ओटीटी के आने से काम बढ़ा है- रूपाली सूरी

थिएटर से अभिनय की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री रूपाली सूरी ने इंटरनैशनल फीचर फिल्म ‘डैड होल्ड माई हैंड’ से की थी.  इस फिल्म में उन्हें रत्ना पाठक शाह के साथ काम करने का मौका मिला. निर्देशन के साथसाथ विक्रम गोखले ने खुद ही इस फिल्म को एडिट और कंपोज भी किया है. इस में उन्होंने बड़ी खूबसूरती से लौकडाउन की कहानी को शूट किया है. रूपाली अभी कुछ वैब सीरीज और फिल्मों में काम कर रही है. व्यस्त समय के बीच उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात की. आइए, जानें उन की कहानी.

अभिनय की प्रेरणा कहां से मिली?

मेरे परिवार में कोई भी इस इंडस्ट्री से नहीं है, लेकिन छोटी उम्र में मेरी फीचर मौडल की तरह होने की वजह से कई फैशन शोज में भाग लिया. इस के अलावा उस दौरान घर में कुछ तंगी होने की वजह से मां ने मुझे आए हुए प्रोजैक्ट को करने के लिए कहा. उस प्रोजैक्ट के पूरा होते ही दूसरा प्रोजैक्ट आ गया. इस तरह से काम छूटा नहीं. काम करने के बाद कालेज के बाद ही मैं ने निश्चय कर लिया कि मुझे ऐक्टिंग ही करनी है क्योंकि तब तक मैं काम सीख चुकी थी.

मौडलिंग का काम मैं ने दूसरी कक्षा से शुरू कर दिया था. स्कूल में काम कम था, लेकिन कालेज में इस की रफ्तार तेज हुई. मौडलिंग के अलावा मैं ने कई सीरियल्स में भी काम किया. फिर धीरेधीरे वैब सीरीज, फिल्में आदि मिलती गईं क्योंकि अभिनय को सम?ाने के लिए इफ्टा जौइन किया. उन के साथ कई शोज किए. मेरा वह शुरुआती दौर था, जिस में कला, अभिनय के साथ बहुत सारी बातों को सीखना था.

मुझे यह सम?ाना जरूरी था कि मैं खुद क्या और कितना काम कर सकती हूं. इसलिए मैं ने थिएटर के मंच पर कई ऐक्सपैरिमैंटल शोज किए. वहां तालियों की गड़गड़ाहट, दर्शकों का तुरंत रिएक्शन मिलता था. अभी भी मैं स्टेज की दुनिया को मिस करती हूं. मुझे कई बार ऐसा लगता है कि इंडस्ट्री ने मुझे चुन लिया है, मैं ने नहीं चुना है.

कितना संघर्ष रहा?

संघर्ष का स्तर हमेशा अलग होता है. पहले संघर्ष में मैं ने आर्थिक तंगी के कारण काम शुरू किया था, दूसरे स्तर के संघर्ष में मेरे पास बस, टैक्सी, औटो के पैसे नहीं थे. कैसे मैं आगे बढ़ी हूं, यह मैं ही जानती हूं. तीसरा संघर्ष फैशन शो में जाने के लिए मेरे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं थे.

आज पीछे मुड़ कर देखने पर मुझे महसूस होता है कि इतनी स्ट्रगल के बाद ही मु?ा में आत्मविश्वास आ पाया और मैं ने जो अपनी छोटी एक सफल दुनिया बनाई है वह इसी के बल पर बनी है. मेरी बड़ी बहन भी अभिनय से जुड़ी हैं. दोनों का रास्ते एक है, लेकिन अप्रोच अलगअलग है.

क्या आप को बड़ी बहन का सहयोग मिला?

