बिना सच जाने किसी को दोषी मानना ठीक नहीं – शमीन मन्नान

टीवी शो ‘संस्कार’ में एन आर आई गर्ल भूमि की भूमिका निभाकर चर्चा में आने वाली अभिनेत्री शमीन मन्नान आसाम के डिब्रूगढ़ की है. उसे बचपन से ही कुछ अलग करने की इच्छा थी. शमीन ने हमेशा चुनौतीपूर्ण अभिनय करना पसंद किया है. खुद से अलग किसी भी चरित्र को करने में उसे अच्छा लगता है. अभी उनकी नया शो ‘राम प्यारे सिर्फ हमारे’ है, जो जी टीवी पर शुरू होने वाला है. जिसमें उन्होंने मुख्य भूमिका कोयल की निभाई है. उनसे बात करना रोचक था. आइये जाने क्या कहती है, वह अपने बारें में.

सवाल-अभी आप क्या कर रही हैं?

अभी शूटिंग की तैयारियां चल रही है और ये नयी शो है, जिसमें मेरी मुख्य भूमिका है. साथ ही अभिनय के कई शेड्स इसमें दिखाई पड़ेगे, जो मेरे लिए चुनौती है. बहुत ही रीयलिस्टिक चरित्र है. कॉमेडी शो है. 

सवाल-ये बाकी भूमिका से कितना अलग है और आप इससे कितना रिलेट कर पाती हैं?

ये बहुत ही अलग भूमिका है. पहले मेरे चरित्र अलग है. मैंने पहले एक कॉमेडी की थी. ये अलग कॉमेडी है. ये ग्लैमरस कॉमेडी है. अतरंगी कपडे पहनती है और चार्मिंग है, लेकिन उसे अपने जीवन के उद्देश्य के बारें में पता है. ऐसा मैंने कभी किया नहीं है. सास बहू वाले से अलग है, इसलिए मुझे काफी सारी तैयारियां करनी पड़ रही है. 

इस चरित्र से मैं अधिक रिलेट नहीं कर पा रही हूं , पर ये एक स्ट्रोंग किरदार है. इसमें कोयल को आत्मविश्वास बहुत है और वह जानती है कि उसे क्या चाहिए. यहाँ मैं खुद से रिलेट कर सकती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि मुझे कब क्या चाहिए और ये मुझे पता होता है. 

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सवाल-अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

बचपन से ही इच्छा थी, क्योंकि जब मैं टीवी एक्टर्स या फिल्म एक्टर्स के इंटरव्यूज देखती थी, तो मुझे उस लाइफ को जीने की इच्छा होती थी, पर मेरे परिवार में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं था. मुझे भी डॉक्टर या इंजीनियर बनने की शिक्षा दी गयी थी. मैंने उनके सपने को अपना सपना बना लिया था, लेकिन स्कूल में डांस हो या फैशन शो, नाटक में अभिनय करना आदि में भाग लेती  रहती थी. जब मैं इंजीनियरिंग कर रही थी, तो एक दो नाटकों में काम करने का मौका मिला. उस समय मैं बंगलुरु में पढ़ रही थी. वहां बालाजी की एक ऑडिशन हो रहा था. मैं भी वहां देखने गयी और बहुत सारी लड़कियों में एक भूमिका के लिए शार्ट लिस्ट हो गयी थी. पर फाइनल तक नहीं पहुँच पायी थी. तब मुझे लगा कि मुझे इस क्षेत्र में ट्राय करना है, क्योंकि इन्जिनीरिंग में मेरा मन बिलकुल नहीं लग रहा था. मैं मुंबई आ गयी और ऑडिशन देना शुरू किया. 3 महीने के अंदर मुझे धारावाहिक ‘संतान’ मिल गया था. ये मेरा पहला ब्रेक था.


सवाल-आउटसाइडर होने की वजह से आपका संघर्ष क्या अधिक रहा?

ये सही है कि स्टार किड्स को एक अच्छा लांच मिल जाता है, इसमें से जो प्रतिभावान होते है, वह आगे निकलते है. हमें पहला अवसर मिलने के लिए ही बहुत संघर्ष करना पड़ता है, जो उन्हें नहीं करना पड़ता. शुरू में जब मैं आई थी, तो मेरा कोई जुड़ाव इंडस्ट्री से नहीं था, लेकिन जो भी लोग मिले, अच्छे ही मिले. पहले के बाद दूसरा, दूसरे के बाद तीसरा इस तरह से संघर्ष एक अच्छे काम मिलने का हमेशा चलता ही रहता है.

सवाल-पहली बार जब परिवार से अभिनय की बात कही तो उनका रिएक्शन कैसा था?

