाक्षी घबरा उठीं.

‘‘रोहन और मेरी यही इच्छा रही है,’’ अलका बोली, ‘‘आंटी और पापा को मिलाने के लिए हमें कुछ नाटक करना पड़ा. हम दोनों ही विदेश जाने के इच्छुक हैं. मेरे पापा की देखभाल की जिम्मेदारी आप संभालिए, प्लीज.’’

‘‘अंकल, विदेश में मैं अलका का खयाल रखूंगा और आप यहां मां का सहारा बन कर हमें चिंता से मुक्ति दिलाइए.’’

‘‘लेकिन…’’ अशोकजी की समझ में नहीं आया कि आगे क्या कहें और मीनाक्षी भी आगे एक शब्द नहीं बोल पाईं.

‘‘प्लीज, अंकल,’’ रोहन ने अशोकजी से विनती की.

‘‘आंटी, प्लीज, मुझे वह खुशी भरा अवसर दीजिए कि मैं आप को ‘मम्मी’ बुला सकूं,’’ अलका ने मीनाक्षी के दोनों हाथ अपने हाथों में ले कर विनती की.

‘‘हां कह दे मेरे यार,’’ सोमनाथ ने अपने दोस्त पर दबाव डाला, ‘‘अपनी अकेलेपन की पीड़ा तू ने कई बार मेरे साथ बांटी है. अच्छे जीवनसाथी के प्रेम व सहारे की जरूरत तो उम्र के इसी मुकाम पर ज्यादा महसूस होती है जहां तुम हो. इस रिश्ते को हां कह कर बच्चों को चिंतामुक्त कर इन्हें पंख फैला कर ऊंचे आकाश में उड़ने को स्वतंत्र कर मेरे भाई.’’

गायत्री ने अपनी सहेली को समझाया, ‘‘मीनू, हम स्त्रियों को जिंदगी के हर मोड़ पर पुरुष का सहारा किसी न किसी रूप में लेना ही पड़ता है. बेटा विदेश चला जाएगा तो तू कितनी अकेली पड़ जाएगी, जरा सोच. तुझे ये पसंद हों तो फौरन हां कह दे. मुझे इन्हें ‘जीजाजी’ बुला कर खुशी होगी.’’

‘‘चुप कर,’’ मीनाक्षी के गाल शर्म से गुलाबी हो गए तो सब को उन का जवाब मालूम पड़ गया.

अशोकजी पक्के निर्णय पर पहुंचने की चमक आंखों में ला कर बोले, ‘‘मैं इस पल अपने दिल में जो खुशी व गुदगुदी महसूस कर रहा हूं, सिर्फ उसी के आधार पर मैं इस रिश्ते के लिए हां कह रहा हूं.’’

‘‘थैंक यू, अंकल,’’ रोहन ने हाथ जोड़ कर उन्हें धन्यवाद दिया.

‘‘थैंक यू, मेरी नई मम्मी,’’ अलका, मीनाक्षी के गले से लग गई.

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सोमनाथ और गायत्री ने तालियां बजा कर इस रिश्ते के मंगलमय होने की प्रार्थना मन ही मन की.

‘‘मेरी छोटी बहना, बधाई हो. हमारी योजना इतनी जल्दी और इस अंदाज में सफल होगी, मैं ने सोचा भी न था,’’ रोहन ने शरारती अंदाज में अलका की चोटी खींची तो मीनाक्षी और अशोकजी एकदूसरे की तरफ देख बडे़ प्रसन्न व संतोषपूर्ण ढंग से मुस्कुराए.

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