रखें घर की सैल्फ रिस्पैक्ट का ध्यान

“देख आशिमा मेरा मुंह मत खुलवा. वरना तू जानती है मैं क्या कर सकता हूं, ” नीरज चीखा.

” क्या करोगे? करो जो करना है. मार डालोगे न और क्या कर सकते हो? तुम्हारी और तुम्हारे घर वालों की औकात जानती हूं मैं. गलियों के गुंडे तुम से ज्यादा अच्छे होंगे.”

” औकात की बात मत कर. तेरी बदचलन मां और नल्ले बाप की औकात बताऊं तुझे?’

” खबरदार जो मेरे मांबाप के लिए एक शब्द भी मुंह से निकाला.” गुस्से में आशिमा चीखी.

” क्या कर लेगी? बता क्या कर लेगी? तेरे बाप ने तेरे साथ भेजा ही क्या था? वह तो हम हैं धनसंपन्न, कुलीन वर्ग के लोग जो तुझे अपनी पत्नी का दर्जा दिया.”

” पत्नी बना कर कौन सा एहसान कर डाला? तुम्हारे जैसे जानवर के साथ ब्याहने से अच्छा था बिनब्याही मर जाती,” कह कर आशिमा जोरजोर से रोने लगी.

तब तक कमरे से मारपीट की आवाजें भी आने लगीं. आशिमा का रोना भी बढ़ गया.

आशिमा और नीरज के घर के बगल में रहने वाले अनिल वर्मा व्यंग से मुस्कुराए. पास से गुजरते अरविंद दास धीमी आवाज में हंसते हुए बोले,” इन लोगों का तो रोज का बस एक ही काम है. यही चीखनाचिल्लाना, मारपीट. पता नहीं कैसे लोग हैं. मेरा बस चले तो इन्हें कॉलोनी से चलता कर दूं. ”

” सच कह रहे हो भाई. ऐसे लोगों के साथ रहना कौन चाहता है? कोई सैल्फ रिस्पैक्ट ही नहीं है इन की ,” अनिल ने सहमति जताई.

आजकल सैल्फ रिस्पैक्ट की बहुत बात की जाती है. क्या है यह सैल्फ रिस्पैक्ट ? इस का सीधा सा अर्थ है खुद का सम्मान करना. पर इसे ईगो समझने की भूल न करें. ईगो का अर्थ होता है अहंकार यानी दूसरों के आगे खुद को बड़ा महसूस करना और अपना महत्व जताना. यह एक नकारात्मक भाव है. जबकि सैल्फ रिस्पैक्ट सकारात्मक भावना है. जब तक हम खुद अपना सम्मान नहीं करेंगे लोग हमें अहमियत नहीं देंगे.

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सैल्फ रिस्पैक्ट केवल एक इंसान की ही नहीं होती बल्कि पूरे परिवार और घर की भी होती है. जब तक हम अपने घरपरिवार और रिश्तों को अहमियत नहीं देंगे, उन का सम्मान नहीं करेंगे, दूसरे लोग भी आप के घर की रिस्पैक्ट नहीं करेंगे.
आप के घर में यदि हमेशा तनाव रहता है और छोटीछोटी बातों पर झगड़े होते रहते हैं, घर के सदस्य एकदूसरे पर जोरजोर से चीखतेचिल्लाते हैं और एकदूसरे की इज्जत की धज्जियां उड़ाते हैं, गंदेगंदे इल्जाम लगाते हैं तो दूसरों की नजरों में आप के घर की और आप की कोई इज्जत नहीं रह जाती. क्यों कि ऐसी आवाजें जब घर के बाहर तक जाती हैं तो पड़ोसी व्यंग से मुस्कुराते हैं. लोग आप के घर को ले कर तरहतरह की बातें बनाते हैं. दरवाजे पर खड़े आगंतुक के दिल में भी आप के परिवार की नकारात्मक छवि बन जाती है. ऐसे में घर की रेस्पैक्ट कहां रह जाती है?

