किसी भी धर्म के प्रति टोलरेंस रखने और सोचने की है जरुरत– शरमन जोशी

थिएटर से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता शरमन जोशी गुजराती परिवार से है.उन्होंने अभिनय के अलावा गुजराती, हिंदी, मराठी और अंग्रेजी थिएटर का निर्देशन भी किया है. उनकी पहली अभिनीत चर्चित फिल्म ‘रंग दे बसंती’ थी, जिसमें उनके अभिनय को आलोचकों ने सराहा. फिल्म ‘थ्री इडियेट्स’ भी काफी चर्चा में रही ,जिसमें उन्होंने राजू रस्तोगी, एक साधारण परिवार के इंजिनियर छात्र की भूमिका निभाई थी.

शांत और दृढ़ स्वभाव के शरमन का परिवार कला और साहित्य के बहुत करीब है. उनके पिता अरविन्द जोशी बीते ज़माने के गुजरती थिएटर आर्टिस्ट थे. शरमन ने बचपन से कला को नजदीक से देखा है और यही से उसे इस क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली. वे अपनी माता-पिता की सीख को अपने जीवन में उतारते है,जिन्होंने उन्हें एक अच्छे व्यक्तित्व के इंसान बनने के लिए हमेशा उन्हें उत्साह दिया. शरमनने हमेशा लीक से हटकर काम किया और सफल रहे. उनके इस कामयाबी में वे अपने माता-पिता और पत्नी का श्रेय देते है, जिन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया. उनकी अंग्रेजी फिल्म ‘ग्राहम स्टेंस’ एक अनकही सच्चाई, द लीस्ट ऑफ़दीज’ शीमारू बॉक्स ऑफिस पर हिंदी में पहली बार रिलीज हो चुकी है, जिसमें अभिनेता शरमन जोशी ने पत्रकार की मुख्य भूमिका निभाई है. उनसे उनकी जर्नी के बारें में बात हुई, पेश है कुछ अंश.

सवाल-ये फिल्म हालाँकि अंग्रेजी में रिलीज हो चुकी है, लेकिन अब हिंदी में भी हुई है, क्या ये जरुरी था ?

अंगेजी में फिल्म बनी थी, लोगों ने देखा और पसंद भी किया, लेकिन हिंदी में होना भी जरुरी था, शीमारू ने इसे ओ टी टी प्लेटफॉर्म पर जगह दी है और उम्मीद करता हूं कि कुछ और दर्शक अब इस फिल्म के साथ जुड़ सकेंगे.

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सवाल- आपने इस सेंसिटिव इश्यु को लेकर बनी फिल्म में पत्रकार की भूमिका निभाई है, कितना रिसर्च करना पड़ा? कैसे किया?

मेरे लिए नयी भूमिका थी. फिल्म में मैं एक हैडलाइन की तलाश में था, जिससे मेरे पब्लिकेशन को अच्छी ऊँचाई मिले.मैंने इस चरित्र के लिए काफी सारे रिसर्च किया और पाया कि ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस अच्छा काम कर रहा था, क्योंकि वह कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहा था. धर्म परिवर्तन की दिशा में उसके खिलाफ जो आरोप था वह कितना सही था, इसकी जानकारी मुझे नहीं थी, लेकिन इसे करते हुए मैं भी भावुक हुआ था. इस फिल्म के द्वारा ये बताने की कोशिश की गयी है कि आप किसी भी धर्म से सम्बन्धरखते हो, पर आप को किसी दूसरे धर्म को भी इज्जत देने की जरुरत है. धार्मिक सहिष्णुता हर व्यक्ति में एक दूसरे के धर्म के प्रति आज होने की जरुरत है. आज के परिवेश में भी इस तरह की फिल्में सटीक बैठती है. केवल भारत ही नहीं विश्व के हर देश में धर्म को लेकर सालों से असहिष्णुता चलती आ रही है. ये फिल्म सभी इंसानों को बाध्य करेगा कि धर्म के प्रति टोलरेंस रखने और सोचने की उन्हें जरुरत है, ताकि सभी लोग सुरक्षित रहे.

सवाल- आजकल मीडिया की विश्वसनीयता लोगों के बीच कम होती जा रही है, हेड लाइन के लिए वे कुछ भी करने के लिए तैयार रहते है, आपकी राय इस बारें में क्या है?

ये बहुत ही गंभीर विषय है. मीडिया को चौथा स्तम्भ देश का माना जाता है, बिना सच्चाई और इमानदारी के छपी कोई भी खबर का नुकसान देश को ही भुगतना पड़ता है. हर पब्लिकेशन केवल दो पन्ने में मेरिट के आधार पर जिसमें किसी की गलत और सही बात को सच्चाई के साथ अगर उसमें प्रदर्शित करें, तो भी फायदा मीडिया हाउस को होगा, क्योंकि तब लोग इन दो पन्नों को पढने के लिए ही उस समाचार पत्र को खरीदेंगे. अभी तो सबको पता है कि बहुत सारे ख़बरों के लिए लोग पैसे देते है, जिसमें सच्चाई नहीं होती. इसलिए मीडिया पर से लोगों का विश्वास घटता जा रहा है. ये सोचने वाली बात है.

सवाल- आप सोशल मीडिया पर कितने एक्टिव है, उसके बारें में क्या सोच रखते है?

मैं सोशल मीडिया पर अधिक एक्टिव नहीं. न के बराबर मेरी उपस्थिती मेरी रहती है. अपने काम का पोस्ट अधिकतर करता हूं. इसके अलावा कुछ नहीं करता. ये अच्छी माध्यम है, बहुत लोगों को बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि वे उस पर अपनी बातें रख सकते है, लेकिन उसका दुरुपयोग या गैर उपयोग नहीं करना चाहिए.

सवाल- आपके कला के परिवार से सम्बन्ध रखते है, ऐसे में अभिनय से इतर कुछ सोचा क्या? किसे अपना आदर्श मानते है?

मेरे पिता, अंकल, आंटी सभी को अपना आदर्श मानता हूं. मेरी आंटी सरिता जोशी अभी भी काम कर रही है. मुझे बहुत गर्व महसूस होता है. उन्होंने गुजराती के अलावा हिंदी में भी बहुत काम किया है. परिवार को भी उन्होंने बखूबी सम्हाला है. मेरे पिता भी बहुत साधारण इंसान थे, पैसे के पीछे उन्होंने कभी भागा नहीं. उनके हिसाब से पैसे आते और जाते है. इंसान की जरूरतें बहुत अधिक कभी नहीं होती, इसका उदहारण इस लॉक डाउन ने सबको समझा दिया है.

सवाल-आपके कैरियर में आपकी पत्नी का सहयोग कितना रहता है?

पत्नी ने हमेशा साथ दिया है,कोई शिकायत नहीं है. उन्होंने हर परिस्थिति में मेरा साथ दिया है.

सवाल- आप अपनी जर्नी को कैसे देखते है?थ्री इडियट्स की इतनी सफलता का अंदाज था क्या?

मेरे अंदर से आवाज आयी थी कि मैं एक्टर बनूँ और मैं बना. कदम रखते ही प्यार मिला औरसफल रहा. मैं इमानदारी से हर काम को करता हूं.फिल्म ‘रंग दे बसंती’ और थ्री इडियट्स के किरदार को लोग आज भी याद करते है. जो मुझे अच्छा लगता है. मैंने अच्छी-अच्छी फिल्में की है. मैं थिएटर से आया हूं. वहां मैंने बहुत काम सीखा है,जिसे मैं पर्दे पर लाता हूं. मेरे पिता गुजराती थिएटर और फिल्में किया करते थे. उस समय मुझे लगता था कि एक फिल्म से मुझे ख़ुशी मिल जाएगी, लेकिन एक के बाद कई और करने की इच्छा हुई और मुझे काम मिलता गया.फिल्म थ्री इडियट्स की स्क्रिप्ट बहुत पसंद आई थी, इतना प्यार मिलेगा सोचा नहीं था.

सवाल-इंटरटेनमेंट कंपनी बहुत मुश्किलों भरे दौर से इस समय गुजर रही है, क्या मेसेज देना चाहते है?

ये सही है, बहुत लोगों को काम अभी नहीं मिला है, लेकिन धैर्य रखने की बहुत जरुरत है. बहुत सारे लोग इसे भुगत रहे है. हिम्मत रखे, उम्मीद है थोड़े दिनों में फिर से सब नयी सोच के साथ शुरू हो जायेगा. इस समय परिवार की खुशियों का ध्यान रखें.

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सवाल-आगे आपकी कौन सी फिल्में है?

उमेश शुक्ला की फिल्म ‘आँख मिचौली’ है. कॉमेडी फिल्म है. इसके अलावा अब्बास मस्तान के साथ शुरू करने वाली थ्रिलर फिल्म है.

सवाल-गृहशोभा के ज़रिये क्या मेसेज देना चाहते है?

घरेलू महिलाएं होममेकर है और वे उतना ही जिम्मेदारी से काम करती है,इसलिए अपने को कभी कम न समझे और अपनी शौक को हमेशा निखारे. अगर कभी पति को आपका काम करना पड़े तब पता चलेगा, कि कितना मुश्किल है घर सम्हालना. इसके अलावा उत्सव का माहौल आने वाला है. सबको साथ लेकर खुशिया मनाएं.

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