सिंगल मदर बनने को लेकर क्या कहती है ‘Sasural Genda Phool 2’ की एक्ट्रेस श्रुति पंवार, पढ़ें इंटरव्यू

22 साल की कैरियर में अपनी पहचान बना चुकी अभिनेत्री श्रुति पंवार देहरादून की है, उसे बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी, जिसमें उनके पेरेंट्स ने साथ दिया है. वह नेशनल लेवल की बास्केट बॉल प्लेयर भी रह चुकी है. आज भी उसे क्रिकेट और फुटबाल गेम बहुत पसंद है. उन्होंने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ से अपनी कैरियर की शुरुआत की थी. इसके बाद कई फिल्में और टीवी धारावाहिकों में काम किया है. उनकी सबसे प्रसिद्ध टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल, रिश्ते, आज के श्रीमान श्रीमती आदि है.

उन्होंने बहुत कम उम्र में आलोक उल्फत से शादी की और एक बेटे की माँ बनी. साल 2017 में उन्होंने डिवोर्स लिया. अभी वह सिंगल पैरेंट है और मुंबई में अपने 14 साल के बेटे ओजस्या उल्फत के साथ रहती है. उनका बेटा भी स्कूल के नाटकों में अभिनय करता है, परन्तु उसे फुटबाल खिलाडी बनने की इच्छा है. फिल्म सूर्यवंशी में माँ की भूमिका निभाने के बाद श्रुति टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल 2’ की शूटिंग में व्यस्त है, क्योंकि ये 11 साल बाद फिर से आई है. श्रुति से खास गृहशोभा के लिए टेलीफोनिक बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – सूर्यवंशी  में आपकी भूमिका कितनी चुनौतीपूर्ण रही?

जवाब – इसमें अधिक चुनौती नहीं थी, क्योंकि एक बार टीवी पर माँ की भूमिका निभा लेने के बाद हर कोई एक्ट्रेस मंझे हुए कलाकार की तरह हो जाते है. टेलीविज़न में माँ की भूमिका ममतापूर्ण और भावनात्मक होता है. बच्चों के प्रति अपनी संवेदना को जाहिर करने के लिए भरपूर समय मिलता है. इसलिए मुश्किल नहीं था, लेकिन उसमें दिखाए गए बच्चे मेरी उम्र के है, पर मैंने अभिनय किया , क्योंकि मैंने खुद को किसी भी भूमिका के लिए सिमित नहीं रखी है, क्योंकि मैं एक कलाकार हूं और कलाकार के साथ वर्सेटाइल शब्द जुड़ा हुआ रहता है. आप किसी भी उम्र के हो, पर आपकी सोच उस उम्र की भूमिका निभाने में सहायक होती है. मैं उसी सोच की हूं और किसी उम्र के लिए एक्टिंग करना मेरे लिए चुनौती होती है. इसमें वह चरित्र मेरे लिए आकर्षक और ग्रो करने के लिए कुछ हो, तभी मैं हाँ कहती हूं.

ये भी पढ़ें- GHKKPM: विराट की लाइफ में होगी इस एक्ट्रेस की एंट्री, सई को भड़काएगी पाखी

सवाल – हिमाचल या उत्तराखंड से बहुत सारे कलाकारों का इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आना महज एक इत्तफाक है या वहां के लोग कला प्रेमी है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जवाब – मैंने भी इस बात का अनुभव किया है, जब मैं साल 1996 – 97 के दौरान इंडस्ट्री में आई थी, तब इतने लोग इंडस्ट्री में नहीं थे,गिनचुनकर उनका नाम लिया जा सकता था, जिसमें हिमानी शिवपुरी और अर्चना पूरन सिंह थे और इन दोनों ने देहरादून से आकर अपना नाम बना लिया था. अब काफी लोग आ चुके है, ऐसा लगता है कि मानों कलाकारों को यहाँ एक एक्सपोजर अपनी कला को दिखाने का मिल गया है. असल में अगर कोई व्यक्ति मुंबई आकर सफल होता है, तो कला प्रेमी उसे देखकर प्रेरित होकर मुंबई जाना चाहते है. उत्तराखंड में रंगमंच बहुत होता है और वहां की संस्कृति और प्रकृति बहुत सुंदर है. वहां के लोगों में भरपूर कला है और वे मुंबई आ भी चुके है, खासकर गढ़वाल, देहरादून और हिमाचल से आधिकतर वे आते है.

