मैं जेठानी और सास के सास बहू के सीरियल से परेशान हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मैं 29 वर्षीय शादीशुदा महिला हूं. हम संयुक्त परिवार में रहते हैं. सासससुर के अलावा घर में जेठजेठानी, उन के 2 बच्चे व मेरे पति सहित कुल 8 सदस्य रहते हैं. ससुर सेवानिवृत्त हो चुके हैं. मुख्य समस्या घर में सासूमां और जेठानी के धारावाहिक प्रेम को ले कर है. वे सासबहू टाइप धारावाहिकों, जिन में अतार्किक, अंधविश्वास भरी बातें होती हैं, को घंटों देखती रहती हैं और वास्तविक दुनिया में भी हम से यही उम्मीद रखती हैं. इस से घर में कभीकभी अनावश्यक तनाव का माहौल पैदा हो जाता है.

इन की बातचीत और बहस में भी वही सासबहू टाइप धारावाहिकों के पात्रों का जिक्र होता है, जिसे सुनसुन कर मैं बोर होती रहती हूं. कई बार मन करता है कि पति से कह कर अलग फ्लैट ले लूं पर पति की इच्छा और अपने मातापिता के प्रति उन का आदर और प्रेम देख कर चुप रह जाती हूं. सम  झ नहीं आता, क्या करूं?

जवाब-

सासबहू पर आधारित धारावाहिक टीवी चैनलों पर खूब दिखाए जाते हैं. बेसिरपैर की काल्पनिक कहानियों और सासबहू के रिश्तों को इन धारावाहिकों में अव्यावहारिक तरीके से दिखाया जाता है.

पिछले कई शोधों व सर्वेक्षणों में यह प्रमाणित हो चुका है कि परिवारों में तनाव का कारण सासबहू के बीच का रिश्ता भी होता है और इस में आग में घी डालने का काम इस टाइप के धारावाहिक कर रहे हैं. ये धारावाहिक न सिर्फ परिवार में तनाव को बढ़ा रहे हैं, बल्कि भूतप्रेत, ओ  झातांत्रिक, डायन जैसे अंधविश्वास को भी बढ़ावा दे रहे हैं.

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काल्पनिक दुनिया व अंधविश्वास में यकीन रखने वाले लोगों में एक तरह का मनोविकार भी देखा गया है, जो इन चीजों को देखसुन कर ही इन्हें सही मानने लगते हैं. ऐसे लोगों की मानसिकता बदलना टेढ़ी खीर होता है. अलबत्ता, इस के लिए आप को धीरेधीरे प्रयास जरूर करना चाहिए.

दिल्ली प्रैस की पत्रिकाएं समाज में व्याप्त ढकोसलों, पाखंडों व अंधविश्वासों के खिलाफ शुरू से मुहिम चलाती आई हैं और अब महिलाएं समाज में व्याप्त ढकोसलों, पाखंडों का विरोध करने लगी हैं.

फिलहाल आप खाली समय में उपयुक्त वक्त देख कर सास और जेठानी को इस के गलत प्रभावों के बारे में बता सकती हैं. आप को उन के मन में यह बात बैठानी होगी कि इस से घर में तनाव का माहौल रहता है और इस का सब से ज्यादा गलत प्रभाव बच्चों और उन के भविष्य पर पड़ता है और वे वैज्ञानिक सोच से भटक कर तथ्यहीन और बेकार की चीजों को सही मान कर भटक सकते हैं. आप अपने ससुर से भी इस में दखल करने को कह सकती हैं.

बेहतर होगा कि खाली समय को ऊर्जावान कार्यों की तरफ लगाएं और उन्हें भी इस के लिए प्रेरित करें. उन्हें पत्रपत्रिकाएं व अच्छा साहित्य पढ़ने को दें. कुप्रथाओं, परंपराओं, अंधविश्वास के गलत प्रभावों को तार्किक ढंग से बताएं ताकि उन की आंखों की पट्टी खुल जाए और वे इस टाइप के धारावाहिकों को देखना बंद कर दें.

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