कहीं आपकी ये आदत आपको अपने बच्चो से दूर न कर दे

कुछ समय पहले मैंने एक बच्चे की कहानी पढ़ी थी.जिसमे कहानी का शीर्षक था ,”मै एक ‘स्मार्ट फ़ोन’ बनना चाहता हूँ.”
अब हो सकता है की आप सोच रहे हो की इसमें क्या.ये तो बहुत ही नार्मल सी कहानी है.बच्चे स्मार्ट फ़ोनको पसंद करते है हो सकता है इस वजह से कहते है.पर यकीन मानिए कहानी पढने से पहले मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा था.

पर कहानी कुछ इस तरह थी-….

एक बार एक औरत बहुत ही दुखी मन से स्कूल से बच्चो को पढ़ा के निकली .शाम के समय जब उसका पति घर पर आया तो औरत को दुखी देखकर पूछा,”क्या हुआ इतनी दुखी क्यों हो ?कोई परेशानी????
औरत ने भारी मन से पूरे दिन का हाल बताना शुरू किया. वो बोली ,”आज स्कूल में मैंने बच्चो को एक टॉपिक दिया था ,जिसमे लिखना था की वो क्या बनना चाहते है?

सब बच्चो की सोच इस टॉपिक पर अलग-अलग थी.कोई डॉक्टर बनना चाहता था तो कोई इंजिनियर,कोई पायलट तो कोई क्रिकेटर.पर सबसे लास्ट में जब मैंने एक बच्चे की कॉपी चेक की तो उसमे लिखा था
“मै एक ‘स्मार्ट फ़ोन’बनना चाहता हूँ.

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क्योंकि मेरे मम्मी और पापा अपने स्मार्टफोन से बहुत प्यार करते हैं.मेरे मम्मी और पापा अपने फोन पर गेम खेलते हैं, मेरे साथ नहीं. जब वे किसी के साथ फोन पर बात कर रहे होते हैं, भले ही मैं किसी चीज के बारे में उत्साहित हूं और उन्हें बताना चाहता हूं, तो वे मुझसे दूर हो जाते हैं और मुझे दूर जाने के लिए कहते हैं.मेरे मम्मी पापा को चाहे कितना भी जरूरी काम क्यों न हो अगर उनका फोन सिर्फ एक बार बजता है, तो वे इसे तुरंत उठाते हैं. लेकिन वे मेरे लिए ऐसा नहीं करते, भले ही मैं रो रहा हूं…
इसलिए अगर मैं smartphone बन जाऊ तो घर में मेरी एक ख़ास जगह होगी और सारा परिवार मेरे आस पास रहेगा. जब मैं बोलूँगा तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे.पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद भी मेरे साथ बैठेंगे. मम्मी को जब तनाव होगा तो वो मुझे डाटेंगी नहीं बल्कि मेरे साथ रहना चाहेंगी. सब मुझे अपने पास रखने के लिए झगडा करेंगे, और हाँ ‘स्मार्ट फ़ोन’ के रूप में मैं सबको ख़ुशी भी दे पाऊँगा………………”
जब उस औरत ने पढना बंद किया तो उसके पति ने उससे कहा की न जाने कैसे माता-पिता होते है जो अपने बच्चे पर ध्यान नहीं देते.बेचारा बच्चा…..
औरत ने रुंधे हुए गले से बोला ,”जानते हो ये किस बच्चे ने लिखा है ?
हमारे बेटे ने……

दोस्तों हो सकता है ये एक काल्पनिक कहानी हो पर सच कहूं तो शायद ये आज के दौर की हकीकत भी है.
शायद ये हम सभी जानते है की सोशल मीडिया कितना पावरफुल है.सोशल मीडिया की पॉवर इतनी है कि दुनिया के किसी भी इंसान से आपको मिलवा सकती है और सोशल मीडिया की पॉवर इतनी है की आपको आपके परिवार के साथ रहते हुए भी उनसे दूर कर सकती है .कहीं न कहीं हम इस मानव निर्मित दुनिया में खोते से जा रहे हैं. हम वास्तविक जीवन में लोगों से जुड़ने की तुलना में ऑनलाइन जुड़ने में अधिक समय व्यतीत कर रहे है.
क्वाल्ट्रिक्स और एक्सेल पार्टनर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 79% मिलेनियल्स अपने सेल फ़ोन को अपने सिरहाने रखकर सोते है और लगभग 53% हर रात कम से कम एक बार उन्हें जांचने के लिए उठते हैं.