मान लिया आप बहुत बड़े घर के मालिक हैं. आप के घर में बहुत से काम करने वाले लोग जैसे नौकरनौकरानी, ड्राइवर, रसोईया, दरजी, सुरक्षा गार्ड आदि है. यदि ये लोग बाहर आप की बुराई करते हैं, दूसरों के आगे आप के स्वभाव की खामियां गिनाते हैं और आप को कंजूस, गुस्सैल, बददिमाग या सनकी जैसी उपाधियों से नवाजते हैं, आप के घर में होने वाले झगड़े सुना कर मजाक उड़ाते हैं तो संभल जाइए. कहीं न कहीं ये बातें बता रही हैं कि आप के घर की सैल्फ रिस्पैक्ट नहीं रखी जा रही है और इस के कसूरवार आप खुद हैं.

कैसे घटती है रिस्पैक्ट

कहा जाता है कि कोई इंसान कैसा है यह बात जाननी है तो उस के नौकर से पूछो. दरअसल ये गरीब और काम करने वाले लोग ही हैं जो आप को बहुत करीब से पहचानते हैं. यदि इन की नजर में आप के परिवार के लोग गिरे हुए इंसान हैं तो समझ जाइए कि आप सब अपने घर की रिस्पैक्ट खो चुके हैं.

यदि आप अपने सब्जी वाले से छोटीछोटी रकम के लिए झगड़ते हैं, दूसरों से सामान लेते समय जरूरत से ज्यादा मीनमेख निकालते हैं, लोगों के सामने अपने घरवालों जैसे पति, पत्नी, सास, ससुर, ननद आदि की बुराइयां करते हैं तो समझ जाइये कि ऐसी बातें सोसाइटी में आप के परिवार का सम्मान घटाती है.

माना आप ने अपने घर में महंगेमहंगे सामान ले रखे हों. इस से सोसाइटी में आप के परिवार का सम्मान तो बढ़ेगा लेकिन बहुत कम समय के लिए. असली सम्मान तो परिवार के सभी सदस्यों के घुलमिल कर रहने बड़ों का आदर करने, दूसरों की मदद करने और इमानदारीपूर्ण जीवन जीने में ही मिलता है. गलत कमाई से आप कितनी भी बड़ी बिल्डिंग तैयार कर लें मगर जब लोगों के आगे आप की असलियत आएगी तो आप के घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. इस के विपरीत ईमानदारी के बल पर कमाई गई इज्जत ही लंबी टिकती है.

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आप सोसाइटी में भले ही खुद को बहुत उदार और आधुनिक दिखाने का प्रयास कर लें मगर यदि घर के किसी बच्चे द्वारा किसी गैर जाति में किए गए प्यार को आप स्वीकार नहीं कर पाते हैं तो आप कहीं से भी आधुनिक या उदार नहीं है. जब वही बच्चा घर से स्वीकृति न मिलने पर भाग कर अपने प्रेमी/प्रेमिका से शादी करता है तो सोसाइटी में आप के लाडले के इस कृत्य चर्चाएं होती हैं और आप के घर की रिसपैक्ट बहुत नीचे चली जाती है.

रिस्पैक्ट तो तब बढ़ेगी जब आप किसी भी जाति और स्टेटस की बहू या दामाद को स्वीकार कर एक आदर्श प्रस्तुत करेंगे.

इस कोरोनाकाल में या ऐसे ही किसी विपत्ति के समय यदि आप घर में काम करने वालों या दूसरे जरूरतमंदों की मदद करने की बजाय उन्हें झिड़कते हैं या दो बातें सुना कर निकाल बाहर करते हैं तो लोगों की नजरों में आप बहुत छोटे दिल के साबित हो जाएंगे. इस के विपरीत उन्हें धन या राशन की मदद दे कर आप दूसरों की तारीफ के पात्र बनेंगे. आप का परिवार भी इस रिसपैक्ट को महसूस कर संतुष्ट रह सकेगा .

प्यार का दर्द बड़ा बेदर्द

नैना बहुत देर से अर्पित से बातें करना चाह रही थी मगर अर्पित का फोन बारबार व्यस्त आ रहा था. एक बार फोन लगा तो भी अर्पित ने उठाया नहीं. फिर नैना ने उसे मैसेज किया कि फ्री होने पर कॉल करना मगर 2 दिन बीत गए अर्पित ने कोई जवाब नहीं दिया.

आजकल नैना के साथ ऐसा अक्सर अक्सर होने लगा था. नैना के ज्यादातर मैसेजेस का अर्पित कोई जवाब नहीं देता था. कभी जवाब देता भी तो बहुत संक्षेप में या केवल हां या ना में उत्तर देता. कभी अपनी तरफ से कोई फोन नहीं करता.