सहयोग से अधिक मैं उन से प्रेरित हुई हूं. उन्होंने अपने जीवन में मेहनत कर एक जगह बनाई है. उन के सही कदम और गलतियों से मैं ने बहुत कुछ सीखा है. वे मेरे लिए ‘लाइव लैसन’ हैं. मैं साधारण परिवार से हूं, मेरे पिता गारमेंट के व्यवसाय में थे. अब रिटायर्ड हैं और मां गुजर चुकी हैं. मेरी मां बहुत कम उम्र में बिछड़ गईं. इस वजह से हम दोनों बहनें बहुत ही हंबल बैकग्राउंड से हैं.

इंडस्ट्री में गौडफादर न होने पर काम मिलना मुश्किल होता है. क्या आप को भी काम मिलने में परेशानी हुई?

यह तो होता ही रहता है क्योंकि पेरैंट्स के काम से उन के बच्चों को लाभ मिलता है. यह केवल इस इंडस्ट्री में ही नहीं हर जगह लागू होता है. पहला मौका उन्हें जल्दी मिलता है, लेकिन काम के जरीए उन्हें भी प्रूव करना पड़ता है कि वे इस इंडस्ट्री के लिए सही हैं.

कई बार काम होतेहोते कलाकार रिजैक्ट हो जाते हैं, क्या आप को रिजैक्शन का सामना करना पड़ा?

बहुत बार मुझे इन चीजों का सामना करना पड़ा. कई बार मैं रात 10 बजे मैनेजर को जगा कर पूछती थी कि मैं ने क्या गलत किया. कई बार तो साइनिंग अमाउंट मिलने के बाद भी रिजैक्ट हुई. कई बार सैट पर पहुंचने के बाद मुझे अगले दिन नहीं बुलाया गया. इस की वजह सम?ाना मुश्किल होता है. कभी कोई कहता है कि इस रोल के लिए मैं ठीक नहीं, तो दूसरा कोई और बहाना बनाता है. सामने कोई कुछ अधिक नहीं कहता. एक बार मैं निर्देशक अनीस बज्मी की फिल्म में कास्ट हुई, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि नए कलाकार के साथ वे काम नहीं करते, उन्हें एक अनुभवी कलाकार चाहिए.

स्ट्रैस होने पर रिलीज कैसे करती हैं?

मैं आधी रात को मैनेजर से घंटों बात करती हूं और वे मुझे सम?ाती हैं. अगर वे उपलब्ध न हों तो मैं कथक डांस कर सारा स्ट्रैस निकाल लेती हूं. मैं एक कलाकार हूं और हर इमोशन को फील करती हूं, लेकिन एक बार उस से निकलने पर वापस मैं उस में नहीं घुसती और आगे बड़ जाती हूं.

किस शो ने आप की जिंदगी बदली?

टीवी ने मुझे बहुत सहयोग दिया है. उस के शोज से मुझे आज भी लोग याद करते हैं. मेरी वैब सीरीज, फिल्मों की अलग और टीवी की एक अलग पहचान है. शो ‘शाका लाका बूमबूम’ में मेरे चरित्र, विज्ञापनों आदि को लोग आज भी याद रखते हैं. इस तरह बहुत सारे ऐसे टीवी शोज हैं, जिन से मैं सब के घरों तक पहुंच पाई.

ओटीटी आज बहुत अधिक दर्शकों के बीच में पौपुलर है, इस का फायदा नए कलाकारों को कितना मिल पाता है?

ओटीटी आने से इंडस्ट्री में लोगों का काम और वेतन काफी बढ़ गया है. जिस तरह टीवी ने आज से कुछ साल पहले कलाकारों को अभिनय करने का एक बड़ा मौका दिया था, वैसे ही ओटीटी के आने से काम बहुत बढ़ा है. काम और पैसे का बढ़ना ही इंडस्ट्री के लोगों के लिए निश्चित रूप से एक प्रोग्रैस है. इस से यह भी कलाकारों को पता चला है कि केवल फिल्म ही नहीं, आप ओटीटी पर अभिनय कर के भी संतुष्ट हो सकते है. यह एक प्रोग्रैसिव दौर है.

