बच्चों को सिखाएं सेविंग गुर, ताकि भविष्य बनें बेहतर

बच्चे भविष्य में बड़े हो कर अपनी आय का अच्छे ढंग से प्रबंधन करें एवं सुखी जीवन जिएं, इस के लिए जरूरी है कि वे धन प्रबंधन बचपन से सीखें.

बच्चों के अंदर धन प्रबंधन के प्रति संवेदना विकसित करने के लिए निम्न बिंदुओं के ऊपर उन से चर्चा की जा सकती है, जैसे धन की बचत से भविष्य में होने वाले लाभ, धन की बचत के तरीके आदि. इतना अवश्य ध्यान रखें कि अलगअलग उम्र के बच्चों की सोच और आवश्यकताएं अलगअलग होती हैं और उन्हीं के अनुसार उन के अंदर धन प्रबंधन की आदत विकसित की जा सकती है. बच्चों को उन की उम्र के आधार पर 3 वर्गों में विभाजित कर के उन में धन प्रबंधन की आदत विकसित की जा सकती है.

5 से 10 साल के बच्चे

इस उम्र के बच्चों में धन प्रबंधन की प्रवृत्ति पैदा करने हेतु इन के साथ ऐसे गेम्स खेलें, जिन में पैसे का प्रयोग प्रतीकात्मक रूप में हो. बच्चों का गेम्स में अच्छा करने का आधार यह हो कि वे अधिक से अधिक पैसे अर्जन करें और कम खर्च कर के अत्यधिक सामान खरीदें.

आप बाजार से खरीदारी कर के आएं तो बच्चों को रेजगारी गिनने के लिए दे दें. इस से बच्चों को मुद्रा की इकाइयों की जानकारी प्राप्त होगी.

यदि बच्चे कोई अच्छा काम करें तो उन्हें पैसे से भी पुरस्कृत करें. लेकिन उन से यह भी कहें कि उन्हें पुरस्कार स्वरूप जितने पैसे मिलें उन्हें वे गिन कर गुल्लक में डालें तथा अपने बचाए गए पैसों का हिसाब एक नोटबुक में अवश्य रखें.

इस उम्र के बच्चों के लिए एलआईसी जैसी बीमा कंपनियों के पास बचत की कुछ पौलिसियां भी हैं, जिन में कम से कम 5,000 प्रतिवर्ष का प्रीमियम दे कर बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकता है. इस की जानकारी बच्चों को जरूर कराएं ताकि उन्हें बचत से होने वाले फायदे का एहसास हो और बड़े हो कर बचत के महत्त्व को वे समझें.

10 से 15 साल के बच्चे

इस उम्र के बच्चे इस योग्य हो जाते हैं कि रुपएपैसे का लेखाजोखा रख सकें. संभव हो तो परिवार के सदस्य बाजार जाते हुए बच्चों को साथ ले जाएं. सामान की खरीदारी करते हुए वस्तुओं के ऊपर अंकित कीमत तथा दुकानदार द्वारा ली गई कीमत की जानकारी के लिए इन की सहायता अवश्य लें. साथ ही किस ब्रांड का सामान सब से सस्ता है, इस की जानकारी के लिए भी बच्चों से मदद लें. इस कार्य में बच्चों को मजा भी आएगा और उन के अंदर आत्मविश्वास की भावना भी पैदा होगी. साथ ही धन के समुचित उपयोग की क्षमता भी विकसित होगी.

घर में आय कितनी आ रही है तथा उस का उपयोग कहांकहां हो रहा है, यह बात बच्चों को जरूर बताएं. इस के जरिए उन्हें यह शिक्षा अवश्य दें कि कैसे बड़े हो कर जब वे नौकरीपेशा हो जाएंगे अपनी आमदनी का उपयोग और बचत कैसे करेंगे.

संभव हो तो बच्चों के नाम पास के बैंक में आवर्ती जमा खाता खोल दें और उन्हें भेज कर या साथ ले जा कर उन्हीं से फौर्म भरवाएं और धन जमा करवाएं. इस से उन के अंदर बचत की सही भावना पैदा होगी तथा बैंक के क्रियाकलापों की जानकारी भी होगी.

15 से 20 साल के बच्चे

घर के संपूर्ण धन प्रबंधन की जिम्मेदारी इस उम्र के बच्चों को दे दी जाए. इस से उन के अंदर न केवल एक जिम्मेदार पारिवारिक सदस्य होने का एहसास होगा, बल्कि धन प्रबंधन का समुचित कौशल भी पैदा होगा.