ऐसा पहले नहीं था. पहले तो अर्पित हर रोज नैना से एकदो घंटे बात न कर ले तो उसे चैन नहीं पड़ता था. बारबार मैसेज करता था. वह कॉलेज में होती तो दोनों घंटों का समय साथ बिताया करते. मगर धीरेधीरे अर्पित के दिल से नैना का प्यार उतरने लगा.

कॉलेज में एकदो स्मार्ट और खूबसूरत लड़कियां आ गईं थीं और अर्पित का ध्यान उधर ज्यादा रहने लगा था. नैना अब उस के लिए महत्व नहीं रखती थी. मगर नैना अब भी अर्पित के प्यार में डूबी हुई थी. अर्पित बातबात पर उसे झिड़कता पर वह खामोशी से सुन लेती. अर्पित ने कई बार उसे सब के आगे बुराभला कहा. दूसरों के सामने बिना बात उस का मजाक उड़ाता.

मगर नैना का प्यार कम नहीं हुआ. यह बात अलग थी कि जो प्यार पहले उस की जिंदगी को नई उमंगों से भरता था वही प्यार अब दर्द देने लगा था. नैना को बहुत तकलीफ होती थी पर अर्पित के प्रति उस की दीवानगी में कोई अंतर नहीं आया था.

एक दिन नैना की सहेली प्रिया उसे एक कोने में बिठा कर समझाने लगी,” नैना मैं मानती हूं कि प्यार करना अच्छा है. पर याद रखना हमें जीवन में प्यार की जरूरत तो है पर इतनी भी नहीं कि हम अपने सेल्फ रिस्पेक्ट की व्हाट लगा दें. ”

“यह क्या कह रही है तू प्रिया?”

“सच कह रही हूं नैना. तू जरा अपनेआप को ही देख. अर्पित के पीछे अपनी क्या हालत बना ली है तूने. आज से डेढ़दो साल पहले कितनी खुश रहा करती थी तू. क्लास में हमेशा प्रथम आती थी. क्लास की हर एक्टिविटीज में हिस्सा लेती थी. प्राइज जीतती थी. टीचर्स की तारीफें मिलती थीं. जानती है क्यों ?”

“क्यों”

“क्यों कि तेरे अंदर आत्मविश्वास था पर अब तू ऐसी रहती है जैसे तुझे खुद पर कोई भरोसा ही नहीं रह गया है. तेरे अंदर कोई उत्साह कोई उमंग नजर नहीं आती नैना.”

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“पर मैं क्या करूं प्रिया, अर्पित……”

“बस जो यह घूमफिर कर तेरी सुई अर्पित पर जा कर टिकती है न यही सारी समस्याओं की जड़ है. उस के प्यार के पीछे तूने अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट खो दी है. अपने आत्मसम्मान की धज्जियां उड़ा ली हैं. जानती है, आत्मसम्मान से जुड़ा होता है खुद पर विश्वास जो अब तेरे पास नहीं है. इस तरह तुझे कुछ हासिल नहीं होने वाला. अर्पित को तेरी कदर नहीं तो तू क्यों भाव देती है उसे. उस अर्पित को अपनी जिंदगी से निकाल फेंक फिर देख. कैसे तू खुद को दोबारा हासिल करती है.”

प्रिया की बातें नैना को समझ में आने लगीं थीं. घर जा कर भी वह इस बारे में सोचती रही. फिर उस ने अपना फोन उठाया और कांटेक्ट लिस्ट से अर्पित का नंबर डिलीट कर दिया. व्हाट्सएप पर उस की सारी चैटिंग भी डिलीट कर दी. ऐसा कर के उसे अजीब सा सुकून महसूस हुआ और वह मुस्कुरा उठी.

इस बात में कोई शक नहीं कि प्यार जिंदगी का सब से खूबसूरत एहसास है. सिडनी स्मिथ के शब्दों में प्रेम करना और प्रेम पाना इंसान के जीवन का सब से बड़ा सुख है. रविंद्रनाथ टैगोर ने भी सही कहा था कि हमारे दिल में यदि प्रेम जाग्रत न हो तो दुनिया हमारे लिए जेल के समान है. जब कि प्लेटो का मानना था कि प्रेम के स्पर्श से हर व्यक्ति कवि बन जाता है.

