न्यूली मैरिड कपल और सेक्स मिथक

प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

  • सेक्स से जुड़ा संदेह
  • गर्भ निरोधकों का प्रयोग
  • पराकाष्ठा का अभाव
  • कुछ मिथक
  • संचार का अभाव

सेक्स से जुड़ा संदेह

सेक्स से जुड़ा सबसे बड़ा मतभेद तो संदेह होता है. जिनकी नई शादी हुई होती है उनके लिए सब कुछ नया-नया होता है. वह अपने आपको असहज महसूस करते हैं. उन्हें संदेह रहता है कि क्या वह अपने जीवनसाथी को संतुष्ट कर सकेंगे. शादी के बाद कुछ व्यक्ति अपने आपको नियंत्रण कर पाने में सक्षम नहीं होते हैं. इसीलिए उन्हें डाउट रहता है. शादी के बाद वह दिन में कई बार सेक्स करना पसंद करते हैं. दोनों ही युगल यह सोचकर सुख का आनंद नहीं ले पाते कि कहीं उनका साथी उनके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो असहज फील करते हैं. हालांकि एक समय बाद  वह यह सोचकर सहज हो जाते हैं कि दोनों के लिए सेक्स वास्तव में कितना सामान्य है. एक दूसरे के प्रति वह जरूरतमंद महसूस कर सकता है.

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गर्भ निरोधकों का प्रयोग

गर्भ निरोधक का यूज करने से व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है. लेकिन मतभेद के चलते कुछ लोग इसका प्रयोग नहीं कर पाते हैं. जैसे ही बात इंटीमेट होने की आती है तो पुरूषों में अनुभवहीनता दिखाई देने लगती है. यही कारण है कि लाख कंडोम या निरोधक के विज्ञापन होने का बाद भी उन्हें इसका यूज नहीं पता होता है. ऐसे पुरुष उस क्षण असहज हो जाते हैं, जब उन्हें अपना इरेक्शन खोना पड़ता है. उनकी पत्नी उस समय यह नहीं समझ पाती कि इस स्थिति का जवाब उन्हें कैसे देना है. इसलिए वह अपने आपको बहुत अपमानजनक अहसास करते हैं.

पराकाष्ठा का अभाव

सेक्स करते समय जुनून का अभाव आपको गिल्ट फील कराती है. पुरूषों को जब समय से पहले इजेक्यूलेशन होता है या महिला को जोश से पहले ही फॉल हो जाता है तो इसके अभाव से सेक्स लाइफ में तनाव आने लगती है. सेक्स में जब तक बहुत अधिक प्लैज़र न मिले तो तब तक आप उसका आनंद नहीं ले सकते हैं. मिलन आप दोनों का मन और तन दोनों से ही हो और जब हो तब मन एकाग्रचित हो. ऐसी स्थिति में आप उसका सुख ले पाएंगे, और आपका सेक्स से जुड़ा मतभेद दूर हो जाएगा.

कुछ मिथक

सेक्स से जुड़ा मिथ ये भी है कि अगर फर्स्ट नाइट में महिला को ब्लड आ जाए तो यह उसकी वर्जिनिटी को दर्शाता है. अगर ऐसी स्थिति में वह अंतरंग नहीं होती है तो पुरूष उसे अस्वीकार कर देगा. जिसकी वजह से शादी में समस्याएं आती हैं. इसके अतिरिक्त यदि कोई पुरुष महिला को संतुष्ट करने में सक्षम नहीं है, तो वह भी उन पर अत्यधिक दबाव बनाते हुए हंसी का पात्र बन जाता है. ऐसा सिर्फ मिथक है.

संचार का अभाव

इंटीमेट होना ही काफी नहीं है अगर दोनों के बीच किसी तरह का कोई संवाद न हो तो. संवाद होने से परस्परता बनी रहती है. और सेक्स का उतना ही बुखार चढ़ता है. ऐसा करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यौन सुख और सेक्स की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन वह इसमें असफल रहते हैं. जोड़ों को यह जानना बहुत जरूरी है कि यह हमेशा एक समान नहीं रहता है. इसलिए संचार करते रहें.

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हालांकि, अब इन मतभेदों पर जल्दी कोई विश्वास नहीं करता है, क्योंकि इंटरनेट की दुनिया ने आज के युवा पीढ़ी को सजग ही नहीं बल्कि जागरुक भी बनाया है. फिर भी कुछ अपवाद अगर रह जाते हैं तो उन्हें उसी तरह से समझाया जा सकता है जिस तरह से वो समझना चाहें.

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