मेड से निभाना है रिश्ता तो जरुर जानें ये बातें

आज के इस महंगाई युग में अधिकतर महिलाएं काम पर जाती है. इस कारण घर के कामकाज को करने के लिये घर में कामवाली बाई रखना जरूरी सा लगता है. इससे उनका काम कम हो जाए और इस कारण वह समय पर अपने औफिस या काम जा सके. लेकिन सवाल यह उठता है कि कामवाली बाई का समय पर आना और उससे काम लेना कितना मुश्किल है, ये तो आप जानते है. आज के जमाने में काम वाली बाई से काम लेना आसान काम नहीं है, इसलिये आपको काम वाली से भी काम करवाने के लिये कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए जिससे आपका भी काम हो जाए और उनको भी काम करने में परेशानी महसूस न हो. इसलिए अगर आप ये जरूरी टिप्स अपनाएंगे तो आप भी सुखी और काम वाली बाई भी सुखी.

1. सबसे पहले काम वाली बाई रखते समय और अपने व्यवहार में थोडा इंसानियत का फर्ज निभाना सीखे और थोड़ा दिल और दिमाग से सोचकर ही बात करें. कामवाली के साथ अपनापन रखें वरना वह तो एक दिन में छोड़कर चली जायेगी और इस खास बात का बखूबी ध्यान रखें की जरूरत उसको भी है पैसे की और आपको काम की तो केवल आप ही उस पर हावी न हो.

2. कामवाली बाई रखते समय सभी बातें स्पष्ट कर लें जैसे कि महीने में कितनी छुट्टी लेगी और अगर ज्यादा ली तो क्या करें. इमरजैंसी छुट्टी कैसी लेनी है उसके साथ पहले की छुट्टी मिलानी है या नही सब बातें पुरी तरह से स्पष्ट करें और ज्यादा की तो क्या पैसे काटना है या अलग से एक्स्ट्रा काम करवाना है इत्यादि इससे आप को भी टेंशन नही रहेगा.

3. अब अगर मेहमान वगैरह आने पर क्या एक्स्ट्रा पैसे देना है या नहीं सभी स्पष्ट कर लें.

4. कामवाली बाई का समय निर्धारण कर लें लेकिन एक दिन कभी देर हो जाए तो थोड़ा सा इंसानियन का फर्ज निभाए और उसकी भी बात सुने जिससे आपको पता चले कि वह सच बोल रही है या नहीं.

5. काम वाली को कभी कभी इंसानियन के नाते खाना कपड़े इत्यादि देते रहे जिससे उसे भी काम करने में अच्छा महसूस होगा. साथ में उसके बच्चों की साम्थर्य अनुसार मदद करते रहे कभी तबियत खराब होने पर उसको अपने आप ही छुट्टी का बोल दे. जिससे आपकी अच्छाई पता चलेगी. हो सकता है कभी आपकी तबियत खराब होने पर आपके व्यवहार को ध्यान मे रखकर वह भी आपके घर का एक्स्ट्रा काम अपने आप ही कर दें और छुट्टी न लें. इसलिये उसे बनाकर रखें आप भी उसकी जरूरत का ध्यान रखे और समय आने पर वह भी सोचेगी की मैडमजी ने भी मेरी सहायता की थी. तो चलों मै भी ज्यादा काम कर दू, इससे आपको भी अच्छा लगेगा .

6. कामवाली बाई से बात करते समय संयम रखे. अनापशनाप न बोले सोच-समझकर बोले. फालतू की बातें न बताये उससे उतना ही बोले जितना जरूरी हो वरना बाद में पछताना न पड़े.

7. आड़े वक्त अगर पैसे मांगती है तो ये देख लें कि कोई बहाना तो नहीं बना रही है. काफी सोचसमझकर उसकी मदद कर दें. इससे भी कामवाली से आपका अच्छा रिश्ता बनेगा.

8. अगर आपके यहां सब्जी भाजी ज्यादा है या अन्य वस्तु जो उसको ले जाने में एतराज न हो तो उसको दे दें फेंकने से तो अच्छा है किसी के पेट में चला जायेगा. परन्तु खाना अच्छा ही दे पुराना खराब हुआ न दें नहीं तो आप परेशानी में पड़ सकती हैं इसलिये अच्छा खाना ही दें

9. सबसे बड़ी बात उसके दुख में सहानुभूति के साथ खड़े रहे तो हो सकता है उसको भी लगे की आपको बिना कारण परेशान नही करना चाहिए इसलिये कहते हैं कि कर भला तो हो भला.