वस्तुतः यह एक ऐसा नशा है जो इंसान को पूरी तरह बदल कर रख देता है. यह मखमली अहसास कब दिल के साथसाथ दिमाग पर भी काबिज हो जाए पता ही नहीं चलता. मगर प्यार में सावधान रहना बहुत जरूरी है.

ध्यान रखें;

1. प्यार में कभी सेल्फ रिस्पेक्ट न खोएं

प्यार तभी तक खूबसूरत है जब तक उसे जबरदस्ती का बोझ न उठाना पड़े. प्यार का एहसास दोनों को होना चाहिए. यदि ऐसा नहीं है और सामने वाला आप से पीछा छुड़ाने का प्रयास करने लगे या आप को दूसरों के सामने झिड़कने लगे तो समझ जाइए समय आ गया है जब आप को इस प्यार पर विराम लगाना है.

कुछ लोग इग्नोर किए जाने के बावजूद अपने प्रेमी/प्रेमिका के पीछे पड़े रहते हैं, प्यार की भीख मांगते हैं और दोबारा प्यार पाने की आस नहीं छोड़ते. जब यह आस पूरी तरह टूट जाती है और दूसरों के सामने जी भर कर बेईज्जती हो जाती है तो वे खुद को ही समाप्त करने की सोचने लगते हैं.

पर ध्यान रखें एक इंसान के पीछे अपनी जिंदगी से हाथ धोना बेवकूफी से अधिक कुछ नहीं. प्यार जिंदगी का एक अध्याय हो सकता है पर जिंदगी की पूरी किताब नहीं. बेहतर है उस अध्याय को बंद कर दें यानि दर्द देने वाले चैप्टर को क्लोज कर जीवन में आगे बढ़ जाएं.

2. यह प्यार नहीं आसान

38 साल की कत्थक डांसर नेहा पारिजात जब कॉलेज में थी तो एक लड़का उस के पीछे पड़ा हुआ था. आतेजाते, सोतेजगते हर वक्त उस लड़के के मैसेजेस नेहा को परेशान करते. एक दिन नेहा ने उसे एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए बुलाया.
वह लड़का बहुत तैयार हो कर और हाथों में फूलों का गुलदस्ता ले कर अंदर दाखिल हुआ. नेहा को फूल और चॉकलेट्स देता हुआ बोला,” आई लव यू डार्लिंग.”

“नेहा ने सवाल किया,” मगर क्यों?”

“क्योंकि आप बेहद खूबसूरत हैं.”

“और यदि मैं खूबसूरत न होती तो क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करते?”

वह लड़का थोड़ा अचकचाता हुआ बोला,” ऐसा नहीं है.”

“तो कैसा है? यदि मैं कहूं कि मुझे 40 साल की उम्र तक शादी नहीं करनी. अभी मुझे कैरियर बनाना है. तो क्या तुम मेरा इंतजार करोगे और क्या इतने साल किसी और लड़की की तरफ आकर्षित हुए बिना सिर्फ मेरे इंतजार में बैठे रह सकोगे?’

“जी कोशिश करूंगा.”

“कोशिश करोगे ….,” कह कर वह हंसने लगी और बोली,” यदि मैं कहूं कि मैं अपने घर में अकेली कमाने वाली सदस्य हूं और मेरे पापा बीमार हैं. वे बेड पर हैं और अगले कई सालों तक मुझे और मेरे पति को उन की देखभाल करनी होगी. तो भी क्या तुम…. ”

उस लड़के को ऐसे सवालों की अपेक्षा कतई नहीं थी. वह तो टाइमपास लव की जुगाड़ में था ताकि कॉलेज में दूसरे लड़कों के आगे शान से नेहा को अपनी गर्लफ्रेंड कह सके. वह बगले झांकने लगा इधर नेहा को बहुत हंसी आ रही थी.

नेहा ने उसे डपटते हुए कहा,” बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं किसी का होने के लिए. मैं कोई मैगी तो हूं नहीं कि 2 मिनट में तुम्हारी बन जाऊं.”

नेहा के तेवर देख कर वह यकायक उठा और वहां से भाग गया. इस के बाद उस ने कभी भी नेहा को परेशान नहीं किया.