वे बहुत शोक्ड थे, क्योंकि परिवार वालों को शुरू में पता भी नहीं था. मैंने जब उनसे कहा कि आप टीवी पर मुझे देखिये तो भी उनका कुछ अच्छा रिएक्शन नहीं था, लेकिन जब सब आसपास के लोग मेरे काम की तारीफ करने लगे तो धीरे-धीरे उन्होंने मेरे काम को स्वीकार किया.

सवाल-बंगलुरु से मुंबई पढाई छोड़कर कैसे आना हुआ?

उस समय मेरा सिलेक्शन बालाजी में नहीं हुआ था, लेकिन शार्ट लिस्ट होने पर मुझमें एक कॉन्फिडेंस आ गया था. फिर मेरी एक दोस्त ने मुझे ट्राय करने की सलाह दी. बंगलुरु में भी मैंने कई विज्ञापनों में काम किया. पोर्टफोलियो बनवाई और मुंबई आ गयी. मुंबई आने के 3 महीने के अंदर ही संतान धारावाहिक मिल गया था. 

सवाल-आप अपने पति अतुल कुमार से कैसे मिली?

मैं इन्जीनियरिंग की पढाई के दौरान उनसे मिली थी, वे मेरे अच्छे दोस्त है. तभी से हम एक दूसरे को जानते थे और बाद में शादी की. 

सवाल-किस शो ने आपकी जिंदगी बदली?

मेरे हिसाब से अभी तक मैं वैसी शो नहीं कर पायी हूं, लेकिन शो ‘संस्कार’ ने मेरी जिंदगी काफी हद तक बदली है. लोगो ने उस शो की किरदार भूमि के रूप में मुझे जाना और पहचाना. 

सवाल-फिल्मों में आने की इच्छा रखती है?

फिल्मों में अगर मौका मिलेगा तो अवश्य करुँगी. आजकल टीवी, वेब और फिल्म में कोई अंतर रह नहीं गया है. ट्राय करुँगी.

सवाल-अभिनय के अलावा क्या करने की इच्छा रखती है?

अभी तो एक्टिंग को लेकर खुश हूं आगे अगर मौका मिला तो प्रोडक्शन के बारें में सोच सकती हूं. खाली समय में पेंटिंग करती हूं. अभी घर पर रहकर मैंने कई पेंटिंग्स घर को सजाने और लोगों को गिफ्ट करने के लिए बनाये है. इसके अलावा किताबे पढ़ाना, फिल्में देखना, एक्टिंग की ऑनलाइन प्रैक्टिस करती रहती हूं. 

सवाल-इंटिमेट सीन्स के लिए आप कितनी सहज है?

वेब सीरीज में तो इंटिमेट सिंस होते ही है. उसके लिए मैं एक लिमिट तक रेडी हूं. कुछ भी नहीं कर सकती. जिस कहानी की मांग सेक्सुअलिटी नहीं, उसका हिस्सा है, उसके लिए मैं तैयार हूं.

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सवाल-सफल वैवाहिक जीवन का राज क्या मानती है?

प्यार हो या शादी दोनों में आपस में बात करने की जरुरत होती है. मैं वही करती हूं. मन की बात पति से अवश्य शेयर करती हूं. 

सवाल-आप फूडी है?

मैं बहुत फूडी हूं. अभी घर पर रहकर मैंने केक, कूकीज, बिरयानी आदि बहुत सारी चीजे बनायी है. 

सवाल-कोई सामाजिक काम जिसे आप करना चाहे?

मैं ओल्ड होम को बुजुर्गों के लिए अच्छा बनाने के लिए और ओर्फनेज होम के लिए कुछ अवश्य करना चाहती हूं. 

सवाल-आजकल एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को लेकर कुछ न कुछ बातें चल रही है, इसका प्रभाव कितना इंडस्ट्री पर पड़ रहा है?

सोशल मीडिया की वजह से आजकल अनापशनाप मेसेजेस चलते रहते है, जिसे बिना जांच किये लोग फॉरवर्ड करते रहते है. बिना सच जाने कभी किसी को दोषी बनाना ठीक नहीं. दूसरों के बारें में सोचे बिना अपने काम पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

अभी कोरोना संक्रमण के समय स्वस्थ रहिये. इसके लिए मास्क पहनिए और जरुरत के बिना बाहर मत घूमिये. 