10. आप कभी भी अपने घर की पूरी जानकारी कामवाली बाई को न दें और उसके सामने फोन पर शिकायतों की लिस्ट न बताएं या बात करते समय ध्यान रखें की आपकी बात कोई सुन रहा है. इसलिये बात करते समय संयम से ध्यान देकर करें.

11. कामवाली बाई को चोरी का आरोप बिना सोचे समझे न लगाये. पहले घर में वह चीज अच्छी तरह देख लें या पूरे घर के सदस्यों से पूछ लें अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें और फिर भी आपको लगता है कि बाई पर आरोप लगाया जाए तो सहजता से विनम्रता से पूछकर जबाव से सतुंष्ट होने पर या न होने पर आप होशियारी के साथ उसको हटा दें. नहीं तो वह आपके घर में दूसरी बाई को लगने नही देगी और चारों तरफ आपकी बुराई करते फिरेगी सो अलग. इसलिये ये काम करते समय बड़ी सर्तकता बरतें.

12. कामवाली बाई आपको कोई इधर उधर की बातें चुगली करें तो आप पूरी तरह से विश्वास कर उस व्यक्ति के बारे में आप उसके कहने पर व्यवहार को ने बिगाड़े. वरना हो सकता है आपको पछताना पड़े. इसलिये सबसे बड़ी बात अगर वह इधर उधर की बात बताये तो उसे डांट दें कि मुझे चुगली मत बताये. कभी कभी कामवाली बाई की बातों में आकर लोग सम्बन्ध बिगाड़ बैठते हैं जो गलत है इसलिये दूसरा पक्ष सुनने के बाद ही कोई फैसला लें.

सामान दें सम्मान के साथ

दीवाली पर घर की साफ सफाई के दौरान रागिनी ने अपनी कामवाली को एक पुराना सूटकेस यह कहते हुए दिया कि “ले जा तेरे काम आएगा.” एक सप्ताह बाद वही सूटकेस सोसाइटी के कचरे के अटाले के ढेर में पड़ा देखकर रागिनी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस दिन से उसने आगे से अपनी मेड को कुछ भी न देने का निश्चय कर लिया.

एक सप्ताह तक फ्रिज में रखी रहने के बाद भी जब घर के किसी सदस्य ने मिठाई नहीं खायी तो गीता ने वह मिठाई अपनी काम वाली को दे दी, कामवाली ने अपनी मालकिन से तो कुछ नहीं कहा परन्तु गेट के बाहर जाकर कुत्तों को खिला दी.

इसी प्रकार रजनी ने घर के कुछ पुराने कपड़े अपने ही घर के सर्वेन्ट क्वार्टर में रहने वाले नौकर को दिए. कुछ दिनों बाद उसी नौकर की पत्नी को उन्हीं पुराने कपड़ों के बदले स्टील के बर्तन खरीदते देखकर उसे बहुत क्रोध आया और उसने अपने नौकर को खूब खरी खोटी सुनायीं.

कामगारों और मालिकों के बीच इस प्रकार की घटनाएं होना बहुत आम बात है जब मालिक का मन रखने के लिए कामवाले उनके द्वारा दिया गया सामान ले तो लेते हैं परन्तु प्रयोग करने के स्थान पर उसे फेंक देते हैं. क्योंकि उन्हें अक्सर वह सामान दिया जाता है जो प्रयोग करने के लायक ही नहीं होता.

क्या कहते हैं कामगार

एक सोसाइटी के कई घरों में काम करने वाली सीमा कहती है, “मेहनत हम चार पैसे कमाने के लिए करते हैं परन्तु घर का कबाड़ देकर मालिक हमें नौकर होने का अहसास कराते हैं आखिर हम भी तो उन्हीं की तरह एक इंसान हैं.”

अनेक घरों में खाना बनाने का काम करने वाली रजनी कहती है,”10 दिन से मैं खुद उस मिठाई को फ्रिज में रखा देख रही थी और 11 वें दिन मालकिन ने वह मिठाई उठाकर मुझे दे दी,”तेरे बच्चे खा लेंगे”.मानो मेरे बच्चे इंसान नहीं जानवर हों.

आमतौर पर कामगारों को दिये जाने वाले सामान में खाद्य पदार्थ, पहनने के कपड़े और घरेलू सामान होता है. अक्सर उन्हें वह सामान दिया जाता है जो हमारे लिए अनुपयोगी होता है परन्तु कोई भी सामान देने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि वह सामान एकदम बेकार और कचरे में फेंकने योग्य तो नहीं है.