परिवार का सहयोग कितना रहा?

परिवार के सहयोग के बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते. पहले दिन से ही मुझे यह आजादी मिली है, मुझे कभी रोका या टोका नहीं गया है. एक ट्रस्ट और कौन्फिडेंट दिया गया है, जो मेरे लिए जरूरी था.

आप के ड्रीम क्या हैं?

मेरे ड्रीम्स बहुत छोटेछोटे हैं. मैं छोटी चीजों को पा कर खुश हो जाती हूं. ये छोटी चीजें मिल कर एक दिन बड़ी हो जाती हैं. मैं हमेशा प्रेजैंट में रहती हूं. डांस मेरा पैशन है, लेकिन कब यह जरूरत बन गई पता नहीं चला. मैं अपनी सुविधा के लिए शो करती हूं, रियाज करती हूं, ये मुझे संतुलित रखते हैं. मेरे कथक गुरु राजेंद्र चतुर्वेदी हैं.

आप के जीवन जीने का अंदाज क्या है?

आसपास वालों को खुश रखना और वर्तमान में जीना.

क्या आप ऐनिमल लवर हैं?

मुझे जानवरों से बहुत प्यार है. मेरे निर्देशक भरतदाभोलकर भी ऐनिमल लवर हैं. मेरा उन से जुड़ाव भी जानवरों की वजह से हुआ है, मेरी डौगी डौन सूरी 15 साल साथ रहने के बाद मर गई. मुझे उस की बहुत याद आती है.

OTT को लेकर क्या कहती हैं एक्ट्रेस रुपाली सूरी, पढ़ें संघर्ष की कहानी

थिएटर से अभिनय की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री रुपाली सूरी ने इंटरनेशनल फीचर फिल्म ‘डैड होल्ड माय हैंड’ से की थी.  इस फिल्म में उन्हें रत्ना पाठक शाह के साथ काम करने का मौका मिला. निर्देशन के साथ-साथ विक्रम गोखले ने खुद ही इस फिल्म को एडिट और कम्पोज भी किया है. इसमें उन्होंने बड़ी ही खूबसूरती से लॉकडाउन की कहानी को शूट किया है. रुपाली अभी कुछ वेब सीरीज और फिल्मों में काम कर रही है. व्यस्त समय के बीच उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात की, आइये जाने उनकी कहानी.

सवाल –अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब –मेरे परिवार में कोई भी इस इंडस्ट्री से नहीं है, लेकिन छोटी उम्र में मेरी फीचर मॉडल की तरह होने की वजह से कई फैशन शोज में भाग लिया. इसके अलावा उस दौरान घर में कुछ तंगी होने की वजह से माँ ने मुझे आये हुए प्रोजेक्ट को करने के लिए कहा, उस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही दूसरा प्रोजेक्ट आ गया, इस तरह से काम छूटा नहीं. काम करने बाद  मैं इस क्षेत्र में प्रेरित हुई और कॉलेज के बाद ही मैंने निश्चय कर लिया था किमुझे एक्टिंग करनी है, क्योंकि तब तक मैं काम सीख चुकी थी.

मॉडलिंग का काम मैंने दूसरी कक्षा से कर दी थी और स्कूल में काम कम था, लेकिन कॉलेज में इसकी रफ़्तार तेज हुई, मॉडलिंग के अलावा मैंने कई सीरियल्स में भी काम किये. फिर धीरे-धीरे वेब सीरीज, फिल्मे आदि मिलती गयी, क्योंकि अभिनय को समझने के लिए इफ्टामें ज्वाइन किया उनके साथ कई शोज किये. मेरा वह शुरूआती दौर था, जिसमे कला, अभिनय के साथ बहुत सारी बातों को सीखना था. मुझे ये समझना जरुरी था कि मैं खुद क्या और कितना काम कर सकती हूं. इसलिए मैंने थिएटर के मंच पर कई एक्सपेरिमेंटल शोज किये. वहां तालियों की गडगडाहट, दर्शकों का तुरंत रिएक्शन मिलता था. अभी भी मैं स्टेज की दुनिया को मिस करती हूं.मुझे कई बार ऐसा लगता है कि इंडस्ट्री ने मुझे चुन लिया है, मैंने नहीं चुना है.

