5 Tips: हैल्दी Eating पर महंगी नहीं 

अधिकांश लोगों को लगता है कि अगर हैल्दी फूड खाना है, तो अपनी जेब पर बोझ डालना पड़ेगा. तभी आप अपनी सेहत का ध्यान रख पाएंगे. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. आप इस बात से अनजान हैं कि अगर आपको फ़ास्ट फूड  व स्नैक्स की ज्यादा लत है, तो ये आपके हैल्दी फूड से ज्यादा महंगा व आपकी सेहत के लिए भी काफी नुकसानदेय साबित होता है. आपको बता दें कि अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखकर हैल्दी फूड के ओप्शन को चूज़ करते हैं , तो ये इकोनोमिकली भी आपकी पौकेट को सूट करने के साथ आपकी हैल्थ का भी खास ध्यान रखने का काम करेगा. तो जानते हैं इस संबंध में न्यूट्रिशनिस्ट शिखा महाजन से.

1. सीजनल चीजें ही खाएं 

हमेशा सीजनल फल व सब्जियां ही खाएं. क्योंकि ये ज्यादा फ्रैश , स्वादिष्ट होने के साथ गैर मौसमी उत्पादों की तुलना में कम महंगे होते हैं. असल में इस तथ्य का कारण यह है कि मौसमी फल व सब्जियों को उनके पूरी तरह से पकने के बाद ही काटा जाता है. और उन्हें बहुत दूर तक नहीं ले जाया जाता. जिससे खेत से ग्रोसरी स्टोर शेल्फ तक पहुंचने वाले समय में कमी आती है. और सीजनल फल व सब्जियां ज्यादा फ्रैश व स्वादिष्ट लगती है. साथ ही हमें सस्ते दामों पर भी मिल पाती है.

विभिन्न प्रकार के इंटरनेट संसाधन हैं , जो आपको इस बात की जानकारी देंगे कि इस सीजन में आपके क्षेत्र में कौन से फल व सब्जियां उपलब्ध हैं. जिसकी जानकारी लेकर आप अपने नज़दीकी ग्रोसरी स्टोर या लोकल मार्केट से उसे खरीद कर अपनी पॉकेट व अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं.

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2. खुद से कटिंग करें 

आज हर चीज इतनी आसान हो गई है कि चाहे ग्रोसरी सामान को घर लाने की बात हो या फिर फ्रूट्स, वेजिज़ की कटिंग की, हर चीज हमें अपनी सुविधानुसार मिल जाती है. आपको फलों , सब्ज़ियों से लेकर मीट , नट्स, चीज सब कटा हुआ मिल जाता है. यहां तक कि रेडी टू ईट फूड भी. जो भले ही आपके काम को आसान बनाने का काम करें, लेकिन दुकानदार इसकी पैकेजिंग, कटिंग के नाम पर काफी पैसे वसूलते हैं. और साथ ही इन चीजों की फ्रेशनेस की भी कोई गारंटी नहीं होती है.  ऐसे में आप रेडी टू इट फ़ूड व कटी हुई फल व सब्जियों के आसान आप्शन को छोड़ कर खुद से ही घर पर फल, सब्जियों व अन्य चीजों को काटें. इससे आप एक्टिव भी रहेंगे, हैल्दी भी खाएंगे और साथ ही पैसों की भी बचत कर पाएंगे.

3. प्लांट बेस्ड प्रोटीन स्रोत को चुनें 

दिनोंदिन जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है. उसी तरह मीट, फिश, चिकन के रेट्स में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. भले ही ये प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. लेकिन अगर बात सिर्फ प्रोटीन लेने की है तो आप इसे लेने के लिए अपनी डाइट में थोड़े सस्ते प्रोटीन के स्रोत जैसे बीन्स, पनीर, टोफू, छोले , दालें आदि को शामिल करें. क्योंकि ये चीजें प्रोटीन व फाइबर में हाई होने के साथ इसमें ढेरों विटामिन्स व मिनरल्स भी होते हैं. इन चीजों को आप पुलाव, सैलेड, स्टिर फ्राई, सूप इत्यादि में भी शामिल कर सकते हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं कि आप पूरी तरह से वेजिटेरियन बन जाएं. बस आप पहले प्लांट बेस्ड प्रोटीन डाइट को हफ्ते में 3 – 4 दिन शामिल करें और देखें कि ये कम पैसों में भी आपकी हैल्थ का ध्यान रखती है. यहां तक कि फ्लेक्सिटरियन डाइट भी आपको बड़ी मात्रा में प्लांट बेस्ड मील्स लेने की सलाह देती है और ओकेशनली एनिमल बेस्ड मील्स.  इसलिए समझदार बनकर पौकेट को सूट करने वाली प्रोटीन रिच फूड को अपनी डाइट में शामिल करें.

4. घर पर उगाएं सब्जियां 

आप अपने घर में सब्जियां उगा सकते हैं. अब आप ये सोच रहे होंगे कि हमारे आंगन में तो इतनी जगह ही नहीं है. तो आपको बता दें कि आप अपनी छोटी सी बालकनी में भी कम जगह घेरने वाले गमले लगाकर उसमें हरी पत्तेदार व मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे खुद की सेहत का ध्यान रखने के साथसाथ नेचर के प्रति अपने प्यार को और जता सकते हैं. इसके लिए बस आपको सोइल, सीड और धूप वाले एरिया की जरूरत होगी. इसके लिए खिड़की के पास वाली जगह या फिर बालकनी का एरिया परफेक्ट है.