ध्यान रखने योग्य बातें

-पुराने कपड़े देते समय यह सुनिश्चित करें कि वह मैला, कुचला, फटा न हो. यदि कहीं से सिलाई खुली है तो उसे सिलकर, धो और प्रेस करा कर ही दें.

-कई दिनों तक फ्रिज में रखने के बाद कोई भी खाद्य पदार्थ देने के स्थान पर उपयोग करने के बाद अगले दिन ही उन्हें दे दें ताकि समय रहते वे उसे प्रयोग कर सकें.

-सदैव ध्यान रखें जिस खाद्य पदार्थ को आप स्वयम नहीं खा सकते उसे उन्हें भी क्यों देना क्योंकि वे भी आपकी तरह ही एक इंसान ही हैं.

-कोई भी घरेलू सामान यदि एकदम टूटी फूटी हालत में है तो उसे कामगारों को देने के स्थान पर कचरे में फेंक दें.

-अरे ये तो सब खा लेते हैं या सब पहन ओढ़ लेते हैं जैसी ओछी बातें सोचकर उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाएं.

-किसी भी सामान को उन्हें देने से पूर्व उनसे पूछें कि वह उनके काम का है भी या नहीं.

-सबसे जरूरी बात कि आप उन्हें भी अपने जैसा ही एक इंसान समझें और उसी अनुरूप उनसे व्यवहार भी करें.

सदियों के बाद हमारे समाज के कामगार वर्ग को आज थोड़ा ही सही पर वो सम्मान प्राप्त होने लगा है जिसके वे वास्तव में हकदार हैं..इसे वे स्वयम तो आसानी से नहीं जाने देंगे परन्तु हम मालिकों कभी दायित्व है कि उनके इस सम्मान को बरकरार रखें.

नौकर ही क्यों करें घर का काम

लेखिका -स्नेहा सिंह

इलैक्ट्रौनिक्स ऐप्लायंसिस

वाशिंग मशीन, डिशवाशर और माइक्रोवेव ओवंस जैसे उपकरणों ने इंसान की जरूरत काफी घटा दी है. आधुनिक इलैक्ट्रौनिक्स सामान की मदद से काम करने से इंसान का काफी समय बचने लगा है. एक गृहिणी अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए डे केयर सैंटर में छोड़ आती है. उतनी ही देर में वह घर के सारे काम निबटा लेती है.

ओवन, वाशिंग मशीन, फूड प्रोसैसर आदि के होने के कारण वह अपने सारे काम खुद ही कर लेती है. उसे लगता है कि कामवाली के इंतजार और उस की देखरेख में जो समय लगेगा, उतनी ही देर में सारे काम शांति से निबटाए जा सकते हैं. उस के पति भी उसे अकेली काम करते देख उस की काम में मदद करते हैं. उन के घर में कोई कामवाली नहीं आती, इसलिए पति उस के साथ काम कराने में जरा भी संकोच नहीं करते.

ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिन्हें यह पसंद है. ऐसी महिलाओं को कामवाली का इंतजार करना, फिर वह आएगी या नहीं आएगी, यह भी एक सवाल बना रहता है, उन्हें यह बहुत मुश्किल लगता है, इसलिए जब से बाजार में हर तरह के उपकरण उपलब्ध हुए हैं, तब से कामवाली की अनिवार्यता काफी कम हो गई है.

घर के काम खुद करने से घर में हर सदस्य के मन में अपनेपन की भावना जागती है. साथ मिल कर काम करने से संबंध मजबूत होते हैं और घर भी स्वच्छ तथा व्यवस्थित रहता है.

सुजल और सुनंदा हमेशा खुश रहने वाले पतिपत्नी हैं. इन के 2 बच्चे हैं. एक दिन हमेशा खुश रहने वाला यह युगल दुखी और परेशान हो कर आपस में  झगड़ रहा था. हर्ष और ग्रीष्मा, दोनों नौकरी करते हैं. इन का 2 साल का एक बच्चा है. ये दोनों हमेशा तनावग्रस्त और चिड़चिड़े दिखाई देते हैं. इन का बच्चा भी इन्हें  झगड़ते देख कर डरासहमा रहता है.

ये भी पढ़ें- 4 Tips: किचन के पौल्यूशन से भी बचना जरूरी

अमी घर में रह कर अपना काम करती है, पर वह भी हमेशा परेशान रहती है. इन सभी की इस परेशानी की एक ही वजह है, कामवाला या कामवाली यानी नौकर या नौकरानी. अमी के यहां काम करने वाला नौकर अचानक जब उस का मन होता है, चला जाता है. वह अब तक न जाने कितनी बार घर में काम करने वालों को बदल चुकी है.

