सच्ची घटना से प्रेरित है एक्ट्रेस श्रिया पिलगांवकर की ‘हाथी मेरे साथी’, पढ़े खबर  

बचपन से अभिनय के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखने वाली अभिनेत्री श्रिया पिलगांवकर ने अपने कैरियर की शुरुआत मराठी फिल्म से की, जिसमे उनके काम को काफी सराहना मिली और बेस्ट न्यू कमर का अवार्ड भी मिला. फिल्मों के अलावा उन्होंने कई विज्ञापनों में भी काम किया है. अभिनय के अलावा श्रिया निर्माता, निर्देशक और स्टेज परफ़ॉर्मर भी है. हालाँकि वह अभिनेत्री सुप्रिया पिलगांवकर और सचिन पिलगांवकर की बेटी है, पर किसी फिल्म में काम करने का निर्णय वह खुद लेती है. फिल्म में काम की ड्यूरेशन भले ही कम हो, पर उसका महत्व फिल्म में अधिक होने पर उसे करना पसंद करती है, ताकि दर्शक श्रिया को याद रख सके. फिल्म ‘फैन’ में एक छोटी सी भूमिका से वह सबकी नजर में आई और आगे कई फिल्में की. अभी उनकी फिल्म हाथी मेरे साथी रिलीज पर है, जिसमें जंगल और उससे जुड़े वन्य जंतुओं की महत्व को दिखाने की कोशिश की गई है. विनम्र और हंसमुख श्रिया से बात हुई पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

इस फिल्म में मैंने एक इमानदार रिपोर्टर की भूमिका निभाई है, जो किसी के दबाव में  आना नहीं चाहती, लेकिन उसे इस कहानी को किसी भी तरह से रिपोर्टिंग करना है, कैसे वह कर पाती है, उसे ही दिखाने की कोशिश की गयी है.

सवाल-क्या इसके लिए कुछ खास तैयारियां की है? तीन भाषाओँ में सेट पर एक दृश्य को शूट करना कितना कठिन रहा?

इस फिल्म को पहले तमिल फिर तेलगू और बाद में हिंदी में शूटिंग किया गया है, इसलिए हर भाषा में एक ही दृश्य को शूट करना कठिन रहा. दृश्य में एक जैसे भाव लाने के लिए तैयारी करनी पड़ी, लेकिन इसमें निर्देशक का बहुत बड़ा हाथ होता है, क्योंकि वह पूरी फिल्म को सामने से देख रहा होता है. भाषा मेरे लिए बहुत अधिक माइने नहीं रखती, क्योंकि मैं थिएटर आर्टिस्ट हूं और मुझे अलग-अलग भाषा में काम करना पसंद है. तैयारी भाषा को लेकर भी करनी पड़ी, क्योंकि मैंने 3 फिल्मों की शूटिंग की है, दृश्य वही थे, लेकिन भाषा अलग होने से शब्दों की बारीकियों को दृश्य में उतारना चुनौती होती है. मैं तमिल, तेलगू में पहली बार फिल्म कर रही हूं, इसलिए मैं बहुत उत्साहित थी और मज़ा भी आया.

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सवाल-आपकी फिल्म का शीर्षक हाथी मेरे साथी नाम से पहले भी फिल्म आ चुकी है, ये फिल्म उससे कितनी अलग है?

काफी अलग फिल्म है, इसमें हाथियों को अवैध तरीके से शिकार और मनुष्य का प्राणी जगत के साथ बोन्डिंग को दिखने की कोशिश की गयी है, जिसमें पर्यावरण के लिए कोई नहीं सोचता, पहाड़ और जंगलों को काटकर लोग विकास करने में जुटे है. ये कहानी आसाम के जादव मोलाई पायेंग पर आधारित एक सच्ची घटना से प्रेरित है, जिन्होंने एलिफेंट कोरिडोर को बचाने के लिए बहुत काम किये है और उन्हें ‘फारेस्ट मैन ऑफ़ इंडिया कहा जाता है.

सवाल-हाथियों का अवैध शिकार सालों से होता आ रहा है, क्या आप इस दिशा में कुछ करने की इच्छा रखती है?

मुझे बचपन से ही हाथी पसंद है और मैं चाहती हूं कि जंगल के जानवरों को बचाने के लिए लोग जागरूक हो और उनके महत्व को समझे. विकास के नाम पर जंगल फटाफट काटे जा रहे है, जबकि हम सब जंगल और उसके प्राणी के साथ जुड़े हुए है. मुझे बहुत अधिक ख़राब लगता है, जब मैं हाथियों का अवैध शिकार करते हुए. जंगलो को काटकर बिल्डिंग बनाते हुए लोगों को कही देखती हूं.

