क्या नौकर के बिना घर नहीं चल सकता

लेखिका-स्नेहा सिंह

सुजल और सुनंदा हमेशा खुश रहने वाले पति-पत्नी है.. इनके दो बच्चे हैं. एक दिन हमेशा खुश रहने वाला यह युगल दुखी और परेशान हो कर आपस में झगड़ रहा था. हर्ष और ग्रीष्मा, दोनों नौकरी करते हैं. इनका दो साल का एक बच्चा है. ये दोनों हमेशा तनावग्रस्त और चिड़चिड़े दिखाई देते हैं. इनका बच्चा भी इन्हें झगड़ते देख कर डरा-सहमा रहता है. अमी घर में रह कर अपना काम करती है. पर वह भी हमेशा परेशान रहती है. इन सभी की इस परेशनी की एक ही वजह है, कामवाला या कामवाली यानी नौकर या नौकरानी. अमी के यहां काम करने वाला नौकर अचानक जब उसका मन होता है, चला जाता है. वह अब तक न जाने कितनी बार घर में काम करने वालों को बदल चुकी है.

भारत के लगभग हर आदमी को इस बात का अनुभव है. खास कर शहरों में, जहां जीवन अत्यंत दौड-भाग वाला है. जिसकी वजह से बिना कामवाला या कामवाली के काम नहीं चलता. यह समस्या मात्र अमी, सुनंदा या ग्रीष्मा की ही नहीं है. हर उस नारी की है, जिसके यहां कामवाली या कामवाला आता है. जिस दिन घर का काम करने वाली नौकरानी या नौकर नहीं आता, उस दिन उनकी हालत एकदम खराब हो जाती है. यह एक ऐसी समस्याा है, जो लगभग सभी की है. आज के समय में हर जगह कामवाली का ऐसा बोलबाला हो गया है कि वह एक दिन न आए या कहीं बाहर चली जाए तो उसके बिना मालकिन तकलीफ में पड़ जाती हैं.

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घर में अंजान व्यक्तियों का प्रवेशः

घर में कामवाली या कामवाले के आने का मतलब घर में अंजान व्यक्ति के आने से आप अपनी आत्मीयता और आजादी गंवा बैठती हैं. आप उसकी उपस्थिति में स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकतीं यानी कि कामवाली आपके समय के अनुसार नहीं चलेगी, आपको उसके समय के अनुसार समय को सेट कर के चलना होगा. क्योंकि वे काम करने के लिए आने-जाने का समय अपने हिसाब से तय करती हैं. इसलिए आपको अपने समय को उनके काम करने के समय से मैच कर के शिउ्यूल बनाना होगा. अगर आपको अचानक कहीं बाहर जाना हुआ तो अपना घर उसके भरोसे छोड़ कर जाना होगा. क्योकि वह अपनी फुरसत के हिसाब से ही आपके यहां काम करने आएगी. इस तरह घर का काम कराने वाले तमाम लोगों के अनुभव बताते हैं कि कामवाली की उपस्थिति एक अरुचिकर घूसखोरी के समान घटना है.

32 साल की रवीना एक रिटेल कंसलटेंट हैं. उनकी छह साल की एक बेटी है. वह पांच साल यूएसए में रह कर आई हैं. उनका कहना है कि यूएसए में तो वह अपने पति के साथ मिल कर घर के सारे काम करती थीं. वहां सब कुछ बहुत अच्छी तरह चल रहा था. उसके बाद वे भारत आ गए. यहां आकर उन्होंने घर के कामों में मदद के लिए एक कामवाला यानी नौकर रख लिया. परंतु कुछ दिनों बाद उन्हें लगने लगा कि नौकर रखने से उनकी जिम्मेदारी घटने के बजाय अन्य तरह की नई समस्याएं खड़ी हो रही हैं. उसमें अगर चौबीस घंटे का नौकर है तो किसी भी प्रकार की गोपनीयता नहीें रह जाती. अगर पति-पत्ल्ी मिल कर काम करते हैं तो उनके बीच आत्मीयता और प्रेम बढ़ता है. रवीना और उसके पति के बीच जो प्यार था, अब वह पहले जैसा नहीं रहा, ऊपर से नौकर की उपस्थिति तनाव का कारण बन गई है. अन्य एक गृहिणी का कहना है कि नौकर की पूरे दिन की हाजिरी से ऐसा लगता है कि हमारे ऊपर कैमरा नजर रख रहा है. हम स्वतंत्र मन से कुछ कर नहीं सकते. एक अन्य गृहिणी का कहना है कि हमें टीवी देखने में भी परेशनी होती है. क्योंकि जब भी टीवी पर कोई कार्यक्रम देखने के लिए सोचती हूं, कामवाली पहले ही आ कर टीवी के सामने बैठ जाती है या फिर टीवी चालू होने के बाद आा कर बैठ जाती है.

तमाम घरों में छोटे बच्चे केयरगिवर की डाह की वजह बन रहे हैं. पूरे दिन केयरगिवर के पास रहने की वजह से उनके मन में केयरगिवर के बीच संबंध का त्रिकोण बन जाता है. जिससे मां और केयरगिवर के बीच ईर्ष्या का भाव पैदा होता है. बड़े बच्चों को तो कामवाली की उपस्थ्तिि हमेशा खलल लगती है.

