कहीं आप बच्चों को बहुत ज्यादा डांटते तो नहीं

कहते हैं बच्चों को अच्छे संस्कार और अच्छा व्यवहार माता-पिता से वसीयत के तौर पर मिलते हैं. ये वसीयत बच्चों के पास कैसे लानी है इसकी जिम्मेदारी भी माता-पिता की ही होती है. इस चक्कर में माता पिता अपने बच्चों के प्रति ओवर-करेक्टिंग या क्रिटिकल मोड चले जाते हैं. उन्हें लगता है कि दुनिया जमाने में उनके बच्चे सबसे सही हो, अच्छे व्यवहार करने वाले हों. जिसके चलते वो अपने बच्चों को सही करने में लग जाते हैं. लेकिन उनका ये स्टेप कभी कभी बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है. वो बच्चों के फैसले और समस्याओं को सुलझाने के बजाए और भी उलझा देते हैं. ऐसे में पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वो बच्चों के बजाए खुद का विश्लेष्ण करें और खुद को बेहतर बनाने में समय दें. इसके लिए क्या सलाह देते हैं विशेषज्ञ, आइये जानते हैं.

कम होने लगता है कांफिडेंस और सेल्फ रिस्पेक्ट-

बच्चों पर ज्यादा हावी होना उन्हें परेशान करने लगता है. उनके अंदर से कांफिडेंस और सेल्फ रिस्पेक्ट कहीं गुम सी होने लगती है.  ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि जब आप जब आप सब कुछ अपने बच्चे के लिए तय करते हैं, और उसकी क्षमताओं को नजरअंदाज भी करते हैं. आप उसकी सराहना भी नहीं करते और दूसरों के आगे हमेशा उसे एक विकल्प के रूप में प्रस्तुत करते हैं. तो  वो खुद को बेहद गिरा हुआ और कमजोर महसूस करने लगता है. जिससे उसके कांफिडेंस और सेल्फरिस्पेक्ट में कमी होने लगती है. क्योंकि वो आपके फैसलों के आगे खुद को कभी भी सहज महसूस नहीं करेगा.

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बच्चे हो जाते हैं जिद्दी- 

अगर आप भी उन माता-पिता में से हैं, जो हमेशा अपने बच्चों को सुधारने में लगे रहते हैं, और हमेशा यही सोचते हैं, कि वो अच्छे हो जाएं. तो यकीन मानिये कि आप उन्हने ऐसा करके परेशान करते हैं. आप अपने बच्चों की क्षमताओं को सीमित करते हैं. उन्हें दूसरों के आगे अक्षम महसूस करवाते हैं. ऐसे बच्चे और भी ज्यादा चिडचिडे  होने लगते हैं. और वो जिद्दी होने लगते हैं.

वैल्यू खोना-

किसी ने सच ही कहा कि, आप जितना कम बोलेंगे, आपके शब्दों के मायने उतने ही ज्यादा होंगे. ऐसे में ये कहावत तभी सही बैठती है जब आप इसे अपने बचों पर आजमा सकते हैं. जब भी आप अपने बच्चों के हर फैसलों पर उनकी आलोचना करते हैं और उन्हें हर वक्त डांटते हैं तो आपके द्वारा कही हर बात और शब्द कम प्रभावशाली होते हैं. आप चाहे जितनी भी गम्भीर परिस्थितयों में उन्हें संभालने की कोशिश क्यों ना करें. आपका हर फैसला आयर हर आदेश उनके लिए सिर्फ किसी बैकग्राउंड म्यूजिक से कम नहीं होगा. और वो इसका जवाब देना भी बंद कर देंगे. जिससे आपकी वैल्यू ही कम हो जाएगी.

बिगड़ने लगते हैं रिश्ते- 

हर पैरेंट्स के लिए उनके बच्चे पूरी दुनिया होते हैं. उन्हें आपके साथ और आपकी गाइडेंस की जरूरत होती है. लेकिन आप हर वक्त उन्हें सुधारने के लिए उनके पीछे पड़े रहें वो इस बात को बिलकुल पसंद नहीं करते. आप उन्हें सुधारना ही चाहते हैं, तो उनके प्रति शांत और विन्रम रवैया अपना सकते हैं. आप उन्हें सुधारने के साथ उनके अंदर की खामियां भी स्वीकार करें. अगर आप हर वक्त उनकी पसंद और फैसलों में हस्तक्षेप करते रहेंगे तो इससे आपका अपने बच्चे के साथ रिश्ता बिगड़ना लगभग तय है.

क्या है समाधान-

बच्चों को सुधारना अगर आप इसे अपने दायें हाथ का खेल समझते हैं, तो आप अपने और अपने बच्चे के रिश्ते को बिगाड़ रहे हैं. एक तरीके से आप उसका आत्मसम्मान और कांफिडेंस भी गिरा रहे हैं. अगर आप चाहते हैं, आपका बच्चा इन सब चीजों से ना जूझे, तो इसका समाधान क्या हो आइये जानते हैं.

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बच्चों को उनके लिए चीजें तय करने दें.

अगर वो अपने लिए गलत चुनते हैं, तो इसका एहसास भी वो खुद ही करेंगे.

बच्चों में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ाने में उनकी मदद करें.

उन्हें कठिन चुनौतियों का सामना खुद करने दें.

उन्हें हर बात में रोक टोक ना करने दें.

बच्चों से छोटी छोटी बात पर लड़ने में अपना समय और एनर्जी दोनों की बर्बाद ना करें.

ये कुछ ऐसी टिप्स हैं, जिनको आपने अगर आजमा लिया. तो आप अपने बच्चे से अपना रिश्ता बेहतर बना लेंगे. आप बस इस बात का ख्याल रखें ज्यादा रोक टोक ना करें. आप अपने बच्चों की ताकत बनें, ना की उनकी कमजोरी.

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