बच्चों में अर्थव्यवस्था, वाणिज्य और वित्त से संबंधित समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं को नियमित पढ़ने की आदत डलवाएं. जहां तक शौपिंग करने की बात है, आप बच्चों से ही जानकारी प्राप्त करें कि किस जगह पर सामान खरीदने से कुछ छूट मिलेगी. इस से उन के अंदर धन के उचित तरीके से उपयोग करने की आदत पड़ेगी, जो उन में जीवनपर्यंत बनी रहेगी. बच्चों को यह जरूर बताएं कि उन के द्वारा की गई बचत का उपयोग उन की बड़ी या अकस्मात आई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है. उन्हें यह भी बताएं कि उन के द्वारा खरीदी गई वस्तुओं की गुणवत्ता ज्यादा महत्त्वपूर्ण है न कि ब्रांड.

धन प्रबंधन की जिम्मेदारी देते हुए यह अवश्य ध्यान रखें कि इस से उन की पढ़ाई में कोई बाधा न पड़े. इन बातों को व्यवहार में लाएं तो भविष्य में न केवल इन से बच्चों का ही फायदा होगा, बल्कि आप भी अपने बच्चों के आर्थिक मसलों को ले कर निश्चिंत रहेंगे.

निवेश की बजटिंग

आजकल प्रत्येक व्यक्ति इस बात पर चिंताग्रस्त रहता है कि अपनी आमदनी का बजट कैसे बनाए, जिस से घर की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथसाथ भविष्य में आने वाले बड़े खर्च की व्यवस्था आसानी से हो जाए.

बच्चे की उच्च शिक्षा और परिवार के किसी को अचानक होने वाली बीमारी पर होने वाला खर्च हर परिवार में खास है.

बच्चों की शिक्षा के ऊपर भविष्य में आने वाले खर्चों को ध्यान में रख कर प्रतिमाह क्व1000 बच्चों के भविष्य से जुड़ी किसी पौलिसी में निवेश करना ठीक रहता है. आजकल वित्तीय बाजार में बीमा कंपनियों की कई पौलिसी उपलब्ध हैं. किसी पौलिसी में निवेश न करना चाहें तो बैंक या पोस्ट औफिस में आवर्ती जमा के रूप में भी निवेश कर के बच्चों के उच्च शिक्षा हेतु आवश्यक खर्च की व्यवस्था की जा सकती है.

स्वास्थ्य के ऊपर बड़े खर्च के लिए सब से अच्छा रहेगा ऐसी कोई मैडिक्लेम पौलिसी लेना, जिस से परिवार के किसी सदस्य को अचानक अस्पताल में भरती होना पड़े तो उस वक्त आने वाले खर्च को बिना ऋण लिए पूरा किया जा सके.

इन के अलावा आमदनी के बचे हुए भाग को उचित विकल्पों में निवेश करना चाहिए, लेकिन निवेश करते वक्त कुछ सावधानी बरतनी चाहिए.

सोने और चांदी में थोड़े समय के लिए निवेश कभीकभी काफी फायदा तो कभीकभी भारी नुकसान भी पहुंचा सकता है. लेकिन यदि लंबे समय के लिए इन धातुओं में निवेश किया जाए तो लाभ ही होगा.

इस वक्त म्यूचुअल फंड्स और कंपनियों के शेयर में निवेश काफी जोखिम भरा है, इसलिए इस तरह के विकल्पों के बारे में जब तक आप की पकड़ शेयर बाजार के उतारचढ़ाव की बारीकियों पर न हो तो न सोचें.

टैक्स बचाना प्रत्येक लोवर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास के परिवारों की प्रमुख आवश्यकता बन गई है. इसलिए निवेश करते वक्त इस का अवश्य ध्यान रखें कि आप का टैक्स बचाने का उद्देश्य पूरा हो. ध्यान रहे कि आप 1 लाख 20 हजार तक के निवेश पर टैक्स बचत की सुविधा का लाभ उठा सकती हैं, जिस में क्व1 लाख से ऊपर के 20 हजार का निवेश सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त कंपनियों के इन्फ्रास्ट्राक्चर बौंड्स में हो. टैक्स की बचत से जुड़े निवेश बैंकों में 5 साल की अवधि की सावधि जमा योजनाओं में और पोस्ट औफिस में उपलब्ध पीपीएफ में भी किए जा सकते हैं.

प्रौपर्टी बाजार में निवेश लंबी अवधि में अच्छा लाभ कमाने के लिए किया जा सकता है. लेकिन इस के लिए प्रौपर्टी की बारीकियों की समझ बहुत जरूरी है. नहीं तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं.

अंत में आप यह बात अच्छी तरह समझें कि आमतौर पर हर घर में आमदनी कड़ी मेहनत करने से आती है, इसलिए इस का खर्च और निवेश इस तरीके से करना चाहिए कि वह परिवार की सुखसुविधा और संपन्नता में इजाफा करे. संभव हो तो इन बारीकियों को अपने घर के समझदार बच्चों को भी बताएं. इस से आने वाली पीढ़ी के अंदर आमदनी को स्मार्टली बजट और निवेश करने की कला विकसित होगी.

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