यदि आप सीमित धूप वाले अपार्टमेंट में रहते हैं तो आप इंडोर हाइड्रोपोनिक गार्डन के विकल्प को चुनें. क्योंकि ये पौधों को हवा देने के लिए एलईडी लाइट्स के साथ आते हैं. ताकि पौधों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके.

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5. शौपिंग रूटीन बदलें 

क्या आज रोजाना फल व सब्जियां खरीदते हैं और हफ्ते भर बाद उसके खराब हो जाने के बाद उसे फ़ेंक देते हैं ? अगर ये नियमित रूप से होता है तो फ्रोज़न फूड सैक्शन में देखें कि फल व सब्जियां अपनी नूट्रिशनल वैल्यू नहीं खोते हैं , अगर उन्हें ताजा होने की स्तिथि में ही रख दिया जाता है. इसलिए जरूरत की चीजों को ही बाहर निकालें , बाकी को एडवांस्ड फ्रिजर  में सही टेम्परेचर पर स्टोर करके रख दें. ये ताजा रहने के साथसाथ ज्यादा महंगे भी नहीं पड़ेंगे. क्योंकि ख़राब होने पर फेंक देना मतलब पैसों की बर्बादी होना ही है. ऐसे में आप बिना नुकसान उठाए अपनी हैल्थ का रखें खयाल.

मौनसून में हेल्थ के लिए खतरनाक हो सकती हैं हरी सब्जियां

मौनसून का अहसास भर ही दिल और दिमाग को प्रफुल्लित कर देता है. और याद आने लगते हैं गरमा गरम पालक, गोभी और अरबी के पत्तों के पकौड़े. लेकिन ठहरिए. क्याकि  ये सब हरी पत्ते दार सब्जियां अपने साथ बहुत सी बिमारियों को भी लेकर आती हैं. असल में  इन हरी सब्जियों के पत्तों में ही छिपी होती हैं बीमारियां.  मानसून में ही बैक्टीरिया और माइक्रोब्स सबसे ज्यादा पनपते हैं.  गंदे पानी या बरसाती पानी के साथ इन पत्तो को ही अपना घर बना लेते हैं. यही कारण है कि इन फैलने वाले संक्रमणो के कारण ही इस मौसम में सबसे ज्यादा बीमारियां फैलती है.

पानी उबालकर सब्जियों को धोएं

मानसून में पानी उबालकर ठंडा करके पीना चाहिए. फल और सब्जियों को भी गर्म पानी से धोना चाहिए.

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सूरज की गर्माहट

बरसात में सूरज की रोशनी थोड़ी मध्यम रहते हैं जिस वजह से मौसम चिपचिपा हो जाता है और इसी वजह से यह माइक्रो और्गेंनिज़्म  और वायरस बढ़ते चले जाते हैं. सब्जियों के खाने से सीधा पाचन तंत्र पर असर होता है और शरीर में कई प्रकार की बीमारियां घर कर लेती हैं. जैसे स्किन एलर्जी, टाइफाइड ,कोलेरा, डायरिया आदि .

केमिकल वाले इंजेक्शन से बचें

सब्जियों को बरसाती मौसम में हरा रंग का दिखाने के कारण भी बहुत से उत्पादक इन सब्जियों में हानिकारक केमिकल वाला इंजेक्शन लगाते हैं. जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक हैं.  हम स्किन या पेट की बीमारियों से घिर जाते हैं.

लो मेटाबौलिज्म का रखें ख्याल

मौनसून  में हम सब का मेटाबौलिज्म धीमा हो जाता है. इसलिए  हेल्दी या टेस्‍टी खाने के नाम पर  अधपका, तैलिए ,बहुत स्पाइसी या पत्तेदार हरी सब्जियों से बना  फूड खाने से परहेज करें. पेट फूलना, अपच, उल्टियां, दस्‍त और बुखार   जैसी समस्याओं से दूर रहें.

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जरूरी बातों का रखें ध्यान

इस मौसम में क्योंकि हमारा मेटाबॉलिक रेट कम होता है इसलिए  दोपहर में खाना खाने के बाद न सोयें. हरी पत्तेदार सब्जियों की जगह -तोरी ;टिंडा ;लोकी ;सुरन,परवल आदि का सेवन करें.

सीनियर डाइटिशियन डौ. शालिनी कहती हैं कि  अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखें तो स्वस्थ रह सकते हैं खासकर कि बाहर का फूड न खाएं क्योंकि आप नहीं जानते कि वो किस प्रकार की   सब्जियों का इस्तेमाल कर रहें हैं या वो सब्जियां ढंग से धुली भी थी कि नहीं.

डाक्टर अनिका बग्गा ,सीनियर डाइटिशियन ,आदिवा हौस्पिटल, दिल्ली.

डौक्टर शालिनी, सीनियर डाइटिशियन, केजीएमयू कौलेज ,लखनऊ से बातचीत पर आधारित.

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