यह समस्या मात्र अमी, सुनंदा या ग्रीष्मा की ही नहीं है. हर उस नारी की है, जिस के यहां कामवाली या कामवाला आता है. जिस दिन घर का काम करने वाली नौकरानी या नौकर नहीं आता, उस दिन उन की हालत एकदम खराब हो जाती है.

यह एक ऐसी समस्या है, जो लगभग सभी की है. आज के समय में हर जगह कामवाली का ऐसा बोलबाला हो गया है कि वह एक दिन न आए या कहीं बाहर चली जाए तो उस के बिना मालकिन तकलीफ में पड़ जाती है.

घर में अनजान व्यक्तियों का प्रवेश

घर में कामवाली या कामवाले के आने का मतलब घर में अनजान व्यक्ति के आने से आप अपनी आत्मीयता और आजादी गंवा बैठती हैं. आप उस की उपस्थिति में स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकतीं यानी कामवाली आप के समय के अनुसार नहीं चलेगी, आप को उस के समय के अनुसार समय को सैट कर के चलना होगा, क्योंकि वह काम करने के लिए आनेजाने का समय अपने हिसाब से तय करती है.

इसलिए आप को अपने समय को उस के काम करने के समय से मैच कर के शैड्यूल बनाना होगा. अगर आप का अचानक कहीं बाहर जाना हुआ तो अपना घर उस के भरोसे छोड़ कर जाना होगा, क्योंकि वह अपनी फुरसत के हिसाब से ही आप के यहां काम करने आएगी. इस तरह घर का काम कराने वाले तमाम लोगों के अनुभव बताते हैं कि कामवाली की उपस्थिति एक अरुचिकर घूसखोरी के समान घटना है.

ईष्या का भाव

32 साल की रवीना एक रिटेल कंसल्टैंट हैं. उन की 6 साल की 1 बेटी है. वह 5 साल यूएसए में रह कर आई है. उस का कहना है कि यूएसए में तो वह अपने पति के साथ मिल कर घर के सारे काम करती थी. वहां सबकुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था. उस के बाद वे भारत आ गए. यहां आ कर उन्होंने घर के कामों में मदद के लिए एक नौकर रख लिया. परंतु कुछ दिनों बाद उन्हें लगने लगा कि नौकर रखने से उन की जिम्मेदारी घटने के बजाय अन्य तरह की नई समस्याएं खड़ी कर रही है. उस में अगर 24 घंटे का नौकर है तो किसी भी प्रकार की गोपनीयता नहीं रह जाती.

अगर पतिपत्नी मिल कर काम करते हैं तो उन के बीच आत्मीयता और प्रेम बढ़ता है. रवीना और उस के पति के बीच जो प्यार था, अब वह पहले जैसा नहीं रहा, ऊपर से नौकर की उपस्थिति तनाव का कारण बन गई है. एक अन्य गृहिणी का कहना है कि नौकर की पूरे दिन की हाजिरी से ऐसा लगता है कि हमारे ऊपर कैमरा नजर रख रहा है. हम स्वतंत्र मन से कुछ कर नहीं सकते.

एक अन्य गृहिणी का कहना है कि हमें टीवी देखने में भी परेशानी होती है, क्योंकि जब भी टीवी पर कोई कार्यक्रम देखने की सोचती हूं, कामवाली पहले ही आ कर टीवी के सामने बैठ जाती है या फिर टीवी चालू होने का बाद आ कर बैठ जाती है.

तमाम घरों में छोटे बच्चे केयरगिवर की डाह की वजह बन रहे हैं. पूरे दिन केयरगिवर के पास रहने की वजह से उन के मन में केयरगिवर के बीच संबंध का त्रिकोण बन जाता है, जिस से मां और केयरगिवर के बीच ईर्ष्या का भाव पैदा होता है. बड़े बच्चों को तो कामवाली की उपस्थिति हमेशा खलल लगती है.

आलस्य आ सकता है

अकसर गृहिणियां शिकायत करती हैं कि घर के काम में उन की कोई मदद नहीं करता. वास्तव मे कामवाली होने के कारण घर का कोई आदमी मदद करने की जरूरत ही नहीं महसूस करता. यूएसए से आई रवीना के अनुभव के अनुसार, जब तक घर में नौकर नहीं था, सब लोग मिलजुल कर काम कर लेते थे. घर के ही लोग काम करते थे, इसलिए सारे काम अच्छी तरह होते थे. कुछ देखने या चैक करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. नौकर के काम की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती, इसलिए मन में असंतोष पैदा होता है. जानेअनजाने में मन में थोड़ा तनाव पैदा होता है.

जिन घरों में पूरा दिन नौकर रहता है, उन घरों की महिलाएं आलसी हो जाती हैं. उन के मन में आता है कि हम क्यों काम करें, काम करने के लिए नौकर तो रखा ही है. इस तरह मानसिक रूप से वे कोई काम करने को तैयार नहीं होतीं. परिणामस्वरूप उन की शारीरिक श्रम घट जाता है. इस की वजह से वे अनेक रोगों का शिकार हो जाती हैं. कोई काम करना नहीं होता, इसलिए तैयार हो कर घूमती रहती हैं. इसी के साथ बाहर के खानपान से उन में मोटापा आ जाता है. शारीरिक श्रम घटने से इंसान में स्थूलता आ जाती है और वह आलसी हो जाता है.

एक विशेषज्ञ के अनुसार, घर के काम करने से कैलोरी भी अच्छी बर्न होती है. वजन नियंत्रण में रहता है और मूड भी अच्छा रहता है. घर के काम करने से हर घंटे लगभग 100 से 300 कैलोरी बर्न होती है. नौकर का आदी हो जाने के कारण हम उस के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. उस की अनुपस्थिति से हमें घबराहट होने लगती है, जो आगे चल कर तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा करती है.

ये भी पढ़ें- कुछ ऐसे संवारें बच्चों का कल

बच्चों पर असर

कामवाली की घर में लंबे समय तक उपस्थिति बच्चों के विकास और प्रगति में रुकावट बन सकती है. एक व्यवसायी मां का कहना है कि नौकर कितना भी जरूरी हो, वह कभी मातापिता का विकल्प नहीं बन सकता. इसलिए मांबाप कितना भी व्यस्त रहते हों, उन्हें एक निश्चित समय अपने बच्चों के साथ जरूर बिताना चाहिए.

एक गृहिणी ने अपना अनुभव बताया कि उन का 4 साल का बेटा आराम से सो रहा था. अचानक आधी रात को वह उठ कर रोने लगा. पूछने पर पता चला कि उन्होंने बच्चे के लिए जो आया रखी थी, वह बच्चे को डराती, धमकाती और मारती थी, जिस से वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करता था.

दूसरी एक मां ने बताया कि जब उन की आया शादी कर के ससुराल चली गई तो उन्हें अपने बच्चे की खूब चिंता हो रही थी, क्योंकि उन का बच्चा आया से खूब हिलामिला था, पर उन्होंने देखा कि आया के जाने के बाद उन का बच्चा काफी खुश दिखाई दे रहा था. अपना काम वह खुद ही करने लगा था. दरअसल, हर समय आया की उपस्थिति की वजह से वह दूसरे पर निर्भर रहने का आदी बन गया था. वह खुद अपने काम करने लगा तो उस का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा.

आया छुट्टी पर या काम छोड़ कर चली जाए तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसे समय में उन्हें संभालना पड़ता है. मांबाप को बढ़ गई इस समस्या को दूर करने में खासी मेहनत करनी पड़ती है. एक मां ने आया के बजाय डे केयर सैंटर पसंद किया, क्योंकि जब आया काम छोड़ कर चली जाती थी तो उन का बच्चा परेशान हो जाता था. डे केयर सैंटर थोड़ा महंगे जरूर होते हैं, पर वहां इस तरह की कोई समस्या नहीं होती, जिस से मांएं निश्ंिचत हो कर अपना काम कर सकती हैं.

क्या नौकर के बिना घर नहीं चल सकता

लेखिका-स्नेहा सिंह

सुजल और सुनंदा हमेशा खुश रहने वाले पति-पत्नी है.. इनके दो बच्चे हैं. एक दिन हमेशा खुश रहने वाला यह युगल दुखी और परेशान हो कर आपस में झगड़ रहा था. हर्ष और ग्रीष्मा, दोनों नौकरी करते हैं. इनका दो साल का एक बच्चा है. ये दोनों हमेशा तनावग्रस्त और चिड़चिड़े दिखाई देते हैं. इनका बच्चा भी इन्हें झगड़ते देख कर डरा-सहमा रहता है. अमी घर में रह कर अपना काम करती है. पर वह भी हमेशा परेशान रहती है. इन सभी की इस परेशनी की एक ही वजह है, कामवाला या कामवाली यानी नौकर या नौकरानी. अमी के यहां काम करने वाला नौकर अचानक जब उसका मन होता है, चला जाता है. वह अब तक न जाने कितनी बार घर में काम करने वालों को बदल चुकी है.

