आखिर क्यों मीडिया से नाराज हैं शाहरुख खान!

बौलीवुड के कलाकारों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जब तक पत्रकार उनके मन माफिक बातें लिखते हुए उन्हें सफलतम स्टार बताता रहता है, तब तक उनकी नजर में मीडिया और पत्रकार सही होते हैं. पर यदि कभी किसी पत्रकार ने किसी कलाकार को उनकी हकीकत बयां कर दी, तो वह तुरंत आग बबूला होकर मीडियो को कोसने लगते हैं और उन्हें पाठ पढ़ाना शुरू कर देते हैं.

बौलीवुड का सुपर स्टार माने जानें वाले शाहरुख खान भी इस बात से अछूते नहीं हैं. कल तक मीडिया में शाहरुख खान को ‘सुपर स्टार’ और स्टार कलाकार लिखा जा रहा था. तो शाहरुख खान बहुत खुश थे. उस वक्त उनके लिए मीडिया बहुत अच्छा था. जब तक फिल्म पत्रकार/फिल्म आलोचक शाहरुख खान की फिल्मों को चार व पांच स्टार की रेटिंग दे रहे थे. तब तक शाहरुख खान की नजरों में मीडिया व फिल्म आलोचक बहुत ईमानदार व सही काम कर रहे थे. तब तक शाहरुख खान को अपनी फिल्म की रिलीज के समय पत्रकारों द्वारा स्टार की रेटिंग देना अच्छा लगता था.

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मगर अब जबकि शाहरुख खान की ‘दिलवाले’, ‘फैन’,‘जीरो’ सहित कुछ फिल्मों को आलोचना का शिकार होना पड़ा और उनकी यह फिल्में लगातार बाक्स आफिस पर मुंह के बल गिरी हैं. तब से शाहरुख खान मीडिया व फिल्म आलोचकों से नाराज चल रहे हैं. शाहरुख खान को यह पसंद नहीं आ रहा है कि फिल्म आलोचक ‘फैन’या ‘जीरो’ में उनके अभिनय को लेकर सच दर्शकों के सामने बयां करते हुए उनकी फिल्म को एक या दो स्टार दे.

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अब शाहरुख खान अपनी कमियों पर गौर कर उन्हे सुधारने की बजाय पत्रकारों और फिल्म आलोचकों को ही नसीहत दे रहे हैं. हाल ही में एक पुरस्कार समारोह में बोलते हुए शाहरुख खान ने कहा- ‘‘हम फिल्म मेकर्स आर्ट ढूंढते हैं. हम लौजिक ढूंढते हैं और स्टोरी टेलिंग की फ्री स्पिरिट पर ध्यान नहीं देते हैं. हमें खुद को यकीन दिलाना होता है कि सच का कोई फार्म नहीं होता. सिर्फ झूठ को ही फार्म करना पड़ता है. हमें खुद के प्रति सच्चा होना है.’’

 

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Should I just let the hair grow for another few months??!

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उसके बाद फिल्म आलोचकों को नसीहत देते हुए शाहरुख खान ने कहा- ‘‘मैं अपने क्रिटिक साथियों से कहना चाहूंगा कि कृपया बौलीवुड फिल्म स्टार की तरह न बने. स्टार सिस्टम से दूर रहें. कई साल पहले यह सिस्टम शुरू हुआ था. जिसके तले बौलीवुड दब गया. किसी फिल्म की समीक्षा के लिए स्टार सिस्टम काफी नहीं है. 3 स्टार, 3.5 स्टार.. 5 स्टार.. यह फिल्म है, होटल नहीं. आज हर जगह लोग क्रिटिक्स बन गए हैं. ऐसे में फिल्म क्रिटिक्स खतरे में हैं.’’

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शाहरुख खान सच हैं या गलत,  यह तो वह अच्छी तरह से जानते हैं. पर वह भी इस बात को समझते है कि यदि फिल्म आलोचकों ने उनकी फिल्मों की समीक्षा गलत लिखी थी. तो फिर उनकी फिल्मों ने बाक्स आफिस पर सफलता क्यों नहीं दर्ज करायी. हम यहां याद दिला दें कि शाहरुख खान की फिल्म ‘‘जीरो’’ का निर्माण दो सौ करोड़ रूपए में हुआ था और यह फिल्म बाक्स आफिस पर महज 186 करोड़ रूप ही कमा सकी थी. हमें यह याद रखना होगा कि बाक्स आफिस की कमाई का साठ प्रतिशत ही निर्माता को मिलता है.

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शाहरुख खान के इस बयान के बाद बौलीवुड के अंदर ही कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब शाहरुख खान की फिल्मों को तीन से पांच स्टार मिल रहे थे, तब उन्होने फिल्म क्रिटिक्स से क्यों नहीं कहा था कि उनकी फिल्म को स्टार न दें. कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि हर फिल्म कलाकार व फिल्म निर्माता को अपने अपने गिरेबांन में झांक कर वह वक्त याद करना चाहिए, जब अपनी फिल्म के प्रदर्शन के समय अपनी फिल्म को ज्यादा से ज्यादा स्टार दिलवाने के लिए खुद या उनकी पीआर टीम ने फिल्म आलोचकों से गुहार लगाई थी.

शाहरुख खान द्वारा फिल्म आलोचकों को दी गयी नसीहत के बाद बौलीवुड से जिस तरह की आवाजें उठ रही हैं, उससे एक बात तो साफ हो जाती है कि बौलीवुड के कलाकार अपनी कमियो को दूर कर दर्शकों को बेहतरीन फिल्म देने की बजाय अपने आलोचकों का मुंह बंद करने में ज्यादा यकीन रखते हैं.

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