अलस्य आ सकता हैः

अक्सर गृहिणियां शिकायत करती हैं कि घर के काम में उनकी कोई मदद नहीं करता. वास्तव में कामवाली या नौकर होने के कारण घर का कोई आदमी मदद करने की जरूरत ही नहीं महसूस करता. यूएसए से आई रवीना के अनुभव के अनुसार, जब तक घर में नौकर नहीं था, सब लोब मिलजुल कर काम कर लेते थे. घर के ही लोग काम करते थे, इसलिए सारे काम अच्छी तरह होते थे. कुछ देखने या चेक करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. नौकर के काम की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती, इसलिए मन में असंतोष पैदा होता है और दिल में कचोटता रहता है. जाने-अनजाने में मन में थोड़ा तनाव पैदा होता है.

जिन घरों में पूरे दिन नौकर रहता है, उस घर की महिलाएं आलसी हो जाती हैं. उनके मन मे आता है कि हम क्यों काम करें, काम करने के लिए नौकर तो रखा ही है. इस तरह मानसिक रूप से वे कोई काम करने को तैयार नहीं होतीं. परिणामस्वरूप उनकी शारीरिक प्रवृत्ति घट जाती है. इसकी वजह से वे अनेक रोगों का शिकार हो जाती हैं. कोई काम करना नहीं होता, इसलिए तैयार हो कर घूमती रहती हैें. इसी के साथ बाहर के खान-पान से उनमें मोटापा आ जाता है. शारीरिक प्रवृत्ति घटने इंसान में स्थूलता आ जाती है और आदमी आलसी हो जाता है.

एक विशेषज्ञ के अनुसार, घर के काम करने से कैलरी भी अच्छी जलती है. वजन नियंत्रण में रहता है और मूड भी अच्छा रहता है. घर के काम करने से हर घंटे लगभग सौ से तीन सौ कैलरी जलती है. नौकर की आदी हो जाने के कारण हम उसके बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते. उनकी अनुपस्थिति से हमें घबराहट होने लगती है. जो आगे चल कर तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा करती है.

बच्चों पर असरः

कामवाली की घर में लंबे समय तक उपस्थिति बच्चों के विकास और प्रगति में रुकावट बन सकती है. एक व्यवसायी मां का कहना है कि नौकर कितना भी जरूरी हो, वह कभी भी माता-पिता का विकल्प नहीं बन सकता. इसलिए मां-बाप कितना भी व्यस्त रहते होें, उन्हें एक निश्चित समय अपने बच्चे के साथ जरूर बिताना चाहिए. एक गृहिणी ने अपना अनुभव बताया कि उनका चार साल का बेटा आराम से सो रहा था. अचानक आधी रात को वह उठ कर रोने लगा. पूछने पर पता चला कि उन्होंने बच्चे के लिए जो आया रखी थी, वह बच्चे को डराती, धमकाती और मारती थी. जिससे वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करता था. दूसरी एक मां ने बताया कि जब उनकी आया शादी कर के ससुराल चली गई तो उन्हें अपने बच्चे की खूब चिंता हो रही थी, क्योंकि उनका बच्चा आया से खूब हिलामिला था. पर उन्होंने देखा कि आया के जाने के बाद उनका बच्चा काफी खुश दिखाई दे रहा था. अपना काम वह खुद ही करने लगा था. दरअसल हर समय आया की उपस्थिति की वजह से वह परावलंबी बन गया था. वह खुद अपने काम करने लगा तो उसका आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा था.

आया छुट्टी पर चली जाए या काम छोड़ कर चली जाए तो बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. ऐसे समय में उन्हें संभालना पड़ता हैै. मां-बाप को बढ़ गई इस समस्या को दूर करने में खासी मेहनत करनी पड़ती है. एक मां ने आया के बजाय डे केयर सेंटर पसंद किया, क्योंकि जब आया काम छोड़ कर चली जाए तो उनका बच्चा परेशान हो जाता था. डे केयर सेंटर थोड़ा महंगे जरूर होते हैं, पर वहां इस तरह की कोई समस्या नहीं होती. जिससे मांएं निश्चिंत हो कर अपना काम कर सकती हैं.

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इलेक्ट्रानिक्स एप्लायंसिसः

वाशिंग मशीन, डिश वाशर और माइक्रोवेव ओवंस जैसे उपकरणों ने इंसान की जरूरत काफी घटा दी है. आधुनिक इलेक्ट्रानिक्स सामानों की मदद से काम करने से इंसान का काफी समय बचने लगा है. एक गृहिणी अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए डे केयर सेंटर में छोड़ आती है. उतनी ही देर में वह घर के सारे काम निपटा लेती है. ओवन, वाशिंग मशीन, फूड प्रोसेसर आदि के होने के कारण वह अपने सारे काम खुद ही कर लेती है. उस गृहिणी को लगता है कि कामवाली के इंतजार और उसकी देखरेख में जो समय लगेगा, उतनी ही देर में सारे काम शांति से निपटाए जा सकते हैं. उसके पति भी उसे अकेली काम करते देख उसके काम में मदद करते हैं. उनके घर में कोई कामवाली नहीं आती, इसलिए पति उसके साथ काम कराने में जरा भी संकोच नहीं करते. ऐसी तमाम महिलाएं हैं, जिन्हें यह पसंद है. ऐसी महिलाओं को कामवाली का इंतजार करना, फिर वह आएगी या नहीं आएगी, यह भी एक सवाल बना रहता है, उन्हें यह बहुत मुश्किल लगता है, इसलिए जब से बाजार में हर तरह के उपकरण उपलब्ध हुए हैं, तब से कामवाली की अनिवार्यता काफी कम हो गई है.

घर के काम खुद करने से घर में हर सदस्य के मन में अपनेपन की भावना जागती है. साथ मिल कर काम करने से संबंध मतबूत होते हैं और घर भी स्वच्छ तथा व्यवस्थित रहता है.

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