भारत के लगभग हर आदमी को इस बात का अनुभव है. खास कर शहरों में, जहां जीवन अत्यंत दौड-भाग वाला है. जिसकी वजह से बिना कामवाला या कामवाली के काम नहीं चलता. यह समस्या मात्र अमी, सुनंदा या ग्रीष्मा की ही नहीं है. हर उस नारी की है, जिसके यहां कामवाली या कामवाला आता है. जिस दिन घर का काम करने वाली नौकरानी या नौकर नहीं आता, उस दिन उनकी हालत एकदम खराब हो जाती है. यह एक ऐसी समस्याा है, जो लगभग सभी की है. आज के समय में हर जगह कामवाली का ऐसा बोलबाला हो गया है कि वह एक दिन न आए या कहीं बाहर चली जाए तो उसके बिना मालकिन तकलीफ में पड़ जाती हैं.

ये भी पढे़ं- क्या है सोशल मीडिया एडिक्शन

घर में अंजान व्यक्तियों का प्रवेशः

घर में कामवाली या कामवाले के आने का मतलब घर में अंजान व्यक्ति के आने से आप अपनी आत्मीयता और आजादी गंवा बैठती हैं. आप उसकी उपस्थिति में स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकतीं यानी कि कामवाली आपके समय के अनुसार नहीं चलेगी, आपको उसके समय के अनुसार समय को सेट कर के चलना होगा. क्योंकि वे काम करने के लिए आने-जाने का समय अपने हिसाब से तय करती हैं. इसलिए आपको अपने समय को उनके काम करने के समय से मैच कर के शिउ्यूल बनाना होगा. अगर आपको अचानक कहीं बाहर जाना हुआ तो अपना घर उसके भरोसे छोड़ कर जाना होगा. क्योकि वह अपनी फुरसत के हिसाब से ही आपके यहां काम करने आएगी. इस तरह घर का काम कराने वाले तमाम लोगों के अनुभव बताते हैं कि कामवाली की उपस्थिति एक अरुचिकर घूसखोरी के समान घटना है.

32 साल की रवीना एक रिटेल कंसलटेंट हैं. उनकी छह साल की एक बेटी है. वह पांच साल यूएसए में रह कर आई हैं. उनका कहना है कि यूएसए में तो वह अपने पति के साथ मिल कर घर के सारे काम करती थीं. वहां सब कुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था. उसके बाद वे भारत आ गए. यहां आकर उन्होंने घर के कामों में मदद के लिए एक कामवाला यानी नौकर रख लिया. परंतु कुछ दिनों बाद उन्हें लगने लगा कि नौकर रखने से उनकी जिम्मेदारी घटने के बजाय अन्य तरह की नई समस्याएं खड़ी हो रही हैं. उसमें अगर चौबीस घंटे का नौकर है तो किसी भी प्रकार की गोपनीयता नहीें रह जाती. अगर पति-पत्ल्ी मिल कर काम करते हैं तो उनके बीच आत्मीयता और प्रेम बढ़ता है. रवीना और उसके पति के बीच जो प्यार था, अब वह पहले जैसा नहीं रहा, ऊपर से नौकर की उपस्थिति तनाव का कारण बन गई है. अन्य एक गृहिणी का कहना है कि नौकर की पूरे दिन की हाजिरी से ऐसा लगता है कि हमारे ऊपर कैमरा नजर रख रहा है. हम स्वतंत्र मन से कुछ कर नहीं सकते. एक अन्य गृहिणी का कहना है कि हमें टीवी देखने में भी परेशनी होती है. क्योंकि जब भी टीवी पर कोई कार्यक्रम देखने के लिए सोचती हूं, कामवाली पहले ही आ कर टीवी के सामने बैठ जाती है या फिर टीवी चालू होने के बाद आा कर बैठ जाती है.

तमाम घरों में छोटे बच्चे केयरगिवर की डाह की वजह बन रहे हैं. पूरे दिन केयरगिवर के पास रहने की वजह से उनके मन में केयरगिवर के बीच संबंध का त्रिकोण बन जाता है. जिससे मां और केयरगिवर के बीच ईर्ष्या का भाव पैदा होता है. बड़े बच्चों को तो कामवाली की उपस्थ्तिि हमेशा खलल लगती है.

अलस्य आ सकता हैः

अक्सर गृहिणियां शिकायत करती हैं कि घर के काम में उनकी कोई मदद नहीं करता. वास्तव में कामवाली या नौकर होने के कारण घर का कोई आदमी मदद करने की जरूरत ही नहीं महसूस करता. यूएसए से आई रवीना के अनुभव के अनुसार, जब तक घर में नौकर नहीं था, सब लोब मिलजुल कर काम कर लेते थे. घर के ही लोग काम करते थे, इसलिए सारे काम अच्छी तरह होते थे. कुछ देखने या चेक करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. नौकर के काम की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती, इसलिए मन में असंतोष पैदा होता है और दिल में कचोटता रहता है. जाने-अनजाने में मन में थोड़ा तनाव पैदा होता है.

जिन घरों में पूरे दिन नौकर रहता है, उस घर की महिलाएं आलसी हो जाती हैं. उनके मन मे आता है कि हम क्यों काम करें, काम करने के लिए नौकर तो रखा ही है. इस तरह मानसिक रूप से वे कोई काम करने को तैयार नहीं होतीं. परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक प्रवृत्ति घट जाती है. इसकी वजह से वे अनेक रोगों का शिकार हो जाती हैं. कोई काम करना नहीं होता, इसलिए तैयार हो कर घूमती रहती हैें. इसी के साथ बाहर के खान-पान से उनमें मोटापा आ जाता है. शारीरिक प्रवृत्ति घटने इंसान में स्थूलता आ जाती है और आदमी आलसी हो जाता है.

एक विशेषज्ञ के अनुसार, घर के काम करने से कैलरी भी अच्छी जलती है. वजन नियंत्रण में रहता है और मूड भी अच्छा रहता है. घर के काम करने से हर घंटे लगभग सौ से तीन सौ कैलरी जलती है. नौकर की आदी हो जाने के कारण हम उसके बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. उनकी अनुपस्थिति से हमें घबराहट होने लगती है. जो आगे चल कर तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा करती है.

बच्चों पर असरः

कामवाली की घर में लंबे समय तक उपस्थिति बच्चों के विकास और प्रगति में रुकावट बन सकती है. एक व्यवसायी मां का कहना है कि नौकर कितना भी जरूरी हो, वह कभी भी माता-पिता का विकल्प नहीं बन सकता. इसलिए मां-बाप कितना भी व्यस्त रहते होें, उन्हें एक निश्चित समय अपने बच्चे के साथ जरूर बिताना चाहिए. एक गृहिणी ने अपना अनुभव बताया कि उनका चार साल का बेटा आराम से सो रहा था. अचानक आधी रात को वह उठ कर रोने लगा. पूछने पर पता चला कि उन्होंने बच्चे के लिए जो आया रखी थी, वह बच्चे को डराती, धमकाती और मारती थी. जिससे वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करता था. दूसरी एक मां ने बताया कि जब उनकी आया शादी कर के ससुराल चली गई तो उन्हें अपने बच्चे की खूब चिंता हो रही थी, क्योंकि उनका बच्चा आया से खूब हिलामिला था. पर उन्होंने देखा कि आया के जाने के बाद उनका बच्चा काफी खुश दिखाई दे रहा था. अपना काम वह खुद ही करने लगा था. दरअसल हर समय आया की उपस्थिति की वजह से वह परावलंबी बन गया था. वह खुद अपने काम करने लगा तो उसका आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा था.

आया छुट्टी पर चली जाए या काम छोड़ कर चली जाए तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसे समय में उन्हें संभालना पड़ता हैै. मां-बाप को बढ़ गई इस समस्या को दूर करने में खासी मेहनत करनी पड़ती है. एक मां ने आया के बजाय डे केयर सेंटर पसंद किया, क्योंकि जब आया काम छोड़ कर चली जाए तो उनका बच्चा परेशान हो जाता था. डे केयर सेंटर थोड़ा महंगे जरूर होते हैं, पर वहां इस तरह की कोई समस्या नहीं होती. जिससे मांएं निश्चिंत हो कर अपना काम कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें- स्मार्ट वाइफ: सफल बनाए लाइफ

