अपनी लव स्टोरी को लेकर क्या कहती हैं एक्ट्रेस Sayantani Ghosh, पढ़ें इंटरव्यू

सायंतनी घोष एक मॉडल और अभिनेत्री है. उन्होंने सबसे अच्छा किरदार जी टीवी के धारावाहिक ‘नागिन’ में निभाया था.वर्ष 2002 में टेलीविजन सीरियल कुमकुम – एक प्यारा सा बंधन, नागिन, महाभारत, नामकरण आदि से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली इस बंगाली बाला ने अभिनय के बल पर अपनी जगह बनाई है.

बंगाली परिवार में जन्मी सायंतनी घोष ने मिस कलकत्ता सौंदर्य प्रतियोगिता जीती और कई बांग्ला फिल्मों में काम की. साल 2002 में धारावाहिक कुमकुम – एक प्यारा सा बंधन में पहली टेलीविजन डेब्यू किया. साल 2014 में घोष ने ‘इतना करो ना मुझे प्यार’ में एक प्रतिपक्षी की भूमिका निभाई और डेयर 2 डांस में एक प्रतियोगी बन गई. इसके अलावा उन्होंने बिग बॉस 6 में भी भाग लिया है.

इन दिनों सायंतनी सोनी सब पर अलीबाबा दास्तान ए काबुल’ एक फेंटासी शो में सिमसिम की भूमिका निभा रही है, पेश है कुछ अंश.

सवाल – अभिनय में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था, किससे प्रेरणा मिली?

जवाब – मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूं, जहाँ एक्टिंग के बारें में कभी सोचा नहीं जाता. मैं पढ़ाई में तेज थी और परिवार वाले चाहते थे कि मैं इंजिनियर या डॉक्टर बनू. मैंने इस प्रोफेशन को नहीं चुना, प्रोफेशन ने मुझे चुना है. ये सही है कि बंगाल कला और संस्कृति में बहुत धनी है, वहां आज भी शाम को तकरीबन हर घर में शास्त्रिय संगीत की आवाज सुनाई पड़ती है. ऐसी जगह में अभिनय में आना कोई बड़ी बात नहीं थी. बचपन से ही डांस का शौक था और मैंने कई डांस ड्रामा में भाग भी लिया था, लेकिन अभिनय की बात नहीं सोची थी. असल में मैंने जब मिस कोलकाता के लिए भाग लिया और रनर अप रही, तो मेरे लिए अभिनय का क्षेत्र खुल गया, कई ऑफर आने लगे. पहले मैंने मॉडलिंग औरबांग्ला फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया. इसके बाद मुंबई मैं छुट्टियों  में आई थी और कुछ पॉकेट मनी कमाने की इच्छा थी और छोटी-छोटी अभिनय का काम मुझे मिलते गए और मैं करती गयी. मुंबई आने के तीन से चार साल बाद पता चला कि मेरा अभिनय में ही जाना ठीक रहेगा.

सवाल – इस शो में खास आपके लिए क्या है?

जवाब – पहले इसके ऑफर में मुझे समझ नहीं आया था, क्योंकि सिमसिम की कोई भूमिका अबतक नहीं थी. निर्देशक ने मुझे समझाया कि इसमें सिमसिम को एक आकार दिया जाएगा, जो पहले एक साउंड थी. इससे मुझे बहुत अच्छा लगा और इसे करने की इच्छा पैदा हुई. ये पहली बार हो रहा है और दर्शक भी सिमसिम को देखना पसंद कर रहे है, उनके लिए भी यह एक सरप्राइज है. पहले भी मैंने सोनी सब के साथ काम किया है, इसलिए कोई नई बात नहीं है. अलीबाबा की कहानी एक ऐसी कहानी है, जिसे बच्चे सुनना और देखना पसंद करते है. इसकी शूटिंग भी लार्जर देन लाइफ की तरह की गई है. इसमें मैजिक, रोमांस, फेंटासी के साथ-साथ मेरी भूमिका एक विलेन की है, जो मैंने कभी नहीं किया. इसके अलावा इसमें अभिनय भी चुनौतीपूर्ण है. कहानी में एक प्यार है, जिसके लिए सिमसिम सबकुछ करना पसंद करती है. लुक बहुत सुंदर है और यह उडती रहती है.

सवाल – इसमें आपकी कॉस्टयूम काफी हैवी है, कितने घंटे तक इसे पहने रहती है, इसे निकलना कितना मुश्किल होता है?

जवाब – हर दिन इसे पहनना पड़ता है, ड्रेस काफी हैवी है, लेकिन सबसे अधिक हैवी मुकुट है. इसे अभिनय करते वक़्त गिरने की संभावना होती है, डांस के समय भी सम्हालना कठिन होता है. मुझे इस कॉस्टयूम को पहनने में दो घंटे लगते है, क्योंकि ड्रेस के अलावा जेवर, मुकुट आदि को पहनना पड़ता है, जबकि उतारने में अधिक समय नहीं लगता.

सवाल – पहला ब्रेक कब मिला? परिवार का सहयोग कितना रहा?

जवाब – धारावाहिक ‘कुमकुम’ में मुझे पहली ब्रेक मिली. परिवार का सहयोग होने की वजह से 17 साल तक मैं काम कर पा रही हूं. 18 साल में मैंने मॉडलिंग शुरू की तब उन्हें लगा नहीं था कि मैं अभिनय भी करुँगी, क्योंकि मैं मध्यम वर्गीय परिवार से है, इसलिए पढाई को अधिक महत्व दिया गया, लेकिन जब मैं अभिनय के लिए कही भी गई मेरी माँ साथ जाती थी. कोलकाता से मुंबई आकर यहाँ तक पहुंचना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.

सवाल – क्या कभी कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?

जवाब – मुझे सामना नहीं करना पड़ा. एक दो बार मैने एक फिल्म के लिए निर्देशक से मिलने गयी थी और उनकी बातों से मैं सहज नहीं थी. एक निर्देशक ने कहा था कि मैं पोर्टफोलियो के अलावा आपका ऑडिशन ले लूँगा,लेकिन उससे आपकी अभिनय क्षमता का पता चलना मुश्किल होगा, इसलिए थोड़ा समय हम दोनों एक दूसरे को समझने के लिए देते है, ऐसी बाते शुरू होते ही मैंने उसे वहीँ रोक दिया. टीवी इंडस्ट्री के लिए मैं गर्व महसूस करती हूं, दूसरे शहर से होने के बावजूद मुझे काम मिला और मैं ग्रो भी कर रही हूं.

सवाल – आप अपने पति से कब मिली?

जवाब – मैं उनसे एक कॉमन फ्रेंड्स के द्वारा मिली थी थी. 8 से 9 साल की दोस्ती के बाद दोनों ने शादी की. एक दूसरे को 9 सालों से दोस्त के रूप में जाना, बाद में शादी की. इतने समय तक एक दूसरे को जानने के बाद कुछ समस्या नहीं रह जाती. वैसे तो हर रिश्ते में एक दूसरे के साथ सामंजस्य करने के लिए समय और इच्छा दोनों की जरुरत होती है.

सवाल – क्या कभी रिजेक्शन हुआ, उसे कैसे लिया?संघर्ष कितना रहा?

जवाब –रिजेक्शन का सामना हर कलाकार को करना पड़ता है और ये सभी आर्टिस्ट को पता होता है. अच्छी भूमिका मिलने का भी संघर्ष हमेशा रहता है. इसके अलावा शो कितने दिनों तक चलेगी, उसका स्ट्रेस रहता है. ये फील्ड तनावपूर्ण होती है. कभी दर्शक किसी शो को स्वीकार न करने पर वह तुरंत बंद हो जाती है. ये असुरक्षित प्रोफेशन है. संघर्ष सबका अलग होता है. किसी को दो वक्त की रोटी का संघर्ष, किसी को जल्दी कामयाबी के लिए संघर्ष करना पड़ता है. मेरे संघर्ष कम करने की वजह मेरा का बांग्ला फिल्मों में काम करना था. मेरे लिए मेरी कामयाबी टिकाये रखना एक बड़ी संघर्ष है. मेरी जिंदगी के डेढ़ साल कुछ काम किये बिना गुजरे है. काम आते थे, लेकिन मेरे हिसाब से नहीं थे, तो छोड़ना पड़ता था. इसके अलावा पहले मुझे किसी भूमिका के लिए यंग कहा जाता था, अब स्किन में एज बताते है. 40 के बाद एक नारी माँ जैसी ही दिखनी चाहिए. समाज में भी एक टाइपकास्टिंग है. उस वक़्त परिवार ही काम आता है, क्योंकि उन्होंने मेरी आत्मविश्वास को कभी कम होने नहीं दिया और मैं आगे बढती गयी. मैंने सब अपनी बलबूते पर किया है और गलत भी मैंने ही किया है. मुझे हमेशा खुद को ये समझाना पड़ता है कि अभिनय मेरा काम है और इसे मेहनत और लगन से करना है, स्टारडम आती, जाती है, इसलिए क्रिएटिविटी पर अधिक ध्यान देना आवश्यक है.

सवाल – कोई कॉम्प्लीमेंट जो आपको बहुत पसंद आई?

जवाब – मैंने एक टीवी शो ‘नामकरण’ में सौतेली माँ की भूमिका निभाई थी, सबकी सोच है कि सौतेली माँ एक चुड़ैल होगी, बच्चे कोमारेगी डाटेंगी, लेकिन सौतेले बच्चे के साथ मेरा घर रिश्ता था. उस शो में मैंने खून का नहीं, दिल का रिश्ता जोड़ा है, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया. मैं एक कलाकार हूं और एक्टिंग दिल से करती हूं, ऐसे में अगर मेरी कोई भूमिका किसी दर्शक की जिंदगी के साथ जुड़ जाती है,  तो उससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती. इसके अलावा कुछ लोगों ने मुझे शार्प फीचर वाली लड़की कहा, जो सिंपल लड़की की भूमिका नहीं निभा सकती. ये सब बातें सुननी पड़ती है, लेकिन मैं अपने काम से खुश हूं.

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