REVIEW: बौडी शेमिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे का मजाक बनाती ‘डबल एक्स एल’

रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः साकिब सलीम , टीसीरीज

लेखकः मुदस्सर अजीज

निर्देशकः सतराम रमानी

कलाकारः सोनाक्षी सिन्हा, हुमा कुरेशी, शोभा खोटे, कंवलजीत सिंह,  जहीर इकबाल, महत राघवेंद्र,  डौली सिंह व अन्य

अवधिः दो घंटे 12 मिनट

युवा पीढ़ी में बौडी शेमिंग बहुत बड़ी समस्या है. इसी मुद्दे पर बोल्ड फिल्म ‘हेलमेट’ फेम निर्देशक सतराम रमानी फिल्म ‘‘डबल एक्सएल’’ लेकर आए हैं, जिसका निर्माण फिल्म की एक नायिका हुमा कुरेशी के भाई व अभिनेता साकिब सलीम ने किया है. फिल्मकार इस फिल्म के माध्यम से दर्शकों को बताना चाहते हैं कि सपनों को पूरा करने के लिए शरीर की साइज मायने नही रखता. लेकिन अफसोस उन्होने इतनी बुरी फिल्म बनायी है कि उनका संदेश दर्शकों तक पहुंच ही नही पाता.  इतना ही नही फिल्म देखकर एक सवाल उठता है कि क्या साकिब सलीम व हुमा कुरेशी ने अपने पैतृक रेस्टारेंट ‘‘सलीम किचन’’ के प्रचार के लिए यह फिल्म बनायी है. पूरी फिल्म ‘स्वस्थ रहने‘ की आड़ में मोटे होने का महिमामंडन करती है. खासकर चिकन कबाब खाने का प्रचार.

कहानीः

फिल्म की कहानी शुरूआत उस दृश्य से होती है, जब राजश्री त्रिवेदी (हुमा कुरैशी) गहरी नींद में क्रिकेटर शिखर धवन के साथ डांस करने का मीठा सपना देख ही रही होती है कि मां( अलका कौशल )  हल्ला करके बेटी को जगा देती है. मां बेटी की शादी की चिंता में आधी हुई जा रही है. बेटी 30 पार कर चुकी है,  मगर उसकी शादी नहीं हो रही और मां इसकी वजह बेटी का मोटापा मानती है, जबकि दादी( शुभा खोटे) और पिता(कंवलजीत)की नजर में बेटी हष्ट-पुष्ट है. उधर राजश्री को शादी का कोई शौक नहीं. राजश्री त्रिवेदी का सपना एक टीवी स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बनना है. अपने सपने को पूरा करने के लिए राजश्री त्रिवेदी अपने पिता,  मां और दादी की इच्छा के खिलाफ जाने पर आमादा हैं. राजश्री के माता पिता चाहते है कि वह शादी करके अपना घर बसा ले, लेकिन यह बात राजश्री को मान्य नही है. उधर दिल्ली निवासी सायरा खन्ना (सोनाक्षी सिन्हा) एक जिम वाले को डेट कर रही है,  लेकिन उनका दिल अपना खुद का डिजाइनर लेबल बनाने को बेताब है. एक चैनल में इंटरव्यू देने के लिए राजश्री त्रिवेदी दिल्ली जाती है, जहंा रिजेक्ट हो जाने के बाद वाशरूम में रोेते हुए उनकी मुलाकात  सायरा खन्ना से हो जाती है. दोनों वॉशरूम में रोते हुए अपने जीवन में गड़बड़ी के लिए अपने ‘डबल एक्सएल‘ शरीर को दोष देते हैं. सायरा खन्ना को लंदन जाकर कुछ निवेशकों के लिए एक फैशन यात्रा वृत्तांत का वीडियो बनाना है, मगर उनके पास निर्देशक नही है. तो राजश्री त्रिवेदी निर्देशक बन जाती हैं. क्योकि उन्होेने कुछ इंस्टाग्राम रील्स बनायी हैं. कैमरामैन के रूप में श्रीकांत (महत राघवेंद्र) आ जाते हैं. यह तीनों लंदन रवाना होते हैं. एअरपोर्ट पर जोई (जहीर इकबाल) इन्हे लेने आता है. जो कि इन दोनों को अपने सपनों को पूरा करने में मदद करता है. कपिल देव से जोई झूठ बोलकर राजश्री त्रिवेदी को कपिल देव से इंटरव्यू करने का अवसर दिलाता है. जिसे देखकर राजश्री त्रिवेदी को नौकरी मिल जाती है.  सायरा खन्ना का अपना फैशन लेबल शुरू हो जाता है.