सवाल – अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब – मैंने स्कूल और कालेज से ही अभिनय शुरू किया है. तब उत्तराखंड नहीं बना था और मैं देहरादून की हूं, ये छोटा सा शहर है,मेरे समय में छोटे-छोटे फैशन शो हुआ करते थे और मैंने उसमें भाग लेना शुरू कर दिया था. साथ में रंगमंच पर भी अभिनय करने लगी थी. मुंबई आने की वजह मेरी छोटी उम्र में आलोक उल्फत से शादी कर लेना है. अभी वे मेरे एक्स हस्बैंड है. उस समय वे एनएसडी में पढाते थे और मैंने उनके साथ ही रंगमंच शुरू किया था. फिर हम दोनों मुंबई घूमने आये और अर्चना पूरन सिंह से मेरे पति की जान-पहचान थी. अर्चना से मिलने पर उन्होंने ने ही मुझे अभिनय करने की सलाह दी, क्योंकि उन्होंने मेरी किसी नाटक को देहरादून में देखी थी. मैंने अभिनय के लिए ऑडिशन दिया और एक होम टीवी में काम मिला. इसके बाद जो भी मौके मुझे मिलते गए, मैं काम करती गयी. इस तरह से मेरा काम कभी रुका नहीं. मुझे परदे और कैमरे के सामने रहना बहुत अच्छा लगता है. मैं आज भी खुद को एक छात्र समझती हूं, जिसे हर दिन कुछ नया सीखना है. स्कूल में रहने के दौरान मेरी नानी मुझे नौटंकी करने वाली और ड्रामेबाज लड़की कहती थी,जिसे एक्टिंग के क्षेत्र में जाना चाहिए और वही हुआ भी.

सवाल –इतने सालों में इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखती है?

जवाब – काफी दिनों के बाद किसी भी बदलाव को मैं स्वागत करती हूं और कोई भी चीज सालों तक एक जैसी नहीं रहती, क्योंकि इससे लोग ऊब जाते है. किसी बदलाव में सही और गलत दोनों ही रहता है. आज कोरोना की वजह से ओटीटी का स्तर काफी ऊपर हो गया है, लोग आजकल इसे ही देख रहे है. मैं जब आई थी, सिर्फ जी और सोनी टीवी और दूरदर्शन होता था. उस समय काम सीमित था, लेकिन अभी माध्यम बढ़ने से शो बढ़ गए और कलाकार भी बहुत आ गए. देहरादून से ही जहाँ 3 कलाकार थे अब 50 है. केवल भारत से ही नहीं विदेशों से भी कलाकार यहाँ आ रहे है. कला के साथ खूबसूरत और सही मौकेका मिलना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि कई बार अच्छा ऑडिशन देने पर भी काम नहीं मिलता, तो कभी घर बैठे ही काम मिल जाता है. इस प्रकार ओटीटी और डिजिटल में भी काम मिलना आसान नहीं होता. कई बार एक ही व्यक्ति बार-बार अभिनय करता रहता है, घर बैठे उसे काम मिलता रहता है, पर मैंने हमेशा अच्छा काम करने की कोशिश की है, फिर चाहे वह विज्ञापन, टेलीविजन, डिजिटल या कुछ भी हो, मेरे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरा काम मुझे ख़ुशी दे, बस इतना ही मैं देखती हूं.

ये भी पढ़ें- काव्या की बेइज्जती करेगी Anupama तो वनराज बनेगा बिजनेस टाइकून

सवाल – आपने टीवी और फिल्मों में इमोशनल सीन्स काफी निभाए है, रियल लाइफ में आप कितनी इमोशनल है?

