मेरा अपना कोई दायरा नहीं है – सहर बम्बा

फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ में डेब्यू करने वाली सहर बंबा हिमाचल प्रदेश के शिमला की है. बचपन से ही उसे अभिनय का शौक था, जिसमें साथ दिया उसके माता-पिता ने. 19 साल की सहर मुंबई पढाई के सिलसिले में आई. यहां पर उसने एक कौलेज में एडमिशन लिया और अपनी पोर्टफोलियों बनवाकर जहां भी औडिशन होता, चली जाती थी. ऐसा करते-करते उसे पहली फिल्म मिली है और इसे लेकर वह बहुत उत्साहित है और चाहती है कि दर्शक उसकी फिल्म को देखकर उसका हौसला आफजाई करें, जिससे आगे भी उसे अच्छा काम मिले. अपने संघर्ष और उपलब्धि के बारें में उसने बात की, आइये जाने उन्हीं से.

सवाल- अपने बारें में बताएं और फिल्मों में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मैं शिमला के मध्यम वर्गीय की हूं और बचपन से अभिनय की इच्छा थी. गाना सुनते ही डांस करना मुझे पसंद था. स्कूल में भी जहां मौका मिलता मैं अभिनय कर लेती थी. अभिनय मेरी ड्रीम थी, पर इंडस्ट्री के किसी को जानती नहीं थी. ऐसे में स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद मैंने मुंबई आना उचित समझा, माता-पिता को राजी कराने के बाद उन्होंने भी हामी भरी और मैं मुंबई आ गयी.

करीना कपूर, दीपिका पादुकोण, प्रियंका चोपड़ा, आलिया भट्ट आदि सभी की फिल्मों से मुझे प्रेरणा मिली है, क्योंकि मेरे परिवार और दोस्तों में कोई भी इंडस्ट्री से नहीं है. इसलिए इनकी फिल्मों को देखकर ही मेरी रूचि इस ओर बढ़ी.

सवाल- यहां आने के बाद संघर्ष कितना था?

मुंबई में बहुत संघर्ष था. सबसे पहले रहने की समस्या थी. मैंने एक होस्टल में रहना शुरू किया,जहां कई लड़कियां अलग-अलग शहरों से आई हुई थी. वे धीरे-धीरे एक दूसरे की सपोर्ट सिस्टम बन गयी. कौलेज के बाद रोज मैं औडिशन के लिए ट्रेन पकड़ कर अंधेरी में आराम नगर जाती थी और एक अच्छी औडिशन की उम्मीद करती थी. पहले ब्रांड के लिए औडिशन किया, वह नहीं मिला. फिर एक दिन इस फिल्म का औडिशन हुआ, कई बार औडिशन देने के बाद मैं चुन ली गयी.

सवाल- मुंबई में एडजस्ट करना कितना मुश्किल था?

बहुत मुश्किल था, क्योंकि दिल्ली में मेरी फैमिली और फ्रेंड्स है, वहां के रहन-सहन से मैं परिचित हूं. मुंबई मेरे लिए एक एलियन सिटी थी, क्योंकि यहां कौलेज में एडमिशन बहुत मुश्किल थी,लेकिन जय हिन्द कौलेज में एडमिशन मिलने से ख़ुशी हुई. मुश्किल से हौस्टल मिला, जहां 8 लड़कियां थी और बंकर पर सोना पड़ता था,पर वे अच्छी दोस्त बन गयी थी, जिससे मुश्किलें कम हो गयी थी. इसके अलावा यहां अनिश्चितता बहुत थी और लगता था कि अगर मैं सफल नहीं हुई तो वापस शिमला जाना पड़ेगा. हर दिन आगे क्या होगा इसी सोच के साथ नीद से उठती थी.

सवाल- परिवार का कितना सहयोग था?

परिवार का बहुत सहयोग था, क्योंकि जब उन्हें पता चला कि इस फिल्म के निर्देशक, निर्माता  सनी देओल है, तो उन्हें बहुत राहत मिली कि ये एक अच्छी फिल्म होगी. अब वे खुश है और मेरी फिल्म के किसी भी प्रमोशन को एन्जौय कर रहे है. इसके अलावा किसी भी फिल्म के बारें में मैं उनसे चर्चा अवश्य करती हूं. उनका कहना होता है कि जो भी कहानी मुझे अच्छी लगे, मैं कर सकती हूं.

