अनचाहे अबौर्शन का दर्द कैसे झेलें

जुलाई की सुबह थी. नाश्ते के दौरान प्रिंस हैरी की पत्नी, डचेस औफ़ ससेक्स मेगन मर्केल अपने डेढ़ वर्षीय पुत्र आर्ची का डायपर बदल रही थीं. तभी पेट में ऐंठन हुई और वे आर्ची को बांहों में लिए हुए ही गिर गईं. इस से उन के दूसरे बच्चे का अबौर्शन हो गया था.

39 वर्षीया पूर्व अमेरिकन ऐक्ट्रेस मेगन ने अपने इस दर्द को ‘द लूजेस, वी शेयर’ टाइटल से लेख लिखते हुए शेयर किया है. वे लिखती हैं, ”गिरते ही असहनीय दर्द के दौरान मैं समझ गई थी कि मैं ने पेट में पल रहे अपने दूसरे बच्चे को खो दिया है. कुछ समय बाद मैं हौस्पिटल में थी और जब मुझे होश आया तो प्रिंस हैरी मेरा हाथ थामे हुए थे. एक बच्चा खोने का मतलब है असहनीय दुख जिसे बहुत सी महिलाओं ने अनुभव किया है, लेकिन इस दर्द को बहुत कम ने शेयर किया है. जब मैं हौस्पिटल में लेटी हुई थी तब मेरी और मेरे पति की आंखों में आंसू थे. हौस्पिटल में सौ से अधिक महिलाएं थीं जिन में तकरीबन 20 महिलाएं अबौर्शन का दर्द सह रही थीं.‘’

अबौर्शन ऐसा शब्द है जिस का शाब्दिक अर्थ तो सब जानते हैं लेकिन इस का असली मतलब सिर्फ वही महिलाएं जानती हैं जो इसे झेल चुकी हैं. 35 साल की भारती अनचाहे अबौर्शन का दर्द अच्छी तरह समझती हैं. उन की मीठी आवाज में अपने अजन्मे बच्चे को खोने का दर्द साफ़ झलकने लगता है. वे बताती हैं, ”मैं ने अपने बच्चे का नाम भी सोच लिया था. उस की हलचल भी महसूस करने लगी थी. मन ही मन बच्चे से बातें भी करती रहती थी. शादी के 4 वर्षों बाद वह मेरी पहली प्रैग्नैंसी थी. मेरे पेट में जुड़वां बच्चे थे. मगर वे सहीसलामत इस दुनिया में नहीं आ पाए. मैं ने औफिस के काम से छुट्टी ले ली थी और अपना पूरा ध्यान रख रही थी. सब ठीक चल रहा था.

“एक दिन लेटी हुई थी कि लगा शरीर का निचला हिस्सा भीग रहा है. मैं तुरंत उठ कर वाशरूम में गई और देखा कि मुझे ब्लीडिंग हो रही है. मुझे फौरन हौस्पिटल ले जाया गया. वहां पता चला कि एक बच्चा अबौर्ट हो चुका है. मैं ने खुद को समझाया कि एक बच्चा चला गया तो कोई बात नहीं, अभी दूसरा मेरे पास है. घर आ कर मैं ने सोचा कि, बस, अब इस बच्चे को बचाना ही है. फिर सारी रिपोर्ट्स ठीक आती रहीं.

“सब ठीक चल रहा था. पर एक रात अचानक मेरे पेट में दर्द हुआ. मैं फिर हौस्पिटल के इमरजैंसी विभाग में पहुंची. वहां पता चला कि दूसरे बच्चे को भी मैं ने खो दिया है. मैं ने तो अपनी तरफ से पूरी सावधानी बरती थी. लोग सलाह देते कि काला धागा बांधो, रात में बाहर मत निकलो, यह मत खाना, वह मत खाना, इन सब बातों पर भरोसा नहीं करती थी, फिर भी किया. पर बच्चे को नहीं बचा पाई. दिल पर एक बोझ है, एक गिल्ट सा रहता है.”

32 साल की मधु की कहानी भी भारती से अलग नहीं है. अंतर बस यह है कि मधु उस समय प्रैग्नैंट हुईं जब वे मानसिकतौर पर मां बनने के लिए तैयार न थीं. वे बताती हैं, ”मुझे तो बच्चा चाहिए ही नहीं था, फिर भी मिसकैरेज के बाद इतना दुख हुआ था कि बता नहीं सकती. आज 3 साल बाद भी सब याद आ जाता है, तो रोना आ जाता है. तब मैं इतनी बिजी थी कि मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरे पीरियड मिस हो गए हैं. लेकिन जब उलटियां होने लगीं, तबीयत ढीली होने लगी तो डाक्टर के पास गई और पता चला कि मैं 8 हफ्ते से प्रैग्नैंट थी और मिसकैरेज भी हो चुका था.

“मिसकैरेज के बाद मुझे एक महीने तक ब्लीडिंग हुई और भयंकर दर्द रहा. इस के बाद मैं 3 महीने डिप्रैशन में रही. दिनभर रोती रहती थी. बातबात पर सब को चिल्लाती रहती थी. ऐसा लग रहा था कि कोई मेरा साथ नहीं दे रहा है. आज मुझे इस बात पर भी हैरानी होती है कि मुझे तो बच्चा चाहिए ही नहीं था, फिर उसे खोने के बाद मुझे इतना दुख क्यों हुआ. ऐसा लगता था कि जैसे मैं ही कुसूरवार हूं. कई बार लोग भी इशारोंइशारों में आप को दोषी ठहरा देते हैं, ऐसे में यह दर्द और भी बढ़ जाता है.”

मैडिकल साइंस की भाषा में इसे स्पौंटेनस अबौर्शन या प्रैग्नैंसी लौस भी कहते हैं. मिसकैरेज तब होता है जब भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाती है. प्रैग्नैंसी के 20 हफ्ते तक अगर भ्रूण की मौत होती है तो इसे मिसकैरेज कहते हैं. इस के बाद भ्रूण की मौत को स्टिलबर्थ कहा जाता है. अमेरिकन सोसाइटी फौर रिप्रोडक्टिव हैल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में कम से कम 30 फीसदी प्रैग्नैंसी मिसकैरेज के कारण ख़त्म हो जाती हैं.

खुद को कैसे संभालें :

भारती को लगता है कि आज जो लड़कियां मां बनना चाहती हैं, उन्हें अपना बहुत ध्यान रखना है, जागरूक होना है. अबौर्शन का दर्द स्त्री को तोड़ देता है.

–इस समय के बाद जितनी जल्दी हो सके काम पर लौटें और खुद को बिजी रखने की कोशिश करें. अपनी सेहत का ध्यान रखना न भूलें. ज्यादा परेशानी हो तो काउंसलर से जरूर मिल लें.

–मधु को लगता है कि आज भी लोग प्रैग्नैंसी और मिसकैरेज के बारे में खुल कर बात करने से बचते हैं और इस का नुकसान स्त्रियों को ही भुगतना पड़ता है. इसलिए प्रैग्नैंसी के बारे में खूब पढ़ें, जानकारी रखें, डाक्टर्स और उन महिलाओं से बात करते रहें जो पहले मां बन चुकी हैं.

गाइनीकोलौजिस्ट डाक्टर आरती के अनुसार, कई बार नैचुरल मिसकैरेज के बाद भी महिला के शरीर में भ्रूण के कुछ हिस्से रह जाते हैं. उन्हें बाहर निकालना जरूरी होता है. इस के लिए कई बार दवाइयों और कई बार सक्शन मेथड यानी एक खास तरह की नली से खींच कर भ्रूण के अवशेषों को बाहर निकला जाता है. जरूरत होने पर इन अवशेषों को मैडिकल जांच के लिए भी भेजा जाता है.

अनचाहे अबौर्शन के आघात से उबरने में समय लग सकता है. शारीरिक और भावनात्मक यानी मानसिक दोनों दर्द सहने होते हैं. शारीरक स्वास्थ्य पर इस का प्रभाव कुछ इस तरह का पड़ता है-

शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव : इस के बाद आप को सामान्य से ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है. पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है. यह दर्द पीरियड में होने वाले दर्द के सामान होता है. ब्रेस्ट में असहजता हो, तो सपोर्टिव ब्रा और आइसपैक का प्रयोग कर सकते हैं. प्रैग्नैंसी के दौरान रिलीज हुआ एचसीजी हार्मोन मिसकैरेज के एक या दो महीने बाद तक आप के खून में बना रह सकता है और यह प्लेसेंटल टिश्यू के पूरी तरह से अलग होने के बाद ही ख़त्म होगा. अबौर्शन के 2 हफ्ते बाद गर्भाशय अपने सामान्य आकार में वापस आ जाएगा और सर्विक्स बंद हो जाएगा.

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव : आप को बारबार गिल्ट की भावना और गुस्सा आ सकता है. आप अपने आसपास की प्रैग्नैंट महिलाओं को देख कर चिढ या ईर्ष्या भी महसूस कर सकती हैं. आप को लग सकता है कि यह आप के साथ क्यों हुआ. डिप्रैशन और निराशा की भावना प्रबल हो सकती है. यह लंबे समय तक दुख का कारण बना रहता है. कुछ समय बाद ही आप इस चरण से बाहर आएंगी. एक दिन आप अपने इस नुकसान को स्वीकार करने में सक्षम हो जाएंगीं. आप इसे कभी भूलेँगी तो नहीं लेकिन इस से बाहर आ जाएंगी.

अपना खयाल कैसे रखें :

अनचाहा अबौर्शन आप को भावनात्मक और शारीरिक रूप से तोड़ देता है, तो हो सकता है आप हर चीज में रुचि खो दें. लेकिन यदि आप आगे लाइफ में पूरी तरह से जीना चाहती हैं तो खुद का ध्यान रखना बहुत जरूरी होगा. बच्चा नहीं रहा, तो इस का मतलब यह नहीं कि आप अपनी सेहत का ध्यान रखना छोड़ देंगी. आप अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कुछ ऐसे कर सकती हैं-

–आप को ठीक होने के लिए समय की जरूरत है क्योंकि आप एक दर्दनाक अनुभव से गुजरी हैं. इसलिए जितना हो सके,आराम करें. ठीक से सोएं. इस के लिए आप कुछ ऐक्सरसाइज भी कर सकती हैं जिस से आप को अच्छी नींद आएगी.

–दर्द हो तो डाक्टर की सलाह से पैनकिलर्स ले लें. यदि दर्द बढ़ता है तो डाक्टर को जरूर दिखाएं.

–कई महिलाओं को बहुत सिरदर्द होने लगता है, ऐसे में अपने सिर पर गरम या ठंडी सिंकाई कर के दर्द को कम करने की कोशिश करें.

–पहले 5 दिनों में अपने शरीर के तापमान पर नजर रखें. अगर बुखार हो तो यह शरीर में किसी इन्फैक्शन का संकेत हो सकता है.

–स्वस्थ आहार लें. आप को शरीर को ठीक करना है, मजबूत करना है, सो, पौष्टिक चीजें खाएं. आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर आहार लें.

–प्रतिदिन कम से कम 8 गिलास पानी पिएं ताकि आप हाइड्रेटेड रहें. फलों के जूस और सूप भी ले सकती हैं. कैफीनयुक्त पेय से बचें क्योकि वे आप को डिहाइड्रेट कर सकते हैं और रिकवरी को स्लो कर सकते हैं.