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Teacher’s Day 2020: गुरु के बारे में जानें क्या कहते है टीवी सितारें

गुरु की भूमिका हर व्यक्ति को निखारने में किसी न किसी रूप में सहायक होता है. यही वजह है कि गुरु शिष्य की परंपरा सालों से चली आ रही है. पहले ये शिक्षा आश्रमों और कुटियों में दिया जाता था, पर अब समय के साथ-साथ इसका रूप स्कूल और कॉलेज ले चुके है. ऐसा माना जाता है कि गुरु की शिक्षा के बिना किसी व्यक्ति का समुचित विकास संभव नहीं. गुरु केवल अध्यापक ही नहीं कोई भी हो सकता है, जो आपको सही मार्गदर्शन करवाएं और जीवन में आये किसी भी सही या गलत बातों से परिचित करवाएं. ये सही है कि बदलते समय में गुरु की परिभाषा बदल चुकी है.

गुरु शिष्य परंपरा में भी बदलाव आ चुका है, पर इसकी महत्ता को कभी भूलाया नहीं जा सकता. यही वजह है कि हर साल 5 सितम्बर को टीचर्स डे’ मनाया जाता है. इसी आधार पर ये जानने की कोशिश की गयी हैकि आखिर आज की पीढ़ी के जीवन में गुरु की परिभाषा क्या है? क्या सोचते है वे इस बारें में? कौन है उनके जीवन का आदर्श जिसे वे अपना गुरु या मेंटर मानते है? आइये जाने क्या कहते है छोटे पर्दे के सितारें.

रिषिना कंधारी कहती है कि मुझे जीवन में जिन लोगों ने सही और गलत का ज्ञान दिया है, वही मेरे गुरु है. जीवन में बहुत सारें लोग ऐसे मिलते है जो कुछ न कुछ आपको सीख देते रहते है, मैं अपने आपको ‘एकलव्य’ और शिक्षा देने वाले को ‘द्रोणाचार्य’ कहती हूं. अभी मैं जो शो कर रही हूं उसमें मुझे मारवाड़ी संवाद बोलने पड़ते है, जिसके लिए मुझे मेरे निर्देशक धर्मेन्द्र शर्मा और मेरी को एक्ट्रेस नीलू बाघेला है, जो मुझे संवाद के बारें में पूरी जानकारी देती है, अभी मैं उन्हें ही अपना गुरु मान रही हूं.

शशांक व्यास के हिसाब से मेरे अध्यापक मेरे जीवन के बहुत बड़े आदर्श है, उन्होंने मुझे जीवन के सही रास्ते दिखाए है, जिसपर चलकर आज मैं सफल हो पाया हूं, पर मेरी माँ की भूमिका भी इसमें कम नहीं है, हर पल, हर रास्ते पर वह मेरे साथ चली है. यहाँ मुझे एक बात का दुःख है कि गुरु को हमेशा अपने शिष्यों को समान दृष्टि से देखने की जरुँरत है, वे कम पढ़ाकू बच्चे और अधिक पढने वाले बच्चों के बीच में भेद-भाव कभी न करें. इससे बच्चे का मनोबल टूटता है. एक बार एक अध्यापक ने मेरे पिता से कहा था कि मेरा कोई एम्बिशन या गोल नहीं है, क्योंकि मेरे मार्क्स कम आये थे. मेरे हिसाब से अगर किसी छात्र को नंबर कम आते है तो अध्यापक को उस छात्र पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, इससे उन्हें आगे बढ़ने और आत्मविश्वास को बनाये रखने में सफलता मिलती है. बच्चों को सफलता से अधिक असफलता से निपटने की जानकारी गुरु को देने की आवश्यकता है. मार्कस जीवन में अधिक महत्व नहीं रखते, क्योंकि जीवन में हर कठिन परिस्थिति से निकलने में जो व्यक्ति सफल होता है, वही आज कामयाब है.

 

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Cinema is the most beautiful fraud in the world. 🥰

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अमल सेहरावत कहते है कि जो व्यक्ति आपको जीवन के उद्देश्य और आशावादिता को बनाये रखने में सहयोग दे वही गुरु है. मेरे पेरेंट्स और कास्टिंग डायरेक्टर अतुल मोंगिया ये दोनों मेरे जीवन के सही मेंटर रहे है. मुझे अभी भी याद है जब मुझे एक्टिंग में कोई काम नहीं मिल रहा था और मेरा आत्मविश्वास डगमगा रहा था, तब इन लोगों ने मुझे सहारा दिया और मेरे कॉन्फिडेंस को बनाए रखने में सहायता की थी और बर्तमान में रहने और उसे एन्जॉय करने की सलाह दी थी, इससे मैं अपनी सशक्तता को बनाये रखा और आज सफल हूं.