लेखन व निर्देशनः

बौलीवुड में बौडी शेमिंग पर ‘फन्ने खां और ‘दम लगा के हईशा’ जैसी बेहतरीन फिल्में पहले भी बन चुकी हैं. तो वहीं बंगला अभिनेत्री रिताभरी चक्रवर्ती ने भी इसी मुद्दे पर एक बंगला फिल्म ‘‘फटाफटी’’ बना रखा है. कम से कम फिल्मकार को इन पर गौर कर लेना चाहिए था. लेकिन फिल्म देखकर अहसास होता है कि फिल्मकार ने कंगना रानौट की सफल फिल्म ‘क्वीन’ सहित कई फिल्मों का कचूमर परोसते हुए केवल ‘सलीम किचन’ के प्रचार पर ही पूरा ध्यान रखा. इसी के चलते मोटापा बढ़ने पर शरीर को होने वाले नुकसान का जिक्र तक नही किया गया है. ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ फेम मुदस्सर अजीज से ऐसी उम्मीद नही थी. फिल्म में किसी भी किरदार को ‘फैट फोबिया’ भी नही है. लेखक मुदस्सर अजीज व निर्देशक सतराम रमानी बौडी शेमिंग जैसे जरूरी मुद्दे वाले विषय की परतों को पूरी तरह से उकेरने में असफल रहे हैं. इतना ही नही पूरी फिल्म नारी स्वतंत्रता व आत्मनिर्भर नारी के खिलाफ गढ़ी गयी है. राजश्री त्रिवेदी इतनी आत्मनिर्भर है कि उसे लड़कियों या औरतों से किस तरह बात की जानी चाहिए, इसकी समझ नही है. तो वहीं सायरा पूरी तरह से पुरूष पर निर्भर नजर आती है.

इंटरवल से पहले फिल्म काफी धीमी गति से चलती है. इंटरवल पर अहसास होता है कि अब फिल्म में कोई रोचकता आएगी. मगर ऐसा नही होता. इंटरवल के बाद फिल्म पूरी तरह से विखर जाती है. बौडी शेमिंग के मुद्दे को जिस तरह की  संवेदन शीलता की उम्मीद थी, उस पर भी लेखक व निर्देशक दोेनों खरे नही उतरे.

अभिनयः

फिल्म के किसी भी कलाकार का अभिनय प्रभावशाली नही है. दोनो नायिकाओं, हुमा कुरेशी और सोनाक्षी सिन्हा ने महज अपना वजन 15 किलो बढ़ाकर किरदार में फिट होने की इतिश्री कर ली. हुमा कुरेशी और सोनाक्षी सिन्हा की केमिस्ट्री भी नही जमी. श्रीकांत के किरदार में महत राघवेंद्र अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं. जहीर इकबाल को बेहतर अभिनेता बनने के लिए अभी काफी मेहनत करनी पड़ेगी. अलका कौशल 30 पार कर चुकी अनब्याही बेटी की मां के दर्द को बखूबी बयान करती हैं.  छोटे किरदार में शुभा खोटे याद रह जाती है.  कंवलजीत के हिस्से करने को कुछ आया ही नही.

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