इलेक्ट्रानिक्स एप्लायंसिसः

वाशिंग मशीन, डिश वाशर और माइक्रोवेव ओवंस जैसे उपकरणों ने इंसान की जरूरत काफी घटा दी है. आधुनिक इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मदद से काम करने से इंसान का काफी समय बचने लगा है. एक गृहिणी अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए डे केयर सेंटर में छोड़ आती है. उतनी ही देर में वह घर के सारे काम निपटा लेती है. ओवन, वाशिंग मशीन, फूड प्रोसेसर आदि के होने के कारण वह अपने सारे काम खुद ही कर लेती है. उस गृहिणी को लगता है कि कामवाली के इंतजार और उसकी देखरेख में जो समय लगेगा, उतनी ही देर में सारे काम शांति से निपटाए जा सकते हैं. उसके पति भी उसे अकेली काम करते देख उसके काम में मदद करते हैं. उनके घर में कोई कामवाली नहीं आती, इसलिए पति उसके साथ काम कराने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिन्हें यह पसंद है. ऐसी महिलाओं को कामवाली का इंतजार करना, फिर वह आएगी या नहीं आएगी, यह भी एक सवाल बना रहता है, उन्हें यह बहुत मुश्किल लगता है, इसलिए जब से बाजार में हर तरह के उपकरण उपलब्ध हुए हैं, तब से कामवाली की अनिवार्यता काफी कम हो गई है.

घर के काम खुद करने से घर में हर सदस्य के मन में अपनेपन की भावना जागती है. साथ मिल कर काम करने से संबंध मतबूत होते हैं और घर भी स्वच्छ तथा व्यवस्थित रहता है.

अब क्या होगा

भारत में ही नहीं अमेरिका तक में सवाल उठ रहा है कि अब क्या घरों को साफ करने वाली पार्टटाइम मेड्स को कैसे आने दिया जाए? देशभर में रैजिडैंशियल सोसाइटियों ने पार्टटाइम मेड्स को कौंप्लैक्सों में आने से मना कर दिया. लौकडाउन के दौरान तो काम चल गया, क्योंकि सब लोग घर में थे और मेहमानों को आना नहीं था. जितना बन सका साफ कर लिया बाकी वैसे ही रह गया. हाथ भी ज्यादा थे.

अब क्या होगा? अमेरिका में भी क्लीनिंग स्टाफ कई घरों में काम करता है और उन सघन इलाकों में रहता है जहां कोविड केसेज ज्यादा हैं. उन के बिना घर साफ रह ही नहीं सकते. अब घर के सारे काम भी करना और काम पर भी जाना न भरेपूरे परिवार के लिए संभव है और न अकेले रहने वालों के लिए.

सवाल हैल्पों की नौकरी का इतना नहीं जितना इन हैल्पों की मालकिनों की नौकरियों का है. अगर बच्चों और घर दोनों को दफ्तर के साथ संभालना पड़ा तो आफत आ जाएगी.

अमेरिका में बच्चों को फुलटाइम आया के पास न रख डे केयर सैंटरों में ज्यादा रखा जाता है जैसे यहां क्रैचों में रखा जाता है पर वहां जो काम कर रही हैं, वे कैसे कोविडपू्रफ होंगी यह सवाल खड़ा हो रहा है.

ये भी पढ़ें- सोशल डिस्टेंसिंग के दबाव में कहीं गायब न हो जाएं खेल के मैदान!

ऊंची पढ़ाई कर के औरतों ने जो नौकरियां पाई थीं वे इन पार्टटाइमफुलटाइम मेड्स के बलबूते पाई थीं. वे होती हैं तो काम पर जाना आसान रहता है नहीं तो साल 2 साल की छुट्टी लेनी होती है.

अब वे हैं पर उन्हें रखना खतरे से खाली नहीं, क्योंकि वे न जाने कहांकहां से हो कर आ रही हैं, किनकिन से मिल रही हैं.

कोविड अब तक अमीरों

का रोग ही ज्यादा पाया गया है. गरीबों में संक्रमण से लड़ने की क्षमता ज्यादा है पर यह डर फिर

भी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन अब कहने लगा है कि यह बच्चों को भी हो सकता है और बच्चों के माध्यम से वायरस मांबाप तक पहुंच सकता है.

वर्क प्लेस को बदलने में कोरोना एक गेम चेंजर बनेगा. अब लोग समूह में बैठनाउठना पसंद नहीं करेंगे पर जिन लोगों को जान पर खेल कर काम करने ही नहीं उन से अमीर व खास लोग कैसे बचेंगे यह सवाल रहेगा. पहली मार बच्चों वाली औरतों पर पड़ेगी और दूसरी उन के पतियों या साथियों पर जिन्हें बिना हैल्प के घर चलाने में मदद करनी होगी.

ये भी पढ़ें- भगवान पर भारी कोरोना

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें