कई बार जब औडिशन के दौरान रिजेक्शन का सामना करना पडा – रुचा इनामदार

मौडलिंग और हिंदी फिल्मों से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस रुचा इनामदार ने मराठी कमर्शियल फिल्म ‘भिकारी’ से मराठी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा, जिसमें उनके साथ स्टार स्वप्निल जोशी थे. इसके अलावा उन्होंने पंजाबी और कई वेब सीरीज में भी काम किये है. और अब उनकी मराठी फिल्म ‘वेडिंग चा सिनेमा’ रिलीज हो चुकी है, जिसमें उनका रोल आलोचकों को काफी पसंद आ रहा है. रुचा हर नयी फिल्म को चुनौती समझती है और इसके प्रोसेस को एन्जौय करती है. पेश है उनसे हुई बातचीत के अंश…

सवाल- फिल्मों में आने की प्रेरणा कैसे मिली? परिवार का सहयोग कैसा था?

बचपन से ही मुझे अभिनय का शौक था. मैंने 3 साल की उम्र से अभिनय करना शुरू कर दिया था. मुझे स्टेज और परफोर्मेंस से बहुत लगाव हो गया था. मैं गाना, डांस और पेंटिंग्स सबकुछ सीखती हुई बड़ी हुई. मेरा एकेडमिक परफोर्मेंस भी बहुत अच्छा था. परिवार वालों की इच्छा थी कि मैं डौक्टर बनूं और मैंने वैसा ही किया, पर वे जानते थे कि मैं इसमें खुश नहीं. फिर एक दिन मां ने ही मुझे अपनी रूचि को आगे बढ़ाने की सलाह दी और मैं एक्टिंग के करियर में आ गयी. मां का सहयोग था, इसलिए काम करना मुश्किल नहीं था. मेरा परिवार और मेरे दोस्त ही मेरे लिए सबकुछ है.

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सवाल- पहला ब्रेक कैसे मिला ?

इंडस्ट्री में मेरी कोई पहचान नहीं थी, इसलिए पहले मैंने एक निर्देशक को एसिस्ट करने का काम शुरू किया. वही अभिनेता आनंद अभ्यंकर ने एक मौडल कोर्डिनेटर का नंबर दिया और तस्वीरें खिचवाकर औडिशन देने को कहा. मैंने वही किया और कई औडिशन देने के बाद मुझे निर्देशक सुजित सरकार के साथ एक विज्ञापन करने का मौका मिला. इसके बाद तो विज्ञापनों की झड़ी लग गयी. मैंने अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ खान, आमिर खान, जौन अब्राहम आदि कई बड़े एक्टर्स के साथ कई विज्ञापन किये है. इससे मेरी पहचान बनी और मुझे पहली हिंदी फिल्म ‘चिल्ड्रेन औफ वार’ मिली, जिसमें मैंने एक बांग्लादेशी लड़की की भूमिका निभाई थी. आलोचकों ने मेरे काम की काफी तारीफें की. इसके बाद एक और हिंदी फिल्म ‘अंडर द सेम’ में काम करने का अवसर मिला. इसमें मेरा किरदार एक राजस्थानी लड़की की थी. ये फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी गयी. इससे लोग मुझे जानने लगे और गणेश आचार्य ने मुझे मराठी फिल्म ‘भिकारी’ में लीड रोल दिया.

सवाल- कितना संघर्ष था?

संघर्ष अधिक नहीं था, क्योंकि फिल्मों में काम करना मेरी सोच थी. जीने का तरीका मेरे लिए अलग होता है. हर दिन कुछ अच्छा हो ये जरुरी नहीं. मैंने एक जर्नी तय किया है,जिसके द्वारा मैं ग्रो हुई. मैं अभी कथक भी सीख रही हूं. कौलेज में मैं एक ग्रेसफुल डांसर हुआ करती थी. मैंने मराठी फिल्म ‘वेडिंग चा सिनेमा’ में गोंधर स्टाइल में डांस किया है, जिसे करना बहुत मुश्किल था. मैंने सेट पर इस डांस को सीखा है. ख़ुशी की बात ये है कि ये डांस दर्शकों को पसंद आई. मेरे लिए संघर्ष कुछ भी नहीं है, क्योंकि हर क्षेत्र में अच्छा काम करने के लिए संघर्ष रहता है.

सवाल- मराठी और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के काम करने के तरीकों में क्या अंतर पाती है?

दोनों का वर्किंग स्टाइल अलग होता है, क्योंकि दोनों की प्रोडक्शन वैल्यू भी अलग होता है. भावनात्मक रूप में दोनों समान है. इसके अलावा मराठी में परिवारवाद के जैसे माहौल होता है, जिसमें आप आराम से काम कर सकते है. मुझे हिंदी में भी मुश्किलें नहीं हुई, क्योंकि मुझे सभी अच्छे लोग मिले थे, जिन्होंने मुझसे अच्छा व्यवहार किया और अभिनय करना आसान हुआ.

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सवाल- क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

कलाकार के रूप में मैंने जिन चरित्रों को जिया नहीं है उसे करने की इच्छा है, लेकिन अगर फिल्म मेकर ऋषिकेश मुखर्जी की कहानियों जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिले, तो मजा आयेगा. उनकी कहानियां आज भी हर घर में होती है. उनकी फिल्मों के चरित्र, हर व्यक्ति के दिल के साथ जोड़ने वाली होती थी.

सवाल- जीवन में आये नकारात्मक बातों को कैसे दूर करती है?

मैं बहुत सकारात्मक हूं और नकारात्मक चीजों को भी पौजिटिव रूप में ही लेती हूं. कई बार जब औडिशन के दौरान रिजेक्शन का सामना करना पडा, तो पहले ख़राब लगा, लेकिन बाद में मैंने ये सोचा कि इससे मुझे सीख क्या मिली और इसे और अधिक बेहतर बनाने के लिए करना क्या चाहिए? मेरे लिए हर दिन खुश रहना बहुत जरुरी है.

सवाल- आपको कभी महिला होने पर खेद हुआ?

मैं मुंबई में पली-बड़ी हुई हूं, इसलिए मेरे घर में महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं है. मैंने जैसे चाहा वैसे ग्रो हुई, किसी ने कभी रोका या टोका नहीं. मुझे ट्रेवलिंग बहुत पसंद है और बहुत घूमती भी हूं.

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सवाल- समय मिलने पर क्या करना पसंद करती है?

अभिनय के अलावा मेरी कई सारी हौबी है, मसलन लिखना, फिल्म डायरेक्ट करना आदि. जिसे मैं काम के बीच-बीच में करती रहती हूं.

Edited by Rosy

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