सवाल-आप एक स्टेट लेबल की स्विमर, निर्देशक और अभिनेत्री है, किस काम में आपको सबसे अधिक ख़ुशी मिलती है?

अभिनय मेरी पहली पसंद है, लेकिन मैंने किसी नयी चीज को सीखना कभी नहीं छोड़ा है. शूटिंग के दौरान सेट पर मैं निर्देशन की बारीकियों को सीखती हूं, क्योंकि ये सब जानना जरुरी है, ताकि आगे चलकर मैं एक फिल्म का निर्देशन करूँ. अभी वो समय गया, जब कलाकार सिर्फ अभिनय ही करते थे, जबकि आज के आर्टिस्ट अभिनय के साथ-साथ नयी चीज को सीखना पसंद करते है.

सवाल-फिल्मों में कम दिखाई पड़ने की वजह क्या है?

मैंने कई प्रोजेक्ट किये है, जिसे कोविड की वजह से बाहर निकलने में समय लग रहा है. मैं जल्दबाजी में कोई काम नहीं उठाती, क्योंकि कई बार फिल्में बनकर डिब्बे में बंद रह जाती है, इसलिए सब देखकर फिर काम को चुनती हूं. मैं चाहती हूं कि जल्दी से मेरे काम बाहर आ जाय, जिससे दर्शक मेरा काम देख सकें. इस फिल्म को बाहर आने में दो साल लगे है. यही इस इंडस्ट्री की पहचान है, लेकिन जब फिल्म आती है , तो अपनी पहचान छोड़कर अवश्य जाती है.

सवाल-किस फिल्म ने आपकी जिंदगी बदल दी?

फिल्म ‘मिर्ज़ापुर के बाद मेरे काम को दर्शकों ने अधिक नोटिस किया और मेरे काम को सराहा गया. मिर्ज़ापुर मेरे कैरियर का टर्निंग पॉइंट रहा है.

सवाल-आपके पेरेंट्स इंडस्ट्री के सफल कलाकार है, क्या आपको कभी इसका प्रेशर रहा?

इसमें मैं इतना सोचती हूं कि मैं अपनी कैरियर ग्राफ को अच्छी तरह से अपने हिसाब से आगे ले जाऊं. मेरे वर्ताव और बातचीत को मैं हमेशा अच्छी रखूँ, क्योंकि ये चीज उनके लिए अधिक माइने रखती है. उन्होंने जो लेगेसी बनाई है, उसे मैं एक कलाकार के रूप में आगे ले जाने की कामना करती हूं. फिल्मों का सफल होना और असफल होना मेरे हाथ में नहीं होता, पर मैं एक अच्छा कलाकार और अच्छा नागरिक बनना चाहती हूं.

सवाल-क्या कभी काम को लेकर पेरेंट्स से चर्चा करती है?

पेरेंट्स ने हमेशा मुझे काम की आज़ादी दी है. मुझे जो पूछने की जरुरत है, वह पूछ लेती हूं, जबकि निर्णय मेरा ही होता है. असल में मुझे पता होना चाहिए कि मैं क्या करने जा रही हूं और इसमें गलतियाँ होने पर भी मुझे ही उसे ठीक करना है. पेरेंट्स मेरे साथ हमेशा गाइड करने के लिए होते है और वह मेरे लिए बहुत अधिक जरुरी है.

सवाल-कोविड की वजह से ओटीटी अधिक पोपुलर हो गया है, इससे कलाकारों को कितना फायदा हो रहा है?

अधिक छोटी-छोटी फिल्मे या वेब सीरीज कम बजट में बन रही है, जिससे काफी लोगों को काम मिल रहा है. स्टार सिस्टम अब करीब खत्म हो गया है. अब केवल एक या दो स्टार नहीं, अभिनय करने वाले सभी स्टार है. ये सही है कि थिएटर में जाकर बड़े पर्दे पर फिल्में देखने का मजा कुछ और ही होता है, लेकिन अभी कोरोना के समय सबको इसके निर्देश के अनुसार हॉल में जाने की जरुरत है.

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सवाल-कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान आपने क्या-क्या किया है?

वह समय सभी के लिए बहुत ही ख़राब था. मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि मैं अपने परिवार के साथ थी, क्योंकि काम के दौरान हम सबको एक साथ रहने का समय नहीं मिलता था, जो उस दौरान मिला है. मुझे आगे क्या करना है, उसके बारें में सोची, सेहत का ध्यान रखा और मेरी डौगी जैक के साथ समय बिताया है. इसके अलावा पेंटिंग और रीडिंग भी की है. साथ ही एक सीरीज की शूटिंग की, जो ऑनलाइन रिलीज भी हो गयी.

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