सवाल – कितना संघर्ष रहा?

जवाब – संघर्ष का स्तर हमेशा अलग होता है, एक समय जब मैंने आर्थिक तंगी के कारण काम शुरू किया था, दूसरे स्तर के संघर्ष में मेरे पास बस, टैक्सी, ऑटो के पैसे नहीं थे. कैसे मैं आगे बढ़ी हूं, ये मैं जानती हूं. तीसरा संघर्ष फैशन शो में जाने के लिए मेरे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं थे. ये सब मेरे लिए कोई संघर्ष नहीं कह सकती, क्योंकि ऐसा करते हुए आगे बढ़ने में मज़ा आया था. आज पीछे मुड़कर देखने पर मुझे महसूस होता है कि इतनी स्ट्रगल के बाद ही मुझमे आत्मविश्वास आ पाया और मैंने जो अपनी छोटी एक सफल दुनिया बनाई है वह बन नहीं पाती. मेरी बड़ी बहन भी अभिनय से जुडी है. दोनों के रास्ते एक है, लेकिन अप्रोच अलग-अलग है.

सवाल – क्या आपको बड़ी बहन का सहयोग मिला ?

जवाब – सहयोग से अधिक मैं उससे प्रेरित अवश्य हुई हूं. उन्होंने अपने जीवन में मेहनत कर एक जगह बनायीं है. उनके सही कदम और गलतियों से मैंने बहुत कुछ सीखा है. वह मेरे लिए ‘लाइव लेसन’ है. मैं साधारण परिवार से हूं, मेरे पिता गारमेंट के व्यवसाय में थे, अब रिटायर्ड है और मेरी माँ गुजर चुकी है. मेरी माँ बहुत कम उम्र में बिछड़ गई. इस वजह से हम दोनों बहने बहुत ही हम्बल बैकग्राउंड से है.

सवाल – इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने पर काम मिलना मुश्किल होता है, क्या आपको काम मिलने में परेशानी हुई ?

जवाब – ये तो होता ही रहता है, क्योंकि पेरेंट्स के काम से उनके बच्चों कोलाभ मिलता है. ये केवल इंडस्ट्री के लिए नहीं हर जगह लागू होता है. पहला मौका उन्हें जल्दी मिलता है, लेकिन काम के ज़रिये उन्हें भी प्रूव करना पड़ता है कि वे इस इंडस्ट्री के लिए सही है.

सवाल – कई बार काम होते-होते कलाकार रिजेक्ट हो जाते है, क्या आपको रिजेक्शन का सामना करना पड़ा? उसे कैसे लिया?

जवाब – बहुत बार मुझे इन चीजो का सामना करना पड़ा, कई बार मैंने रात 10 बजे मैनेजर को जगाकर पूछती थी कि मैंने क्या गलत किया. कई बार तो साइनिंग अमाउंट मिलने के बाद भी रिजेक्ट हुई. कई बार सेट पर पहुँचने के बाद मुझे अगले दिन नहीं बुलाया गया. इसकी वजह समझना मुश्किल होता है, कभी कोई कहता है कि इस रोल के लिए मैं ठीक नहीं, तो कोई कुछ दूसरा बहाना बनाते है. सामने कोई कुछ अधिक नहीं कहता. एक बार मैं निर्देशक अनीस बज्मी की फिल्म में कास्ट हुई, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया था कि नए कलकार के साथ वे काम नहीं करते, उन्हें एक अनुभवी कलाकार चाहिए.

सवाल – स्ट्रेस होने पर रिलीज कैसे करती है?