सवाल- क्या आप अपनी पढाई पूरी कर चुकी है?

अभी पढ़ाई पूरी नहीं हुई है. फिल्म की रिलीज के बाद मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूंगी. मेरी कोई दूसरी चौइस नहीं है, मुझे बचपन से एक्ट्रेस बनने की इच्छा थी, कोई बी प्लान नहीं था.

सवाल- अभी कैरियर को लेकर आप कितनी सुरक्षित महसूस कर रही है?

सुरक्षित महसूस तो नहीं कर रही हूं, फिल्म के बाद पता चलेगी.

सवाल- पहली बार धर्मेन्द्र से मिलने का अनुभव कैसा था?

उनके साथ मिलकर मुझे मेरे ग्रैंड फादर की याद आई. उन्होंने मुझे कई वीडियों में एनिमल्स और उनके बच्चों को दिखाया. धर्मेद्र ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवार मुझे अच्छा लगा.

सवाल- नयी-नयी बहुत सारी अभिनेत्रियां अभी इंडस्ट्री में है, कितना प्रेशर महसूस कर रही है?

बहुत नर्वस हूं और ये धीरे-धीरे बढ़ता ही जायेगा. इस बारें में अधिक सोचने की जरुरत नहीं मैं फ्लो के साथ-साथ जाना पसंद करती हूं और जो जैसे आता जायेगा उसे वैसे ही स्वीकार करुंगी. असल में सबकी जर्नी अलग है. वे यहां स्थापित है और मुझे यहां स्टाब्लिश होना है. इसलिए कोई तुलना नहीं है. मैं सिर्फ मेहनत कर ही आगे बढ़ सकती हूं.

सवाल- फिल्म में किसिंग सीन को करने में कितनी सहज थी? आपने अपना दायरा क्या बनाई है?

मैं पूरी कहानी को जानती थी और कहां क्या भूमिका है उससे परिचित थी, ऐसे में कोई झिझक महसूस नहीं हुई. सनी देओल किसी भी इंटिमेट सीन की शूटिंग के समय सेट पर पूरी सीरियस रहते है, जिससे इसे करने में कोई समस्या नहीं आई. तकनीक की दृष्टि से ये सीन भी बाकी दृश्यों की तरह ही था.

मैंने अपना कोई दायरा नहीं बनाया है. जब तक मेरी चेतना किसी काम को करने के लिए मना  नहीं करेंगी, मैं करती रहूंगी, क्योंकि मैं अभी सीख रही हूं.

सवाल- फिल्म की कौन सी भाग बहुत कठिन थी?

फिल्म में एक्शन सीन्स बहुत कठिन थे, जो ठण्ड में हिमालय के कई जोखिम भरे वैली में शूट किया गया था.

सवाल- फैशन का आपके जीवन में कितना महत्व है? त्यौहार को कैसे मनाना पसंद करती है?

फैशन मुझे पसंद है और मैं करती भी हूं, लेकिन जो भी परिधान पहनू वह आरामदायक होना चाहिए. अधिकतर मैं जींस और टी शर्ट पहनती हूं, लेकिन त्योहारों में भारतीय परिधान जिसमें साड़ी पहनना बहुत पसंद है. परिवार के साथ त्यौहार को मनाना अच्छा लगता है.

सवाल- कितनी फूडी है?क्या बना लेती है?

मुझे दक्षिण भारतीय भोजन पसंद है. खाना बनाना नहीं आता, पर मां के हाथ का बना करी चावल बहुत पसंद है.

सवाल- कोई सामाजिक काम जिसे आप करना चाहती है?

मुझे जानवर बहुत अच्छे लगते है, इसलिए उस दिशा में काम करने की इच्छा रखती हूं.

सवाल- समय मिले तो क्या करना पसंद करती है?

गाना सुनना, फिल्में देखना, वौक करना आदि करती हूं.

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