केवल इतना ही नहीं, बल्कि लगभग 60% लोग सुबह बाथरूम का उपयोग करने से पहले ही अपने फोन की जांच करते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया पर एक नज़र डाले बिना 42% लोग 2 से अधिक घंटे नहीं बिता पाए. यहाँ तक की सोशल गैदरिंग के दौरान भी 65 % लोगों ने अपने सेल फ़ोन का इस्तेमाल किया. लगभग 40% लोग कभी भी सेल फोन से डिस्कनेक्ट नहीं करते हैं, यहां तक कि छुट्टी के दिन भी नहीं… …..

पर ये चीज़े सिर्फ उन्ही लोगों तक सीमित नहीं रहती . वो खुद के साथ- साथ अपने बच्चो को भी इसकी चपेट में ले आते है. अक्सर कई माता –पिता में ये देखा गया है की वो अपने बच्चो को मोबाइल में इन्टरनेट कनेक्ट करके दे देते है ताकि बच्चे उन्हें परेशान न करें .
पर हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक़ बच्चों को अपने माता-पिता का ध्यान आकर्षित करने के लिए जोखिम भरे व्यवहार में संलग्न होने की अधिक संभावना पायी गयी. यानी वो अपने माता -पिता का ध्यान अपनी और खीचने के लिए ऐसे कोई भी जोखिम भरे कदम उठा सकते है जिससे उन्हें अपने माता पिता का अटेंशन मिले.

एक सर्वेक्षण के दौरान यह भी पाया गया की डिजिटल उपकरणों के अधिक उपयोग से बड़ों से लेकर बच्चो में आंखों की रोशनी कम होना , आंखें खराब होना , सिर दर्द, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे लक्षण पाए गए.

यहाँ तक की इन्टरनेट पर गेम खेलने की वजह से बच्चों के अन्दर मनोवैज्ञानिक बीमारियाँ भी आ रही है. इन्टरनेट पर गेम खेलने से रोकने पर बच्चे घबराहट महसूस करते है.

अगर आपके बच्चे में बेवज़ह गुस्सा करना या चिडचिडाना ,ज्यादातर अकेले रहने की आदत या हर वक़्त ऑनलाइन रहने की आदत है तो यह इन्टरनेट एडिक्शन की निशानी है. ज्यादातर बच्चे super- heroes को अपना ideal मानते है और उनसे एक जुडाव महसूस करते हैं. super- heroes के साथ जुडी बच्चों की दीवानगी जानलेवा भी साबित हो सकती है.

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ऐसे में इस देश के भविष्य (बच्चों) को इस लत से बचाना होगा वरना इसका नतीजा बहुत भायानक होगा.

दोस्तों इस लेख के माध्यम से मेरा आपसे सिर्फ यही कहना है ये जो इन्टरनेट है ये चीज़ हमें सिखाने के लिए बनी है ,हमें एक बेहतर इंसान बनाने के लिए ही बनी है ,किसी दूर बैठे को पास लाने के लिए बनी है ,इस दुनिया में क्या हो रहा है ये बताने के लिए बनी है.सीखने वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ये इन्टरनेट और वहीँ टाइम पास करने वालों के लिए किसी शराब की लत से कम नहीं है इन्टरनेट.
कोशिश करें की ये आपको Use न करे, आप इसे Use करें .अपने परिवार के साथ ,अपने दोस्तों के साथ कीमती समय व्यतीत करें . Emoji के साथ- साथ लाइफ के real इमोशन भी फील करिए.फिर महसूस करिए की ये दुनिया कितनी खूबसूरत है……

NOTE: इस लेख के माध्यम से मेरा सिर्फ आपसे यही कहना है की जितना हो सके मोबाइल फ़ोन के उपयोग को कम करने का प्रयास करें,खुद के लिए भी और अपनों के लिए भी.

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