दिल्ली में 28% महिलाओं को हर सप्ताह यौन उत्पीड़न से जुड़े कौल या मैसेज आते हैं. जो बाकि किसी भी राज्य की तुलना में सब से ज्यादा है. इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन औफ इंडिया की तरफ से जारी रिपोर्ट ‘इंटरनेट इंन इंडिया 2017’ के मुताबिक देश में 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं जिन में 30% यानी 14.3 करोड़ महिलाएं हैं. देश में इंटरनेट का सब से अधिक इस्तेमाल यंगस्टर्स और स्टूडेंटस करते हैं. गांवों में 100 इंटरनेट यूजर्स में 36 महिलाएं ही इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं. एनसीआरबी के मुताबिक 2016 में देश में महिलाओं के खिलाफ साइबर क्राइम के 930 मामले दर्ज किए गए थे.
1. दोस्ती करें सोच समझ कर
किसी ने आप को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और आप ने तुरंत स्वीकार कर लिया इस टेंडेंसी को छोड़ दें. दोस्ती हमेशा सोचसमझ कर करें. अनजान लोगों की रिक्वेस्ट को इग्नोर करें या डिलीट मार दें. यदि कोई पुराण दोस्त जानबूझ कर आप को परेशान कर रहा है तो पहले उसे समझाने का प्रयास करें कि आप को यह सब पसंद नहीं. मगर यदि वह न माने तो उसे तुरंत ब्लॉक कर दें. किसी को भी इतनी ढील न दें कि वह आप को परेशान कर सके.
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2. झांसे में न आएं
कभी भी अश्लील मैसेज और फेक कौल्स करने वाले व्यक्ति के झांसे में न आएं. यदि किसी वजह से आप ने उस से दोस्ती कर ली है तो भी कभी उस के बुलाने पर अकेली, सुनसान जगह या अकेले उस के घर पर मिलने न जाएं. मिलना ही है तो मॉल या मेट्रो स्टेशन जैसी खुली जगहों पर मिलें. उसे अपनी निजी बातें न बताएं और कभी भी ऐसी निजी तस्वीरें शेयर न करें जिन का वह गलत इस्तेमाल कर सके.
3. कानून का सहारा लें
फोन पर बिना मर्जी दोस्ती के लिए कहना भी अपराध है. महिलाओं के साथ होने वाले इस तरह के छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामलों में सामान्यतः आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है. महिलाओं को फोन या सोशल मीडिया पर उन की इच्छा के बिना दोस्ती के लिए कहना उत्पीड़न का मामला है. इस तरह किसी की निजता में दखल देना अपराध माना जाता है. बारबार टैक्स्ट मैसेज भेजना, मिस्ड कौल करना, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना, महिला के स्टेटस अपडेट पर नजर रखना और सोशल मीडिया पर उस के पीछे लगे रहना आईपीसी की धारा 354 डी के तहत दंडनीय अपराध है.
4. पुलिस में शिकायत करें
महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस ने अब इस तरह के मामलों में साइबर क्राइम के तहत मामला दर्ज करना शुरू कर दिया है. पहले फोन पर मैसेज करने या अश्लील फोटो भेजने पर पुलिस रिपोर्ट तो दर्ज कर लेती थी लेकिन ऐसे मामलों में कार्रवाई करना मुश्किल होता था. क्यों कि ज्यादातर लड़के फेक आईडी पर सिम कार्ड ले कर इस तरह की हरकत करते हैं. ऐसे में कई बार उन्हें सबक सिखाने के लिए आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर मामले की जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंप दी जाती है ताकि क्राइम ब्रांच सर्विलांस की मदद से आरोपी पर कार्रवाई कर सके.
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