धारावाहिक ‘उडान’ और नागिन फेम विजेंद्र कुमेरिया का कहना है कि गुरु मेरे लिए वह है जो मुझे सही दिशा में चलने के लिए गाइड करें और जीवन में कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करें. मेरे जीवन में मेरे पिता एक दोस्त, मेंटर और गाइड है. बचपन की कुछ यादे मुझे आज भी अच्छी लगती है. मुझे याद आता है जब मैं जूनियर क्लास में था और 5 साल का था, मेरा भाई सेकंड क्लास में था. उसकी क्लास टीचर एक पारसी लेडी थी, जो बहुत खूबसूरत थी. मैं कभी-कभी मेरे भाई से मिलने उसकी कक्षा में जाया करता था, क्योंकि मुझे वह लेडी मुझे चोकलेट दिया करती थी. एक दिन मैंने उसे कहा था कि मैं बड़ा होकर उनसे शादी करूँगा. अब मुझे ये सोचकर हंसी आती है.

 

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Need some more greenery in the concrete jungles. Don’t we???

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ध्रुवी हल्दंकर कहती है कि टीचिंग एक नोबल प्रोफेशन है और ये किसी भी बच्चे को एक आकार देने के साथ-साथ उसके जीवन को एक दिशा प्रदान करती है. मेरी गुरु पंडित बिरजू महाराज की बेटी ममता महाराज है, जिन्होंने मुझे जीवन का उद्देश्य बताया और समझाया है. वह मेरी कथक की गुरु है. इसके अलावा मेरी इंग्लिश टीचर अनीता अरोड़ा,वीना मलिक, मैथ टीचर ब्रांडा ब्रिगेंजा, जो मेरे माँ के हाथ का बनाया हुआ अचार पसंद करती थी और मुझे कई बार एक बोतल अचार लाने को कहा करती थी.

अंकित सिवाच कहते है कि गुरु केवल स्कूल और कॉलेज में ही नहीं पाए जाते. जो भी व्यक्ति आपके जीवन में आपको सही रास्ता दिखाए, आप पर विश्वास रखे, वही गुरु कहलाया जा सकता है. मैं परिवार से लेकर उन सभी के लिए आभार प्रकट करता हूं, जिन्होंने मुझे यहाँ तक पहुँचने में सहायता की है और अभी तक खुद को रुटेड रख पाया हूं. मुझे याद आता है, जब मैं 9 वीं कक्षा में था और मेरी फीलिंग नुपुर मैडम के लिए हो गया था. मैं बहुत चिंतित था और कई रातों तक ये सोचकर सो नहीं पाया था कि कही ये बात किसी को पता न चल जाय. आज इसे सोचकर हंसी आती है.

डिब्रूगढ़ आसाम और धारावाहिक संस्कार की चर्चित शमीन मन्नान के जीवनमें अलग-अलग समय पर अलग लोगों ने दिशा निर्देश दिया है, जिसमें नीरज काबी ने एक्टिंग के क्राफ्ट को समझाया है. वह कहती है कि मुझे याद आता है जब मैं 10 वीं कक्षा में थी और मुझे मेरे साइंस टीचर ने क्लासरूम से बाहर घंटो खड़ा किया था, क्योंकि मैंने क्लास में अपनी बेस्ट फ्रेंड को देखकर हंसी थी, जो मुझे बहुत ख़राब लगा था, क्योंकि सभी मेरे जूनियर्स मुझे देखकर हँसते हुए जा रहे थे, इससे मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुयी थी और मैं बाद में पूरे दिन रोई थी. अब मुझे उस बात को सोचकर हंसी आती है.

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धारावाहिक अनुपमा में चर्चित होने वाले अभिनेता आशीष मेहरोत्रा के अनुसार एक अच्छे गुरु की जरुरत हर बच्चे को होती है, ताकि वह उसके सपनो और उद्देश्यों को साकार होने में सही दिशा दिखा सकें. ये पेरेंट्स के साथ-साथ गुरु का होता है. जिसमें वह जीवन के मूल्यों, आज़ादी के सही अर्थ, आशा-निराशा, सही -गलत, सफलता-असफलता आदि सभी को सीखता है. मेरे जीवन में केवल एक मेंटर ही नहीं कई रहे है, जिसमें माता-पिता से लेकर पडोसी, सहकर्मी आदि सभी का किसी न किसी रूप में सहयोग मेरे कामयाबी में रहा है. मेरे स्कूल टीचर माधुरी मैडम, मुक्ता मैडम, अजय सर आदि के लिए मेरा सम्मान हमेशा से है. जबकि मुंबई आने पर कास्टिंग डायरेक्टर काविश सिन्हा, सौरव सर और प्रशांत सर आदि सबका सहयोग मेरे साथ रहा है. उन सभी के लिए मेरा आभार सदैव रहेगा.

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