दरअसल प्यार को जितना आसान और टाइमपास फीलिंग समझा जाता है वैसा है नहीं. प्यार करना और उसे निभाना बहुत कठिन है. प्यार की राह पर तो सब बढ़ जाना चाहते हैं. मौजमस्ती, रोमांस, घूमनाफिरना, मजे लेना इसे ही प्यार का नाम देते हैं. पर दरअसल प्यार दिल से दिल को जोड़ता है. एक बार किसी से सच्चा प्यार हो जाए तो इंसान वह कर गुजरता है जो सामान्य लोगों के लिए संभव नहीं है.प्यार इंसान को जुनून और ताकत देता है.

पर ऐसा प्यार आसानी से नहीं होता. बहुत ही कुर्बानियां देनी पड़ती हैं. किसी को खुद से ज्यादा अहमियत देनी पड़ती है. तभी प्यार सच्चे रूप में सामने आता है.

3. आजकल प्यार अंधा कम और गंदा ज्यादा है

पहले कहा जाता था कि प्यार अंधा होता है मगर अब आप कह सकते हैं कि प्यार गंदा होता है. पहले किसी पर दिल आ जाता था तो इंसान यह नहीं सोचता था कि वह खूबसूरत है या नहीं, धनवान है या नहीं, अपनी हैसियत का है या नहीं. प्यार छिपछिप कर होता था और इंसान किसी एक का ही हो कर रह जाता था. मगर आजकल अक्सर प्यार करने से पहले लड़केलड़कियां यह सोचते हैं कि वह अपने काम आ सकता है या नहीं? वह खूबसूरत और स्मार्ट है या नहीं? उस की बॉडी में कितना अट्रैक्शन है? जेब में कितने पैसे हैं और बंगला कितना बड़ा है?

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ऐसे लड़कों की भी कमी नहीं है जो प्यार के नाम पर फंसा कर लड़कियों से जिस्म का व्यापार कराते हैं. लड़कियां भी बहुत भोली हों ऐसा नहीं है. जिस लड़के की पॉकेट में माल है उस के करीब जाने से नहीं हिचकतीं. पल भर में रिश्ते जुड़ते हैं. एक के बाद एक कई लोगों से नजरें मिलती हैं. जिस्मों का मिलन होता है और फिर ब्रेकअप. जैसे प्यार न हुआ कपड़े हो गए. जब चाहे यूज करो और जब चाहे फेंक दो.

ऑरसन वेलैस ने सही कहा था कि अकेले पैदा हुए, अकेले जिए, अकेले ही मर जाएंगे. हम अकेले नहीं, ऐसा भ्रमजाल सिर्फ प्रेम और दोस्ती के माध्यम से रचा जाता है.

4. प्यार जरा सावधानी से परोसना

हाल ही में ( अप्रैल, 2020) बिहार के नालंदा जिले में एक युवती का रेप वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया. शर्म की बात यह है कि रेप करने वाला युवक उक्त लड़की का तथाकथित प्रेमी था. युवक ने अपनी प्रेमिका का रेप किया और उस का वीडियो बनाया. जब कि दूसरे युवक ने दोस्त के मोबाइल से उक्त वीडियो अपने मोबाइल में ट्रांसफर किया और उसे वायरल कर दिया. सोशल मीडिया में वीडियो पहुंचते ही तेजी से फैलने लगी.

प्यार के नाम पर फंसा कर लड़की के करीब आना और फिर अश्लील वीडियो बना कर पैसे कमाने का धंधा आजकल बहुत चल निकला है. आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन है. जिस पर कभी भी कहीं भी आप वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर अपलोड कर सकते हैं. दो पल में ये वीडियो प्यार की खूबसूरती नोच कर इंसान को नंगा कर सकते है. इसलिए आजकल प्यार को बहुत सावधानी से परोसना चाहिए. वरना क्या पता आप की जिंदगी में कोई भूचाल आ जाए. फिर आप भी मिर्ज़ा ग़ालिब के ये शब्द दोहराते रह जाएंगे ,’ इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के.’

5. सच्चा प्यार सभी को पचता नहीं

जिंदगी में सब को सच्चा प्यार हासिल नहीं होता. पर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सच्चा प्यार मिल जाए तो भी वे उस की कदर नहीं करते. उन्हें महसूस ही नहीं होता कि सामने वाला उन्हें सच्चा प्यार कर रहा है. किसी और नकली और आडंबर भरे प्यार की आड़ में वे सच्चे प्यार को खो देते हैं और बाद में जब उन्हें इस का अहसास होता है तो सिवा पछतावे के उन के पास कुछ नहीं बचता.

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