जवाब – मैं आधी रात को मैनेजर से घंटों बात करती हूं और वह मुझे समझाती है. अगर वह नहीं है तो मैं कथक डांस कर सारा स्ट्रेस निकाल देती हूं. मैं एक कलाकार हूं और हर इमोशन को फील करती हूं, लेकिन एक बार उससे निकलने पर वापस मैं उसमे नहीं घुसती और आगे बढ़ जाती हूं.

सवाल – किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

जवाब – टीवी ने मुझे बहुत सहयोग दिया है, उसकी शोज से मुझे आज भी लोग याद करते है. मेरी वेब सीरीज, फिल्मों की अलग और टीवी की एक अलग पहचान है. शो ‘शाका लाका बूम-बूम’ में मेरे चरित्र, विज्ञापनों आदि को लोग आज भी याद रखते है, इस तरह बहुत सारे ऐसी टीवी शो है, जिससे मैं सबके घरों तक पहुँच पाई.

सवाल – ओटीटी आज बहुत अधिक दर्शकों के बीच में पोपुलर है, इसका फायदा नए कलाकारों को कितना मिल पाता है?

जवाब – ओटीटी आने से इंडस्ट्री में लोगों के काम और वेतन काफी बढ़ गयी है. जिस तरह टीवी ने आज से कुछ साल पहले कलाकारों को अभिनय करने का एक बड़ा मौका दिया था, वैसी ही ओटीटी के आने से काम बहुत बढ़ा है. काम और पैसे का बढ़ना ही इंडस्ट्री के लोगों के लिए निश्चित रूप से एक प्रोग्रेस है. इससे ये भी कलाकारों को पता चला है कि केवल फिल्म ही नहीं, आप ओटीटी पर अभिनय कर संतुष्ट हो सकते है. ये एक प्रोग्रेसिव दौर है.

सवाल – परिवार का सहयोग कितना रहा ?

जवाब – परिवार के सहयोग के बिना आप कुछ भी नहीं कर सकते. पहले दिन से मुझे ये आज़ादी मिली है, मुझे कभी कुछ रोका या टोका नहीं गया है. एक ट्रस्ट और कॉंफिडेंट दिया गया है, जो मेरे लिए जरुरी था.

सवाल – आपके ड्रीम क्या है?

जवाब – मेरी ड्रीम्स बहुत छोटी -छोटी है, मैं छोटी चीजों को पाकर खुश हो जाती हूं. ये छोटी चीजे मिलकर एक दिन बड़ी हो जाती है. मैं हमेशा प्रेजेंट में रहती हूं. डांस मेरा पैशन है, लेकिन कब ये जरुरत बन गयी पता नहीं चला. मैं अपनी सुविधा के लिए शो करती हूं, रियाज करती हूं, ये मुझे संतुलित रखती है. मेरे कथक गुरु राजेंद्र चतुर्वेदी है.

सवाल – खाना बनाने का शौक है?

जवाब – मुझे खाना बनाना पसंद है, माँ की रेसिपी को मैं हमेशा नए अंदाज में बनाती हूं.

सवाल – आपके जीवन जीने का अंदाज क्या है?

जवाब – आसपास के सबको खुश रखना और वर्तमान में जीना.

मेरी एक दादी है, जो हर मगज़ीन में मुझे खोजती है, उसे खरीदती रहती है और एक शेल्फ पर अलग से रख देती है. किसी को हाथ लगाने नहीं देती,

सवाल – क्या आप एनिमल लवर है?

जवाब – मुझे जानवरों से बहुत प्यार है. मेरे निर्देशक भरतदाभोलकर भी एक एनिमल लवर है. मेरा उनसे जुड़ाव भी जानवरों की वजह से हुआ है, मेरी डौगी डॉन सूरी भी 15 साल साथ रहने के बाद उसकी डेथ हो गयी. मुझे उसकी बहुत याद आती रहती है.

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