—पहले 2 हफ़्तों में संभोग करने से बचें. ब्लीडिंग बंद होने का और सर्विक्स बंद होने का इंतज़ार करें. डाक्टर से पूछ लें कि कब दूसरे बच्चे के लिए सोचा जा सकता है.

–अबौर्शन के बाद नियमितरूप से डाक्टर के पास जाएं ताकि किसी भी तरह की समस्या को रोका जा सके.

केवल शारीरिकरूप से ही सेहत का ध्यान नहीं रखना है, मानसिकरूप से भी पूरी तरह स्वस्थ होना होगा. उदास मन को ठीक करने के लिए कोशिश आप को कुछ इस तरह करनी होगी–

–अनचाहे अबौर्शन के बाद आप की हैल्प करने वाला सब से पहला इंसान आप का डाक्टर होता है. उस से हैल्प लें. वह आप को सभी कारणों, जैसे ओवेरियन सिस्ट,स्मोकिंग, टेंशन, स्ट्रैस के बारे में बताएगा जिस से आप की प्रैग्नैंसी को नुकसान हुआ होगा.

–खुद को दोष न दें. कोई अनचाहा अबौर्शन किसी मैडिकल असामान्यता के कारण होता है और यह आप की गलती नहीं होती. यह स्वीकार करें कि यह कुछ मैडिकल समस्या के कारण हुआ था और भविष्य में फिर से मां बनने के लिए तैयार हो जाइए.

—इस के बाद आप के हार्मोन्स स्थिर नहीं होंगे और उन्हें सामान्य होने में कुछ समय लगेगा. हार्मोन में उतारचढ़ाव आप को मूडी बना सकते हैं, इसलिए दूसरी बातों में ध्यान लगाने की कोशिश करें.

–अपने दुख को अपने मन में छिपा कर न रखें. अपने दोस्तों, करीबियों से बातें करें जिन के साथ आप को अपनापन महसूस होता है. उन से अपने दिल की बातें शेयर जरूर करें. अपने पार्टनर से भी बात करते रहें. उन्होंने भी अपने बच्चे को खोया है. आपस में बात करने से आप दोनों को इस दुख से बाहर आने में मदद मिलेगी.

–शारीरिक ऐक्टिविटीज से शरीर से एंडोर्फिन निकलता है जो तनाव को दूर करने में आप की हैल्प करता है. आप सैर करने से शुरुआत कर सकती हैं, धीरेधीरे आप ऐक्सरसाइज बढ़ा सकती हैं. पर डाक्टर से सलाह जरूर ले लें.

दुख होना सामान्य बात है. धीरेधीरे आप अपना यह नुकसान स्वीकार करने लगेंगी और समय के साथ बेहतर महसूस करेंगी. यदि आप फिर से प्रैग्नैंसी चाहती हैं तो आप को डाक्टर से चैकअप करवाते रहना होगा. आप के गर्भाशय में घाव या प्लेसेंटा के अंश हो सकते हैं, इस स्थिति में डाक्टर आप को कुछ और समय तक इंतज़ार करने का सुझाव देंगे. दोबारा प्रैग्नैंट होने से पहले न केवल आप के शरीर को पूरी तरह स्वस्थ होने की जरूरत है बल्कि आप की फीलिंग्स को भी स्थिर होने की जरूरत है. अपने आप को विश्वास दिलाएं कि आप फिर से एक बार प्रैग्नैंट होंगी और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देंगी.

अनचाहा अबौर्शन वाकई एक बेहद दुखदाई घटना होती है. बच्चे को खो देना सब से बुरे अनुभवों में से एक है जो एक महिला अनुभव कर सकती है लेकिन मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होने से आप जल्दी ही इस दुख से बाहर आ सकती हैं और जितनी जल्दी आप बेहतर होंगी, उतनी ही जल्दी आप दूसरे बच्चे के लिए कोशिश कर सकेंगी.

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