जवाब – शारीरिक रूप से मैं बहुत मजबूत हूं, क्योंकि मैं वर्कआउट बहुत करती हूं, लेकिन मानसिक रूप से बहुत कोमल है. कोई अगर मुझे कुछ कहता है तो मैं बहुत जल्दी हर्ट हो जाती हूं. इसकी वजह ये रही है कि मैं देहरादून में एक संयुक्त परिवार में पली-बड़ी हूं. मैं पूरे खानदान में छोटी हूं, इसलिए हमेशा प्रोटेक्टिव रही. 11 साल की उम्र में मेरे पिता की मृत्यु हो गयी थी. मेरे बड़े भाई ही मेरे पिता समान रहे.

सवाल – इतनी सारी फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – मैंने एक फिल्म ‘गफला’ की थी जो अधिक चल नहीं पाई, पर ये फिल्म बहुत अच्छी थी. ये पहली फिल्म थी, जिसने हर्षद मेहता के स्कैम को दिखाया था. इसके अलावा मैंने एक शार्ट फिल्म ‘अमृता और मैं’ में अभिनय किया था, इस फिल्म के लिए मुझे बेस्ट एक्ट्रेस का एवार्ड भी मिला था. ये फिल्म मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग थी, क्योंकि अमृता प्रीतम एक प्रोग्रेसिव लेखिका थी, उनकी भूमिका को निभाना मेरे लिए आसान नहीं था. ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है.

सवाल -आज हर निर्माता निर्देशक बायोपिक बना रहे है, पहले बायोपिक उनकी बनायीं जाती थी, जो अब दुनिया में नहीं है और उनकी सफलता, त्याग और बलिदान को प्रेरणा स्वरुप दर्शाने के लिए किये जाते थे, अब जीवित व्यक्ति की भी बायोपिक बन रही है, क्या ये कुछ अधिक नहीं है, क्या फिल्म इंडस्ट्री में कहानी की कमी हो चुकी है? आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जवाब – बायोपिक बनाना मेरे हिसाब से कठिन है, क्योंकि इसमें एक व्यक्ति का पूरा जीवन जो वह जी चुका है, उसको दिखाना पड़ता है. कहानियां बहुत है और उसकी कमी कहीं नहीं है. समय के साथ सोच बढती है और कहानियां भी उसके अनुसार बनती है. हिंदी सिनेमा में अब बायोपिक बन रही है, हॉलीवुड में सालों से बायोपिक बन रही है. असल में टीवी और फिल्म्स लोगों को बहुत प्रभावित करता है, इसलिए ऐसे बायोपिक आम दर्शकों खासकर यूथ के लिए अच्छा होता है, उन्हें ऐसे खास लोगों से बारें में जानकारी मिलती है.

सवाल – आप एक सिंगल मदर है, अकेले बच्चे की परवरिश की है, जीवन में आये लो फेज को कैसे लिया?

जवाब – जीवन में सबसे जरुरी होता है खुश रहना और स्वस्थ रहना, अगर ये सब किसी की जिंदगी में नहीं है तो कितना भी पैसा व्यक्ति कमा ले, वह सुखी नहीं हो सकता. मेरे परिवार में मेरी माँ, भाई, बहन आदि सभी ने हमेशा मेरा साथ दिया, वे सब मेरे साथ रहते है, क्योंकि सिंगल मदर होना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती होती है. जीवन में जो होना होता है, वह होता है, उसे अपनाकार आगे निकल जाना ही बड़ी बात होती है. मैंने सिंगल मदर होने की बात किसी से शेयर नहीं किया, क्योंकि ये मेरा निजी जीवन है और फैसला भी मेरा है. डिवोर्स के बाद अभी हम दोनों दोस्त है और बच्चे की वजह से कई बार मिलते है.

ये भी पढें- Imlie की जिंदगी में दोबारा जहर घोलेगी मालिनी, करेगी ये काम

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें