देश की आम औरतों को बहका कर लूटने की स्कीम है Gold Loan

Gold Loan : सोने के बढ़ते दामों के साथ गोल्ड लोन लेने वालों की कतारें बढ़ रही हैं और महाजनों के अलावा बैंक और फाइनैंस कंपनियों के बाहर कम ब्याज पर गोल्ड लोन वालों की गिनती देश के बुरे समय की घंटी बजा रही है. गोल्ड लोन में लोग अपना सोना, जेवर दे कर जो पैसा ले रहे हैं, वह फालतू के खर्चों, घर चलाने, शादी, तीर्थयात्राओं, रीतिरिवाजों में ज्यादा लग रहा है, बिजनैस या फैक्टरी लगाने में कम लग रहा है.

सदियों से कर्ज को सोने के बदले जमानत रख कर लिया जा रहा है. 1960 के दशक में बनी ‘मदर इंडिया’ फिल्म में सोने के कंगन साहूकार के पास रखे गए थे जिन्हें वापस लेने के लिए औरत (नरगिस) का बेटा (सुनील दत्त) डाकू बन जाता है और गांव के लिए साहूकार की बेटी को भी उठा लेने की कोशिश करता है.

नरगिस उस समय सुनील दत्त को गोली मार देती है और उसे मदर इंडिया कहा गया क्योंकि यह गोल्ड लोन की महत्ता को सामाजिक मजबूती देती थी. ‘मदर इंडिया’ फिल्म में कोई सामाजिक सुधार नरगिस नहीं करती, वह परंपराओं को स्थापित करती है और इसीलिए इस का गुणगान आज भी किया जाता है.

गोल्ड लोन देने वाले बैंक और फाइनैंस कंपनियां फिल्म के महाजनों से कोई कम नहीं हैं. कहने को तो वे कम ब्याज पर सोने को रख कर कर्ज देती हैं पर असल में वे इस इंतजार में रहती हैं कि  कब कर्जदार कोई किस्त चुकाने से चूके और उन्हें दोगुना ब्याज मिलना शुरू हो जाए.

चूंकि इस कर्ज को देने में कोई ज्यादा कागजी काम नहीं होता, यह तुरंत मिल जाता और एक सीमा तक तो इनकम टैक्स की भी टांग बीच में नहीं अड़ती. कुछ घंटे में लोन का पैसा अकाउंट में आ जाता है और फिर उसे बरबाद करने की तरकीबें सोची जाती हैं.

सोना कभी भी कोई जना अपने खेत या अपने छोटे कारखाने में नहीं बनाता. यह तो खानों से बहुत मुश्किल से निकाला जाता है. सदियों से बहुत कीमती मैटल रहा है. इस का लगाव सिर्फ इसलिए नहीं कि यह चमकता है, लगाव इसलिए भी है कि यह पहनने वाली की हैसीयत बताता है. यह सुरक्षा की गारंटी है क्योंकि गलता नहीं, फटता नहीं, जंग नहीं खाता. इसे दबा कर छिपाया जा सकता है और इसीलिए सोने के भंडारों को ढूंढ़ने वाले कम नहीं हैं जिन में से कुछ को बाबा लोग बेवकूफ बनाते हैं.

देश में अगर गोल्ड लोन बढ़ रहा है तो मतलब है कि औरतें अपने जेवर उतार कर दे रही हैं. जिस की चर्चा पिछले चुनावों में जम कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

इस गोल्ड लोन का आंकड़ा अबइन में वह मंगलसूत्र भी होता है  1 लाख 30 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है जिस का मतलब है कि लोग अपना घर खर्च नहीं चला पा रहे.

जीएसटी और इनकम टैक्स के मार्फत सरकार बहुत पैसा जमा कर रही है जिस की वजह से हर चीज महंगी हो रही है और सिवा देश से बाहर मजदूरी करने के कुछ भी नया कमाई का साधन नहीं निकल रहा.

हां, जो ज्यादा पढ़ेलिखे हैं, सरकारी नौकरी में हैं, पहले के पैसे वाले हैं, सरकारी टैंडर लेते हैं, बड़ी कंपनियों में काम कर पा रहे हैं, टैक्नोलौजी में माहिर हैं, उन की मौज है पर यह मौज आप औसत पढ़ेलिखे, मजदूर, किसान, छोटे दुकानदार को लूटने से हो रही है.

गोल्ड लोन इस की भी निशानी है. पहले औरतें सिर्फ बेहद ज्यादा जरूरत पर अपने जेवर महाजन के पास रखती थीं, अब मौजमस्ती के लिए भी कर्ज लिया जा रहा है.

गोल्ड लोन स्कीम असल में देश की आम औरतों को बहका कर लूटने की स्कीम है और इस में फंसने वालों की गिनती बढ़ रही है तो इसलिए कि मांबाप और दादाओं का बचाया गोल्ड अब बैंकों के हवाले हो रहा है. यह देश पर धब्बा है, कोई गुणगान करने वाली बात नहीं है.

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